Monday, March 16, 2020

मानकीकरण संगठन और औद्योगिक जगत को आह्वान

मानकीकरण संगठन और औद्योगिक जगत को आह्वान

मानव प्राकृतिक आदान-प्रदान का ज्ञान प्राप्त कर, धारण करते हुये धीरे-धीरे प्रकृति के पद पर स्वयं बैठने की ओर है। स्वयं प्रकृति, विश्व स्तर का मन धारण कर ही क्रियाकलाप करते हुये अपने उत्पादों को विश्व गुणवत्ता युक्त निर्माण कर रही है। मानव इस क्रम में अपने क्रियाकलापों को विश्व गुणवत्ता युक्त करने की ओर है। जिसमे स्वयं मानव द्वारा उत्पादित उत्पादो की गुणवत्ता (भारतीय मानक और अन्तर्राष्ट्रीय मानक की श्रृंखलाएँ), गुणवत्ता का मानक (भारतीय मानक तथा अन्तर्राष्ट्रीय मानक आई.एस.ओ.-9000 श्रंृखला) तथा पर्यावरण की गुणवत्ता (अन्तर्राष्ट्रीय मानक आई.एस.ओ.-14000 श्रृंखला) द्वारा मानकीकरण कर चुका है। परन्तु अभी प्रकृति की भाँति स्वयं मानव अन्तर्राष्ट्रीय/विश्व गुणवत्ता युक्त नहीं हो सका है। मानव संसाधन को अन्तर्राष्ट्रीय/विश्व गुणवत्ता युक्त होने के लिए ही विश्वमानक शून्य: मन की गुणवत्ता का विश्वमानक श्रृंखला को आविष्कृत किया गया है। सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त जिससे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड संचालित है इस पर आधारित व्यवस्था ही सत्य आधारित कही जाती है। जब तक इस पर आधारित व्यवस्था नहीं होती तब तक हम किसी भी व्यवस्था को सत्य आधारित नहीं कह सकते। विश्वमानक शून्य: मन की गुणवत्ता का विश्वमानक श्रृंखला से औद्योगिक क्षेत्र को यह लाभ है कि वे अपने मानव संसाधन को विश्व स्तर का कर सकने में सक्षम होगें जिससे उन्हंे अपने मानव संसाधन मंे सूक्ष्म दृष्टि उत्पन्न करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामस्वरूप प्रबन्धकीय, सुरक्षा, गुणवत्ता, विश्लेशण, योजना और क्रियान्वयन इत्यादि गुण सामान्य रूप से स्वप्रेरित हो स्वतः ही मानव संसाधन मंे उत्पन्न हो जायेगें चंूकि विश्वमानक शून्य: मन की गुणवत्ता का विश्वमानक श्रृंखला मंे कर्मज्ञान और प्रबंध का अन्तर्राष्ट्रीय/विश्व मानक भी समाहित है इसलिए क्रमशः उत्पादांे का विवशतावश नहीं बल्कि स्वेच्छा से उपयोगिता सहित माँग आदान-प्रदान बढ़ने से सतत बढ़ता रहेगा। अन्तर्राष्ट्रीय/विश्व स्तर के प्रबंध से उद्योगों की सफलता तथा समाज निर्माण का श्रेय भी प्राप्त होता रहेगा। जो औद्योगिक जगत के दूरगामी प्रभावों का हल भी है। 
चंूकि मानव समाज वैश्वीकरण की ओर आवश्यकता व विवशतावश बढ़ चुका है। इसलिए मानव संसाधन का अन्तर्राष्ट्रीय/विश्व मानकीकरण विश्व शान्ति, एकता, स्थिरता, विकास, सुरक्षा इत्यादि की दृष्टि से विश्व संगठनों, संयुक्त राष्ट्र संघ इत्यादि के लिए अति आवश्यक भी है। वहीं औद्योगिक जगत वैश्विक समाज निर्माण में पूर्ण भागीदारी के कार्य से औद्योगिक जगत को इसका श्रेय भी प्राप्त होगा। इस प्रकार आई.एस.ओ.-9000 श्रंृखला तथा आई.एस.ओ. 14000 श्रंृखला की भँाति विश्वमानक शून्य: मन की गुणवत्ता का विश्वमानक श्रृंखला का अन्तर्राष्ट्रीय/विश्व स्तर पर सार्वाधिक महत्व है। 
विश्व व्यापार संगठन के गठन के उपरान्त मानकीकरण की महत्ता जिस प्रकार बढ़ी है उसके अनुसार मानकीकरण का भविष्य ही समाज को भी नियंत्रित करने की ओर है। इसके कारण अन्तर्राष्ट्रीय मानक के अनुरूप भारतीय मानक के अनुसार अन्तर्राष्ट्रीय मानक का विकसित होना अति आवश्यक है। परिणामस्वरूप मानव संसाधन के वैश्विकरण के लिए भारतीय मानक में भारत-शून्य श्रृंखला तथा अन्तर्राष्ट्रीय/विश्व मानक में विश्वमानक-शून्य श्रंृखला को स्थापित करने के लिए प्रक्रिया प्रारम्भ करने के लिए भारतीय मानक व्यूरो व अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन सहित राष्ट्रों के सरकार को आह्वान करता हूँ।
औद्योगिक जगत को यह आह्वान है कि वे विश्वमानक शून्य श्रृंखला की स्थापना के लिए भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रयत्न करे, जिससे सर्वप्रथम स्वयं सत्य आधारित होने का श्रेय प्राप्त करते हुये सम्पूर्ण औद्योगिक जगत के सत्यीकरण करने का श्रेय भी प्राप्त कर सकें।

No comments:

Post a Comment