Saturday, April 11, 2020

विज्ञापन

विज्ञापन


विज्ञापन का अर्थ कुछ उत्पाद या सेवा के एक सार्वजनिक संवर्धन है। आज के युग में विज्ञापनों का महत्व स्वयंसिद्ध है। जूते-चप्पल से लेकर टाई-रूमाल तक हर चीज विज्ञापित हो रही है। लिपस्टीक, पावडर, नेलपालिश, माथे की बिन्दिया विज्ञापनों का विषय है। नमक जैसी आम इस्तेमाल की वस्तुएँ भी विज्ञापनो से अछूती नहीं रह पायी है। बाजार में बढती प्रतिद्वन्द्विता और विज्ञापनो के बढ़ते प्रभाव को लेकर तरह-तरह की आशाएं-आशंकाएँ उपभोक्ताओं में है, परन्तु सिक्के का दूसरा पहलू भी है। विज्ञापन अपने छोटे से संरचना में बहुत कुछ समाये होते है। वह बहुत कम बोलकर भी बहुत कुछ कह जाते है। यदि विज्ञापनों के इस गुण और ताकत को हम समझने लगें तो अधिकांश विज्ञापन हमारे सामने कोई आक्रमणकारी अस्त्र न रहकर कला के श्रेष्ठ नमूने बनकर उभरेंगे।

विज्ञापन क्यों?
आज विज्ञापन हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है, सुबह आंख खुलते ही चाय की चुस्की के साथ अखबार में सबसे पहले नजर विज्ञापन पर ही जाती है। घर के बाहर पैर रखते ही हम विज्ञापन की दुनिया में घिर जाते है। चाय की दुकान से लेकर वाहनों और दिवारों तक हर जगह विज्ञापन ही विज्ञापन दिखाई देते हैं। किसी भी तथ्य को यदि बार-बार लगातार दोहराया जाये तो वह सत्य प्रतीत होने लगता है-यह विचार ही विज्ञापनों का आधारभूत तत्व है। विज्ञापन जानकारी भी प्रदान करते है। उदाहरण के लिए कोई भी वस्तु जब बाजार में आती है, उसके रूप-रंग-सरंचना व गुण की जानकारी विज्ञापनों के माध्यम से ही मिलती है। जिसके कारण ही उपभोगता को सही और गलत की पहचान होती है। इसलिए विज्ञापन हमारे लिए जरूरी है। जहाँ तक उपभोक्ता वस्तुओं का सवाल है, विज्ञापनों का मूल उद्देश्य ग्राहको के अवचेतन मन पर छाप छोड़ जाता है और विज्ञापन इसमें सफल भी होते है। ये कहीं पे निगाहे, कही पे निशाना का सा अन्दाज है।



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