कार्पोरेट विश्वमानक मानव संसाधन विकास प्रशिक्षण
(Corporate World Standard Human Resources Development Training)
विभिन्न मतों द्वारा निर्माण के मार्ग का सूत्र है- ‘मतवाद के मार्ग से व्यक्ति, धर्म, राष्ट्र, मन्त्र, यन्त्र और तन्त्र का निर्माण’। स्वामी विवेकानन्द द्वारा निर्माण के मार्ग का सूत्र है- ‘धर्म के मार्ग से व्यक्ति, धर्म, राष्ट्र, मन्त्र, यन्त्र और तन्त्र का निर्माण’। पं0 नारायण दत्त ‘श्रीमाली’ द्वारा निर्माण के मार्ग का सूत्र है- ‘मन्त्र, यन्त्र और तन्त्र के मार्ग से व्यक्ति, धर्म, राष्ट्र, मन्त्र, यन्त्र और तन्त्र का निर्माण’। आचार्य रजनीष ‘ओशो’ द्वारा निर्माण के मार्ग का सूत्र है- ‘व्यक्ति के मार्ग से व्यक्ति, धर्म, राष्ट्र, मन्त्र, यन्त्र और तन्त्र का निर्माण’। योगाचार्य बाबा रामदेव द्वारा निर्माण के मार्ग का सूत्र है- ‘योग के मार्ग से व्यक्ति, धर्म, राष्ट्र, मन्त्र, यन्त्र और तन्त्र का निर्माण’। मेरे द्वारा निर्माण के मार्ग का सूत्र है- ‘राष्ट्र के मार्ग से व्यक्ति, धर्म, राष्ट्र, मन्त्र, यन्त्र और तन्त्र का निर्माण’।
और मेरे राष्ट्र का अर्थ सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्व सहित ब्रह्माण्ड है यदि भारत इस पर कार्य करता हे तो साकार भारत सहित निराकार भारत अर्थात् विश्वभारत का निर्माण होगा अन्यथा सिर्फ निराकार भारत अर्थात् विश्वभारत का निर्माण होगा क्योंकि कम से कम लाभ और नीतिगत विषयों में पश्चिमी देश भारत से अधिक समझदार, क्रियाशील और अनुकूलन क्षमता वाला है। पश्चिमी देश इसे वैश्विक शासन की दृश्टि से देखेंगे जबकि भारत के नेतृत्वकर्ता पहले व्यक्तिगत लाभ का गणित आलस्य के साथ लगायेंगे। भारत के नेतृत्वकर्ता इस अज्ञानता में न पड़े कि जनता ज्ञानी, शिक्षित हो जायेगी तो उनके पद पर संकट आ जायेगा। ज्ञानी, शिक्षित होना चमत्कार नहीं एक लम्बी अवधि की प्रक्रिया है इसलिए नेतृत्वकर्ता राजनीतिज्ञ का वर्तमान जीवन तो उनके वर्तमान चरित्र के साथ ही व्यतीत हो ही जायेगी। यह एक युग कार्य है, कालजयी कार्य है जो राजनीति क्षेत्र नहीं दे सकती। ये है परिणाम का ज्ञान।
”निर्माण और उत्पादन“ आज के विकसित औद्योगिक युग में यह शब्द न तो अनजाना है और न हम यह कह सकते हैं कि हमारा व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन इस शब्द में व्याप्त नहीं है। बल्कि यह कहें तो अधिक स्पष्ट होगा कि हम सभी के मन अन्य संगठन, दल, व्यक्ति, मत, विचार, देश, राज्य, विश्व, प्रकृति, ब्रह्माण्ड इत्यादि के प्रक्रिया द्वारा निर्मित और उत्पादित हो रहे है। और हम सभी स्वयं अपने अधीन अन्य मानव शरीर के मन को निर्मित और उत्पादित कर रहे है। इसलिए व्यक्ति, संगठन, दल, मत, देश व विश्व को यह सदा ध्यान में रखना होगा कि हम किसी के द्वारा निर्मित और उत्पादित हो रहे हैं तो किसी का निर्माण और उत्पादन हम कर रहे हैं। और प्रत्येक निर्माणकत्र्ता और उत्पादनकत्र्ता, स्वयं अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए ही निर्माण और उत्पादन करता है। और इस कार्य में लगने वाले मनुष्य को उसका पारिश्रमिक विभिन्न रूपों- धन, नाम, यश, कीर्ति, आत्मीय सुख, सम्मान, इत्यादि के रूप में भुगतान होता है। आतंकवाद, धर्मनिरपेक्षता, दल या मत आधारित सम्प्रदाय इत्यादि का यही सूत्र है। इसलिए व्यक्ति को स्वयं अपने लिए यह ध्यान रखना होगा कि वह कहीं ऐसे विचार से निर्मित तो नहीं हो रहा जो स्वयं उसके लिए और देश सहित विश्व और ब्रह्माण्ड के लिए विनाशात्मक हो। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के विश्व व्यापक होने के लिए उसके जन्म से ही उसके निर्माण की प्रक्रिया माता-पिता, भाई-बहन, रिश्तेदार, पड़ोस, जाति, धर्म, मित्र, मत-सम्प्रदाय, नियम-संविधान, संघ, दल, संगठन, प्रदेश, देश इत्यादि अनेकों वातावरण द्वारा होती है। जो विश्वव्यापक होने के मार्ग में बैरियर है और व्यक्ति को इसे स्वीकार करते हुये पार करना होगा। इसलिए आवश्यक है कि पहले वह मन की सर्वोच्च और अन्तिम स्थिति-विश्वमन के व्यक्तरूप विश्वमानक: शून्य श्रृंखला से युक्त हो और फिर वहाँ से नीचे की ओर देखते हुये अपने स्वभाव को स्वीकार करे। ताकि उसका उच्च मानसिक स्तर द्वारा गलत उपयोग न हो सके।
