श्री बिल गेट्स - ”बिजनेस @ द स्पीड आॅफ थाॅट
परिचय -
विलियम हेनरी गेट्स-।।। का जन्म 28 अक्टुबर, 1955 ई0 को सिएटल, वाॅशिग्टन में विलियम एच. के यहाँ हुआ था। उनका परिवार धनी था। उनके पिता एक प्रमुख वकील थे, उनकी माँ प्रथम इन्टरस्टेट बैंक सिस्टम और यूनाइटेड वे के निदेशक मण्डल में सेवारत थीं, और उनकी पिता जे. डब्ल्यू मैक्सवेल एक राष्ट्रीय बैंक के अध्यक्ष थे। गेट्स की एक बड़ी बहन, क्रिस्टी और एक छोटी बहन लिब्बी हैं, वे अपने परिवार में सम नाम के चैथे व्यक्ति थे, लेकिन विलियम गेट्स - ।।। या ”ट्रे“ के नाम से जाने जाते थे क्योंकि उनके पिता ने अपने नामांत में ।।। जोड़ना छोड़ दिया था। उनके जीवन के प्रारम्भिक काल में उनके माता - पिता के मन में उनके लिए कानून का कैरियर था। वह 13 वर्ष की उम्र में लेकसाइड स्कूल नामक विद्यालय में भर्ती हुए। जब वे आठवीं कक्षा में थे, विद्यालय के मदर क्लब ने लेकसाइड स्कूल के रद्दी सामानों से प्राप्ति का उपयोग विद्यालय के छात्रों के लिए एक ए.एस.आर.-33 टेलिटाइप टर्मिनल तथा जनरल इलेक्ट्रिक कम्प्यूटर पर एक कम्प्यूटर खरीदने के लिए किया। गेट्स ने इस कम्प्यूटर पर बेसिक में सिस्टम प्रोग्रामिंग में रूचि दिखाई और उनकी इस रूचि के लिए गणित की कक्षाओं से छूट दी गई। उन्होंने अपना पहला कम्प्यूटर प्रोग्राम इस मशीन पर लिखा जो था टिक-टैक-टो का कार्यान्वयन और उपयोगकर्ता को कम्प्यूटर से खेल खेलने का अवसर प्रदान करता था।
गेट्स की शादी फ्रांसीसी मेलिंडा के साथ डलास, टेक्सास में जून 1, 1994 को हुआ। उनके तीन बच्चे हैं - जेनिफर कैथेराइन गेट्स (1996), रोरी जाँन गेट्स (1999) एवं फोएबे अदेले गेट्स (2002)। बिल गेट्स का घर लेक वाॅशिंगटन की ओर झाँकती हुई एक पहाड़ी के पास है। किंग काउंटी के अनुसार वर्ष 2006 में इस सम्पत्ति का सार्वजनिक मूल्यांकन 1250 लाख डाॅलर और वार्षिक सम्पत्ति कर 991 हजार डाॅलर है। इसके आलावा गेट्स के नीजी संग्रह में लियोनार्दो दा विन्ची द्वारा लिखित कोडेक्स लेस्टर, जो गेट्स ने वर्ष 1994 की एक निलामी में 308 लाख डाॅलर में खरीदी थी। गेट्स एक गहरे अध्ययनकारी के रूप में भी जाने जाते हैं। उनके घर में एक विशाल पुस्तकालय भी है।
गेट्स ”फोब्र्स 400“ सूची में 1993 से लगातार 2007 तक और फोब्र्स के ”विश्व के सबसे अमीर लोग“ की सूची में 1995 से 2007 तक नम्बर एक पर रहे। संक्षेप में वर्ष 1999 में गेट्स की सम्पत्ति 101 अरब डाॅलर पार कर गया, जिससे खबरों में उनका नाम ”सेंटीबिलेनायर“ में आ गया। सन् 2000 से, डाॅट काॅम बुलबुले के फटने से माइक्रोसाफ्ट के शेयर की कीमत में गिरावट के बाद तथा कई अरब डाॅलर अपने दातव्य संस्थानों में दान करने से उनके माइक्रोसाफ्ट होल्डिंग्स के अंकित मूल्य में कमी आयी है। मई 2006 के एक साक्षात्कार में गेट्स ने टिप्पणी की कि उनकी यह कामना नहीं रही कि वे विश्व में सबसे धनी व्यक्ति बनें क्योंकि इस प्रकार नजरों पर चढ़ना उन्हें नापसंद है। गेट्स का माइक्रोसाफ्ट से बाहर कई निवेश हैं जिससे उन्हें वर्ष 2006 में वेतन के मद में 6,16,667 डाॅलर और बोनस के मद में 3,50,000 डाॅलर, कुल 9,66,667 डाॅलर का भुगतान मिला। उन्होंने 1989 में एक डिजीटल इमेंिजंग कम्पनी कोर्बिस की स्थापना की। 2004 में वे उनके पुराने मित्र वाॅरेन बुफे के नेतृत्व वाले एक निवेशक कम्पनी बर्कशायर हैथवे में निदेशक बनें। वे कास्केड इन्वेस्टमेन्ट समूह, जो एक विविध होल्डिंग वाला धन प्रबन्धन फर्म है, के ग्राहक हैं।
