Friday, April 10, 2020

आधुनिक जीवन में सर्वेक्षण का प्रयोग व उपयोगिता

आधुनिक जीवन में सर्वेक्षण का प्रयोग व उपयोगिता

मानव सभ्यता के विकास के साथ जनसंख्या में भी बढ़ोत्तरी होती गई। हम सभी परिवार, कुनबे-कबीले से होते हुये गाॅव, राज्य, जिला, प्रदेश, देश और अब विश्व-राष्ट्र तक आ गये हैं। ये स्तर मानव के सामूहिक सोच के क्षेत्र हैं। प्रत्येक सोच-क्षेत्र की अपनी आवश्यकता और व्यवस्था संचालन है। छोटे स्तर पर व्यक्ति का व्यक्ति से सम्पर्क होता है इसलिए वहाँ सर्वेक्षण की बहुत आवश्यकता नहीं पड़ती क्योंकि वहाँ सम्पर्क के द्वारा ही राय-मत-विचार के आॅकड़े मिल जाते हैं। सोच के बड़े क्षेत्र में व्यवस्था संचालन के लिए योजना बनानी पड़ती है। ये योजनाएँ वर्तमान के लिए तथा साथ ही साथ भविष्य की आवश्यकतानुसार भी होती हैं। 
वर्तमान तथा भविष्य की आवश्यकतानुसार योजना बनाने के लिए उस क्षेत्र के स्तर के आॅकड़ों की आवश्यकता होती है। ये आॅकड़ें उस विषय क्षेत्र के लिए होते हैं जिस क्षेत्र के लिए वर्तमान तथा भविष्य की आवश्यकतानुसार योजना बनानी होती है।
आधुनिक जीवन में सर्वेक्षण के बिना कोई योजना बनानी मुश्किल है क्योंकि हम सभी इतने विशाल जनसंख्या की ओर बढ़ते जा रहें कि उनकी व्यवस्था के लिए बिना सर्वेक्षण से प्राप्त आॅकड़ों के बिना व्यवस्था सम्भालना असम्भव है। वर्तमान समय में सर्वेक्षण और आॅकड़ा हमारे जीवन का अंग है और व्यष्टि रूप से जिससे हम सभी संचालित हैं वह अब व्यक्त होकर समष्टि रूप से संचालित हो रहे हैं। जीवन के हर क्षेत्र में सर्वेक्षण का प्रयोग व उपयोगिता प्रवेश कर चुकी है।
वर्तमान आधुनिक जीवन की अधिकतम योजनाएँ वैश्विक दृष्टि से अर्थात् अपने मन को इस पृथ्वी से बाहर स्थित कर सम्पूर्ण पृथ्वी के लिए सर्वेक्षण कर योजनाएँ, कानून-नियम इत्यादि बन रहें हैं। जिस प्रकार व्यक्ति स्वयं और परिवार के लिए वर्तमान और भविष्य के लिए योजना संकलित आॅकड़े के आधार पर बनाता है उसी प्रकार वैश्विक नेतृत्व पूरे पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्य, जीवन, पर्यावरण और पृथ्वी की सुरक्षा के लिए योजना बनाते है और यह सर्वेक्षण और संकलित आॅकड़ों के बिना असम्भव है। 
जिस प्रकार नदी में जल का सतत प्रवाह होता रहता है उसका उपयोग सिंचाईं में हो सकता है। परन्तु बाँध बनाकर जल का उपयोग करने से बिजली भी बनायी जा सकती है। उसी प्रकार मानव समाज में आॅकड़ो ;डाटाद्ध का सदैव प्रवाह हो रहा है उसे अपने मस्तिष्क में रोककर इकट्ठा करने से ही उसका विश्लेषण हो सकता है। जितने अधिक आॅकड़ों से विश्लेषण होगा परिणाम उतना ही सटीक होगा। यही बुद्धि है। कम्प्यूटर में भी यदि आॅकड़े कम होंगे तो विश्लेषण भी कम ही प्राप्त किये जा सकते हैं। जितने बड़े क्षेत्र के लिए कार्य करना हो उतने बड़े क्षेत्र से सम्बन्धित आॅकड़े जुटाये जाते हैं। यही बुद्धि है। कोई भी कार्य सिर्फ एक कारण से नहीं होता। अधिक से अधिक कारणों को जानना, कर्म की सटीक व्याख्या है।
इस प्रकार हमारा संचालक इच्छा नहीं बल्कि आॅकड़े हैं और मन से किसी वस्तु को देखना सत्य नहीं है बल्कि आॅकड़ों की दृष्टि से देखना सत्य है। पृथ्वी के बाहर अपने मन को स्थित कर सम्पूर्ण पृथ्वी के कल्याण के लिए क्रियाकलापों का सर्वेक्षण और आॅकड़ो के प्रमाण के फलस्वरूप ही श्री लव कुश सिंह ”विश्वमानव“ और उनका यह शास्त्र ”विश्वशास्त्र“ व्यक्त हुआ है। इसलिए मनुष्य जीवन में सर्वेक्षण और आॅकड़ो का बहुत महत्व है। भविष्य के बौद्धिक मनुष्य का यही अस्त्र है।



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