(द्वापर युग में आठवें अवतार श्रीकृष्ण द्वारा प्रारम्भ किया गया कार्य “नवसृजन” के
प्रथम भाग “सार्वभौम ज्ञान” के शास्त्र ”गीता“ के बाद कलियुग में
द्वितीय और अन्तिम भाग “सार्वभौम कर्मज्ञान” और “पूर्णज्ञान का पूरक शास्त्र”)
विश्वशास्त्र - द नाॅलेज आॅफ फाइनल नाॅलेज
पूर्ण शिक्षा में स्नातक
(Bachelor in Complete Education-BCE)
प्रथम भाग “सार्वभौम ज्ञान” के शास्त्र ”गीता“ के बाद कलियुग में
द्वितीय और अन्तिम भाग “सार्वभौम कर्मज्ञान” और “पूर्णज्ञान का पूरक शास्त्र”)
विश्वशास्त्र - द नाॅलेज आॅफ फाइनल नाॅलेज
पूर्ण शिक्षा में स्नातक
(Bachelor in Complete Education-BCE)
अध्याय-पाँच: सार्वजनिक प्रमाणित विश्वरूप
”विश्वशास्त्र“ - अध्याय पाँच की भूमिका
भाग - 01. धर्म प्रवर्तक और उनका धर्म चक्र मार्ग से
धर्म ज्ञान का प्रारम्भ
सत्ययुग के धर्म
त्रेतायुग के धर्म
द्वापरयुग के धर्म
कलियुग के धर्म
स्वर्णयुग धर्म (धर्म ज्ञान का अन्त)
पहले विभिन्न धर्म प्रवर्तक और अब अन्त में मैं और मेरा विश्वधर्म
Click Here=> 01. श्री रामकृष्ण परमहंस एवं श्रीमाँ शारदा देवी
Click Here=> 02. महर्षि अरविन्द
Click Here=> 03. आचार्य रजनीश ”ओशो“
Click Here=> 04. श्री सत्योगानन्द उर्फ भुईधराबाबा
Click Here=> 05. श्री श्री रविशंकर
Click Here=> 02. महर्षि अरविन्द
Click Here=> 03. आचार्य रजनीश ”ओशो“
Click Here=> 04. श्री सत्योगानन्द उर्फ भुईधराबाबा
Click Here=> 05. श्री श्री रविशंकर
पहले विभिन्न गुरू और अब अन्त में मैं
भाग - 04. संत चक्र मार्ग से
पहले विभिन्न संत और अब अन्त में मैं
भाग - 05. समाज और सम्प्रदाय चक्र मार्ग से
पहले विभिन्न समाज सुधारक और अब अन्त में मेरा ईश्वरीय समाज
भाग - 06. सत्य शास्त्र-साहित्य चक्र मार्ग से
पहले विभिन्न सत्य शास्त्र-साहित्य और अब अन्त में मेरा विश्वशास्त्र
भाग - 07. कृति चक्र मार्ग से
पहले विभिन्न कृति और अब अन्त में मेरी कृति-सत्यकाशी ब्रह्माण्डीय एकात्म विज्ञान विश्वविद्यालय
भाग - 08. भूतपूर्व धार्मिक-राजनैतिक-सामाजिक नेतृत्वकर्ता चक्र मार्ग से
(भारत तथा विश्व के नेत्तृत्वकत्र्ताओं के चिंतन पर दिये गये वक्तव्य का स्पष्टीकरण)
अ. भारत के स्वतन्त्रता (सन् 1947 ई0) के पूर्व जन्में भूतपूर्व नेतृत्वकर्ता
ब. भारत के स्वतन्त्रता (सन् 1947 ई0) के बाद जन्में भूतपूर्व नेतृत्वकर्ता
पहले विभिन्न भूतपूर्व धार्मिक-राजनैतिक-सामाजिक नेतृत्वकर्ता और अब अन्त में मैं
भाग - 09. वर्तमान धार्मिक-राजनैतिक-सामाजिक नेतृत्वकर्ता चक्र मार्ग से
(भारत तथा विश्व के नेत्तृत्वकत्र्ताओं के चिंतन पर दिये गये वक्तव्य का स्पष्टीकरण)
अ. भारत के स्वतन्त्रता (सन् 1947 ई0) के पूर्व जन्में नेतृत्वकर्ता