मानव प्राकृतिक आदान-प्रदान का ज्ञान प्राप्त कर, धारण करते हुये धीरे-धीरे प्रकृति के पद पर स्वयं बैठने की ओर है। स्वयं प्रकृति, विश्व स्तर का मन धारण कर ही क्रियाकलाप करते हुये अपने उत्पादों को विश्व गुणवत्ता युक्त निर्माण कर रही है। मानव इस क्रम में अपने क्रियाकलापों को विश्व गुणवत्ता युक्त करने की ओर है। उत्प्रेरक (आत्मा) की उपस्थिति में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में दो ही निर्माणकर्ता हैं- पहला प्रकृति और दूसरा मनुष्य। प्रकृति के निर्माण प्रक्रिया में त्रुटि नहीं है। वह पूर्णतया गुणवत्तायुक्त उत्पादन कर रही है। मानव भी अब निर्माता बन चुका है इसलिए उसे सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त जिससे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड संचालित है, के ज्ञान पर आधारित गुणवत्तायुक्त उत्पादन की ओर बढ़ना चाहिए।
विश्व के गुणवत्ता युक्त उत्पादन के लिए मनुष्य के द्वारा दो मूल निर्माण विधि हैं-
1. उद्योग में गुणवत्तायुक्त उत्पाद निर्माण और उत्पादन की जापानी विधि (Japanese Institute of Plant Engineers-JIPE) - WCM-TPM-5S
2. गुणवत्तायुक्त मानव निर्माण और उत्पादन की भारतीय विधि (Rishi/Saint/Avatar) - WCM-TLM-SHYAM.C
3. कुल गुणवत्ता प्रबंधन (Total Quality Management-TQM)
1. उद्योग में गुणवत्तायुक्त उत्पाद निर्माण और उत्पादन की जापानी विधि
औद्योगिक क्षेत्र में Japanese Institute of Plant Engineers (JIPE) द्वारा उत्पादों के विश्वस्तरीय निर्माण विधि को प्राप्त करने के लिए उत्पाद निर्माण तकनीकी-WCM-TPM-5S (World Class Manufacturing-Total Productive Maintenance-Siri (छँटाई), Seton (सुव्यवस्थित), Sesso (स्वच्छता), Siketsu (अच्छास्तर), Shituke (अनुशासन) प्रणाली संचालित है। जिसमें सम्पूर्ण कर्मचारी सहभागिता (Total Employees Involvement) है। ये 5S मार्गदर्शक बिन्दु हैं।
TPM - History:
TPM is a innovative Japanese concept. The origin of TPM can be traced back to 1951 when preventive maintenance was introduced in Japan. However the concept of preventive maintenance was taken from USA. Nippondenso was the first company to introduce plant wide preventive maintenance in 1960. Preventive maintenance is the concept wherein, operators produced goods using machines and the maintenance group was dedicated with work of maintaining those machines, however with the automation of Nippondenso, maintenance became a problem as more maintenance personnel were required. So the management decided that the routine maintenance of equipment would be carried out by the operators. (This is Autonomous maintenance, one of the features of TPM ). Maintenance group took up only essential maintenance works. Thus Nippondenso which already followed preventive maintenance also added Autonomous maintenance done by production operators. The maintenance crew went in the equipment modification for improving reliability. The modifications were made or incorporated in new equipment. This lead to maintenance prevention. Thus preventive maintenance along with Maintenance prevention and Maintainability Improvement gave birth to Productive maintenance. The aim of productive maintenance was to maximize plant and equipment effectiveness to achieve optimum life cycle cost of production equipment. By then Nippon Denso had made quality circles, involving the employees participation. Thus all employees took part
