पुनर्निर्माण के प्रेरक (Catalyst)
21st Century Definition of MLM Leader, Net worker & Business
* Fix your Business area
* Fix Your Customer/Network
* Refer/Sale any where in India
* No Liability for Collection/Delivery
नेटवर्कर-एक तेज आर्थिक गति का कार्यकत्र्ता परन्तु असम्मानित
मल्टी लेवेल मार्केटिंग प्रणाली में कार्य करने वाले व्यक्ति नेटवर्कर कहलाते हैं।
नेटवर्कर की स्थिति-
1. समाज के व्यक्ति को ईश्वरीय सिद्धान्त व प्रणाली से परिचित कराते हैं।
2. बाजार में न मिलने वाले उपयोगी, स्वास्थ्यवर्धक, दवाओं, उत्पादों को सीधे उपभोक्ता तक पहुँचाते हैं।
3. उपभोक्ता को मात्र ग्राहक ही नहीं बल्कि व्यापारी भी बनाते हैं।
4. अपने आवश्यकता के खर्च से भी धन लाभ प्राप्त करने की प्रणाली को बताते हैं।
5. उपभोक्ता का नेटवर्क तैयार करने की शिक्षा देकर तेज गति से आर्थिक विकास करने की प्रणाली बताते हैं।
6. अपने नेटवर्क को बढ़ाने के लिए लम्बी-लम्बी यात्रा, मिटिंग, सेमिनार करते हैं। जिसमें आय भी खर्च होते रहते हैं।
समाज के व्यक्ति की स्थिति -
1. समाज के व्यक्ति को ईश्वरीय सिद्धान्त व प्रणाली की समझ मानसिक विकास न होने के कारण नेटवर्क की शक्ति की समझ का अभाव।
2. बाजार में न मिलने वाले उपयोगी, स्वास्थ्यवर्धक, दवाओं, उत्पादों पर विश्वास नहीं जबकि उत्पाद विश्वास से नहीं बल्कि गुणवत्ता आधारित होते हैं।
3. उपभोक्ता को ग्राहक और व्यापारी के अन्तर की समझ नहीं।
4. अपने आवश्यकता के खर्च से भी धन लाभ प्राप्त कर अपने आर्थिक उन्नति के मार्ग पर चलने की समझ नहीं। धन लगाकर भी काम करने की इच्छा नहीं और बिना धन लगाये भी कार्य करने की इच्छा नहीं।
5. नेटवर्क तैयार कर तेज गति से आर्थिक विकास करने की प्रणाली की समझ नहीं क्योंकि यह बुद्धि आधारित व्यापार होता है। और तमाम समस्याओं का जड़ बुद्धि की कमी ही है, इस पर विश्वास नहीं।
6. अपने जीवन का अधिकतम समय व्यक्ति और घटना चर्चा पर खर्च करने की आदत जबकि योजना और बुद्धि पर खर्च करना उपयोगी होता है।
7. प्रत्येक कर्म का परिणाम मिलता है, यह रायल्टी/ईश्वरीय का सिद्धान्त है जिसके अनुसार ही हमारा जीवन है, इसकी समझ नहीं।
8. व्यापारिक ज्ञान व बुद्धि का अभाव। जिसके कारण सदैव ग्राहक ही बने रह जाना।
नेटवर्क कम्पनी की स्थिति -
1. भारत में अधिकतम नेटवर्क कम्पनी स्थायी और बड़े लक्ष्य को लेकर स्थापित ही नहीं हुई, स्थापना से ही इनका लक्ष्य धन कमाना और कम्पनी को बन्द कर देना रहा। ऐसा भारतीय कानून के कमजोर पकड़ के कारण हुआ। परिणामस्वरूप एक तरफ नेटवर्कर के साथ धोख हुआ तो दूसरी तरफ समाज इस व्यवसाय को एक ठगने वाला व्यवसाय समझने लगा।
2. नेटवर्क कम्पनी के इस चरित्र के कारण नेटवर्कर-एक तेज आर्थिक गति का कार्यकत्र्ता से असम्मानित व्यक्ति के रूप में देखा जाने लगा।
3. नेटवर्क कम्पनी स्थायी और बड़े लक्ष्य के साथ ईश्वरीय सिद्धान्त व प्रणाली के अनुसार स्वयं की योजना नहीं बना पायीं। रायल्टी, एवार्ड और बड़े सपने दिखाने के बावजूद रायल्टी, एवार्ड और बड़े सपने दिखाने वाली कम्पनी ही गायब हो जाती हैं।
उपरोक्त स्थिति को देखते हुये नेटवर्क व्यवसाय और नेटवर्कर को उसके सही अर्थ में समझाने और उसके सम्मान को स्थापित करने की आवश्यकता है। जिसके लिए -
1. शास्वत (हमेशा आवश्यक) उत्पाद के लिए पारम्परिक एवं डायरेक्ट मार्केटिंग का संयुक्त रूप आधारित व्यवसाय।
2. ईश्वरीय सिद्धान्त व प्रणाली के अनुसार योजना।
3. ग्रुप आॅफ नेटवर्क कम्पनी।
4. नेटवर्कर के लिए स्थायी नेटवर्क क्षेत्र और कार्य करने के लिए सम्पूर्ण भारत देश।
5. भारतीय कानून का शत-प्रतिशत स्वीकार
6. नेटवर्कर और अन्य के बौद्धिक शक्ति को सदैव बढ़ाते रहने के लिए मुद्रित सामग्री द्वारा प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है।
राष्ट्र निर्माण का व्यापार और उसकी विधि क्या है?
