संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आयोजित सहस्त्राब्दि सम्मेलन-2000 ई0 -
1. राष्ट्राध्यक्ष मिलेनियम शिखर सम्मेलन
मिलेनियम शिखर सम्मेलन कई विश्व नेताओं के बीच एक बैठक तीन दिनों सितम्बर 6 से 8 सितंबर 2000, न्यूयॉर्क शहर में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में हुआ था। इसका उद्देश्य था- 21 वीं सदी के मोड़ पर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर चर्चा की। इस बैठक में दुनिया के नेताओं के संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दि घोषणा का अनुमोदन किया., के रूप में यह इतिहास में दुनिया के नेताओं में से सबसे बड़ी सभा की बैठक थी। वर्ष 2000 के पांच साल बाद यह विश्व शिखर सम्मेलन 14 से 16 सितम्बर 2005 में आयोजित हुआ था।
शिखर सम्मेलन
5 सितंबर 2000 में, दुनिया भर के प्रतिनिधियों द्वारा मिलेनियम शिखर सम्मेलन के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए यात्रा शुरू कर दिया गया था। कुल 8000 से अधिक 150 से अधिक विश्व के नेताओं और प्रतिनिधियों ने चर्चा में भाग लिया। समूह-77 भी 21 वीं सदी के मोड़ पर संयुक्त राष्ट्र में परिवर्तऩ की चर्चा मौजूद था.
बुधवार, 6 सितंबर 2000 में, मिलेनियम शिखर सम्मेलन कोफी अन्नान संयुक्त राष्ट्र के महासचिव द्वारा प्रारम्भ गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विश्व शांति के लिए एक दलील दिया। साठ तीन अन्य वक्ताओं को पांच मिनट का समय बोलने के लिए दिया गया था। शिखर सम्मेलन की अवधि में बिल क्लिंटन ने इजरायल के प्रधानमंत्री एहुद बराक और फिलिस्तीनी नेता यासर अराफात के साथ अलग-अलग बैठकें आयोजित की।
गुरुवार, 7 सितंबर 2000 को राज्य के विभिन्न मुखिया शांति मुद्दों पर चर्चा की। वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक गोलमेज बैठक में इन मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। सत्तर वक्ताओं चीनी राष्ट्रपति जियांग जेमिन, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति थाबो मबेकी, श्रीलंका की राष्ट्रपति चंद्रिका कुमारतुंग, जापानी प्रधानमंत्री ल्वेीपतव मोरी और सिएरा लियोन अहमद ज्ञंइइंी के राष्ट्रपति सहित शिखर सम्मेलन के दौरान, इस दिन के लिए निर्धारित किया गया थे।.
मिलेनियम शिखर सम्मेलन के अंतिम दिन, शुक्रवार, 8 सितंबर 2000 को दुनिया के 60 नेताओं को पांच मिनट के लिए अपने भाषण दिये। वक्ताओं में इंडोनेशियाई राष्ट्रपति वाहिद, जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे, नाइजीरियाई राष्ट्रपति व्सनेमहनद व्इंेंदरव, और भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे।
यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर संयुक्त राष्ट्र शांति बलों के ओवरहाल का आग्रह किये। वह एक सैन्य कर्मचारियों के लिए निर्माण के लिए आपरेशन की निगरानी करने के लिए बुलाया। अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भी इन शांति अभियानों के महत्व पर बल दिये।
मिलेनियम घोषणा
