छात्रों को आमंत्रण
प्रिय छात्रों एवं विद्यार्थीयों,
हमारे दृष्टि में छात्र वे हैं जो किसी शैक्षणिक संस्थान के किसी शैक्षणिक पाठ्यक्रम में प्रवेश ले कर अध्ययन करतेे है। और विद्यार्थी वे हैं जो सदैव अपने ज्ञान व बुद्धि का विकास कर रहे हैं और उसके वे इच्छुक भी हैं। इस प्रकार सभी मनुष्य व जीव, जीवन पर्यन्त विद्यार्थी ही बने रहते हैं चाहे उसे वे स्वीकार करें या ना करें। जबकि छात्र जीवन पर्यन्त नहीं रहा जा सकता।
कहा जाता है-”छात्र शक्ति, राष्ट्र शक्ति“, लेकिन कौन सी शक्ति? उसकी कौन सी दिशा? तोड़-फोड़, हड़ताल, या अनशन वाली या समाज व राष्ट्र को नई दिशा देने वाली? स्वामी विवेकानन्द को मानने व उनके चित्र लगाकर छात्र राजनीति द्वारा राष्ट्र को दिशा नहीं मिल सकती बल्कि उन्होंने क्या कहा और क्या किया था, उसे जानने और चिन्तन करने से राष्ट्र को दिशा मिल सकती है और ”छात्र शक्ति, राष्ट्र शक्ति“ की बात सत्य हो सकती है। हम सभी ज्ञान युग और उसी ओर बढ़ते समय में हैं इसलिए केवल प्रमाण-पत्रों वाली शिक्षा से काम नहीं चलने वाला है।
छात्रों की विवशता है कि उनके शिक्षा बोर्ड व विश्वविद्यालय जो पाठ्यक्रम तैयार करेंगे वहीं पढ़ना है और छात्रों की यह प्रकृति भी है कि वही पढ़ना है जिसकी परीक्षा ली जाती हो। जिसकी परीक्षा न हो क्या वह पढ़ने योग्य नहीं है? बहुत बढ़ा प्रश्न उठता है। तब तो समाचार पत्र, पत्रिका, उपन्यास इत्यादि जो पाठ्क्रम के नहीं हैं उन्हें नहीं पढ़ना चाहिए। शिक्षा बोर्ड व विश्वविद्यालय तो एक विशेष पाठ्यक्रम के लिए ही विशेष समय में परीक्षा लेते हैं परन्तु ये जिन्दगी तो जीवन भर आपकी परीक्षा हर समय लेती रहती है तो क्या जीवन का पाठ्यक्रम पढ़ना अनिवार्य नहीं है? परन्तु यह पाठ्यक्रम मिलेगा कहाँ? निश्चित रूप से ये पाठ्यक्रम अब से पहले उपलब्ध नहीं था लेकिन इस संघनित (Compact) होती दुनिया में ज्ञान को भी संघनित (Compact) कर पाठ्यक्रम बना दिया गया है। इस पाठ्यक्रम का नाम है-”सत्य शिक्षा“ और आप तक पहुँचाने के कार्यक्रम का नाम है-”पुनर्निर्माण-सत्य शिक्षा का राष्ट्रीय तीव्र मार्ग (RENEW - Real Education National Express Way)। यह वही पाठ्यक्रम है जोे मैकाले शिक्षा पाठ्यक्रम (वर्तमान शिक्षा) से मिलकर पूर्णता को प्राप्त होगा। इस पाठ्यक्रम का विषय वस्तु जड़ अर्थात सिद्धान्त सूत्र आधारित है न कि तनों-पत्तों अर्थात व्याख्या-कथा आधारित। जिसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है- मैकेनिक जो मोटर बाईडिंग करता है यदि वह केवल इतना ही जानता हो कि कौन सा तार कहाँ जुड़ेगा जिससे मोटर कार्य करना प्रारम्भ कर दें, तो ऐसा मैकेनिक विभिन्न शक्ति के मोटर का आविष्कार नहीं कर सकता जबकि विभिन्न शक्ति के मोटर का आविष्कार केवल वही कर सकता है जो मोटर के मूल सिद्धान्त को जानता हो। ऐसी ही शिक्षा के सम्बन्ध में स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा था-”अनात्मज्ञ पुरूषों की बुद्धि एकदेशदर्शिनी (Single Dimensional) होती है। आत्मज्ञ पुरूषों की बुद्धि सर्वग्रासिनी (Multi Dimensional) होती है। आत्मप्रकाश होने से, देखोगे कि दर्शन, विज्ञान सब तुम्हारे अधीन हो जायेंगे“
