Monday, April 13, 2020

राष्ट्र निर्माण के लिए शोध व प्रणाली विकास

राष्ट्र निर्माण के लिए शोध व प्रणाली विकास

1. नयी पीढ़ी के लिए नया विषय-ईश्वर शास्त्र, मानक विज्ञान, एकात्म विज्ञान
श्री लव कुश सिंह ”विश्वमानव“ द्वारा ”ईश्वर“, ”मानक“, ”एकात्म“ की अन्तिम परिभाषा का आविष्कार पूर्ण हो जाने से नागरिक शास्त्र (Civics), भौतिकशास्त्र (Physics) की भाँति ईश्वर शास्त्र (Godics), मानक विज्ञान (Standard Science),  और एकात्म विज्ञान (Integration Science)  शैक्षणिक विषय का मार्ग मिल गया है।



2. विश्व राजनीतिक पार्टी संघ 
(World Political Party Organisation - WPPO)

1. संस्थापक एवं सदस्य: विश्व राजनीतिक पार्टी संघ का गठन भारत के किसी एक राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी द्वारा किया जायेगा। भारत का यह पार्टी ही विश्व राजनीतिक पार्टी संघ का संस्थापक सदस्य कहलायेगा। संघ में प्रत्येक लोकतंत्र आधारित देश से एक राजनीतिक पार्टी को सदस्य बनाया जायेगा।

2. संघ का मुख्यालय: विश्व राजनीतिक पार्टी संघ का मुख्यालय संस्थापक सदस्य के निणर्यानुसार किसी भी देश में हो सकता है।

3. संघ का झण्डा एवं प्रतीक चिन्ह: संघ का झण्डा सफेद रंग का है जिसकी लम्बाई व चैड़ाई का अनुपात 3ः2 है। उसके उपर मुद्रित प्रतीक चिन्ह का रंग लाल है। 


4. संघ की स्पष्ट मुख्य घोंषणा: संघ का प्रत्येक सदस्य अपने-अपने देश में निम्नलिखित घोषणा करेगा।
”धर्म निरपेक्ष एवम् सर्वधर्मसमभाव भारतीय संविधान जो अन्ततः विकसित होकर विश्व संविधान का रुप लेगा के अनुरुप देश की एकता एवम् अखण्डता सहित विश्व-बन्धुत्व के लिए मेरी पार्टी का सिद्धान्त दार्शनिक-नैतिक उत्थान आधारित WS-0 श्रृंखला अर्थात मानव मन के अन्तः विषयों के विश्व मानक श्रृंखला अर्थात् विचार एवम् साहित्य, विषय एवम् विशेषज्ञ, ब्रह्माण्ड व मानव (स्थूल एवं सूक्ष्म) के प्रबन्ध और क्रियाकलाप तथा उपासना स्थल के विश्व मानक पर आधारित होगा। जिससे प्रत्येक व्यक्ति ब्रह्माण्डीय विकास की दिशा में होकर कार्य व विकास कर सके। परिणामस्वरुप शीघ्रताशीघ्र विवादमुक्त नीति एवं दूरगाामी परिणाम के रुप में एक स्वच्छ एवं नैतिक समाज सहित मानवता आधारित पूर्ण लोकतन्त्र की नींव रखते हुए उसे प्राप्त किया जा सके।“