मिलेनियम शिखर सम्मेलन के दौरान भाग लिये दुनिया भर के नेताओं द्वारा मिलेनियम घोषणा अपनाया गया था। शिखर सम्मेलन के अंत तक, मिलेनियम घोषणा के आठ अध्यायों में मसौदा तैयार किया गया। इस शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधियों को निम्नलिखित आठ अध्यायों पर सहमति हस्ताक्षर हुए।
1. मूल्यों और सिद्धांतों
2. शांति, सुरक्षा और निरस्त्रीकरण
3. विकास और गरीबी उन्मूलन
4. हमारे आम पर्यावरण की रक्षा
5. मानवाधिकार, लोकतंत्र और सुशासन
6. संवेदनशील रक्षा
7. अफ्रीका की विशेष आवश्यकताओं की बैठक
8. संयुक्त राष्ट्र का सुदृढ़ीकरण
आइये विश्व के लिए एक नया मार्ग रखें
- कोफी अन्नान (भू0पू0 महासचिव,सं0रा0सं0)
इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र संघ के सम्मेलन में राष्ट्रीय नेताओं के व्यापक एकत्रीकरण को विश्व ने हमेशा देखा है और इसकी कार्य सूची है- नये सहस्त्राब्दि के प्रारम्भ में मानवता के लिये एक मार्ग का निर्माण। यह कुछ भी नहीं यदि हम महत्वाकांक्षी नहीं। सन् 1997 में जब मैं संयुक्त राष्ट्र का महासचिव बना था, मैंने इस सभा को सलाह दी थी, और पुनर्गठन की दबी हुई योजना को विश्व नेेंताओं के साथ आकर नये सहस्त्राब्दि वर्ष में सही कदम उठाना चाहिये जिसे मैने शक्तिशाली प्रतीक रुप में अनुभव किया था।
पिछले तीन वर्षों में मेरी दृष्टि को समय के बदलाव से अधिक सतुंति प्रदान कर चुका है। एशिया का आर्थिक संकट यह दर्शता है कि-आर्थिक परिवर्तन का प्रभाव जो सभी जगह है वह अब प्रत्येक जगह अनुभव किया गया लेकिन एक समान रुप से नहीं।
सीटेल में पिछले नवम्बर के विश्व व्यापार सगंठन की सभा का विरोध यह दर्शाता है कि बहुत से लोग भूमण्डलीकरण से खुश नही ंहै या उस रुप से जिस रुप में इसें लिया गया है। वे व्यापारिक दृष्टि से इसे बहुत अधिक अनुभव करते है जबकि सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरण की दृष्टि से कम और बहुत से विकास-कोसोव संकट और जनरल पीनोचेट की गिरफ्तारी सहित यह प्रदर्शित कर चुका है कि एक राज्य का अपने ही व्यक्तियों पर व्यवहार, शुद्ध रुप से आन्तरिक मामलो में अधिक समय तक विचार नहीं किया।
उपरोक्त सभी मुझे आश्वस्त करता है कि हम सभी नये युग में रहें है! भूूमण्डलीयकरण सत्य हैं। यह कुछ के लिये बहुत ही लाभकारी है, सभी के लिये शक्तिप्रद है लेकिन केवल राज्यों द्वारा मिलकर कार्य करते हुये इसके फायदे को सभी व्यक्तियों तक पहुंचाते है। बिना सामूहिक सहयोग के करोड़ो गरीबी और गन्दगी में रहेगें, और इनके अलावा जो अच्छाई के लिये प्रारम्भ कर चुके हैं एकाएक आर्थिक परिवर्तन की कृपा पर रहेगें।
भूमण्डलीय चुनौती जो मिलकर कार्य करने के लिये विवश करता है, हम सामना कर सकेगें यदि यह आर्थिक और सामाजिक स्तर पर सत्य हो । इसको ब्यवहार में लाना खूनखराबे और युद्ध से अधिक चुनौती पूर्ण है। रुचियों की घनिष्टता मनुष्य का स्वभाव है। जो कुछ राज्यों के-दूसरे के नागरिकों के लिये प्रेरक है या एक दूसरे के पूर्व शासको को दोषारोपण के लिये सराहनीय है। लेकिन इस प्रकार के क्रियाकलाप एक या कुछ राज्यों के अपने अधिकार द्वारा किये जाते है तो वे अपने साथ विश्व कुशासन के खतरे को लाते है।