राष्ट्र निर्माण के लिए परियोजना पुनर्निर्माण के पाठ्यक्रम को बेचने के लिए विद्यार्थीयों का प्रवेश ही व्यापार है और उसके लिए निम्नविधि अपनायी गयी है-
अ. निर्देश विधि (Reffer Method)-.द्वारा स्वतन्त्र प्रवेश प्रेरक (Freelance Catalyst-FC)
पाठ्यक्रम को खरीदने वाले व्यक्ति द्वारा किसी दूसरे को निर्देश देकर बिकवाने की विधि को निर्देश विधि कहते हैं।
एक बार पाठ्यक्रम खरीदने वाला व्यक्ति/संस्था हमारे लिए स्वतः ही स्वतन्त्र प्रवेश प्रेरक भी बन जाता है। स्वतन्त्र प्रवेश प्रेरक यदि व्यापार करना चाहता है तो वह पूरे भारत देश में कहीं से भी दूसरे विद्यार्थी को पंजीकृत करवा सकता है। यह पंजीकृत नया विद्यार्थी, जीवन में जब भी पाठ्यक्रम का शुल्क जमा करता है तब स्वतन्त्र प्रवेश प्रेरक को नियमानुसार अतिरिक्त लाभ प्राप्त होता है। स्वतन्त्र प्रवेश प्रेरक द्वारा पंजीकृत विद्यार्थी, जब भी छात्रवृत्ति प्राप्त करता है तब भी स्वतन्त्र प्रवेश प्रेरक को नियमानुसार अतिरिक्त लाभ प्राप्त होता है। यह क्रम स्वतन्त्र प्रवेश प्रेरक द्वारा पंजीकृत प्रत्येक विद्यार्थी के साथ चलता रहता है।
ब. पारम्परिक विधि (Traditional Method)- द्वारा क्षेत्राधिकृत प्रेरक (Authorized Area Catalyst-AAC)
प्रवेश प्रेरक केन्द्र की विधि। इस विधि में प्रेरक/केन्द्र के क्षेत्र से हुये प्रवेश पर एक सुनिश्चित लाभ प्रेरक/केन्द्र को प्राप्त होती है चाहे विद्यार्थी का प्रवेश किसी के द्वारा हुआ हो। जबकि ये प्रेरक/केन्द्र स्वंय अपने आप में स्वतन्त्र प्रेरक भी हैं। जिस प्रकार वर्तमान में शुल्क में कमीशन आधारित अनेक विश्वविद्यालयों के दूरस्थ शिक्षा के स्टडी सेन्टर खुले हुए हैं या खुल रहे हैं। उसी प्रकार निम्न प्रकार से नीचे से उपर तक के प्रेरक/प्रवेश केन्द्र द्वारा-
1. मण्डल प्रेरक (Division Catalyst-Dv.C) - मण्डल क्षेत्र
2. जिला प्रेरक (District Catalyst-Dt.C) - जिला क्षेत्र
3. ”विश्वशास्त्र“ मन्दिर (Vishwshastra Temple-V.T) - जिला क्षेत्र
4. ब्राण्ड फ्रैन्चाइजी (Brand Franchisee-B.F) - जिला क्षेत्र
5. डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र (Postal area Admission Center-PAC)- पिन कोड क्षेत्र
6. ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक (Village/City ward Catalyst-V.C) - ग्राम/नगर वार्ड क्षेत्र
प्रवेश केन्द्र/ प्रेरक की योग्यता
1. सरकार द्वारा प्रमाणित योग्यता
सरकार द्वारा प्रमाणित किसी भी शैक्षणिक व तकनीकी योग्यता का प्रवेश केन्द्र/प्रेरक की नियुक्ति के लिए मुख्य आधार नहीं है। क्योंकि ये योग्यताएँ अगली कक्षा में प्रवेश व सरकारी नौकरी में प्रयोग होती है, राष्ट्र निर्माण के कार्य के लिए प्रमाणित योग्यता महत्व नहीं रखती। इतिहास गवाह है राष्ट्र निर्माण में प्रमाणित योग्यताधारी का योगदान कम ही रहा है।
2. अप्रमाणित योग्यता
प्रवेश केन्द्र/प्रेरक की नियुक्ति के लिए मुख्य आधार अप्रमाणित योग्यता है जिसमें-व्यक्ति की चिंता, समाज की चिंता, अपने कार्य क्षेत्र की चिंता, अपने देश व इस पृथ्वी की चिंता और उसके लिए कुछ अच्छा करने के लिए शारीरिक-आर्थिक-मानसिक रूप से सशक्तता और इच्छा है।
3. अनिवार्य योग्यता