विलियम हेनरी गेट्स - ।।। , जिन्होंने पाॅल एलेन के साथ साॅफ्टवेयर कम्पनी माइक्रोसाफ्ट की स्थापना की, के अध्यक्ष, एक परोपकारी एवं प्रभावशाली व्यवसायी तथा विश्व में तीसरा धनवान व्यक्ति (सन् 2008 के अनुसार) हैं। गेट्स अपने कैरियर के दौरान माइक्रोसाफ्ट में सी.ई.ओ़ एवं मुख्य साफ्टवेयर वास्तुकार पदों पर रहे तथा उसकी साधारण पूंजी के 9 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी लेकर सबसे बड़े व्यक्तिगत शेयरधारक हैं। वे कई पुस्तकों के लेखक या सह-लेखक भी रहे। गेट्स निजि कम्प्यूटर क्रान्ति के सबसे बड़े प्रसिद्ध उद्यमियों में से रहे, यद्यपि बहुतों ने उनकी प्रशंसा की, बड़ी संख्या में उद्योग जगत के अंदरूनी व्यक्तियों ने उनके व्यवसाय रणनीति, जो उनके नजरों में प्रतिस्पर्धी विरोधी हैं और कुछ मामलों में अदालतों द्वारा भी वैध ठहराये गये हैं, की आलोचना की। अपने कैरियर के बाद के चरणों में, गेट्स के सन् 2000 में स्थापित बिल और मेलिंडा गेट्स संस्थान के माध्यम से, विभिन्न दातव्य संगठनों और वैज्ञानिक अनुसंधान कार्यक्रमों में बड़ी मात्रा में दान करने के कई लोकोपकारी प्रयास रहे हैं। बिल गेट्स ने जनवरी 2000 में माइक्रोसाफ्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का पद छोड़ दिया। वे अध्यक्ष एवं मुख्य साफ्टवेयर वास्तुकार के पद पर बने रहे। जून 2006 में गेट्स ने घोषणा की कि वह माइक्रोसाफ्ट में पूर्णकालिक कार्यावधि में परिवर्तन कर, माइक्रोसाफ्ट में अंशकालिक कार्य और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउण्डेशन में पूर्णकालिक कार्य करेगें। वे अपने कत्र्तव्यों को क्रमशः रे ओज्जी (मुख्य वास्तुकार) और क्रेग मुडी (मुख्य अनुसंधान सह योजना अधिकारी) के बीच तबादला कर करते गये। 27 जून, 2009 गेट्स के लिए माइक्रोसाफ्ट में अन्तिम पूर्ण दिवस था। वे माइक्रोसाफ्ट में अंशकालिक अकार्यकारी अध्यक्ष के रूप में रहते हैं।
जनता की यह अभिमत तीव्रतर होने पर कि वे अपने धन में से और अधिक दान कर सकते थे, गेट्स महसूस करने लगे कि अन्य लोगों की उनसे क्या अपेक्षाएँ थी, गेट्स ने ऐंड्रू कार्नेगी और जाॅन डी. राॅकफेलर के कार्यो पर अध्ययन किया। राकफेलर और अपनी माइक्रोसाफ्ट के कुछ शेयरों को 1994 में विलियम एच. गेट्स फाउण्डेशन बनाने के लिए बेच डाला। वर्ष 2000 में गेट्स और उनकी पत्नी ने तीन पारिवारिक संस्थानों को संयुक्त कर बिल एवं मेलिंडा गेट्स फाउण्डेशन के नाम से एक दातव्य संस्थान (चेरिटेबल फाउण्डेशन) बनाया, जो कि विश्व में सबसे बड़ी पारदर्शी तरीके से संचालित दातव्य संस्थान है। अन्य प्रमुख दातव्य संस्थानों जैसे वेलकम ट्रस्ट से भिन्न, स्थापित संस्थान अपने पृष्ठपोशकों को यह जानकारी