विज्ञापन और व्यापार
व्यापार जगत में अपने उत्पाद की जानकारी ग्राहक तक पहुँचाने और सदैव उनके सामने अपनी उपस्थिति बनाये रखने का माध्यम विज्ञापन व प्रचार है। जिसके अपने माध्यम हैं जैसे-पम्फलेट, बुकलेट, हैण्डबिल, समाचार-पत्र, पत्रिका, दूरदर्शन, इन्टरनेट इत्यादि। सभी बड़ी कम्पनी के उत्पादों से आप सभी परिचित हो चुके हैं लेकिन फिर भी वे लगातार अपना विज्ञापन व प्रचार क्यूँ करती हैं, कभी सोचा आपने? सिर्फ इसलिए कि सदैव आपके यादों में बने रहें।
कुछ भी शुल्क मुक्त समाज सेवा नहीं है, ऐसा लगता है परन्तु ऐसा है नहीं। एक रास्ते से व्यापार किया जाता है तो दूसरे रास्ते जरूरतमंद लोगो को सहायता दी जाती है। सहायता पाने वाले लोगो को लगता है कि समाज सेवा हो रही है परन्तु वह एक व्यापार चक्र का ही हिस्सा और प्रचार-प्रसार का माध्यम होता है।
प्रिन्ट मीडिया में समाचार पत्र, पत्रिका सस्ते दर पर आपके पास उपलब्ध होता है। टी.वी के कार्यक्रम आपको शुल्क मुक्त और नाम मात्र के शुल्क पर उपलब्ध होता है। इन्टरनेट पर शुल्क मुक्त ई-मेल सुविधा, सोशल नेटवर्किग साइट इत्यादि कुछ भी समाज सेवा नहीं यह सब एक व्यापार का ही हिस्सा है जो कुछ लोगों के लिए शुल्क मुक्त है तो अन्य के लिए शुल्क युक्त है। आइये इनके व्यापारिक अर्थ-चक्र को समझें।
प्रिन्ट मीडिया-विज्ञापन और व्यापार
प्रिन्ट मीडिया में समाचार पत्र, पत्रिका सस्ते दर पर आपके पास उपलब्ध होता है जबकि जितने रूपये में यह आपको उपलब्ध होता है उतने रूपये में उसमें प्रयोग किया गया कागज भी नहीं मिल पायेगा। कुछ समाचार पत्र प्रकाशक को सस्ते दर पर सरकार द्वारा कागज उपलब्ध कराया जाता है परन्तु वह भी उतना सस्ता नहीं होता कि आपको मुद्रित समाचार पत्र उतने में उपलब्ध कराया जा सके। समाचार पत्र-पत्रिकाओं का सस्ते में उपलब्ध होने का मुख्य आधार व्यापारिक संस्थानों और सरकारी विज्ञापन को प्रकाशित करना है। जिस समाचार पत्र-पत्रिका का वितरण क्षेत्र-पाठक जितना अधिक क्षेत्र में प्रसार होता है उसका विज्ञापन दर अधिक होता है। पाठक, जाने-अनजाने समाचार पत्र-पत्रिका के विज्ञापन दर को बढ़ाने वाला माध्यम होता है जिसका खर्च भी दूसरे रास्ते से उत्पाद या सेवा के विक्रय से आपसे ही लिया जाता है। उदाहरण स्वरूप-माना कि
अ. खर्च/व्यय
एक हजार प्रति 8 पृष्ठ के समाचार पत्र में कागज का मूल्य रू0 2000.00
छपाई (रंगीन) रू0 6400.00
संवाददाता/पत्रकार/लेखक को मानदेय रू0 20000.00
कम्प्यूटर टाइप सेटिंग रू0 1600.00
कुल योग रू0 30000.00
ब. आय
एक हजार प्रति 8 पृष्ठ के समाचार पत्र से आय रू0 1000.00
विज्ञापन से आय रू0 50000.00
कुल योग रू0 51000.00
स. लाभ
ब. आय रू0 51000.00
अ. खर्च/व्यय रू0 30000.00
लाभ रू0 21000.00
टीवी कार्यक्रम-विज्ञापन और व्यापार
दूरदर्शन के कार्यक्रम लगभग शुल्क मुक्त रूप से आपके पास उपलब्ध होता है। दूरदर्शन के कार्यक्रम का लगभग शुल्क मुक्त रूप में उपलब्ध होने का मुख्य आधार व्यापारिक संस्थानों और सरकारी विज्ञापन को कार्यक्रम के दौरान दिखाना है। जिस दूरदर्शन कार्यक्रम का दर्शक क्षेत्र जितना अधिक प्रसार होता है या जो कार्यक्रम अधिक चर्चा के कारण अधिक देखे जाते हैं उसका विज्ञापन दर अधिक होता है। दर्शक, जाने-अनजाने दूरदर्शन के कार्यक्रम के विज्ञापन दर को बढ़ाने वाला माध्यम होता है जिसका खर्च भी दूसरे रास्ते से उत्पाद या सेवा के विक्रय से आपसे ही लिया जाता है। उदाहरण स्वरूप-माना कि
अ. खर्च/व्यय
एक 30 मिनट के दूरदर्शन कार्यक्रम बनाने का कुल खर्च रू0 200000.00
दूरदर्शन पर समय के लिए दिया गया मूल्य रू0 300000.00
कुल योग रू0 500000.00
ब. आय
विज्ञापन से आय रू0 700000.00
स. लाभ
ब. आय रू0 700000.00
अ. खर्च/व्यय रू0 500000.00
लाभ रू0 200000.00
सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट-विज्ञापन और व्यापार
ई-मेल सेवा, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट लगभग शुल्क मुक्त रूप से आपकी सेवा के लिए उपलब्ध होता है। यह सुविधा देने वाली कम्पनी प्राथमिक खर्च कर वेबसाइट का निर्माण करती है। इसके शुल्क मुक्त रूप में उपलब्ध होने का मुख्य आधार व्यापारिक संस्थानों और सरकारी विज्ञापन को वेबसाइट पर दिखाना है। जिस वेबसाइट को जितना अधिक उपयोगकर्ता मिलते है उसका विज्ञापन दर अधिक होता है। उपयोगकर्ता, जाने-अनजाने दूरदर्शन वेबसाइट के विज्ञापन दर को बढ़ाने वाला माध्यम होता है जिसका खर्च भी दूसरे रास्ते से उत्पाद या सेवा के विक्रय से आपसे ही लिया जाता है।
वर्तमान समय में चर्चित और अधिक उपयोग होने वाली सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट-फेसबुक है। यह इसके उपयोगकर्ता के लिए अनेक सुविधाओं को शुल्क मुक्त उपलब्ध कराता है जिससे बहुत अधिक उपयोगकर्ताओं तक इसकी पहँुच बन गई है। जिसके कारण फेसबुक पर विज्ञापन भी अधिक मिलते है और इस कारण से इस वेबसाइट के संचालक व कम्पनी अधिक तेज गति से लाभ कमाने वाली कम्पनी बन गयी है।
कुछ नये सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट, उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से विज्ञापन से प्राप्त आय का आधा हिस्सा अपने उपयोगकर्ताओं के बीच वितरित भी करती हैं लेकिन फेसबुक ऐसा नहीं करता है।
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