प्रवेश केन्द्र/प्रेरक की नियुक्ति के लिए उसका अपना कम्प्यूटर (लैपटाॅप/डेस्कटाॅप), प्रिंटर, स्कैनर व बिजली की उपलब्धता के लिए इन्वर्टर, इन्टरनेट कनेक्शन और इन सबको चलाने का ज्ञान अनिवार्य है। और वह अपने कार्य क्षेत्र का निवासी होना चाहिए।
व्यापार का स्थायित्व (Stability of
Business)
ज्ञान के इस युग में शिक्षा-विद्या-कला का व्यापार मनुष्य के धरती पर रहने तक रहेगा। ऐसी स्थिति में हमारा यह व्यापार भी उस समय तक के लिए स्थायित्व में है। शिक्षा-विद्या-कला कोई प्रापर्टी नहीं है कि पिता जी ग्रहण कर चुके हैं तो पुत्र को हिस्सा प्राप्त हो जायेगा। पुत्र को भी वहीं से अर्थात् अक्षर ज्ञान से शुरू होना पड़ेगा जहाँ से पिता ने शुरू किया था।
प्रवेश केन्द्र/ प्रेरक-अधिक लाभ के सामान्य लक्ष्ययुक्त कार्य
प्रवेश केन्द्र/प्रेरक को इस प्रणाली से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित कार्य अवश्य करना चाहिए और सबसे पहले इन्हें लक्ष्य बनाना चाहिए-
अ.अधिक से अधिक सत्य मानक शिक्षा के अन्तर्गत प्रवेश पंजीकरण करायें चाहे वह भारत में कहीं भी हों।
ब.सत्य नेटवर्क के निम्नलिखित नेटवर्क में अधिक से अधिक लोगों को जोड़े-
01. डिजिटल ग्राम नेटवर्क (Digital Village Network)-प्रत्येक ग्राम से एक
02. डिजिटल नगर वार्ड नेटवर्क (Digital City Ward Network)-प्रत्येक नगर वार्ड से एक
03. डिजिटल एन.जी.ओ/ट्रस्ट नेटवर्क (Digital NGO/Trust Network)-अनेक
04. डिजिटल विश्वमानक मानव नेटवर्क (Digital World Standard Human Network)-अनेक
05. डिजिटल नेतृत्व नेटवर्क (Digital Leader Network)-अनेक
06. डिजिटल जर्नलिस्ट नेटवर्क (Digital Journalist Network)-अनेक
07. डिजिटल शिक्षक नेटवर्क (Digital Teacher Network)-अनेक
08. डिजिटल शैक्षिक संस्थान नेटवर्क (Digital Educational Institute Network)-अनेक
09. डिजिटल लेखक-ग्रन्थकार-रचयिता नेटवर्क (Digital Author Network)-अनेक
10. डिजिटल गायक नेटवर्क (Digital Singer Network)-अनेक
11. डिजिटल खिलाड़ी नेटवर्क (Digital Sports Man Network)-अनेक
12. डिजिटल पुस्तक विक्रेता नेटवर्क (Digital Book Saler Network)-अनेक
13. डिजिटल होटल और आहार गृह नेटवर्क (Digital Hotel & Restaurant Network)-अनेक
प्रेरक को आर्थिक लाभ
यह तो सत्य हो चुका है कि बिना लाभ के कोई किसी भी प्रणाली (सिस्टम) से नहीं जु़ड़ता और यह भी उतना ही सत्य है कि बिना सिस्टम को समझे और उसमे जु़ड़े बिना कुछ भी प्राप्त नहीं हो पाता, पशुवत् जीवन जी लेना अलग बात है। पशु को ईश्वरीय सिस्टम चलाती है जिसे कहते हैं-”जाहीं विधि रखे राम, ताहीं विधि रहिए“। लेकिन मनुष्य का सिस्टम ईश्वरीय सिस्टम को पूर्णतः स्वीकार व आत्मसात् करते हुए, मनुष्य द्वारा विकसित सिस्टम से विकास को गति मिलती है। ईश्वरीय सिस्टम से ही लाखो-करोड़ों वर्षो में हम सभी यहाँ तक पहँुचे हैं जो एक धीमी गति की प्रक्रिया है। मनुष्य के सिस्टम और ईश्वरीय सिस्टम दोनों को मिलाकर विकास को गति देने के लिए ही दार्शनिकों, वैज्ञानिकों, अवतारों का आना लगा रहता है चाहे उसे मनुष्य स्वयं समझ ले या भीड़ उसे समझा दे।
मनुष्य के सिस्टम और ईश्वरीय सिस्टम से मिलकर ही यह सिस्टम विकसित की गयी है। जो सामाजिक-आर्थिक प्रणाली और शिक्षा के दायित्व पर आधारित सत्य सामाजिक अभियंत्रण (Real Social
