Thursday, April 16, 2020

पुस्तक - विशाल ज्ञान-विज्ञान सबका समाधान - भूमिका

पुस्तक - 
विशाल ज्ञान-विज्ञान सबका समाधान

भूमिका

कहा जाता है कि जब-जब अत्याचार या अनियमितताएं बढ़ी हैं, तब-तब कोई न कोई महापुरूष आया और उसने प्रजा या जनता को जागरूक किया या अत्याचार के खिलाफ खड़ा हुआ। संसार में हर देश में, हर प्रदेश में, हर धर्म में, हर जाति में, निश्चित महापुरूष आये, इतिहास गवाह है, राम, कृष्ण, इब्राहिम, ईशु, मरियम, जैसे अनेकों आये या पैदा हुये। रामायण, गीता, कुरान, बाइबिल, गुरूग्रन्थ साहब जैसे अनगिनत धर्म ग्रन्थ सदीयों से समाज को लगातार जाग्रत करते आ रहे हैं। भारत में, तुलसीदासजी ने जब देखा कि हिन्दू समाज बिखरने लगा है, हिन्दू जाति मौत के कगार पर है, तब तुलसीदासजी ने बाल्मिकीकृत रामायण को वीर रस में ढाल कर, समाज को सौंपा और समाज में हर साल, रामलीला जैसे प्रोग्राम बना कर सारे संसार को लगातार जाग्रत करती आ रही हैं। इस ग्रन्थ को पढकर प्रेम, जोश, सहनशीलता, राजनीति ही नहीं, घर-संसार चलाना, सेवा भाव, दुश्मन को सही रूप में धराशायी करने जैसा सारा ज्ञान निश्चित मिलता है। ”विशाल ज्ञान विज्ञान सबका समाधान“ पवित्र पुस्तक की रचना भी शायद ऐसी ही सफल कोशिश है।
पूरे संसार में हर जगह महापुरुष, पण्डित, मौलवी, ग्रन्थी, पादरी, साधु-सन्यासी और हर धर्म ग्रन्थ होने के बाद भी, यही नहीं, हर इंसान पढ़ा लिखा होने के बाद भी ”जिसकी लाठी उसकी भैंस“ जैसा नियम बरकरार हैं। इस समय, गैर सरकारी प्राणी, सरकारी प्राणी और नेता के अधूरे ज्ञान के कारण, हर अनियमितता में, बेहद तेजी आई हैं और हर इंसान बेहद परेशान हैं या अपनी शर्म खो चुका हैं।
सब गैर सरकारी प्राणी, सारे सरकारी प्राणी, सारे नेतागण या 5 साल के कार्यकाल वाले, खासतौर से सबका भविष्य विद्यार्थीगण में, जागृति लाने व सबको सही हक देने और हक लेने की कोशिश, ये पवित्र पुस्तक हैं। खास-तौर से सही ज्ञान कराना ही हमारा ध्येय हैं, कोई लिखी हुई पंक्ति, जब समाज सीखता हैं और लगातार उस पर अमल करता है या उससे फायदा उठाता है, ऐसी पुस्तक, धर्म ग्रन्थ बन जाती हैं। लम्बे समय तक गुजरे हुए समय को देखकर, इतिहास पढ़कर, लोगों केे व खुद के तजुर्बे, सब की मजबूरी और कमजोरी जानकर, बेहद गहराई से सोचकर कि इंसान कैसे बर्ताव करता हैं और इस बर्ताव के कारण उसका व सबका भविष्य कैसा होगा? उसमें सुधार-सफाई कैसे लाई जाये, जिससे उसका और सबका भविष्य सुनहरा हो, जैसे नशा करने वाला भी हर युक्ति से, नशा कर ही लेता हैं। नशा छूट जाए, नशा करने वाला खुद, खुश होकर नशा छोड़े, ऐसी युक्ति सोची व वर्णित की गयी हैं। नशा ही नहीं, हर गलत काम, गलती करने वाला खुद, हर गलती छोड़ने की सोचे, सब एक-दूसरे को समझायें और अपनायें, इस पवित्र पुस्तक में वर्णित हैं। खासतौर से हर समाज के, हर धर्मग्रंथ के अच्छे व सच्चे गुणों के सार को ध्यान में रखकर, किसी को तड़पाया न जाए, मारा न जाए, सही सुधार कैसे हो वर्णित हैं।