प्राप्त करने की अनुमति देती है कि मुद्रा किस प्रकार खर्च किया जा रहा है। यह डेविड राॅकफेलर की उदारता और परोपकारधर्मिता का एक विशेष प्रभाव माना गया। गेट्स और उनके पिता, राॅकफेलर के साथ कई बार मिले और अपने विभिन्न दानकार्यो को राॅकफेलर परिवार के परोपकारिता आधारित कार्यो के ढांचे पर, जैसे कि विश्व के उन समस्याओं पर जिन्हें सरकारों और अन्य संस्थाओं द्वारा नजरअंदाज किया जाता है, संगठित किया। और कृषिकार्य, कम प्रतिनिधित्व वाले अल्पसंख्यक समुदायों के लिए कालेज छात्रवृत्तियाँ, ऐड्स निवारण, तीसरी दुनिया के देशों में फैले रोग और अन्य कारण जैसे मदो में कोष प्रदान किये गये।
वर्ष 2000 में, गेट्स फाउण्डेशन ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय को 210 मिलियन डाॅलर गेट्स कैम्ब्रिज स्कालरशिप प्रदान करने के लिए समर्पित किया। फाउण्डेशन ने 1 बिलियन डाॅलर संयुक्त निग्रो कालेज कोष सहित 7 बिलियन डाॅलर से ज्यादा की राशि विभिन्न उद्देश्यों के लिए देने का संकल्प लिया। वर्ष 2004 में फोब्र्स पत्रिका में प्रकाशित एक लेख के अनुसार वर्ष 2000 से अबतक गेट्स ने 29 बिलियन डाॅलर से अधिक राशि दातव्य कार्यो के लिए प्रदान कर चुका है। ये दानराशियाँ अक्सर अधिक अमीरों के नजरिया में उद्दीपक तथा पर्याप्त परोपकारी बदलाव के तौर पर उधृत की जाती है जिससे परोपकार कार्य आधार बनते नजर आते हैं।
वाॅरेन बुफे, जो कि दुनिया के समृद्ध व्यक्तियों में दूसरे थे, ने 25 जून, 2006 को घोषणा की कि उन्होंने फाउण्डेशन को कई वर्षो में 10 मिलियन डाॅलर देने का संकल्प किया है। गेट्स ने 15 जून, 2006 को घोषणा की कि माइक्रोसाफ्ट में उनकी अंशकालिक भूमिका रहेगी, और जुलाई 2008 से दैनिक परिचालन प्रबन्धन कार्य छोड़कर, परन्तु अध्यक्ष एवं सलाहकार के रूप में बने रहने के साथ, परोपकार में पूर्ण कालिक भूमिका निभायेंगे। गेट्स ने उनके दातव्य उद्देश्यों में योगदान के लिए लिये गये निर्णयों को प्रभावित करने का श्रेय वाॅरेन बुफे को दिया। कुछ दिनों बाद वाॅरेन बुफे ने घोषणा की कि वे गेट्स फाउण्डेशन में गेट्स के बराबर 1.5 बिलियन डाॅलर तक प्रति वर्ष शेयर के माध्यम से योगदान प्रारम्भ करेंगे।
टाइम पत्रिका ने गेट्स का उल्लेख उन 100 लोगों में, जिन्होंने 20वीं सदी को सबसे अधिक प्रभावित किया तथा साथ ही साथ उन 100 लोगों में जो 2004, 2005 एवं 2006 में सबसे अधिक प्रभावशाली व्यक्ति रहे, में किया। टाइम सामूहिक रूप से भी गेट्स उनकी पत्नी मेलिंडा और वैकल्पिक राॅक बैंड यू-2 के प्रमुख गायक बोनो को 2005 में उनके मानवीय प्रयासों के लिए, वर्ष के चर्चित व्यक्तियों में किया। वर्ष 2006 में हीरोज आॅफ आवर टाइम की सूची में उनका आंकलन 8वें नम्बर पर किया गया। टाइम ने 1998 में टाॅप 50 साइबर एलिट में एक नम्बर का दर्जा दिया। इत्यादि अनेक पुरस्कार व पदक से गेट्स सम्मानित किये जा चुके हैं। गेट्स 2 पुस्तकों के लेखक रहें- 1. आगे की योजना (The Road Ahead-1975) और 2. बिजनेस @ द स्पीड आॅफ थाॅट (Business @ the speed of thought-1999)
श्री लव कुश सिंह ”विश्वमानव“ द्वारा स्पष्टीकरण
