राजीव गाँधी (20, अगस्त, 1944 - 21 मई, 1991)
परिचय -
राजीव गाँधी का जन्म 20, अगस्त, 1944 को हुआ था। वे श्रीमती इन्दिरा गाँधी के पुत्र और जवाहरलाल नेहरू के पौत्र थे। राजीव का विवाह एन्टोनिया मैनो से हुआ जो उस समय इटली की नागरिक थीं। विवाहोपरान्त उनकी पत्नी ने नाम बदलकर सोनिया गाँधी कर लिया। कहा जाता है कि राजीव गाँधी से मुलाकात तब हुई जब राजीव कैम्ब्रिज में पढ़ने गये थे। उनकी शादी 1968 ई. में हुई जिसके बाद वे भारत में रहने लगी। राजीव व सोनिया के दो बच्चे हैं- पुत्र राहुल गाँधी (जन्म 19 जून, 1970) और पुत्री प्रियंका गाँधी (जन्म 12 जनवरी, 1972) जिनका विवाह राबर्ट वड्रा से हुआ है। राजीव गाँधी की राजनीति में कोई रूचि नहीं थी और वो एक एयरलाइन पायलट की नौकरी करते थे। आपातकाल के उपरान्त जब इन्दिरा गाँधी को सत्ता छोड़नी पड़ी थी, तब कुछ समय के लिए राजीव परिवार के साथ विदेश में रहने चले गये थे। परन्तु 1980 ई. में अपने छोटे भाई संजय गाँधी की एक हवाई जहाज दुर्घटना में असामयिक मृत्यु के बाद माता इन्दिरा को सहयोग देने के लिए सन् 1982 में राजीव गाँधी ने राजनीति में प्रवेश लिया, वो अमेठी उ0प्र0 से लोकसभा का चुनाव जीत कर सांसद बने। 31 अक्टुबर, 1984 ई. को सिख आतंकवादीयों द्वारा प्रधानमंत्रीं इन्दिरा गाँधी का हत्या किये जाने के बाद उनके पुत्र राजीव गाँधी प्रधानमंत्री बनें। और अगले चुनावों में भारी बहुमत के साथ भारत के 9वें प्रधानमंत्री बने थे। उनके प्रधानमंत्रीत्व काल में भारतीय सेना द्वारा बोफोर्स तोप की खरीददारी में लिये गये किकबैक (कमीशन या घूस) का मुद्दा उछला, जिसका मुख्य पात्र इटली का एक नागरिक ओटावियो क्वात्रोची था, जो कि सोनिया गाँधी का मित्र था। उसके बाद 1989 ई. के आम चुनावों में कांग्रेस की हार हुई और पार्टी 2 वर्ष तक विपक्ष में रही। अगले चुनावों में कांग्रेस के जीतने और राजीव गाँधी के पुनः प्रधानमंत्री बनने की पूरी सम्भावना थी, परन्तु 21 मई, 1991 ई. को तमिल आतंकवादीयों ने राजीव गाँधी की एक बम विस्फोट में हत्या कर दी।
”यह समय की माँग है कि जीवन के सभी क्षेत्रों में गुणता के प्रति राष्ट्रीय प्रतिबद्धता हो। हमारी संतुष्टि किसी भी प्रकार के उत्पादन से नहीं अपितु हमारे द्वारा उत्पादित उत्कृष्ट वस्तुओं और दी जाने वाली उत्कृष्ट सेवाओं से हो।“
- श्री राजीव गाँधी
(भारतीय मानक ब्यूरो त्रैमासिकी- ”मानक दूत“, वर्ष-20, अंक- 1-2, 2000 से साभार)
श्री लव कुश सिंह ”विश्वमानव“ द्वारा स्पष्टीकरण
दो या दो से अधिक माध्यमों से उत्पादित एक ही उत्पाद के गुणता के मापांकन के लिए मानक ही एक मात्र उपाय है। सतत् विकास के क्रम में मानकों का निर्धारण अति आवश्यक कार्य है। उत्पादों के मानक के अलावा सबसे जरुरी यह है कि मानव संसाधन की गुणता का मानक निर्धारित हो क्योंकि राष्ट्र के आधुनिकीकरण के लिए प्रत्येक व्यक्ति के मन को भी आधुनिक अर्थात् वैश्विक-ब्रह्माण्डीय करना पड़ेगा। तभी मनुष्यता के पूर्ण उपयोग के साथ मनुष्य द्वारा मनुष्य के सही उपयोग का मार्ग प्रशस्त होगा। उत्कृष्ट उत्पादों के लक्ष्य के साथ हमारा लक्ष्य उत्कृष्ट मनुष्य के उत्पादन से भी होना चाहिए जिससे हम लगातार विकास के विरुद्ध नकारात्मक मनुष्योें की संख्या कम कर सकें। भूमण्डलीकरण सिर्फ आर्थिक क्षेत्र में कर देने से समस्या हल नहीं होती क्योंकि यदि मनुष्य के मन का भूमण्डलीकरण हम नहीं करते तो इसके लाभों को हम नहीं समझ सकते। आर्थिक संसाधनों में सबसे बड़ा संसाधन मनुष्य ही है। मनुष्य का भूमण्डलीकरण तभी हो सकता है जब मन के विश्व मानक का निर्धारण हो। ऐसा होने पर हम सभी को मनुष्यों की गुणता के मापांकन का पैमाना प्राप्त कर लेगें, साथ ही स्वयं व्यक्ति भी अपना मापांकन भी कर सकेगा। जो विश्व मानव समाज के लिए सर्वाधिक महत्व का विषय होगा। विश्व मानक शून्य श्रृंखला मन का विश्व मानक है जिसका निर्धारण व प्रकाशन हो चुका है जो यह निश्चित करता है कि समाज इस स्तर का हो चुका है या इस स्तर का होना चाहिए। यदि यह सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त आधारित होगा तो निश्चित ही अन्तिम मानक होगा।
मानव एवम् संयुक्त मानव (संगठन, संस्था, ससंद, सरकार इत्यादि) द्वारा उत्पादित उत्पादों का धीरे-धीरे वैश्विक स्तर पर मानकीकरण हो रहा है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र संघ को प्रबन्ध और क्रियाकलाप का वैश्विक स्तर पर मानकीकरण करना चाहिए। जिस प्रकार औद्योगिक क्षेत्र अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (International Standardisation Organisation-ISO) द्वारा संयुक्त मन (उद्योग, संस्थान, उत्पाद इत्यादि) को उत्पाद, संस्था, पर्यावरण की गुणवत्ता के लिए ISO प्रमाणपत्र जैसे- ISO-9000 श्रंृखला इत्यादि प्रदान किये जाते है उसी प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ को नये अभिकरण विश्व मानकीकरण संगठन (World Standardisation Organisation-WSO) बनाकर या अन्र्तराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन को अपने अधीन लेकर ISO/WSO-0 का प्रमाण पत्र योग्य व्यक्ति और संस्था को देना चाहिए जो गुणवत्ता मानक के अनुरूप हों। भारत को यही कार्य भारतीय मानक व्यूरो (Bureau of Indiand Standard-BIS) के द्वारा IS-0 श्रंृखला द्वारा करना चाहिए। भारत को यह कार्य राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली (National Education System-NES) व विश्व को यह कार्य विश्व शिक्षा प्रणाली (World Education System-WES) द्वारा करना चाहिए। जब तक यह शिक्षा प्रणाली भारत तथा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जनसाधारण को उपलब्ध नहीं हो जाती तब तक यह ”पुनर्निर्माण“ द्वारा उपलब्ध करायी जा रही है।
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