Saturday, March 14, 2020

विश्वशास्त्र - अध्याय-एक: ईश्वर

(द्वापर युग में आठवें अवतार श्रीकृष्ण द्वारा प्रारम्भ किया गया कार्य “नवसृजन” के
प्रथम भाग “सार्वभौम ज्ञान” के शास्त्र ”गीता“ के बाद कलियुग में
द्वितीय और अन्तिम भाग “सार्वभौम कर्मज्ञान” और “पूर्णज्ञान का पूरक शास्त्र”)

विश्वशास्त्र - द नाॅलेज आॅफ फाइनल नाॅलेज
ईश्वर शास्त्र व व्यापार ज्ञान में प्रमाण पत्र
     (Certificate in Godics & Business Knowledge-CGBK)

अध्याय-एक: ईश्वर

अध्याय एक की भूमिका

Click Here=> भाग-1: ईश्वर, अवतार और पुनर्जन्म
Click Here=>भाग-2: विष्णु के प्रथम नौ अवतार

पहलायुगः सत्ययुग
अ. व्यक्तिगत प्रमाणित पूर्ण प्रत्यक्ष अवतार
ब. सार्वजनिक प्रमाणित अंश प्रत्यक्ष अवतार
दूसरायुगः त्रेतायुग
स. सार्वजनिक प्रमाणित पूर्ण प्रत्यक्ष अवतार
तीसरायुगः द्वापरयुग
द. व्यक्तिगत प्रमाणित पूर्ण प्रेरक अवतार
चैथायुगः कलियुग
य. सार्वजनिक प्रमाणित अंश प्रेरक अवतार 

भाग-3: विष्णु के दसवें और अन्तिम अवतार के समय विश्व, भारत देश, अन्तर्राष्ट्रीय, राज्य अर्थात् शासन, भारतीय समाज, भारतीय परिवार, भारतीय व्यक्ति स्तर पर निम्न विषयों की स्थिति
1. राज्य अर्थात शासन की स्थिति
अ. विश्व स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
ब. भारत देश स्तर पर शासन अर्थात् राज्य की स्थिति
स. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति 
द. राज्य अर्थात् शासन स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
य. भारतीय समाज स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति
र. भारतीय परिवार स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति
ल. भारतीय व्यक्ति स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
2. विज्ञान की स्थिति 
अ. विश्व स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
ब. भारत देश स्तर पर शासन अर्थात् राज्य की स्थिति
स. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति 
द. राज्य अर्थात् शासन स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
य. भारतीय समाज स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति
र. भारतीय परिवार स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति
ल. भारतीय व्यक्ति स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
3. धर्म की स्थिति
अ. विश्व स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
ब. भारत देश स्तर पर शासन अर्थात् राज्य की स्थिति
स. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति 
द. राज्य अर्थात् शासन स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
य. भारतीय समाज स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति
र. भारतीय परिवार स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति
ल. भारतीय व्यक्ति स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
4. व्यापार की स्थिति 
अ. विश्व स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
ब. भारत देश स्तर पर शासन अर्थात् राज्य की स्थिति
स. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति 
द. राज्य अर्थात् शासन स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
य. भारतीय समाज स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति
र. भारतीय परिवार स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति
ल. भारतीय व्यक्ति स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
5. समाज की स्थिति
अ. विश्व स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
ब. भारत देश स्तर पर शासन अर्थात् राज्य की स्थिति
स. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति 
द. राज्य अर्थात् शासन स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
य. भारतीय समाज स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति
र. भारतीय परिवार स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति
ल. भारतीय व्यक्ति स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
6. परिवार केी स्थिति
अ. विश्व स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
ब. भारत देश स्तर पर शासन अर्थात् राज्य की स्थिति
स. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति 
द. राज्य अर्थात् शासन स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
य. भारतीय समाज स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति
र. भारतीय परिवार स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति
ल. भारतीय व्यक्ति स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
7. व्यक्ति की स्थिति 
अ. विश्व स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
ब. भारत देश स्तर पर शासन अर्थात् राज्य की स्थिति
स. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति 
द. राज्य अर्थात् शासन स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति
य. भारतीय समाज स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति
र. भारतीय परिवार स्तर पर राज्य अर्थात शासन की स्थिति
ल. भारतीय व्यक्ति स्तर पर राज्य अर्थात् शासन की स्थिति