Click Here=> 12. स्वामी जयेन्द्र सरस्वती (18 जुलाई, 1935 - )
ब. भारत के स्वतन्त्रता (सन् 1947 ई0) के बाद जन्में नेतृत्वकर्ता
Click Here=> 13. अमर उजाला फाउण्डेशन प्रस्तुति ”संवाद“
पहले विभिन्न वर्तमान धार्मिक-राजनैतिक-सामाजिक नेतृत्वकर्ता और अब अन्त में मैं
पहले भारतमाता मन्दिर और अब अन्त में उसमें मैं और मेरा धर्म के व्यवहारिक अनुभव का विश्वधर्म मन्दिर
भाग - 11. काल और पुर्नजन्म चक्र मार्ग से
भाग - 12. आत्मा चक्र मार्ग से
भाग - 13. मनु चक्र मार्ग से
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“प्रस्तुत शास्त्र का मूल उद्देश्य एक पुस्तक के माध्यम से पूर्ण ज्ञान उपलब्ध कराना है जिससे उस पूर्ण ज्ञान के लिए वर्तमान और हमारे आने वाली पीढ़ी को एक आदर्श नागरिक के लिए बिखरे हुए न्यूनतम ज्ञान के संकलन करने के लिए समय-शक्ति खर्च न करना पड़े। समय के साथ बढ़ते हुए क्रमिक ज्ञान का संगठित रूप और कम में ही उन्हें अधिकतम प्राप्त हो, यही मेरे जीवन का उन्हें उपहार है। मुझे जिसके लिए कष्ट हुआ, वो किसी को ना हो इसलिए उसे हल करना मेरे जीवन का उद्देश्य बन गया” - लव कुश सिंह “विश्वमानव”
भारत सरकार के लिए सार्वजनिक घोषणा
प्रस्तुत विश्वशास्त्र द्वारा अनेक नये विषय की दिशा प्राप्त हुई है जो भारत खोज रहा था। इन दिशाओं से ही ”आध्यात्मिक एवं दार्शनिक विरासत के आधार पर एक भारत-श्रेष्ठ भारत निर्माण“, मन (मानव संसाधन) का विश्वमानक, पूर्ण मानव निर्माण की तकनीकी, हिन्दू देवी-देवता मनुष्यों के लिए मानक चरित्र, सम्पूर्ण विश्व के मानवों व संस्था के कर्म शक्ति को एकमुखी करने के लिए सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त आधारित एक प्रबन्ध और क्रियाकलाप, एक जीवन शैली इत्यादि प्राप्त होगा। भारत सरकार को वर्तमान करने के लिए इन आविष्कारों की योग्यता के आधार पर मैं (लव कुश सिंह ”विश्वमानव“), स्वयं को भारत सरकार के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न“ के योग्य पाता हूँ क्योंकि ऐसे ही कार्यो के लिए ही ये सम्मान बना है। और इसे मेरे जीते-जी पहचानने की आवश्यकता है। शरीर त्याग के उपरान्त ऐसे सम्मान की कोई उपयोगिता नहीं है। भारत में इतने विद्वान हैं कि इस पर निर्णय लेने और आविष्कार की पुष्टि में अधिक समय नहीं लगेगा क्योंकि आविष्कारों की पुष्टि के लिए व्यापक आधार पहले से ही इसमें विद्यमान है।
-लव कुश सिंह “विश्वमानव”
आविष्कारक - “मन का विश्वमानक-शून्य (WS-0) श्रंृखला और पूर्ण मानव निर्माण की तकनीकी (WCM-TLM-SHYAM.C)”
अगला दावेदार - भारत सरकार का सर्वोच्च नागरिक सम्मान - “भारत रत्न”
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