मनुष्य शरीर, प्रकृति के अदृश्य एकीकृत सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त को प्रकृति के दृश्य एकीकृत सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त में परिवर्तित करने का माध्यम मात्र है। मनुष्य एक स्वतंत्र इकाई नहीं बल्कि एक स्वायत्तशासी शरीर (अन्तः चक्र) है जो प्रकृति (बाह्य अन्तिम चक्र) के लिए समर्पित है क्योंकि अन्ततः उसका शरीर व विचार, प्राकृतिक बल व सिद्धान्त द्वारा आसानी से हार जाता है।
मनुष्य का शरीर इसी प्रकृति के पदार्थो से निर्मित है इसलिए प्रकृति के प्रत्येक वस्तु से वह प्रभावित होता है और उसके रोग ग्रस्त होने पर सभी उपाय इसी प्रकृति के वस्तुओं में ही उपलब्ध है। प्रत्येक वस्तु में औषधि है इसलिए औषधि के आविष्कार को मैं अधिक महत्व नहीं देता। क्योंकि मैं जानता हूँ कि स्त्री हो या पुरूष सभी को सार्वभौम आत्मा से जुड़कर हृदय और बुद्धि के तल पर ही जीना चाहिए। शरीर और आवश्यकता के तल पर जीने से भोग ही होता है, समभोग नहीं। सार्वभौम आत्मा से जुड़कर हृदय और बुद्धि के तल पर जीने से शरीर की स्वस्थता और दीर्घायु भी प्राप्त होती है। प्रकृति से जितना दूर भागेगें, उतना ही औषधि की जरूरत आयेगी। प्राकृतिक रहें -स्वस्थ रहें। हिन्दू धर्म शास्त्रो में सृष्टि के प्रारम्भ के सम्बन्ध में कहा गया है कि- ”ईश्वर ने इच्छा व्यक्त की कि मैं एक हूँ, अनेक हो जाऊँ“। इस प्रकार जब वही ईश्वर सभी में है तब निश्चित रूप से जब तक सभी मानव ईश्वर नहीं हो जाते तब तक दुनिया के अन्त होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता और विकास क्रम चलता रहेगा। मानव, ईश्वर निर्मित उसका प्रतिरूप है। इसलिए मनुष्य का लक्ष्य ”पावर और प्राफिट (शक्ति और धन लाभ)“ नहीं, बल्कि मस्तिस्क का सर्वोच्च विकास है।
मेरी दृष्टि में विज्ञान ने मनुष्य जीवन में सबसे बड़ा आविष्कार ”माइक्रोप्रोसेसर“ का किया है। क्योंकि वह मनुष्य के मस्तिष्क का प्रतिरूप है। इस मस्तिष्क रूपी ”माइक्रोप्रोसेसर“ में अंग जोड़े जाते हैं जिससे वह कम्प्यूटर या रोबोट (मशीनी मनुष्य) बनता है। कम्प्यूटर भी जब रोग ग्रस्त होता है तो वह भी उन्हीं वस्तु से औषधि पाता है जिससे वह बना है। मनुष्य भी एक प्रणाली है और कम्प्यूटर भी एक प्रणाली है। जिस प्रकार मनुष्य के शरीर में अंग जोड़ देने से वह काम करना शुरू नहीं करता उसी प्रकार कम्प्यूटर में मानीटर, प्रिंटर, स्कैनर इत्यादि जोड़ देने से वह काम नहीं करता। मनुष्य शरीर में यह तन्त्रिका तन्त्र (Nurvous System) है तो कम्प्यूटर में यह चालक साफ्टवेयर (Driver Software) हैं जिसे आपने अपनी पुस्तक बिजनेस @ द स्पीड आॅफ थाॅट (Business @ the speed of thought-1999) में (Digital Nurvous System) नाम दिया है। मनुष्य जिससे चलता है वह भी साफ्टवेयर (Software) ही है जिसे विचार-सि़द्धान्त कहते हैं। साफ्टवेयर भी नहीं दिखता और विचार-सि़द्धान्त भी नहीं दिखते।