विश्व और भी सुरक्षित और सामान्य होगा जब सामूहिक हत्या के लिये अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय होगा जहां राष्ट्रो के अपने न्यायालय अयोग्य और इच्छा शक्ति से युक्त नही हैं। और सभी जगह के व्यक्ति यह अनुभव करेगें कि यदि उसे सामूहिक हत्या या डराया जाता है तो संयुक्त राष्ट्र रक्षा करेगा । (हमेशा सेना द्वारा ही नहीं यह तो विशेष स्थिति के लिये अन्तिम मार्ग है। लेकिन रोकने के प्रभावकारी उपाय, कूटनीति, अच्छा सलाह, जहां आवश्यक हो आर्थिक सहायता या दबाव)। अधिक स्पष्टता के साथ हमें एक साथ मिलकर प्राकृतिक संसाधनो को संरक्षित करने की आवश्यकता है जिस पर पृथ्वी की जनसंख्या निर्भर है। स्वयं को अपने युवा बच्चों की दृष्टि में दोषी-गैर जिम्मेदार देखना चाहिए यदि हम उनके एक ग्रह को अधिक अनुपयोगी या मानव जीवन के अयोग्य बनाकर छोड़ देगें।
क्या मैं समझूं कि ये सभी समस्याएं तीन दिनों में 150 अध्यक्षों और प्रधानमंत्रीयो के एक-दूसरे से वार्ता द्वारा हल हो जायेगी? अवश्य नही! निश्चित रुप से उपरोक्त में से भी कोई सरकार द्वारा एकेले हल नही किया जा सकता। राज्यों को दूसरे ”कत्र्ता“ जैसे-प्राइवेट कार्पोरेशन और नागरिक संगठनो जिनका कार्य अन्तर्राष्ट्रीय प्रणाली के विकास में है, उनकी सहायता की आवश्यकता होगी।
लेकिन भूमण्डलीय क्रिया का प्रारम्भ कहीं निर्मित हो चुका है, और यदि संयुक्त राष्ट्रसंघ में नही तो कहाॅं? हम विभिन्न प्रकार के प्रोजक्ट विकासशील देशो के लिये इंटरनेट कें द्वारा दवा सम्बन्धित सूचना, संचार, उपकरण और विशेषज्ञो का आपातकाल के समय उपयोग, विश्व के बच्चो के लिए वैक्सिन की उपलब्धता एवं विकास, और बहुत कुछ पर आधारित नये सहयोगीयों का जाल व्यापार के साथ, परोपकारी संस्था के साथ, अलाभकारी संस्था के साथ बना रहें हैं।
सम्मेलन की तैयारी के लिए पिछले 10 दिनो में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में विभिन्न प्रकार के मुख्य समुहो जैसे - नागरिक समिति, संगठन, विश्व संसद के अधिकारी गण और पहली बार धार्मिक तथा आध्यात्मिक नेताओं को लाया जा चुका है।
संयुक्त राष्ट्र संघ एक यूनिवर्सल फोरम है जहां विश्व के सभी व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व होता है। बहुत ही सत्य है कि न्यूयार्क में इस सप्ताह बहुत से राष्ट्रीय नेता ”संयुक्त राष्ट्र की 21 वीं शताब्दी में भूमिका“ पर विचार कर रहें हैं। जो प्रदर्शित करता है कि वे इस पर सोचे हैं। जो हमारे सामूहिक समस्याओं के लिए कम से कम शक्तिदायी रुप में अतिआवश्यक यन्त्र है लेकिन इन्हें इस कार्य को हाथों पर लेना चाहिए। यह एक कार्य सम्मेलन है न कि आयोजन। नेताओं को अगले 15 या 20 वर्षो के लक्ष्य और हमारे सामूहिक महत्व के निर्धारण की पुर्नप्रतिज्ञा को अपनाना होगा।