भाग-4: विष्णु के दसवें और अन्तिम अवतार के समय स्थिति के विकास की स्थिति

भाग-5: विष्णु के दसवें और अन्तिम अवतार के समय विश्व, भारत देश, अन्तर्राष्ट्रीय, राज्य अर्थात् शासन, भारतीय समाज, भारतीय परिवार, भारतीय व्यक्ति स्तर पर निम्न विषयों का परिणाम
01. राज्य अर्थात् शासन का परिणाम
अ. विश्व स्तर पर राज्य अर्थात् शासन का परिणाम
ब. भारत देश स्तर पर शासन अर्थात् राज्य का परिणाम
स. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राज्य अर्थात शासन का परिणाम
द. राज्य अर्थात् शासन स्तर पर राज्य अर्थात् शासन का परिणाम
य. भारतीय समाज स्तर पर राज्य अर्थात शासन का परिणाम
र. भारतीय परिवार स्तर पर राज्य अर्थात शासन का परिणाम
ल. भारतीय व्यक्ति स्तर पर राज्य अर्थात् शासन का परिणाम
02. विज्ञान का परिणाम 
अ. विश्व स्तर पर विज्ञान का परिणाम
ब. भारत देश स्तर पर विज्ञान का परिणाम
स. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञान का परिणाम
द. राज्य अर्थात् शासन स्तर पर विज्ञान का परिणाम
य. भारतीय समाज स्तर पर विज्ञान का परिणाम
र. भारतीय परिवार स्तर पर विज्ञान का परिणाम
ल. भारतीय व्यक्ति स्तर पर विज्ञान का परिणाम
03. धर्म का परिणाम
अ. विश्व स्तर पर धर्म का परिणाम
ब. भारत देश स्तर पर धर्म का परिणाम
स. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर धर्म का परिणाम
द. राज्य अर्थात् शासन स्तर पर धर्म का परिणाम
य. भारतीय समाज स्तर पर धर्म का परिणाम
र. भारतीय परिवार स्तर पर धर्म का परिणाम
ल. भारतीय व्यक्ति स्तर पर धर्म का परिणाम
04. व्यापार का परिणाम 
अ. विश्व स्तर पर व्यापार का परिणाम
ब. भारत देश स्तर पर व्यापार का परिणाम
स. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार का परिणाम
द. राज्य अर्थात् शासन स्तर पर व्यापार का परिणाम
य. भारतीय समाज स्तर पर व्यापार का परिणाम
र. भारतीय परिवार स्तर पर व्यापार का परिणाम
ल. भारतीय व्यक्ति स्तर पर व्यापार का परिणाम
05. समाज का परिणाम 
अ. विश्व स्तर पर समाज का परिणाम
ब. भारत देश स्तर पर समाज का परिणाम
स. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर समाज का परिणाम
द. राज्य अर्थात् शासन स्तर पर समाज का परिणाम
य. भारतीय समाज स्तर पर समाज का परिणाम
र. भारतीय परिवार स्तर पर समाज का परिणाम
ल. भारतीय व्यक्ति स्तर पर समाज का परिणाम
06. परिवार का परिणाम 
अ. विश्व स्तर पर परिवार का परिणाम
ब. भारत देश स्तर पर परिवार का परिणाम
स. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर परिवार का परिणाम
द. राज्य अर्थात् शासन स्तर पर परिवार का परिणाम
य. भारतीय समाज स्तर पर परिवार का परिणाम
र. भारतीय परिवार स्तर पर परिवार का परिणाम
ल. भारतीय व्यक्ति स्तर पर परिवार का परिणाम
07. व्यक्ति का परिणाम 
अ. विश्व स्तर पर व्यक्ति का परिणाम
ब. भारत देश स्तर पर व्यक्ति का परिणाम
स. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यक्ति का परिणाम
द. राज्य अर्थात् शासन स्तर पर व्यक्ति का परिणाम
य. भारतीय समाज स्तर पर व्यक्ति का परिणाम
र. भारतीय परिवार स्तर पर व्यक्ति का परिणाम
ल. भारतीय व्यक्ति स्तर पर व्यक्ति का परिणाम
08. स्थिति के विकास का परिणाम 
09़. विज्ञान का राज्य और धर्म पर प्रभाव
10. ब्रह्माण्डीय स्थिति और परिणाम
11. विश्व के समक्ष भारत की स्थिति और परिणाम
12. दृश्य पदार्थ विज्ञान और अदृश्य आध्यात्म विज्ञान-स्थिति एवं परिणाम
13. सार्वभौम एकीकरण-स्थिति एवं परिणाम