in implementing Productive maintenance. Based on these developments Nippondenso was awarded the distinguished plant prize for developing and implementing TPM, by the Japanese Institute of Plant Engineers ( JIPE ). Thus Nippondenso of the Toyota group became the first company to obtain the TPM certification.
What is Total Productive Maintenance ( TPM ) ?
It can be considered as the medical science of machines. Total Productive Maintenance (TPM) is a maintenance program which involves a newly defined concept for maintaining plants and equipment. The goal of the TPM program is to markedly increase production while, at the same time, increasing employee morale and job satisfaction. TPM brings maintenance into focus as a necessary and vitally important part of the business. It is no longer regarded as a non-profit activity. Down time for maintenance is scheduled as a part of the manufacturing day and, in some cases, as an integral part of the manufacturing process. The goal is to hold emergency and unscheduled maintenance to a minimum.
Why TPM ?
TPM was introduced to achieve the following objectives. The important ones are listed below.
• Avoid waste in a quickly changing economic environment.
• Producing goods without reducing product quality.
• Reduce cost.
• Produce a low batch quantity at the earliest possible time.
• Goods send to the customers must be non defective.
• Involve equipment operators in the simple, day-to-day basics of equipment cleanliness and checks to enhance employee ownership in maintaining and identifying equipment problems immediately.
SEIRI - Sort out :
This means sorting and organizing the items as critical, important, frequently used items, useless, or items that are not need as of now. Unwanted items can be salvaged. Critical items should be kept for use nearby and items that are not be used in near future, should be stored in some place. For this step, the worth of the item should be decided based on utility and not cost. As a result of this step, the search time is reduced.
SEITON - Organize :
The concept here is that "Each items has a place, and only one place". The items should be placed back after usage at the same place. To identify items easily, name plates and colored tags has to be used. Vertical racks can be used for this purpose, and heavy items occupy the bottom position in the racks.
SEISO - Shine the workplace:
This involves cleaning the work place free of burrs, grease, oil, waste, scrap etc. No loosely hanging wires or oil leakage from machines.
SEIKETSU - Standardization:
Employees have to discuss together and decide on standards for keeping the work place / Machines / pathways neat and clean. These standards are implemented for whole organization and are tested / Inspected randomly.
SHITSUKE - Self discipline:
Considering 5S as a way of life and bring about self-discipline among the employees of the organization. This includes wearing badges, following work procedures, punctuality, dedication to the organization etc.