Engineering-RSE) का सर्वोच्च उदाहरण है। विश्व में पहली बार प्रयोग की जा रही इस सिस्टम का नाम-भारतीय आध्यात्म एवं दर्शन आधारित स्वदेशी विपणन प्रणालीः 3-एफ (3-F :
Fuel-Fire-Fuel) है। राष्ट्र निर्माण के लिए विकसित ”विश्वशास्त्र“-द नाॅलेज आॅफ फाइनल नाॅलेज, मन (मानव संसाधन) का विश्वमानक श्रृंखला, पूर्ण मानव निर्माण की तकनीकी इत्यादि की भाँति भारतीय आध्यात्म एवं दर्शन आधारित स्वदेशी विपणन प्रणालीः 3-एफ (3-F :
Fuel-Fire-Fuel) भी एक नया आविष्कार है जो उसी एक आविष्कारक द्वारा आविष्कृत है। जिसका मुख्य उद्देश्य है-”शिक्षा के प्रति अनिच्छुक व्यक्ति को पहले छात्रवृत्ति दो फिर शिक्षा दो“, इसलिए ही कहा गया है-”शिक्षा के लिए धन नहीं, अब धन लाभ के लिए शिक्षा।“
इसलिए प्रेरक, निवासी व अन्य के लिए अवसर क्या हैं यह जानना आवश्यक है शेष लाभ तो अनमोल हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी पाठ्यक्रम का शुल्क रू0 3000/- है तो आर्थिक लाभ वितरण निम्न प्रकार होता है। शुल्क चाहे जो भी हो लाभ वितरण प्रतिशत के अनुसार होता है-
अ.पाठ्यक्रम शुल्क से लाभ-पाठ्यक्रम के लिए प्राप्त शुल्क का वितरण है।
ब.छात्रवृत्ति, सहायता व सामाजिक सहायता से लाभ-प्रत्येक छात्रवृत्ति (रू0 5000/-), प्रत्येक सहायता व प्रत्येक सामाजिक सहायता वितरण प्रक्रिया प्रणाली (3-F :
Fuel-Fire-Fuel) से लाभ है।
नोटः
1. स्वतन्त्र प्रेरक वे हैं जो क्र.स.1 से लेकर 7 तक के पद पर नहीं हैं। जबकि क्र.स.1 से लेकर 7 तक के पद स्वयं स्वतन्त्र प्रेरक भी हैं। क्र.स.1 से लेकर 7 तक के पद यदि अन्य का पंजीकरण करते हैं तो उन्हें स्वतन्त्र प्रेरक का भी लाभ मिलता है। शुल्क संग्रह व वितरण के लिए केवल डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र ही अधिकृत हैं।
2. हमारे प्रणाली में केन्द्र/प्रेरक का लाभ सुनिश्चित रहता है क्योंकि उनका क्षेत्र निर्धारित करने तथा प्रत्येक विद्यार्थी के प्रवेश शुल्क भुगतान से नीचे से ऊपर तक को लाभ वितरण होता है। एल.एम कम्पनीयों में एक व्यक्ति के जुड़ने से सिर्फ कम्पनी, रेफर करने वाले और अपलाइन को लाभ होता है। हमारे (3-F :
Fuel-Fire-Fuel) छात्रवृत्ति वितरण प्रणाली में एक विद्यार्थी के जुड़ने से कम्पनी, स्वयं विद्यार्थी, रेफर करने वाले, पिन कोड डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र, जिला, ब्राण्ड फ्रैन्चाइजी, विश्वशास्त्र मन्दिर, मण्डल प्रेरक तक को लाभ होता है।
परियोजना-पुननिर्माण की संचालन प्रणाली की विशेषताएँ
01. बिना पंजीकरण/लाॅगइन के विभिन्न क्षेत्र स्तर पर कुल पंजीकृत विद्यार्थी और लाभांस प्राप्त कर रहे विद्यार्थी की सूची देख सकते हैं।
02. बिना पंजीकरण/लाॅगइन के पिन कोड स्तर पर कुल पंजीकृत विद्यार्थी और लाभांस प्राप्त कर रहे विद्यार्थी की सूची देख कर परियोजना-पुनर्निर्माण के विभिन्न पदों का अनुमानित लाभ को देख सकते हैं।
03. बिना पंजीकरण/लाॅगइन के परियोजना-पुनर्निर्माण के विभिन्न पदों के लाभ के अनुमान से उस क्षेत्र में परियोजना-पुनर्निर्माण के विभिन्न पद नियुक्त है या नहीं यह देख सकते हैं।
