Friday, April 17, 2020

NEW WORLD ORDER - ACTION PLAN

NEW WORLD ORDER - ACTION PLAN
First and last action plan based on universal truth-theory for the rebirth of the world / new world.

नई दुनिया आदेश - कार्रवाई योजना
विश्व के पुनर्जन्म/नये विश्व के लिए सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त आधारित प्रथम एवं अन्तिम कार्य योजना



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जब सभी सम्प्रदायों को धर्म मानकर हम एकत्व की खोज करते हैं तब दो भाव उत्पन्न होते हैं। पहला-यह कि सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखें तब उस एकत्व का नाम सर्वधर्मसमभाव होता है। दूसरा-यह कि सभी धर्मों को छोड़कर उस एकत्व को देखें तब उसका नाम धर्म निरपेक्ष होता है। जब सभी सम्प्रदायों को सम्प्रदाय की दृष्टि से देखते हैं तब एक ही भाव उत्पन्न होता है और उस एकत्व का नाम धर्म होता है। इन सभी भावों में हम सभी उस एकत्व के ही विभिन्न नामों के कारण विवाद करते हैं अर्थात्् सर्वधर्मसमभाव, धर्मनिरपेक्ष एवं धर्म विभिन्न मार्गों से भिन्न-भिन्न नाम के द्वारा उसी एकत्व की अभिव्यक्ति है। दूसरे रुप में हम सभी सामान्य अवस्था में दो विषयों पर नहीं सोचते, पहला-वह जिसे हम जानते नहीं, दूसरा-वह जिसे हम पूर्ण रुप से जान जाते हैं। यदि हम नहीं जानते तो उसे धर्मनिरपेक्ष या सर्वधर्मसमभाव कहते हैं जब जान जाते हैं तो धर्म कहते हैं। इस प्रकार विश्व मानक-शून्य (WS-0) : मन की गुणवत्ता का विश्व मानक श्रृखंला उसी एकत्व का धर्मनिरपेक्ष एवं सर्वधर्मसमभाव नाम तथा कर्मवेद-प्रथम, अन्तिम तथा पंचमवेदीय श्रृंखला उसी एकत्व का धर्मयुक्त नाम है तथा इन समस्त कार्यों को सम्पादित करने के लिए जिस शरीर का प्रयोग किया जा रहा है उसका धर्मयुक्त नाम-लव कुश सिंह है तथा धर्मनिरपेक्ष एवं सर्वधर्मसमभाव सहित मन स्तर का नाम विश्वमानव है जब कि मैं (आत्मा) इन सभी नामों से मुक्त है। 
लव कुश सिंह विश्वमानव
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पी.एम. बना लो या सी.एम या डी.एम,
शिक्षा पाठ्यक्रम कैसे बनाओगे?
नागरिक को पूर्ण ज्ञान कैसे दिलाओगे?
राष्ट्र को एक झण्डे की तरह,
एक राष्ट्रीय शास्त्र कैसे दिलाओगे?
ये पी.एम. सी.एम या डी.एम नहीं करते,
राष्ट्र को एक दार्शनिक कैसे दिलाओगे?
वर्तमान भारत को जगतगुरू कैसे बनाओगे?
सरकार का तो मानकीकरण(ISO-9000)करा लोगे,
नागरिक का मानक कहाँ से लाओगे?
सोये को तो जगा लोगे,
मुर्दो में प्राण कैसे डालोगे?
वोट से तो सत्ता पा लोगे,
नागरिक में राष्ट्रीय सोच कैसे उपजाओगे?
फेस बुक पर होकर भी पढ़ते नहीं सब,
भारत को महान कैसे बनाओगे?
अनन्त ब्रह्माण्ड
के
अनगिनत सौर मण्डल
में से एक
इस सौरमण्डल
के आकार में पाँचवें सबसे बड़े ग्रह पृथ्वी
के मानवों को
पूर्ण
एवं
सत्य-शिव-सुन्दर
बनाने हेतु
विचारार्थ
अन्तिम अवतार - कल्कि महाअवतार
द्वारा
समर्पित
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आँठवें अवतार श्रीकृष्ण के मुख से निकला और महर्षि व्यास कृत ”गीता“ में 18 अध्याय हैं। इस पुस्तक में भी 18 अध्याय हैं। अब वह समय आ गया है कि कालानुसार ”गीता की उपयोगिता“ और ”उपयोगिता की गीता“ पर विचार हो, जिससे आध्यात्मिक एवं दार्शनिक विरासत के आधार पर ”एक भारत - श्रेष्ठ भारत“ तथा ”नया भारत "(New India)" के निर्माण का मार्ग निर्धारण हो सके
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(द्वापर युग में आठवें अवतार श्रीकृष्ण द्वारा प्रारम्भ किया गया कार्य ”नवसृजन“ के 
प्रथम भाग ”सार्वभौम ज्ञान“ के शास्त्र ”गीता“ के बाद कलियुग में 
द्वितीय और अन्तिम भाग ”सार्वभौम कर्मज्ञान“ और ”पूर्णज्ञान का पूरक शास्त्र“)

                                                ईश्वर शास्त्र व व्यापार ज्ञान में प्रमाण पत्र
                                                (Certificate in Godics & Business Knowledge-CGBK)
                                                ईश्वर शास्त्र व व्यापार ज्ञान में प्रमाण पत्र
                                                (Certificate in Godics & Business Knowledge-CGBK)
                                                अवतार ज्ञान में प्रमाण पत्र 
                                                (Certificate in Avatar Knowledge-CAK)
                                                गुरू ज्ञान में प्रमाण पत्र 
                                               (Certificate in Guru Knowledge-CGK)
                                           संस्थागत धर्म में डिप्लोमा 
                                           (Diploma in Institutional Religion-DIR)
                                           पूर्ण शिक्षा में स्नातक 
                                           (Bachelor in Complete Education-BCE)
                                                पूर्ण शिक्षा में परास्नातक 
                                               (Master in Complete Education-MCE)
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क्या आप सच में ”भगवान“ के पुजारी हैं 
और 
”भगवान“ के अनन्य भक्त हैं?
क्या आप के दिल में ”अल्लाह“ हैं 
और 
आप दिल से ”नमाज“ अदा करते हैं?
क्या आप कभी भी असीम श्रद्धा से ”गुरूद्वारे“ में मत्था टेकते हैं 
और 
”वाहेगुरू“ को चाहते हैं?
तो 
अच्छी मानव जाति को बचाने के लिए 

देश को साफ व स्वच्छ बनाने के लिए हर कोशिश करें।
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ये कथा है महाकाल की
परमार्थ की, यथार्थ की, सत्यार्थ की
दृश्य स्वार्थ की
अवतारों की है ये कहानी
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इति ते ज्ञानमाख्यातं गुह्याद्गुह्यतरं मया।
विमृश्न्यैतदशेषेणयथेच्छसितथाकुरू।।
(श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय-18, श्लोक-63)
अर्थात् - 
मैंने तुम्हें जो बताया, वह सब से बड़ा रहस्य है। इस पर भलीभाँति विचार कर तुम्हारी जैसी इच्छा वैसा करो।
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