2. गुणवत्तायुक्त मानव निर्माण और उत्पादन की भारतीय विधि
(Rishi/Saint/Avatar) & WCM-TLM-SHYAM.C
मानव प्राकृतिक आदान-प्रदान का ज्ञान प्राप्त कर, धारण करते हुये धीरे-धीरे प्रकृति के पद पर स्वयं बैठने की ओर है। स्वयं प्रकृति, विश्व स्तर का मन धारण कर ही क्रियाकलाप करते हुये अपने उत्पादों को विश्व गुणवत्ता युक्त निर्माण कर रही है। मानव इस क्रम में अपने क्रियाकलापों को विश्व गुणवत्ता युक्त करने की ओर है। जिसमे स्वयं मानव द्वारा उत्पादित उत्पादो की गुणवत्ता (भारतीय मानक और अन्तर्राष्ट्रीय मानक की श्रृंखलाएँ), गुणवत्ता का मानक (भारतीय मानक तथा अन्तर्राष्ट्रीय मानक आई.एस.ओ.-9000 श्रंृखला) तथा पर्यावरण की गुणवत्ता (अन्तर्राष्ट्रीय मानक आई.एस.ओ.-14000 श्रृंखला) द्वारा मानकीकरण कर चुका है। परन्तु अभी प्रकृति की भाँति स्वयं मानव अन्तर्राष्ट्रीय/विश्व गुणवत्ता युक्त नहीं हो सका है। मानव संसाधन को अन्तर्राष्ट्रीय/विश्व गुणवत्ता युक्त होने के लिए ही विश्वमानक शून्य: मन की गुणवत्ता का विश्वमानक श्रृंखला को आविष्कृत किया गया है। सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त जिससे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड संचालित है इस पर आधारित व्यवस्था ही सत्य आधारित कही जाती है। जब तक इस पर आधारित व्यवस्था नहीं होती तब तक हम किसी भी व्यवस्था को सत्य आधारित नहीं कह सकते। विश्वमानक शून्य: मन की गुणवत्ता का विश्वमानक श्रृंखला से औद्योगिक क्षेत्र को यह लाभ है कि वे अपने मानव संसाधन को विश्व स्तर का कर सकने में सक्षम होगें जिससे उन्हंे अपने मानव संसाधन मंे सूक्ष्म दृष्टि उत्पन्न करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामस्वरूप प्रबन्धकीय, सुरक्षा, गुणवत्ता, विश्लेशण, योजना और क्रियान्वयन इत्यादि गुण सामान्य रूप से स्वप्रेरित हो स्वतः ही मानव संसाधन मंे उत्पन्न हो जायेगें चंूकि विश्वमानक शून्य: मन की गुणवत्ता का विश्वमानक श्रृंखला मंे कर्मज्ञान और प्रबंध का अन्तर्राष्ट्रीयध्विश्व मानक भी समाहित है इसलिए क्रमशः उत्पादांे का विवशतावश नहीं बल्कि स्वेच्छा से उपयोगिता सहित माँग आदान-प्रदान बढ़ने से सतत बढ़ता रहेगा। अन्तर्राष्ट्रीय/विश्व स्तर के प्रबंध से उद्योगों की सफलता तथा समाज निर्माण का श्रेय भी प्राप्त होता रहेगा। जो औद्योगिक जगत के दूरगामी प्रभावों का हल भी है।
चंूकि मानव समाज वैश्वीकरण की ओर आवश्यकता व विवशतावश बढ़ चुका है। इसलिए मानव संसाधन का अन्तर्राष्ट्रीय/विश्व मानकीकरण विश्व शान्ति, एकता, स्थिरता, विकास, सुरक्षा इत्यादि की दृष्टि से विश्व संगठनों, संयुक्त राष्ट्र संघ इत्यादि के लिए अति आवश्यक भी है। वहीं औद्योगिक जगत वैश्विक समाज निर्माण में पूर्ण भागीदारी के कार्य से औद्योगिक जगत को इसका श्रेय भी प्राप्त होगा। इस प्रकार आई.एस.ओ.-9000 श्रंृखला तथा आई.एस.ओ. 14000 श्रंृखला की भँाति विश्वमानक शून्य: मन की गुणवत्ता का विश्वमानक श्रृंखला का अन्तर्राष्ट्रीय/विश्व स्तर पर सार्वाधिक महत्व है।