मनुष्य निर्मित हार्डवेयर ”माइक्रोप्रोसेसर“ युक्त कम्प्यूटर को आपरेटिंग मोड में लाने के लिए उसमें दो प्रकार के मेमोरी हैं, एक रीड ओनली मेमोरी (Read Only Memory-ROM) जिसकी उपयोगिता है केवल पढ़ने के लिए। ये ”माइक्रोप्रोसेसर“ निर्माता द्वारा पहले से ही ”माइक्रोप्रोसेसर“ में ही होता है। दूसरा रैण्डम एक्सेस मेमोरी (Random Access Memory-RAM) जिसकी उपयोगिता है कहीं से पढ़ने और लिखने के लिए। ये आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) अर्थात परिचालन प्रणाली, साफ्टवेयर निर्माता द्वारा दिया जाता है। कम्प्यूटर जब आॅन किया जाता है तब पहले RAM के साफ्टवेयर के अनुसार स्वयं को तैयार करता है फिर ROM से आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) अर्थात परिचालन प्रणाली के अनुसार स्वयं को तैयार कर वह काम करने के लिए तैयार हो जाता है। ये आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) कईं प्रकार के हैं जिसमें अधिक प्रयोग किया जाने वाला एक आपका (Micro Soft) आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) है जो पहले डिस्क आपरेटिंग सिस्टम (Disk Operating System) के रूप में आया फिर Windows के रूप में सामने है। इन आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) के कईं संस्करण (Version) आपकी ओर से आये। प्रत्येक बार अधिक सुविधाओं और अधिक कम्प्यूटर अंगों के जोड़ने के लिए डिजिटल तन्त्रिका तन्त्र (Digital Nurvous System) सहित कार्य को आसान बनाने की सुविधा के साथ। आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) कईं आये लेकिन जो अधिक सुविधाजनक, व्यावहारिक और अधिक कम्प्यूटरों तक पहुँच बना सकी, उसमें से एक Windows Operating System, जिसका Windows-10 संस्करण (Version) अभी तक का वर्तमान है।
ईश्वर निर्मित हार्डवेयर ”मस्तिष्क“ युक्त मनुष्य को आपरेटिंग मोड में लाने के लिए उसमें भी दो प्रकार के मेमोरी हैं, एक रीड ओनली मेमोरी (Read Only Memory-ROM) जिसकी उपयोगिता है केवल पढ़ने के लिए। ये ”मस्तिष्क“ निर्माता द्वारा पहले से ही ”मस्तिष्क“ में ही होता है। दूसरा रैण्डम एक्सेस मेमोरी (Random Access Memory-RAM) जिसकी उपयोगिता है कहीं से पढ़ने और लिखने के लिए। ये आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) अर्थात परिचालन प्रणाली, विचार-सि़द्धान्त निर्माता (अवतार, संत, गुरू, माता-पिता, मित्र, सहयोगी, दल, संगठन इत्यादि) द्वारा दिया जाता है। मनुष्य जब सोये से जागता है तब पहले RAM के साफ्टवेयर के अनुसार स्वयं को तैयार करता है फिर ROM से आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) अर्थात परिचालन प्रणाली जैसा उसके मस्तिष्क में डाला गया है, के अनुसार स्वयं को तैयार कर वह काम करने के लिए तैयार हो जाता है। ये आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) कईं प्रकार के हैं जिसमें अधिक प्रयोग किया जाने वाला ”पावर और प्राफिट (शक्ति और धन लाभ)” वाला विचार-सिद्धान्त है।
जिस प्रकार डिजिटल तन्त्रिका तन्त्र (Digital Nurvous System) से सभी कम्प्यूटर प्रणाली कार्यशील हैं और इन्टरनेट से कम्प्यूटर-मोबाइल जुड़े हुये हैं उसी प्रकार विचार-सि़द्धान्त से सभी मनुष्य जुड़े हुए हैं। दानों ही प्रकार में बहुत से लोग इस ज्ञान से युक्त होकर संचालन कर रहें हैं या संचालित हैं और बहुत से लोग बिना ज्ञान के केवल संचालन कर रहें हैं या संचालित हैं।
