Wednesday, April 15, 2020

कुछ गजल व शायरी

कुछ गजल व शायरी

01. माँफ करना ऐ भारत, मंजिल पर आया थोड़ी देर से।
    मोहब्बत पड़ावांे को भी थी, हक उनका भी अदा करना था।

02. सबक हकीकत का, अंजाम वक्त की आगोश में।
    खुद की तमन्ना पाने को, अजीब सी कसम दिलाई तुने।

03. यकीन करो जिन्दगी हूँ, मगर खुद की जिन्दगी के लिए तरसता रहा।
    इंसानी ख्वाब का हकीकत हूँ मैं, मगर अपने ख्वाब को तरसता रहा।

04. इस किनारे जहन्नुम है, उस किनारे जन्नत है,
    कदम रखना सलीके से, रस्ता तलवार की धार है।
गिरे किसी ओर तो मौत है, लडखड़ाये तो मौत है,
दरियादिली से पहुँच उस किनारे, और तारीख हो जा।

05. चेहरा नहीं, तस्वीर नहीं, वक्त हूँ, हकीकत का आईना हूँ मैं।
टुकड़े-टुकड़े में देख अपने चेहरे को, मुझ पर भड़कते क्यूँ हो।

06. जब तक रहा मैं इस जिस्म में, दुश्मन था, कत्ल हुआ खंजर-ए-लब्ज से।
बात न जर की थी, न जोरू की, न जमीन की, थी तो सिर्फ इरादों की।

07. बस यही कसक रह गयी दिल में, वक्त पर न समझा तुमने।
सफर कर गया जब जहाँ से, तब समझा, क्या कर दिया मैनें।

08. जहाँ प्रेम है, बस वहीं बसेरा है, जहाँ नफरत है वहाँ कहाँ हूँ मैं।
कभी तन्हाईयों में सोचना, क्या ले गया मैं और क्या दे गया मैं।

09. बात अगर मंजिल की न होती तो कसम से, बेखौफ कदम रूक भी सकते थे।
मजिंल की दुआ थी, मंजिल को पाने की, मजिंल की कसम थी, नाम न लाने की।

10. ख्वाब हकीकत हो गई, खुद का सम्भालो यारों।
रहने दो हमें जहाॅ में, यकीं करो, न करो यारों।
कौन कहता है-
शख्स बुरा है, इस शख्सियत को सम्भालो यारों।
शख्सियत क्या है, जरा मुझे भी देखने दो यारों।

11. हमने देखा है जमाने को, तस्वीरों की इबादत करते हुये।
चाहत थी ही ऐसी, हरकत हो गई तो खामोश क्यूँ हो।

12. लगा ली दो घूँट, यारो की खुशी से, जानता था लोग समझेंगे शराबी।
छुपाना था खुद को, जहाँ से, तो लोगों बताओ, पीने में क्या थी खराबी।

13. खो गये हम तो चाहत में कुछ इस तरह
शिनाख्त अदाओं के भी मुश्किल हो गये
किसी के हो गये, मशकरी में कुछ इस तरह
शिनाख्त मोहब्बत के भी मुश्किल हो गये
प्यासे मर गये हम तो उलझन में कुछ इस तरह
शिनाख्त एहसास के भी मुश्किल हो गये
हकीकत हो गये हम तो शर्तो में कुछ इस तरह
शिनाख्त ख्वाबों के भी मुश्किल हो गये
ख्वाब उनकी थी कि कुछ इस तरह मिलते
शोहरत उनकी थी कि कुछ इस तरह गुँजते
तारीख उनकी थी कि कुछ इस तरह बनते
रोशनी उनकी थी कि कुछ इस तरह चमकते
गम माँग लिए हम तो नजरानों में कुछ इस तरह
शिनाख्त खुशियों के भी मुश्किल हो गये
मौत माँग लिए हम तो हकीकत में कुछ इस तरह
शिनाख्त जिन्दगी के भी मुश्किल हो गये।

14. ये दिल्ली, इतनी बार लुटी कि लुटने का एहसास नहीं होता।
करता होगा कोई, मुझसे मोहब्बत, मगर अब एहसास नहीं होता।।



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