यह शिक्षा आप तक पहुँचे और आपकी रूचि बनी रहे इसलिए इसमें पाठ्यक्रम के शुल्क के बदले छात्रवृत्ति व अन्य सहायता के साथ बहुत सी ऐसी सुविधा दी गईं है जो आपके शारीरिक-आर्थिक-मानसिक विकास व स्वतन्त्रता के लिए आवश्यक है। ये सुविधा व सहायता हमारे विद्यार्थीयों को संतुष्टि, स्वतन्त्रता और शक्ति सम्पन्न बनाती है। जिससे वे जिस क्षेत्र में चाहे अपना मार्ग चुन सकते हैं। ”पुनर्निर्माण-सत्य शिक्षा का राष्ट्रीय तीव्र मार्ग (RENEW - Real Education National Express Way) के विद्यार्थी बनते ही विद्यार्थी को निम्न शक्ति प्राप्त हो जाती है चाहे उसका उपयोग-प्रयोग करें या ना करें-
1. हमारा विद्यार्थी सार्वभौम पूर्ण ज्ञान से युक्त होकर मानसिक स्वतन्त्रता के मुख्यधारा के मार्ग पर चलते हुये शिक्षित, विचारशील, रचनात्मक और नेतृत्वशील बनेगा।
2. हमारा विद्यार्थी ”सत्य शिक्षा“ का व्यापार करे या ना करे, दोनों स्थिति में छात्रवृत्ति और सहायता को प्राप्त करता रहेगा।
3. हमारा कोई विद्यार्थी, हमारे से जुड़े 1. रेस्टूरेण्ट (Restaurants), 2. चिकित्सक (Doctors), 3. मेडिकल स्टोर (Medical Store), 4. दैनिक प्रयोग के दुकान (FMCG Store), 5. जैविक स्टोर (Organic Store), 6. हमारा विद्यार्थी (Our Student) या किसी भी डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र से आवश्यकता पड़ने पर सप्ताह में 1 बार और अधिकतम रू0 500.00 की नगद राशि या सेवा या वस्तु प्राप्त कर सकता है जो लेने वाले के छात्रवृत्ति से समायोजित हो जाती है।
4. हमारा विद्यार्थी, यदि किसी भी प्रकार का व्यापार या समाजसेवा इत्यादि से है तो वह अपना विज्ञापन देकर अपने जिला क्षेत्र तक आसानी से पहुँच सकता है।
5. हमारा विद्यार्थी, अपने व्यवसाय और स्थान के अनुसार पूरे देश के अन्य विद्यार्थी से सम्पर्क कर सकता है और वर्गीकृत विज्ञापन में सूचीबद्ध हो सकता है।
6. हमारा विद्यार्थी, ब्लाॅग (Blog) के माध्यम से अपने किसी परियोजना (Project), फिल्म स्क्रिप्ट (Film Script), पुरातन, विलक्षण एवं दुर्लभ सूचना (Antique, Unique & Rare
Information), पुस्तक (Book), सामान्य (General) को पूरे देश के सामने ला सकता है और लोगों के सम्पर्क में आ सकता है।
7. हमारा विद्यार्थी शारीरिक-आर्थिक-मानसिक स्थिति से स्वतन्त्र होकर पूरे भारत देश में भ्रमण कर सकता है।
जय छात्र शक्ति, जय राष्ट्र शक्ति
बेरोजगारों व एम.एल.एम नेटवर्करों को आमंत्रण
प्रिय एम.एल.एम नेटवर्कर दोस्तों,
महर्षि मनु ने कहा है कि-”इस कलयुग में मनुष्यों के लिए एक ही कर्म शेष है आजकल यज्ञ और कठोर तपस्याओं से कोई फल नहीं होता। इस समय दान ही अर्थात एक मात्र कर्म है और दानो में धर्म दान अर्थात आध्यात्मिक ज्ञान का दान ही सर्वश्रेष्ठ है। दूसरा दान है विद्यादान, तीसरा प्राणदान और चैथा अन्न दान। जो धर्म का ज्ञानदान करते हैं वे अनन्त जन्म और मृत्यु के प्रवाह से आत्मा की रक्षा करते है, जो विद्या दान करते हैं वे मनुष्य की आॅखे खोलते, उन्हें आध्यात्म ज्ञान का पथ दिखा देते है। दूसरे दान यहाॅ तक कि प्राण दान भी उनके निकट तुच्छ है। आध्यात्मिक ज्ञान के विस्तार से मनुष्य जाति की सबसे अधिक सहायता की जा सकती है।“
इस पुनर्निर्माण के व्यापार में आपको केवल पाठ्यक्रम प्रवेश पंजीकरण के लिए अधिकृत किया गया है। आपके काम को आसान करने के लिए शुल्क (धन) लेने से पूर्णतः मुक्त रखा गया है अर्थात केवल आप रेफर करते जायें और इस सत्य शिक्षा के व्यवसाय का कमीशन व अन्य लाभ पायें।