विश्व व्यापार संगठन के गठन के उपरान्त मानकीकरण की महत्ता जिस प्रकार बढ़ी है उसके अनुसार मानकीकरण का भविष्य ही समाज को भी नियंत्रित करने की ओर है। इसके कारण अन्तर्राष्ट्रीय मानक के अनुरूप भारतीय मानक के अनुसार अन्तर्राष्ट्रीय मानक का विकसित होना अति आवश्यक है। परिणामस्वरूप मानव संसाधन के वैश्विकरण के लिए भारतीय मानक में भारत-शून्य श्रृंखला तथा अन्तर्राष्ट्रीय/विश्व मानक में विश्वमानक-शून्य श्रंृखला को स्थापित करने के लिए प्रक्रिया प्रारम्भ करने के लिए भारतीय मानक व्यूरो व अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन सहित राष्ट्रों के सरकार को आह्वान करता हूँ।
औद्योगिक जगत को यह आह्वान है कि वे विश्वमानक शून्य श्रृंखला की स्थापना के लिए भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रयत्न करे, जिससे सर्वप्रथम स्वयं सत्य आधारित होने का श्रेय प्राप्त करते हुये सम्पूर्ण औद्योगिक जगत के सत्यीकरण करने का श्रेय भी प्राप्त कर सकें।
श्री लव कुश सिंह ”विश्वमानव“ द्वारा मानव के विश्व स्तरीय निर्माण विधि को प्राप्त करने के लिए मानव निर्माण तकनीकी WCM-TLM-SHYAM.C (World Class Manufacturing–Total Life Maintenance- Satya, Heart, Yoga, Ashram, Meditation. Consciousness) प्रणाली आविष्कृत है जिसमें सम्पूर्ण तन्त्र सहंभागिता (Total System Involvement-TSI) है। ये SHYAM.C मार्गदर्शक बिन्दु हैं।
वैश्विक मानव निर्माण की तकनीकी अर्थात विश्व स्तरीय निर्माण विधि (World Class Manufacturing-WCM) को प्राप्त करने के लिए उसके प्रवेश द्वार सम्पूर्ण जीवन परीक्षण (Total Life Maintenance-TLM) के लिए सत्य, हृदय, योग, आश्रम, ध्यान व चेतना (SHYAM.C - Satya, Heart, Yoga, Ashram, Meditation. Consciousness)) का संचालन अनिवार्य है। यह तकनीकी सीधे व्यक्ति को विश्वमन से जोड़ने का कार्य करती है। जिससे मनुष्य का मस्तिष्क व समस्त क्रियाकलाप संचालित होती है। अर्थात मनुष्य के मन को सीधे सार्वभौम सत्य-सिद्वान्त व चेतना से जोड़कर उसे सार्वभौम विश्वमन में स्थापित कर देती है। फलस्वरूप मनुष्य स्वतः स्फूर्त हो सूक्ष्म बुद्धि से प्रत्येक कार्य को विश्व स्तरीय दृष्टि से संचालित करने लगता है।
3. कुल गुणवत्ता प्रबंधन (Total Quality Management-TQM)
कुल गुणवत्ता प्रबंधन (TQM) एक प्रबंधन का सिद्धांत है, जो ग्राहकों की आवश्यकताओं और संगठनात्मक उद्देश्यों, को पूरा करने के लिए सभी संगठनात्मक कार्य (विपणन, वित्त, डिजाईन, इंजीनियरिंग, उत्पादन व ग्राहक सेवा आदि) को एकीकृत करता है। TQM कुल संगठन को मजबूत बनाने के लिए कर्मचारी से लेकर सी.इ.ओ.तक को पूर्ण अधिकार देता है, ताकि वे अपने से सम्बंधित उत्पाद और सेवाओं में सुधार चैनलों के माध्यम से उचित प्रक्रियाओं द्वारा प्रबंधन व गुणवत्ता निश्चित रूप से बनाए रखने की जिम्मेदारी ले। सभी प्रकार के संगठनो जैसे छोटे व्यवसाय से लेकर नासा, जैसी सरकारी एजेंसियों ने स्कूल से लेकर निर्माण कम्पनियों ने निर्माण केंद्र से लेकर नृत्य व अस्पतालों तक ने TQM को तैनात किया है। ज्फड किसी विशेष प्रकार के उद्यम के लिए नहीं है, यह तो एक ऐसा सिद्धांत है, जो हर प्रकार के उद्यम में गुणवत्ता लाने के लिए जरूरी है।
विकास का एक साधन