04. बिना पंजीकरण/लाॅगइन के आपके जीवन से सम्बन्धित ज्ञान के विकास के लिए जानकारी का विस्तृत पृष्ठ और हमारे द्वारा योजनाबद्ध परियोजनाओं की जानकारी पढ़ सकते हैं।
05. हमारा विद्यार्थी सार्वभौम पूर्ण ज्ञान से युक्त होकर मानसिक स्वतन्त्रता के मुख्यधारा के मार्ग पर चलते हुये शिक्षित, विचारशील, रचनात्मक और नेतृत्वशील बनेगा।
06. हमारा विद्यार्थी ”सत्य मानक शिक्षा“ का व्यापार करे या ना करे, दोनों स्थिति में छात्रवृत्ति और सहायता को प्राप्त करता रहेगा।
07. हमारा कोई विद्यार्थी, हमारे से जुड़े 1.रेस्टूरेण्ट (Restaurants), 2.चिकित्सक (Doctors), 3.मेडिकल स्टोर (Medical Store), 4.दैनिक प्रयोग के दुकान (FMCG Store), 5.जैविक स्टोर (Organic Store), 6.हमारा विद्यार्थी (Our Student) या किसी भी डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र से आवश्यकता पड़ने पर सप्ताह में 1 बार और अधिकतम रू0 500.00 की नगद राशि या सेवा या वस्तु प्राप्त कर सकता है जो लेने वाले के छात्रवृत्ति से समायोजित हो जाती है।
08. हमारा विद्यार्थी, यदि किसी भी प्रकार का व्यापार या समाजसेवा इत्यादि से है तो वह अपना विज्ञापन देकर अपने जिला क्षेत्र तक आसानी से पहुँच सकता है।
09. हमारा विद्यार्थी, अपने व्यवसाय और स्थान के अनुसार पूरे देश के अन्य विद्यार्थी से सम्पर्क कर सकता है और वर्गीकृत विज्ञापन में सूचीबद्ध हो सकता है।
10. हमारा विद्यार्थी, ब्लाॅग (Blog) के माध्यम से अपने किसी परियोजना (Project), फिल्म स्क्रिप्ट (Film Script), पुरातन, विलक्षण एवं दुर्लभ सूचना (Antique,
Unique & Rare Information), पुस्तक (Book) सामान्य ;ळमदमतंसद्ध को पूरे देश के सामने ला सकता है और लोगों के सम्पर्क में आ सकता है।
11. हमारा विद्यार्थी शारीरिक-आर्थिक-मानसिक स्थिति से स्वतन्त्र होकर पूरे भारत देश में भ्रमण कर सकता है।
परियोजना-पुननिर्माण पद
1.मण्डल प्रेरक (Division Catalyst-Dv.C)
मण्डल प्रेरक कौन हो सकता है?
1. मण्डल प्रेरक की नियुक्ति के लिए प्रेरक के लिए निर्धारित योग्यता होनी चाहिए।
2. मण्डल प्रेरक उसी जिले का एम.बी.ए.डिग्रीधारी व्यक्ति होना चाहिए।
मण्डल प्रेरक के कार्य/जिम्मेदारी-
1. अपने मण्डल क्षेत्र के निवासीयों का प्रवेश पंजीकरण कराना। जिला क्षेत्र से माह में कम से कम 2,000 पंजीकरण स्वयं, स्वतन्त्र प्रवेश प्रेरक, जिला प्रेरक, डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र और ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक के माध्यम से होना चाहिए अन्यथा उनका मण्डल प्रेरक पद निरस्त कर दिया जायेगा।
2. अपने मण्डल क्षेत्र के अन्र्तगत आने वाले प्रत्येक जिला और पिन कोड क्षेत्र में एक जिला प्रेरक और डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र (PAC) की नियुक्ति हेतु आवेदन प्राप्त करना और उसका निर्धारण करना।
3. जिला और पिन कोड क्षेत्र में नियुक्त डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र (PAC) के माध्यम से अपने लक्ष्य को प्राप्त करना।
4. डिजिटल एन.जी.ओ/ट्रस्ट नेटवर्क में जिले के एन.जी.ओ/ट्रस्ट को जोड़ना।
परियोजना-पुननिर्माण पद
2.जिला प्रेरक (District Catalyst-Dt.C)
जिला प्रेरक कौन हो सकता है?