जिस प्रकार कम्प्यूटर के संचालन के लिए आपरेटिंग सिस्टम के कईं संस्करण (Version) आये, उसी प्रकार मनुष्य के संचालन के लिए आपरेटिंग सिस्टम के कईं संस्करण (Version) आये। जिस प्रकार कम्प्यूटर के संचालन के लिए आपरेटिंग सिस्टम के कईं संस्करण (Version) आने का कारण उसे अधिक पूर्ण बनाना था उसी प्रकार मनुष्य के संचालन के लिए आपरेटिंग सिस्टम के कईं संस्करण (Version) आने का कारण उसे अधिक पूर्ण बनाना था। बस दोनों में अन्तर यह है कि कम्प्यूटर के संचालन के लिए नया आपरेटिंग सिस्टम संस्करण (Version) आने पर लोग अपने कम्प्यूटर को आधुनिक/अनुकूल (Advance/Adapt) करने में कोई संकोच नहीं करते वहीं मनुष्य के संचालन के लिए नया आपरेटिंग सिस्टम संस्करण (Version) आने पर लोग अपने मस्तिष्क को आधुनिक/अनुकूल (Advance/Adapt) नहीं बनाते बल्कि जो जिस आपरेटिंग सिस्टम में उसके निर्माता द्वारा फँसाया गया है वो वहीं पड़ा है और वो वहीं हैं इस उम्मीद में कि वह पूरी तरह, पूरी सुविधाओं के साथ काम करेगा और उसके अनुसार परिणाम देगा।
मनुष्य को अधिक पूर्ण बनाने और संचालन के लिए अवतार द्वारा आये मुख्य आपरेटिंग सिस्टम (Avatar’s Operating System- AOS) संस्करण (Version) इस प्रकार हैं-
मानव-1 (AOS : Human-1)
मुख्य-गुण सिद्धान्त - इसमें धारा के विपरीत दिशा (राधा) में गति करने का विचार-सिद्धान्त मानव मस्तिष्क में डाला गया।
मानव-2 (AOS : Human-2)
मुख्य-गुण सिद्धान्त - इसमें सहनशील, शांत, धैर्यवान, लगनशील, दोनों पक्षांे के बीच मध्यस्थ की भूमिका वाला गुण (समन्वय का सिद्धान्त) का विचार-सिद्धान्त मानव मस्तिष्क में डाला गया।
मानव-3 (AOS : Human-3)
मुख्य-गुण सिद्धान्त - इसमें सूझ-बुझ, सम्पन्न, पुरूषार्थी, धीर-गम्भीर, निष्कामी, बलिष्ठ, सक्रिय, शाकाहारी, अहिंसक और समूह प्रेमी, लोगों का मनोबल बढ़ाना, उत्साहित और सक्रिय करने वाला गुण (प्रेरणा का सिद्धान्त) का विचार-सिद्धान्त मानव मस्तिष्क में डाला गया।
मानव-4 (AOS : Human-4)
मुख्य-गुण सिद्धान्त - प्रत्यक्ष रूप से एका-एक लक्ष्य को पूर्ण करने वाले (लक्ष्य के लिए त्वरित कार्यवाही का सिद्धान्त) का विचार-सिद्धान्त मानव मस्तिष्क में डाला गया।
मानव-5 (AOS : Human-5)
मुख्य-गुण सिद्धान्त - भविष्य दृष्टा, राजा के गुण का प्रयोग करना, थोड़ी सी भूमि पर गणराज्य व्यवस्था की स्थापना व व्यवस्था को जिवित करना, उसके सुख से प्रजा को परिचित कराने वाले गुण (समाज का सिद्धान्त) का विचार-सिद्धान्त मानव मस्तिष्क में डाला गया।
मानव-6 (AOS : Human-6)
मुख्य-गुण सिद्धान्त - गणराज्य व्यवस्था को ब्रह्माण्ड में व्याप्त व्यवस्था सिद्धान्तों को आधार बनाने वाले गुण और व्यवस्था के प्रसार के लिए योग्य व्यक्ति को नियुक्त करने वाले गुण (लोकतन्त्र का सिद्धान्त और उसके प्रसार के लिए योग्य उत्तराधिकारी नियुक्त करने का सिद्धान्त) का विचार-सिद्धान्त मानव मस्तिष्क में डाला गया।