TQM ग्राहकों की ”आवश्यकताओं को पूरा करने“ और उनके, उद्देश्य के लिए उपयुक्त, इस सामान्य समझ से भी आगे है। अर्थात यह संगठन को व्यापक बनाता है। TQM से पहले गुणवत्ता परीक्षण आमतौर पर उत्पाद, प्रक्रिया या सेवा के अंतिम चरण में गुणवत्ता नियंत्रण का आदर्श था। कोई दोश पाया जाता था तो आपूर्ति रोक दी जाती थी, उत्पाद फिर से बनाया जाता था या अस्वीकार कर दिया जाता था। गुणवत्ता बनाये रखने के लिए अतिरिक्त लागत अपरिहार्य थी TQM, का उद्देश्य हर बार प्रथम प्रयास में ही सही उत्पादन कर परिहार्य लागत को कम करना है। TQM, हरेक कमी का मुख्य कारण जानना चाहता है, ताकि उत्पाद में कोई कमी न रह।
TQM साधारण प्रक्रिया का प्रयोग कर गुणवत्ता आश्वासन पर जोर देता है। और लगातार सुधरी व् प्रभावी संचालित प्रक्रियाओं, द्वारा उत्पाद व् सेवाओं में आये परिवर्तन का सामना करता है। यह सर्वाधिक प्रचलित और महंगे दोषों को पहचान कर उन दोषों को दूर करने, उनसे बचने व उनको हटाने का समाधान प्रस्तुत करता है।
विशुद्ध प्रगति
TQM एक पद है जो से जापानी नीति, कुल गुणवत्ता नियंत्रण, से लिया गया है यह नीति गुणवत्ता आश्वासन का निष्कर्ष थी। तब से इसे नए प्रतिमान के रूप में सम्मान मिल गया है।
आज TQM सभी उद्योग व्यापार व गतिविधियों में लागू किया जाता है। चाहे होटल हो या अस्पताल, चाहे शैक्षिक संस्थान हो या इंजीनियरिंग संस्थान, चाहे पान की (बीटल लीवस) की दुकान हो या पार्क (खेलने का मैदान) चाहे वकील का दफ्तर हो या विमान के रख रखाव के लिए परामर्श देने वाला उपकरण है।
TQM एक रणनीति
TQM निश्चित रूप से व्यक्तियों पर आश्रित क्रिया है। यदि व्यक्ति सभ्य है तो संगठन परिपक्व है। TQM का पूर्ण लाभ उठाने के लिए किसी भीं संगठन में व्यक्तियों में तालमेल, होना चाहिए। इस प्रकार संगठनों से आशा की जाती है कि वे अपनी कम्पनी के लिए व्यापक योजना बनाए, जिसमें प्रत्येक कर्मचारी को उत्कृष्टता हासिल करने के लिए उसके काम की और उसकी टीम के काम की गुणवत्ता बनाए रखने की जिम्मेदारी दी जाए। TQM प्रारम्भ में ही परिवर्तनशील परिक्रियाओं में गुणवत्ता अपनाने की मूल धारणा को मानता है। और यह विचार गुणवत्ता गुरु विलियम एडवर्ड डेमिंग ने प्रस्तावित, किया है। डेमिंग श्रृंखला प्रतिक्रिया प्रारंभ में ही डिजाइन की गुणवत्ता बनाए रखने की और उत्कृष्टता हासिल करने के लिए कुल गुणवत्ता सिद्धांत को व्यवस्थित रूप से लागू करने की वकालत करती हैं। जब कच्चे माल से लेकर हरेक प्रक्रिया अच्छे डिजाइन व् संसाधनों द्वारा की जाती है और उत्पाद बहुत अच्छी तरह से और निरंतर बेहतर तैयार माल के रूप में आता है तो कहा जाता है कि TQM चालू है।
TQM का कार्यान्वयन
किसी संगठन को सुधारने के लिए सभी को दी जाने वाली गतिविधियाँ मुख्यतः ये हैं-
1. लगातार गुणवत्ता सुधार (CQI)
2. कुल ग्राहक संतुष्टि
3. कुल कर्मचारियों की भागीदारी
4. एकीकृत प्रक्रिया प्रबंधन
5. प्रक्रियाओं के प्रति सम्पूर्ण दृष्टिकोण
सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ मुख्य कदम
अ. TQM उपकरण - सात qc उपकरण और सात pc उपकरण ये सात लोकप्रिय शब्द हैं।