1. जिला प्रेरक की नियुक्ति के लिए प्रेरक के लिए निर्धारित योग्यता होनी चाहिए।
2. जिला प्रेरक उसी जिले का एन.जी.ओ/ट्रस्ट होना चाहिए।
3. डिजिटल एन.जी.ओ/ट्रस्ट नेटवर्क (Digital NGO/Trust
Network) में शामिल होना चाहिए।
जिला प्रेरक के कार्य/जिम्मेदारी-
1. अपने जिला क्षेत्र के निवासीयों का प्रवेश पंजीकरण कराना। जिला क्षेत्र से माह में कम से कम 1000 पंजीकरण स्वयं, स्वतन्त्र प्रवेश प्रेरक, डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र और ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक के माध्यम से होना चाहिए अन्यथा उनका जिला प्रेरक पद निरस्त कर दिया जायेगा।
2. अपने जिला क्षेत्र के अन्र्तगत आने वाले प्रत्येक पिन कोड क्षेत्र में एक डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र (PAC) की नियुक्ति हेतु आवेदन प्राप्त करना और उसका निर्धारण करना।
3. पिन कोड क्षेत्र में नियुक्त डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र (PAC) के माध्यम से अपने लक्ष्य को प्राप्त करना।
4. डिजिटल एन.जी.ओ/ट्रस्ट नेटवर्क में अपने जिले के एन.जी.ओ/ट्रस्ट को जोड़ना।
परियोजना-पुननिर्माण पद
3.”विश्वशास्त्र“ मन्दिर (Vishwshastra Temple-V.T)
”विश्वशास्त्र“ मन्दिर कौन हो सकता है?
1. ”विश्वशास्त्र“ मन्दिर की नियुक्ति के लिए प्रेरक के लिए निर्धारित योग्यता होनी चाहिए।
2. ”विश्वशास्त्र“ मन्दिर उसी जिले का जन्म आधारित ब्राह्मण होना चाहिए।
”विश्वशास्त्र“ मन्दिर के कार्य/जिम्मेदारी-
1. अपने जिला क्षेत्र के निवासीयों का प्रवेश पंजीकरण कराना।
2. परियोजना पुनर्निर्माण द्वारा प्रेषित विज्ञापन सामग्री का वितरण करना और ”विश्वशास्त्र“ मन्दिर का प्रबन्ध व संचालन करना।
परियोजना-पुननिर्माण पद
4.ब्राण्ड फ्रैन्चाइजी (Brand Franchisee-B.F)
ब्राण्ड फ्रैन्चाइजी कौन हो सकता है?
1. ब्राण्ड फ्रैन्चाइजी की नियुक्ति के लिए प्रेरक के लिए निर्धारित योग्यता होनी चाहिए।
2. ब्राण्ड फ्रैन्चाइजी उसी जिले का व्यापारी होना चाहिए।
ब्राण्ड फ्रैन्चाइजी के कार्य/जिम्मेदारी-
1. अपने जिला क्षेत्र के निवासीयों का प्रवेश पंजीकरण कराना।
2. अपने जिला क्षेत्र परियोजना पुनर्निर्माण के उत्पाद (ब्राण्ड) का पारम्परिक विधि से व्यापार करना। जिसका उत्पादन वे स्वयं भी कर सकते हैं या दूसरे जिले के ब्राण्ड फ्रैन्चाइजी के साथ मिलकर उत्पादन/खरीद सकते हैं।
3. ब्राण्ड फ्रैन्चाइजी का यह स्वतन्त्र व्यापार है
परियोजना-पुननिर्माण पद
5.डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र
(Postal area Admission Center-PAC)
डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र के कार्य/जिम्मेदारी-
1. अपने डाक क्षेत्र के निवासीयों का प्रवेश पंजीकरण कराना। डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र क्षेत्र से माह में कम से कम 50 पंजीकरण स्वयं और नगर वार्ड/ग्राम प्रवेश प्रेरक के माध्यम से होना चाहिए अन्यथा उनका केन्द्र निरस्त कर दिया जायेगा।
2. अपने डाक क्षेत्र के अन्र्तगत आने वाले प्रत्येक नगर वार्ड/ग्राम में एक नगर वार्ड/ग्राम प्रवेश प्रेरक की नियुक्ति करना। जिससे डिजिटल विलेज नेटवर्क और डिजिटल सिटी वार्ड नेटवर्क में उन्हें शामिल किया जा सके।