मै जानता हूॅ स्वयं की एक घोषणा कम महत्व रखती है परन्तु दृढ़ प्रतिज्ञा युक्त एक घोषणा और यथार्थ लक्ष्य, सभी राष्ट्रों के नेताओं द्वारा निश्चित रुप से स्वीकारने योग्य, अपन सत्ताधारी की कुशलता का निर्णय के लिए एक पैमाने के रुप में विश्व के व्यक्तियों के लिए अति महत्व का हो सकता है। मै आशा करता हूॅ कि इसे केवल सिद्धान्तो का वक्तव्य के रुप में नहीं बल्कि कार्य योजना के रुप में देखा जायेगा। और मैं आशा करता हूॅ कि यह कैसे हुआ देखने के लिए सम्पूर्ण विश्व पीछे होगा ।
(राष्ट्रों के सहस्त्राब्दि सम्मेलन 5 से 7 सितम्बर, 2000 को न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव श्री कोफी अन्नान के उद्गार जो ”द टाइम्स आफ इण्डिया“, नई दिल्ली, 7 सितम्बर, 2000 को अंग्रेजी में प्रकाशित हुआ था, का हिन्दी अनुवाद)
2. धार्मिक एवं आध्यात्मिक नेता
धार्मिक और आध्यात्मिक नेताओं के विश्व शांति शिखर सम्मेलन के लक्ष्य के एक प्रतिबद्धता की प्रतिज्ञा के लिए इतिहास में पहली बार एक मंच है जिसके द्वारा दुनिया के सभी महान धार्मिक आस्था और परंपराओं के कई सौ श्रेष्ठ नेताओं के साथ संयुक्त राष्ट्र में विश्व शांति की उपलब्धि के लिए ठोस कार्रवाई बनाने के लिए किया गया हैं। इस प्रतिबद्धता को विश्व शांति के लिए निर्दिष्ट कार्यों का एक घोषणा प्रतिभागियों द्वारा हस्ताक्षर लिया जा सन्निहित है।
वैश्वीकरण और नए संचार प्रौद्योगिकियों दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने के लिए और सम्बद्ध लोगों के बीच एक बढ़ती भावना पैदा करने के लिए है। दुनिया भर से सभी ऐसे प्रतिष्ठित धार्मिक नेताओं के लिए पहली बार विश्व शांति शिखर सम्मेलन एक ऐतिहासिक अवसर था, जो दुनिया में विभिन्न धार्मिक समुदायों, राजनीतिक और आध्यात्मिक नेतृत्व के बीच एक सहयोग के आधार पर एक नये युग के प्रारम्भ के लिए संयुक्त राष्ट्र में एकत्र हुए थे। धार्मिक नेताओं द्वारा विविध विश्वास प्रणाली के बीच कैसे एक साथ लोग शांति से रह सकते हैं, पर संबोधन भी हुआ।
अगस्त 2000 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा उद्घाटित धार्मिक और आध्यात्मिक नेताओं के मिलेनियम विश्व शांति शिखर सम्मेलन में सहयोग के नए युग प्रारम्भ के लिए उल्लेखनीय परिणामों के साथ समापन हुआ।
”दुनिया की शांति के लिए सामूहिक आवाहन में प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक नेताओं की यह सभा उम्मीद करती है कि शांति के लिए संभावना को मजबूत बनाने के रूप में हम नई सहस्राब्दी में प्रवेश करेंगे” - कोफी अन्नान महासचिव, संयुक्त राष्ट्र
1. परिणाम - विश्व शांति के लिए प्रतिबद्धता पर हस्ताक्षर
2. परिणाम - एक प्रक्रिया की शुरूआत करने के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक नेताओं के एक विश्व परिषद फार्म
3. परिणाम - विश्व आर्थिक मंच के धार्मिक नेताओं पहल के सह-संस्थापक
4. परिणाम - संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायोग के साथ एक साझेदारी
5. परिणाम - एक ग्लोबल आयोग के पवित्र स्थलों के संरक्षण के लिए स्थापना
6. परिणाम - अंतरराष्ट्रीय आपसी बातचीत के उद्घाटन
7. परिणाम - धार्मिक विविधता के संरक्षण पर कांग्रेस
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