उपकरण विचार पैदा करने, शीट चेक करने, आरेख बनाने, कारण व प्रभाव जानने के लिए प्रयोग किये जाते हैं, हिस्टोग्राम सांख्यिकी की प्रक्रिया नियंत्रण चार्ट समस्याओं के पहचानने के उपकरण हैं, और परेला चार्ट, फ्लो चार्ट (प्रक्रिया आरेख डाटा) को व्यवस्थित करने के उपकरण हैं, सम्बन्ध आरेख, मैट्रिक्स चार्ट, प्रक्रिया प्रदर्शन कार्यक्रम चार्ट, प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने के साधन हैं, परियोजनाओं को नियंत्रित करने के उपकरण: कार्यक्रम के मूल्यांकन की समीक्षा तकनीकें (PERT) महत्व पूर्ण पद्धति (CPM)।
ब. गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली QMS प्रति ISO 9001:2008
स. निरंतर सुधार माॅडल के लिए कार्य करते रहना।
कीमतें
जबकि TQM का उपयोग तरीका बता देता है, असफलता की लागत कम कर देता है, अर्थात ग्राहक असंतोष और दुबारा कार्य करने की संभावना को कम कर देता है। फिर भी कर्मचारियों के प्रशिक्षण आपूर्ति कर्ताओं को शिक्षित करने की लागत अनिवार्य रूप से बढ़ा सकता है। TQM को लागू करने का पूर्ण फायदा गुणवत्ता, ब्रांड मूल्य, कम समय में प्रचार, ग्राहकों के विश्वास, फायदे, सद्भाव बढ़ाने मैं हैं। ये सब चीजे आर्केस्ट्रा या मुरली वाले के द्वारा प्रदान किये गए आनंद जैसी हैं। सबसे ऊपर यह तेज गति से टिकाऊ विकास, प्रदान करता है। यह कहा जाता है कि व्यापारिक संस्थानों को बढ़ते हुए शेयर धारक मूल्य की चुनोतियों का सामना करना पड़ता है जिसमें लाभ व गुणवत्ता दोनों शामिल हैं।
संभाव्य जीवन चक्र
आजकल आधुनिक व्यापार में उद्योग, सेना, शिक्षा आदि की बढ़ोतरी के साथ कुल गुणवत्ता प्रबंधन एक सामान्य सी बात है। बहुत से कालेज, स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर ज्फड के पाठ्यक्रमों की पेशकश कर रहें हैं।
(1996) अब्राहमसन की दलील थी कि फैशनबल प्रबंधन संवाद गुणवत्ता के दायरे के रूप में एक वक्र घंटी के आकार में जीवन चक्र अपनाता है, जो एक संभावित प्रबंधन सनक का संकेत है। सामान्य तोर पर TQM परिवर्तन लाने के लिए 10 साल की लम्बी अवधि का समय लेता है। इसे परिपक्व होने में कई साल लगेंगे। सामान्य तौर से गिरावट उच्च प्रबंधन स्तर, पर प्रतिबद्धता की कमी का परिणाम होती है।
अमेरिकन कारोबार ध्यान से देख रहा है कि जापानी गुणवत्ता प्रबंधन को सौंपे गए शेयर बाजार को सुधार रहें हैं। गुणवत्ता नियंत्रण में लागत लगती है और इस लागत से लाभ मिलता है। जिन अमेरिकन संगठनों ने 1980 के दशक से TQM की अवधारणाओं को अपनाया है, उत्कृष्ट्ता लिए अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है, उन्हें राष्ट्रीय गुणवत्ता पुरस्कार, यूरोप का EFQM उत्कृष्टता पुरस्कार और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जापानियों से सम्मानित किया गया डेमिंग पुरस्कार के रूप में ये प्रयास चारों तरफ लागू किये जा रहें है और मानकीकृत भी हो रहे हैं। डेमिंग आवेदन गुणवत्ता पुरस्कार के बहुत से विजेता हैं और इनमें से कुछ ने ऊर्जा संरक्षण पर्यावरण उन्नयन, समाज सेवा वाचक, के माध्यम से अपना योगदान किया है, जो कि किसी भी ज्फड लागू करने वाले के लिए बिल्कुल आवश्यक है। और सिक्स सिग्मा व ISO-9000 श्रृंखला के मानक रूप को लागू करने में फायदा पहुंचता है।
No comments:
Post a Comment