Wednesday, April 8, 2020

डब्ल्यू.एस. (WS-0) : शून्य-विचार एवम् साहित्य का विश्वमानक

डब्ल्यू.एस. (WS-0) : शून्य-विचार एवम् साहित्य का विश्वमानक
(WS-0 : World Standard of Thoughts & Literature)

आध्यात्मिक आधार 
1. चाहे हम उसे वेदान्त कहें या किसी और नाम से पुकारें, परन्तु सत्य तो यह है कि धर्म और विचार में अद्वैत ही अन्तिम शब्द है, और केवल उसी के दृष्टिकोण से सब धर्मो और सम्प्रदायों को प्रेम से देखा जा सकता है। हमें विश्वास है कि भविष्य के प्रबुद्ध मानवी समाज का यही धर्म होगा।

-स्वामी विवेकानन्द (जितने मन उतने पथ, पृष्ठ-52)
2. ऋग्वेद, ज्ञान आधारित है। सामवेद, ज्ञान और गायन आधारित है। यजुर्वेद, ज्ञान तथा प्रकृति एवम् मानव के सन्तुलन के लिए अदृश्य व्यक्तिगत प्रमाणित कर्म अर्थात्् अदृश्य यज्ञ आधारित है। अथर्ववेद, ज्ञान तथा औषधि आधारित है। अगला वेद जब भी होगा वह ज्ञान तथा प्रकृति एवम् मानव के सन्तुलन के लिए दृश्य सार्वजनिक प्रमाणित कर्म अर्थात् दृश्य यज्ञ आधारित होगा क्योंकि इसके अलावा और कोई मार्ग नहीं है। -लव कुश सिंह ”विश्वमानव“

3. मानव एवम् प्रकृति के प्रति निष्पक्ष, सन्तुलित एवम् कल्याणार्थ कर्मज्ञान के साहित्य से बढ़कर आम आदमी से जुड़ा कोई भी साहित्य कभी आविष्कृत नहीं किया जा सकता। यही एक विषय है जिससे एकता, पूर्णता एवम् रचनात्मकता एकात्मभाव से लायी जा सकती है। संस्कृति से राज्य नहीं चलता। कर्म से राज्य चलता है। संस्कृति तभी तक एकात्म बनी रहती है जब तक पेट में अन्न हो, व्यवस्थाएँ सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त युक्त हो, दृष्टि पूर्ण मानव के निर्माण पर केन्द्रीत हो। संस्कृति कभी एकात्म नहीं हो सकती लेकिन रचनात्मक दृष्टिकोण एकात्म होता है जो कालानुसार कर्मज्ञान और कर्म है। अदृश्य काल में अनेकात्म और दृश्यकाल में एकात्म कर्मज्ञान होता है। और यही कर्म आधारित भारतीय संस्कृति है जो सभी संस्कृतियों का मूल है। -लव कुश सिंह ”विश्वमानव“

इस प्रकार विचार में ”अद्वैत अर्थात् एकत्व“ का विचार एवम् साहित्य में ”कर्मवेद-प्रथम, अन्तिम तथा पंचमवेद श्रंृखला अर्थात् WS-0 : मन की गुणवत्ता का विश्व मानक श्रृंखला“ शास्त्र-साहित्य क्रमश-विचार एवम् साहित्य का विश्व मानक है।





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