3. अपने डाक क्षेत्र के विकलांग, विधुर (60 वर्ष से कम), वरिष्ठ नागरिक (60 वर्ष से अधिक), अनाथ (14 वर्ष या इससे कम उम्र के बच्चे जिनके माता-पिता नहीं है) और नवजात शिशु (बच्चे के जन्म होने पर नाम के स्थान पर NEWBORN लिख कर) प्रमाण के साथ नगर वार्ड/ग्राम प्रवेश प्रेरक के माध्यम से पंजीकरण कराना।
4. शुल्क, छात्रवृत्ति, सामाजिक सहायता, पाठ्य सामग्री इत्यादि के आदान-प्रदान में छात्र व नगर वार्ड/ग्राम प्रवेश प्रेरक की सहायता करना।
5. अपने डाक क्षेत्र से सम्बन्धित छात्र को सूचना या शुल्क, छात्रवृत्ति, सामाजिक सहायता, पाठ्य सामग्री इत्यादि को पहुँचाना।
6. शुल्क संग्रह, वापसी इत्यादि के आदान-प्रदान में वेबसाइट के माध्यम से कम्पनी और विद्यार्थी के बीच का माध्यम बनना।
7. प्रत्येक डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र देश के किसी भी क्षेत्र के विद्यार्थी का प्रवेश, शुल्क आदान-प्रदान, छात्रवृत्ति का अंश आदान-प्रदान करने के लिए अधिकृत है।
डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र के लिए अन्य लाभ व मार्गदर्शन-
1. डाक क्षेत्र प्रवेश केन्द्र को अलग से प्रोत्साहन (Incentive) राशि दी जाती है जो उन्हें वित्तीय वर्ष के उपरान्त भुगतान होता है।
2. डाक क्षेत्र प्रवश केन्द्र द्वारा माह में एक बार निर्धारित कार्यक्रमानुसार निर्धारित तिथि को कम्पनी को संग्रहित शुल्क का भुगतान करना आवश्यक है। जो पाँच कार्य दिवस के अन्दर कम्पनी को प्राप्त हो जाने चाहिए क्योंकि 6वें दिन से संग्रहित शुल्क पर 2 प्रतिशत प्रतिदिन का बिलम्ब शुल्क निर्धारित है और यह प्रोत्साहन (Incentive) राशि से घटा दी जाती है। 15 दिनों तक संग्रहित शुल्क न पहुँचने पर केन्द्र निरस्त कर दिया जाता है।
3. प्रोत्साहन (Incentive) राशि डाक क्षेत्र प्रवश केन्द्र अपने लाॅगइन क्षेत्र से देख सकता है।
परियोजना-पुननिर्माण पद
6.ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक
(Village/City ward Catalyst-V.C)
ग्राम /नगर प्रेरक कौन हो सकता है?
1. ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक की नियुक्ति के लिए ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक के लिए निर्धारित योग्यता होनी चाहिए।
2. ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक उसी ग्राम/नगर वार्ड का निवासी होना चाहिए।
3. ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक की अधिकतम समय ग्राम/नगर वार्ड में ही व्यतित होना चाहिए।
4. ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक वर्तमान ग्राम प्रधान/सभासद, असफल ग्राम प्रधान/सभासद प्रत्याशी या अन्य कोई निवासी जो बेरोजगार हो और योग्यता रखता हो।
5. डिजिटल ग्राम नेटवर्क (Digital Village
Network) या डिजिटल नगर वार्ड नेटवर्क (Digital City Ward
Network) में शामिल होना चाहिए।
ग्राम /नगर वार्ड प्रेरक का कार्य
1. अपने ग्राम/नगर वार्ड का वेबसाइट सम्भालना।
2. अपने ग्राम/नगर वार्ड क्षेत्र में ट्रस्टों द्वारा प्रायोजित सामाजिक सहायता (वृद्ध, विकलांग, विधुर, नवजात व अनाथ) दिलाने के लिए शत-प्रतिशत फार्म भरवाना।
3. अपने ग्राम/नगर वार्ड क्षेत्र में नीजी कम्पनीें द्वारा प्रायोजित ”सत्य मानक शिक्षा“ में प्रवेश व छात्रवृत्ति दिलाने के लिए शत-प्रतिशत फार्म भरवाना।
4. अपने ग्राम/नगर वार्ड क्षेत्र में नीजी कम्पनी द्वारा प्रायोजित ”सत्य मानक शिक्षा“ में प्रवेश के बदले सहायता (स्वास्थ्य, घरेलू पुस्तकालय, पर्यटन, शिक्षा) दिलाने के लिए शत-प्रतिशत फार्म भरवाना।
