आर.वेंकटरामन (4 दिसम्बर, 1910 - 27 जनवरी, 2009)
परिचय -
रामस्वामी वेंकटरमण का जन्म 4 दिसम्बर, 1910 को तमिलनाडु में तंजौर के निकट पट्टुकोट्टय में हुआ था। उनकी ज्यादातर शिक्षा-दीक्षा राजधानी चेन्नई (तत्कालीन मद्रास) में ही हुई। उन्होंने अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर उपाधि मद्रास विश्वविद्यालय से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने मद्रास के ही लाॅ काॅलेज से कानून की पढ़ाई की। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय में सन् 1935 से वकालत शुरू की और 1951 से उन्होंने उच्चतम न्यायालय में वकालत शुरू की। वकालत के दौरान ही उन्होंने देश के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया और 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। स्वतन्त्रता के बाद वकालत में उनकी श्रेष्ठता को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें देश के श्रेष्ठ वकीलों की टीम में स्थान दिया। 1947 से 1950 तक ये मद्रास प्रान्त की बार फेडरेशन के सचिव पद पर रहे। कानून की जानकारी और छात्र राजनीति में सक्रिय होने के कारण वे जल्द ही राजनीति में आ गये। सन् 1950 में उन्हें आजाद भारत की अस्थायी संसद के लिए चुना गया। उसके बाद 1952 से 1957 तक वे देश की पहली संसद के सदस्य रहे। वे सन् 1953 से 1954 तक कांग्रेस पार्टी में सचिव पद पर भी रहे। 1957 में संसद के लिए चुने जाने के बावजूद रामस्वामी वेंकटरमन ने लोकसभा सीट से इस्तीफा देकर मद्रास सरकार में एक मंत्री पद भार ग्रहण किया। इस दौरान उन्होंने उद्योगों, समाज, यातायात, अर्थव्यवस्था व जनता की भलाई के लिए कई विकासपूर्ण कार्य किये। 1967 में उन्हें योजना आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया और उन्हें उद्योग, यातायात व रेलवे जैसे प्रमुख विभागों का उत्तरदायित्व सौंपा गया। 1977 में दक्षिण मद्रास की सीट से उन्हें लोकसभा का सदस्य चुना गया। जिसमें उन्होंने विपक्षी नेता की भूमिका निभाई। 1980 में वे लोकसभा का सदस्य चुने जाने के बाद इन्दिरा गाँधी सरकार में उन्हें वित्त मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया और उसके बाद उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया। उन्होंने पश्चिमी और पूर्वी यूरोप के साथ ही सोवियत यूनियन, अमेरिका, कनाडा, दक्षिण-पश्चिम एशिया, जापान, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, यूगोस्लाविया और माॅरीशस की आधिकारिक यात्राएँ कीं। वे अगस्त 1984 में देश के उप राष्ट्रपति बने। इसके साथ ही वे राज्यसभा के अध्यक्ष भी रहे। इस दौरान वे इन्दिरा गाँधी शान्ति पुरस्कार व जवाहरलाल नेहरू अवार्ड फाॅर इन्टरनेशनल अण्डरस्टैण्डिग के निर्णायक पीठ के अध्यक्ष रहे। उन्होंने 25 जुलाई 1987 को देश के 8वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उनका कार्यकाल 1987 से 1992 तक रहा। राष्ट्रपति पद पर आसीन होने से पूर्व वंेकटरमन 4 वर्ष देश के उपराष्ट्रपति भी रहे। 98 वर्ष की अवस्था में मंगलवार, 27 जनवरी, 2009 को लम्बी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया।
‘‘ भारत के लिए फ्रांस की राष्ट्रपति प्रणाली ज्यादा उपयुक्त’’
- श्री आर0 वेंकटरामन,
साभार - दैनिक जागरण, वाराणसी, दि0-13-7-98
लव कुश सिंह ”विश्वमानव“ द्वारा स्पष्टीकरण
‘‘लोकतन्त्र विचारों को बद्ध कर सार्वजनिक सत्य को उपर करने का तन्त्र है जो विश्व व्यवस्था का अन्तिम सफल तन्त्र है। प्रणाली कोई भी हो जब तक समष्टि मन (विश्वमन या संयुक्तमन या लोकतन्त्र मन) के सभी तन्त्रों को विवादमुक्त करके शिक्षा द्वारा व्यक्ति में स्थापित नहीं किया जाता, तब तक न ही स्वस्थ समाज, स्वस्थ उद्योग और स्वस्थ लोकतन्त्र की प्राप्ति हो सकती है, न ही कोई भी प्रणाली सफल हो सकती है। प्रणाली कोई भी हो, वर्तमान की कार्यप्रणाली-कार्य के उपरान्त ज्ञान प्राप्त करने पर आधारित है, इसलिए यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक विकास का कार्य विकास की ओर ही जाता हो, वह विनाश की ओर भी जा सकता है। इसलिए यह आवश्यक है कि नैतिक उत्थान, आत्मनिर्भरता, नेतृत्व क्षमता, प्रबन्धकीय क्षमता इत्यादि गुणों पर आधारित कार्यप्रणाली - ज्ञान के उपरान्त कार्य करने पर आधारित को स्थापित किया जाये जिससे प्रणाली और नेतृत्व कत्र्ता चाहे जैसे भी क्यों न हों, विकास को सतत विकास की ओर तथा भविष्य के नेतृत्वकत्र्ताओं को नैतिकता युक्त बनाया जा सके। इसके लिए आवश्यक है कि विकास दर्शन या विश्व व्यवस्था का न्यूनतम एवम् अधिकतम साझा कार्यक्रम या क्रियाकलपों का विश्वमानक या विश्वमानक-शून्य श्रंृखला: मन की गुणवत्ता का विश्वमानक की स्थापना भारत तथा विश्व में हों।’’
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