मानव-7 (AOS : Human-7)
मुख्य-गुण सिद्धान्त - आदर्श चरित्र के गुण के साथ प्रसार करने वाला गुण (व्यक्तिगत आदर्श चरित्र के आधार पर विचार प्रसार का सिद्धान्त) का विचार-सिद्धान्त मानव मस्तिष्क में डाला गया।
मानव-8 (AOS : Human-8)
मुख्य-गुण सिद्धान्त - आदर्श सामाजिक व्यक्ति चरित्र के गुण, समाज मंे व्याप्त अनेक मत-मतान्तर व विचारों के समन्वय और एकीकरण से सत्य-विचार के प्रेरक ज्ञान को निकालने वाले गुण (सामाजिक आदर्श व्यक्ति का सिद्धान्त और व्यक्ति से उठकर विचार आधारित व्यक्ति निर्माण का सिद्धान्त) का विचार-सिद्धान्त मानव मस्तिष्क में डाला गया।
मानव-9 (AOS : Human-9)
मुख्य-गुण सिद्धान्त - प्रजा को प्रेरित करने के लिए धर्म, संघ और बुद्धि के शरण में जाने का गुण (धर्म, संघ और बुद्धि का सिद्धान्त) का विचार-सिद्धान्त मानव मस्तिष्क में डाला गया।
मानव-10 (AOS : Human-10)
मुख्य-गुण सिद्धान्त - आदर्श मानक सामाजिक व्यक्ति चरित्र समाहित आदर्श मानक वैश्विक व्यक्ति चरित्र अर्थात सार्वजनिक प्रमाणित आदर्श मानक वैश्विक व्यक्ति चरित्र का विचार-सिद्धान्त मानव मस्तिष्क में डालने का मानव-10 (AOS : Human-10) संस्करण (Version) अभी तक का वर्तमान है और वो अन्तिम संस्करण भी है।
उपरोक्त मुख्य मूल संस्करण के उपरान्त अनेक अन्य मनुष्यों (संत, गुरू, माता-पिता, मित्र, सहयोगी, दल, संगठन इत्यादि) द्वारा मनुष्य के संचालन के लिए नया आपरेटिंग सिस्टम संस्करण आते गये और मनुष्य उससे संचालित होते गये। परन्तु उन्हें पता ही नहीं चल पा रहा कि कौन सा संस्करण उनके लिए उपयोगी है।
जैसे आपके आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) में अनके सुविधाएँ हैं उसी प्रकार मानव-10 (AOS : Human-10) संस्करण में भी अनेक सुविधाएँ जैसे - काटना (Cut), चिपकाना (Paste), नकल बनाना (Copy), रद्द करना (Delete), सुधारना (Edit), नाम बदलना (Rename), रचना करना (Create), भेजना (Send), पढ़ना (Read), लिखना (Write), वाइरस (Virus), एण्टी-वाइरस (Anti-Virus) इत्यादि हैं।
जिस प्रकार एक रोबोट, वैसे ही रोबोट का निर्माण कर सकता है जैसा कि उसमें साफ्टवेयर डाला गया है उसी प्रकार एक मनुष्य, मनुष्य, वैसे ही मनुष्य का निर्माण कर सकता है जैसा कि उसमें साफ्टवेयर (विचार-सिद्धान्त) डाला गया है।
कुछ भी हो साफ्टवेयर में जितनी अधिक सुविधा, उतना ही वह परिणाम देने में सक्षम। सब कुछ ”माइक्रोप्रोसेसर/मस्तिष्क“ के साफ्टवेयर पर ही निर्भर होता है। और साफ्टवेयर उतना ही उच्च स्तर का बन सकता है जितना विचार का विस्तार होता है। जितना विचार का विस्तार होता है वह उतना ही व्यापारिक लाभ दे सकता है। जिसके जीवन्त उदाहरण आप हैं।
मनुष्य के संचालन के लिए नया आपरेटिंग सिस्टम मानव-10 (AOS : Human-10) संस्करण ही ”विश्वशास्त्र” है। आपके आपरेटिंग सिस्टम साफ्टवेयर से कम्प्यूटर चलता है। मेरे आपरेटिंग सिस्टम मानव-10 (AOS : Human-10) संस्करण से मनुष्य और उसके संगठन चलेंगे। यही योजना है।
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