5. संघ का दर्शन शास्त्र-साहित्य: विश्व-राष्ट्रीय-जन एजेण्डा साहित्य 2012+ संघ का आधार साहित्य वह है जो सभी मानव की मूल आवश्यकता है, जो सभी मानव में एक है वह है- कर्म और उसे कालानुसार करने का ज्ञान-कर्मज्ञान। अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन द्वारा बाह्य विषयों अर्थात् उद्योगों के उत्पाद के निर्माण की अन्तर्राष्ट्रीय गुणवत्ता की श्रृंखला ISO-9000 की भाँति, मानव, समाज और संगठन द्वारा अन्तः विषय मानव मन के निर्माण की विश्व गुणवत्ता की श्रृंखला WSO/ISO-0 जो धर्मनिरपेक्ष एवं सर्वधर्मसमभाव नाम है अर्थात् विचार एवम् साहित्य, विषय एवम् विशेषज्ञ, ब्रह्माण्ड (स्थूल एवं सूक्ष्म) के प्रबन्ध और क्रियाकलाप तथा उपासना स्थल के अन्तर्राष्ट्रीय/विश्व मानक है। जिसकी उपयोगिता विश्व शान्ति, विश्व एकता, एवं विश्व स्थिरता में होना है। इसे उस उद्देश्य से सत्य-चेतना की ओर बढ़ते विश्व के सामने रखा जा रहा है जिसकी स्थापना यथाशीघ्र होनी है। संघ एकात्मकर्मवाद का समर्थक है न कि एकात्मसंस्कृतिवाद का। वर्तमान तथा भविष्य के लिए विश्व की इसकी उपयोगिता और आवश्यकता ही संघ का साख है।

6. भारत में संघ के संस्थापक पार्टी को संघ के गठन की घोषणा से लाभ: स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले भारतीय जनता के समक्ष मात्र एक ही सार्वजनिक मुद्दा था जिस पर सभी भारतीय एक जुट हुए थे। वह था-”स्वतंत्रता“। जिसे प्राप्त कर लेने के बाद सभी अपनी-अपनी दुनिया में संकुचित हो गये। परिणामस्वरुप वर्तमान में कोई भी राष्ट्रीय मुद्दा शेष नहीं है। ऐसी स्थिति में इस कार्य योजना द्वारा संस्थापक राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर एक मुद्दे पर एक जुट करने का लाभ प्राप्त होगा। साथ ही विश्व राजनीतिक पार्टी संघ की घोषणा से पूरे विश्व के समक्ष अपनी गुरुता सिद्ध करने का लाभ मिलेगा। भारत में इसका सीधा प्रभाव अन्य राजनीतिक दलांे को मुद्दा विहिन कर देना होगा। जिसका सीधा लाभ राष्ट्रीय स्तर पर संस्थापक राजनीतिक दल को होगा।
संघ का क्रान्ति के प्रति विचार यह है कि-”राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक परिस्थिति में उसकी स्वस्थता के लिए परिवर्तन ही क्रान्ति है, और यह तभी मानी जायेगी जब उसके मूल्यों, मान्यताओं, पद्धतियों और सम्बन्धों की जगह नये मूल्य, मान्यता, पद्धति और सम्बन्ध स्थापित हों। अर्थात क्रान्ति के लिए वर्तमान व्यवस्था की स्वस्थता के लिए नयी व्यवस्था स्थापित करनी होंगी। यदि व्यवस्था परिवर्तन के आन्दोलन में विवेक नहीं हो, केवल भावना हो तो वह आन्दोलन हिंसक हो जाता है। हिंसा से कभी व्यवस्था नहीं बदलती, केवल सत्ता पर बैठने वाले लोग बदलते है। हिंसा में विवेक नहीं उन्माद होता है। उन्माद से विद्रोह होता है क्रान्ति नहीं। क्रान्ति में नयी व्यवस्था का दर्शन-शास्त्र होता है अर्थात क्रान्ति का लक्ष्य होता है और उस लक्ष्य के अनुरुप उसे प्राप्त करने की योजना होती है। दर्शन के अभाव में क्रान्ति का कोई लक्ष्य नहीं होता।“

3. विश्वशास्त्र पर आधारित आॅडियो-विडियो
अनिर्वचनीय कल्कि महाअवतार भोगेश्वर श्री लव कुश सिंह ”विश्वमानव“ के विचार विश्वस्तरीय हैं जिसके कारण ज्ञान से युक्त विश्वशास्त्र पर आधारित आॅडियो-विडियो के लिए भी मार्ग मिला है।



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