प्रिय एम.एल.एम नेटवर्कर दोस्तों, उठे और दुनिया को बता दें कि इस दुनिया में परिवर्तन लाने वाले हम लोग हैं। हम सत्य ज्ञान का व्यापार करते हैं। हम राष्ट्र निर्माण का व्यापार करते हैं। हम समाज को सहायता प्रदान करने का व्यापार करते हैं। हम, लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का व्यापार करते हैं और वहाँ करते हैं जिस क्षेत्र, जिला, मण्डल, प्रदेश व देश के निवासी हैं। जहाँ हमारे भाई-बन्धु, रिश्तेदार, दोस्त इत्यादि रहते हैं।
अब इस जिले, उस जिले, इस प्रदेश, उस प्रदेश में भागकर अपने खर्चों को न बढ़ायें। आप जहाँ के हैं वहीं से, अपने घर पर रहते हुये और अन्य कार्यों को देखते हुये सहज भाव व आराम से काम करने का समय व सिस्टम (प्रणाली) आ गया है। यदि आप अन्य कम्पनी को कर रहें हों तो उसे भी करते रहें परन्तु इसे राष्ट्र का कार्य समझ कर इसे भी अवश्य करें और इसे एक राष्ट्रीय साझा कार्यक्रम समझें। अन्य कम्पनीयों की तरह न कोई बड़ा सपना, न ही कोई सेमिनार-हंगामा और न ही साल-दो साल चलने वाली कम्पनी। हम हैं युगों में एक बार काम करने वाले लोग, और नहीं हैं तो हम आज ही यह काम बन्द कर सकते हैं। हम राष्ट्र की आवश्यकता की पूर्ति के लिए काम कर रहें हैं न कि अपार धन कमाने की महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए।
यह काम राष्ट्रीय भाव-समाज सेवा का भाव सामने रखकर करें। लोगों को ज्ञान-बुद्धि की जरूरत है। यह उनके लिए ही है परन्तु उसे हम लोगों को बताना पड़ रहा है। यही ज्ञान-बुद्धि ग्रहण न करने से वे बेरोजगार हैं। सिर्फ और सिर्फ नौकरी पर आश्रित हो गये है। जिसके कारण सरकार भी उनसे व्यापार करने लगी है। हमारे इस व्यापार में ज्ञान भी लो और छात्रवृत्ति (स्कालरशिप) भी। साथ में सामाजिक सहायता और अन्य प्रकार की सुविधा भी।
यह काम पारम्परिक व्यवसाय के प्रकार से करें। जैसे शिक्षा व्यवसाय में पत्राचार शिक्षा का व्यवसाय चलता है। आप केवल इस शिक्षा में लोगों के प्रवेश कराने वाले बनें। अधिक से अधिक प्रवेश करायें और अधिक से अधिक सामाजिक-आर्थिक लाभ प्राप्त करें। अपने निवास स्थान से करें। किसी कार्य से जहाँ जाते हैं वहाँ करें। कोई बाधा नहीं और सिर ऊँचा कर शान से कहें-”हम राष्ट्र निर्माण का व्यापार“ करते हैं। राष्ट्रीय-वैश्विक स्तर पर आ गये बौद्धिक कमी की पूर्ति का व्यापार करते हैं।
हम आपके आय और नेटवर्क को बढ़ाने के कार्य से मुक्त करने के लिए अन्य अच्छे और स्थायी लम्बे समय तक चलने वाले एम.एल.एम कम्पनीयों से साझेदारी भी कर रहें हैं क्योंकि अब समय एकल कम्पनीयों का नहीं बल्कि समूह का है। जिससे निवेश से लाभ, स्थिरता और शक्ति का अधिकतम विकास व लाभ मिलता है। यह एम.एल.एम कम्पनीयों के लिए एक नये युग की शुरूआत भी होंगी। साथ ही हमें बार-बार नये नेटवर्क के लिए मेहनत की आवश्यकता भी नहीं होंगी। इस कार्य के लिए आवश्यकता पड़ने पर हम आपसे अलग से निवेश न कराकर आपके छात्रवृत्ति की राशि का अंश ही उपयोग करेंगे अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट देखें।
जय बेरोजगार, जय नेटवर्कर
मानने से, मानने वाले का कोई कल्याण नहीं होता,
कल्याण तो सिर्फ जानने वालों का ही होता रहा है, होता है और होता रहेगा।
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