कुछ कविताएँ
01.
क्या पता दिल में कौन क्या छुपाये रखा है।
हमने तो दिल में देश की ममता छुपाये रखा है।
सबके दिल में खुशी है, देश की आजादी का।
देश रहे आजाद, गम नहीं खुद की बरबादी का।
हमने तो अखण्डता का सिद्धान्त बनाये रखा है।
क्या पता दिल..................................।
देश में हो रहे अन्याय को हम मिटा डालेगें।
हर नागरिक को उसका अधिकार दिला डालेगें।
हमने तो देश में श्रीराम राज्य लाने को सोच रखा है।
क्या पता दिल..................................।
हम तोड़ डालेगें उन नामी ताकतो को।
बढ़ाये हाथ जो इस तरफ, उन हाथों को।
हमने तो अपने यहाँ ऐसा यंत्र बनाये रखा है।
क्या पता दिल..................................।
एटम बम समाप्त हो जाये तो भी गम नहीं।
समाप्त हो जाये सारी शक्ति तो भी गम नहीं।
हमने तो एक ज्ञान बम बनाये रखा है।
क्या पता दिल..................................।
खुद को देश पर तन मन से लुटा जाना है।
उठाये आँख जो इस तरफ, उसको मिटा जाना है।
हमने तो कुर्बानी पर, पहला नम्बर लगाये रखा है।
क्या पता दिल..................................।
-15 अगस्त 1986 को लगभग 19 वर्ष के उम्र में रचित
02.
मैं ही पाण्डव हूँ,
मैं ही कौरव हूँ,
शकुनि और दुर्योधन
की तरह अड़ा हूँ।
विदुर जैसा समझ हूँ,
कर्ण जैसा विवश हूँ,
कृष्ण जैसा नीतिज्ञ हूँ,
भीष्म जैसा अन्त तक पड़ा हूँ।
03.
जग के सत्य हैं तीन नाम,
लवकुश, कृष्ण और राम ।
तम, रज और सत्व के ये परिणाम।
शंकर, विष्णु और ब्रह्मा के समान ।
समझो इनको मिलेगा पूर्ण ज्ञान।
04.
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड देख चुका हूँ,
अक्षय-अनन्त है मेरी हाला,
कण-कण में हूँ-”मैं ही मैं“,
क्षयी-ससीम है तेरी प्याला,
जिस भी पथ-पंथ और ग्रन्थ से गुजरेगा,
हो जायेगा तू बद्ध-मस्त और मत वाला,
”जय ज्ञान-जय कर्मज्ञान“ की आवाज
सुनाती है, मेरी यह अनन्त मधुशाला।
05.
शब्द से सृष्टि की ओर...
सृष्टि से शास्त्र की ओर...
शास्त्र से काशी की ओर...
काशी से सत्यकाशी की ओर...
और सत्यकाशी से अनन्त की ओर...
एक अन्तहीन यात्रा...............................
06.
पी.एम. बना लो या सी.एम या डी.एम,
शिक्षा पाठ्यक्रम कैसे बनाओगे?
नागरिक को पूर्ण ज्ञान कैसे दिलाओगे?
राष्ट्र को एक झण्डे की तरह,
एक राष्ट्रीय शास्त्र कैसे दिलाओगे?
ये पी.एम. सी.एम या डी.एम नहीं करते,
राष्ट्र को एक दार्शनिक कैसे दिलाओगे?
वर्तमान भारत को जगतगुरू कैसे बनाओगे?
सरकार का तो मानकीकरण (ISO-9000) करा लोगे,
नागरिक का मानक कहाँ से लाओगे?
सोये को तो जगा लोगे,
मुर्दो में प्राण कैसे डालोगे?
वोट से तो सत्ता पा लोगे,
नागरिक में राष्ट्रीय सोच कैसे उपजाओगे?
फेस बुक पर होकर भी पढ़ते नहीं सब,
भारत को महान कैसे बनाओगे?
07.
कभी मैं कांग्रेसी दिखता हूँ,
कभी मैं भाजपाई दिखता हूँ,
कभी मैं बसपाई दिखता हूँ,
कभी मैं सपाई दिखता हूँ,
कभी मैं आपाई दिखता हूँ,
कभी मैं सपनाई दिखता हूँ,
तू जैसा समझे,
मैं तो केवल सभी का भारतीय दिखता हूँ।
08.
वह भक्त क्या, जो भगवान को बेच ना सके,
वह चेला क्या, जो गुरू से कुछ ले ना सके,
वह संत क्या, जो समाज को कुछ दे ना सके,
वह अवतार क्या,
जो पृथ्वी की आवाज सुन ना सके।
09.
होंगे कृष्ण जिधर
बस वहीं पाण्डव हैं
शेष सभी तो
सिर्फ कौरव हैं
यदि महाभारत होना है
तो पांचाली को भी
अपमानित होना है
शकुनि को भी
कौरव पक्ष में होना है
धर्मराज को नहीं छोड़ना
जुए की लत है
कोई राजा बने
रंक को तो हँसना है
यदि वह महाभारत है
तो कृष्ण को तो होना है
अन्यथा वह तो
सिर्फ पशुता है।
No comments:
Post a Comment