Wednesday, April 15, 2020

निर्माण के मार्ग

निर्माण के मार्ग

विभिन्न मतों द्वारा निर्माण के मार्ग का सूत्र है-
 “मतवाद के मार्ग से व्यक्ति, धर्म, राष्ट्र, मन्त्र, यन्त्र और तन्त्र का निर्माण“।

 स्वामी विवेकानन्द द्वारा निर्माण के मार्ग का सूत्र है-
 “धर्म के मार्ग से व्यक्ति, धर्म, राष्ट्र, मन्त्र, यन्त्र और तन्त्र का निर्माण“।

पं0 नारायण दत्त “श्रीमाली“ द्वारा निर्माण के मार्ग का सूत्र है-
 “मन्त्र, यन्त्र और तन्त्र के मार्ग से व्यक्ति, धर्म, राष्ट्र, मन्त्र, यन्त्र और तन्त्र का निर्माण“।

आचार्य रजनीश “ओशो“ द्वारा निर्माण के मार्ग का सूत्र है-
 “व्यक्ति के मार्ग से व्यक्ति, धर्म, राष्ट्र, मन्त्र, यन्त्र और तन्त्र का निर्माण“।

योगाचार्य बाबा रामदेव द्वारा निर्माण के मार्ग का सूत्र है-
 “योग के मार्ग से व्यक्ति, धर्म, राष्ट्र, मन्त्र, यन्त्र और तन्त्र का निर्माण“।

मेरे द्वारा निर्माण के मार्ग का सूत्र है-
 “राष्ट्र के मार्ग से व्यक्ति, धर्म, राष्ट्र, मन्त्र, यन्त्र और तन्त्र का निर्माण“।

और मेरे राष्ट्र का अर्थ सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्व सहित ब्रह्माण्ड है यदि भारत इस पर कार्य करता हे तो साकार भारत सहित निराकार भारत अर्थात् विश्वभारत का निर्माण होगा अन्यथा सिर्फ निराकार भारत अर्थात् विश्वभारत का निर्माण होगा क्योंकि कम से कम लाभ और नीतिगत विषयों में पश्चिमी देश भारत से अधिक समझदार, क्रियाशील और अनुकूलन क्षमता वाला है। पश्चिमी देश इसे वैश्विक शासन की दृष्टि से देखेंगे जबकि भारत के नेतृत्वकर्ता पहले व्यक्तिगत लाभ का गणित आलस्य के साथ लगायेंगे। भारत के नेतृत्वकर्ता इस अज्ञानता में न पड़े कि जनता ज्ञानी, शिक्षित हो जायेगी तो उनके पद पर संकट आ जायेगा। ज्ञानी, शिक्षित होना चमत्कार नहीं एक लम्बी अवधि की प्रक्रिया है इसलिए नेतृत्वकर्ता राजनीतिज्ञ का वर्तमान जीवन तो उनके वर्तमान चरित्र के साथ ही व्यतीत हो ही जायेगी। यह एक युग कार्य है, कालजयी कार्य है जो राजनीति क्षेत्र नहीं दे सकती। ये है परिणाम का ज्ञान।
-लव कुश सिंह “विश्वमानव“



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