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“प्रस्तुत शास्त्र का मूल उद्देश्य एक पुस्तक के माध्यम से पूर्ण ज्ञान उपलब्ध कराना है जिससे उस पूर्ण ज्ञान के लिए वर्तमान और हमारे आने वाली पीढ़ी को एक आदर्श नागरिक के लिए बिखरे हुए न्यूनतम ज्ञान के संकलन करने के लिए समय-शक्ति खर्च न करना पड़े। समय के साथ बढ़ते हुए क्रमिक ज्ञान का संगठित रूप और कम में ही उन्हें अधिकतम प्राप्त हो, यही मेरे जीवन का उन्हें उपहार है। मुझे जिसके लिए कष्ट हुआ, वो किसी को ना हो इसलिए उसे हल करना मेरे जीवन का उद्देश्य बन गया” - लव कुश सिंह “विश्वमानव”

भारत सरकार के लिए सार्वजनिक घोषणा
प्रस्तुत विश्वशास्त्र द्वारा अनेक नये विषय की दिशा प्राप्त हुई है जो भारत खोज रहा था। इन दिशाओं से ही ”आध्यात्मिक एवं दार्शनिक विरासत के आधार पर एक भारत-श्रेष्ठ भारत निर्माण“, मन (मानव संसाधन) का विश्वमानक, पूर्ण मानव निर्माण की तकनीकी, हिन्दू देवी-देवता मनुष्यों के लिए मानक चरित्र, सम्पूर्ण विश्व के मानवों व संस्था के कर्म शक्ति को एकमुखी करने के लिए सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त आधारित एक प्रबन्ध और क्रियाकलाप, एक जीवन शैली इत्यादि प्राप्त होगा। भारत सरकार को वर्तमान करने के लिए इन आविष्कारों की योग्यता के आधार पर मैं (लव कुश सिंह ”विश्वमानव“), स्वयं को भारत सरकार के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ”भारत रत्न“ के योग्य पाता हूँ क्योंकि ऐसे ही कार्यो के लिए ही ये सम्मान बना है। और इसे मेरे जीते-जी पहचानने की आवश्यकता है। शरीर त्याग के उपरान्त ऐसे सम्मान की कोई उपयोगिता नहीं है। भारत में इतने विद्वान हैं कि इस पर निर्णय लेने और आविष्कार की पुष्टि में अधिक समय नहीं लगेगा क्योंकि आविष्कारों की पुष्टि के लिए व्यापक आधार पहले से ही इसमें विद्यमान है।
-लव कुश सिंह “विश्वमानव”
आविष्कारक - “मन का विश्वमानक-शून्य (WS-0) श्रंृखला और पूर्ण मानव निर्माण की तकनीकी (WCM-TLM-SHYAM.C)”
                         अगला दावेदार - भारत सरकार का सर्वोच्च नागरिक सम्मान  - “भारत रत्न”



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