5. अपने ग्राम/नगर वार्ड क्षेत्र में मल्टी नेशनल कम्पनीें द्वारा प्रायोजित ”रायल्टी“ दिलाने के लिए शत-प्रतिशत फार्म भरवाना।
6. अपने ग्राम/नगर वार्ड क्षेत्र पर सदैव दृष्टि रखना और यह लक्ष्य रखना कि किसी भी निवासी का मासिक आय कम से कम रू0 10 हजार प्रति माह न रहे।
7. अपने ग्राम/नगर वार्ड क्षेत्र पर परियोजना सर्वेक्षण के अन्तर्गत सदैव दृष्टि रखना और यह देखना कि कोई गम्भीर बिमारी/असाध्य बिमारी से पीड़ित तो नहीं है। ऐसा मिलने पर तुरन्त सूचना देना।
ग्राम /नगर प्रेरक की नियुक्ति की प्रक्रिया।
1. ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक की नियुक्ति के लिए ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक के लिए निर्धारित योग्यता होनी चाहिए।
2. ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक को वेबसाइट विकास का खर्च प्रथम वर्ष में रू0 2 हजार का निवेश करने की क्षमता होनी चाहिए, उसके बाद प्रत्येक वर्ष नवीनीकरण खर्च रू0 1,000/- है। ग्राम/नगर वार्ड पोर्टल (वेबसाइट-ग्राम/वार्ड के नाम से) एक माह के अन्दर ही बन कर प्रारम्भ हो जाता है। ग्राम/नगर वार्ड पोर्टल (वेबसाइट-ग्राम/वार्ड के नाम से) एक शारीरिक-आर्थिक-मानसिक विकास के साथ व्यापारिक (ई-कामर्स) लाभ/आय देने वाली वेबसाइट है। वेबसाइट के लिए रू0 2,000/- निवेश की प्रक्रिया निम्न प्रकार है -
अ. प्रथम किस्त-25 प्रतिशत-रू0 500/-
ब. द्वितीय किस्त-50 प्रतिशत-रू0 1,000/-
स. तृतीय और अन्तिम किस्त-25 प्रतिशत-रू0 500/-
प्रथम किस्त देय है। शेष किस्त एक माह के अन्दर भुगतान करना होता है। ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक नियुक्त होने के बाद परियोजना पुनर्निर्माण की कुल 25 विवरणिका (36 पृष्ठ, ए.4 साइज) और डिजिटल ग्राम/नगर वार्ड नेटवर्क की कुल 100 विवरणिका (36 पृष्ठ, ए.8 साइज) ग्राम/नगर के बुद्धिजिवी व्यक्तियों में शुल्क मुक्त रूप से वितरण के लिए दी जाती है जिससे ग्राम/नगर के बौद्धिक वर्ग यह जान सके कि निवासीयों को राष्ट्र निर्माण के मुख्यधारा में लाने की प्रक्रिया क्या है। यह विवरणिका ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक को खरीदना पड़ता है। विवरणिका के लिए खर्च की गई राशि ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक द्वारा सफलता पूर्वक कार्य करने पर बाद में कम्पनी द्वारा भुगतान कर दी जाती है।
ग्राम/नगर वार्ड प्रेरक के लिए विस्तृत मार्गदर्शन डिजिटल ग्राम/नगर वार्ड नेटवर्क की विवरणिका में उपलब्ध है।
परियोजना-पुननिर्माण पद
7.स्वतन्त्र प्रेरक (Freelance Catalyst-F.C)
एक बार पाठ्यक्रम खरीदने वाला व्यक्ति/संस्था हमारे लिए स्वतः ही स्वतन्त्र प्रवेश प्रेरक भी बन जाता है। स्वतन्त्र प्रवेश प्रेरक यदि व्यापार करना चाहता है तो वह पूरे भारत देश में कहीं से भी दूसरे विद्यार्थी को पंजीकृत करवा सकता है। यह पंजीकृत नया विद्यार्थी, जीवन में जब भी पाठ्यक्रम का शुल्क जमा करता है तब स्वतन्त्र प्रवेश प्रेरक को नियमानुसार अतिरिक्त लाभ प्राप्त होता है। स्वतन्त्र प्रवेश प्रेरक द्वारा पंजीकृत विद्यार्थी, जब भी छात्रवृत्ति प्राप्त करता है तब भी स्वतन्त्र प्रवेश प्रेरक को नियमानुसार अतिरिक्त लाभ प्राप्त होता है। यह क्रम स्वतन्त्र प्रवेश प्रेरक द्वारा पंजीकृत प्रत्येक विद्यार्थी के साथ चलता रहता है।
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