हर जुर्म, चोरी, रिश्वत खोरी, भ्रष्टाचारी से लेकर उग्रवादीता तक बिना कोशिश किये, अपने आप, खुद में सिकुड़कर, खुद खत्म हो, ऐसी युक्ति इस पवित्र पुस्तक में वर्णित हैं। गलत और सही शब्द का निर्णय बेहद कठिन है, जिसे हम गलत कहते हैं, वह दूसरों के शब्दों में ही गलत होता हैं या हो सकता हैं। लेकिन सही या अच्छा वह है, जो सारे ब्रह्माण्ड में, हर जीव पर लागू हो और भविष्य में सबके लिये अच्छा फलदायी हों। ”अन्त भला तो सब भला“, सही ज्ञान होने पर यह आसानी से समझ में आ जायेगा। जिस प्रकार उलझी हुई गुत्थी का सही सिरा पकड़ में आ जाने के बाद, पूरी गुत्थी आसानी से सुलझ जाती हैं। बेहद गहराई से लंबे समय तक हर तरीके से नाप-तौल कर, परख और समझ कर बनायी गयी युक्ति, सूत्र या फार्मुला वर्णित किया गया है जिसको हर प्राणी अपनाने में व इस्तेमाल करने में गर्व महसूस करेगा, पवित्र पुस्तक पढ़ने के पश्चात् युक्ति अपनाने को खुद मजबूर होगा, व युक्ति अपनायेगा और अपना, अपनों का और सबका, यहाँ तक कि हर जीव का जीवन सुखमय और बाधा रहित होगा।
खासतौर से भारत मंे आजादी पाने के कुछ समय पहले से ही, छोटी सी अनियमितता भी रोकने और न बढ़ाने पर भी, आज इस समय किस प्रकार तेजी से क्यों बढ़ी है? उस कारण को खोज कर, हर अनियमितता खुद सिकुड़ कर खत्म हो, ऐसी युक्ति वर्णित है। यह अनियमितता हर देश, हर प्रदेश, हर जगह, हर घर, हर परिवार, हर समाज, हर धर्म, हर विभाग में, हर प्राणी में गहराई तक समा चुकी हैं। साक्षात्कार करने के बाद एक भी प्राणी नहीं मिला, जिसे सुधार की कोई उम्मीद भी हो। सबका खुले रूप में कहना हैं, भ्रष्टता नीचे से ऊपर तक हैं, भ्रष्टता खत्म हो ही नहीं सकती। विडम्बना तो यह हैं कि हर धर्म, हर समाज, हर प्राणी, हर विभाग सफाई-सुधार करना चाहते हैं, सोचते हैं, कोशिश करते हैं और पूरी तरह फेल हैं। यह सफाई-सुधार आसानी से हो और हमेशा, अपने आप होता रहे वर्णित हैं।
इस पवित्र पुस्तक की रचना यह सोचकर की गई हैं कि संसार में, हर जगह का हर प्राणी, देवी-देवता, पीर-पैगम्बर हैं, समझदार है और सफाई-सुधार के लिए प्रयत्नशील है। यह पवित्र पुस्तक सबूत हैं, कि हर प्राणी जो अच्छे हैं, धर्म और नियम में चलने वालों के साथ हैं या धर्म या नियम में चलने वालों की सहायता कर रहें हैं, हम हमेशा उनके साथ हैं।
अनजान लोग कहते है कि ”अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता“ सही नहीं है, प्रत्यक्ष हैं, इतिहास गवाह है, धर्म-ग्रंथ गवाह हैं कि हमेशा एक ही प्राणी, कोई देवी-देवता, पीर-पैगम्बर या किसी महापुरूष (यह महापुरूष बाद में कहलायें) ने अकेले ही कदम उठाया हैं, वह पहले अकेला ही रहा है। यह भी सच हैं, कि बड़े काम के लिए बड़ा ही समय चाहिए, यहाँ पर यह भी कहना हैं कि भाड़ फोडना नहीं है, केवल सफाई-सुधार करना है। ऐसा धर्म, कर्म करने वाला, पहले अकेला ही होता हैं, आम आदमी ही होता हैं, बाद में वह महापुरूष कहलाया जाता हैं, या धर्म करते रहने पर, वह महापुरूष बनता चला जाता हंै। वह आप भी हो सकते हैं, बल्कि आप ही हैं। आज आप, एक मामूली चिंगारी हो सकते हैं, जो अपने अंदर भयंकर दावानल छुपाये बैठे है। केवल शुरूआत की, कोशिश भर करनी है। बाकी काम अपने आप होगा, यह पूर्ण विश्वास है और ऐसा होना निश्चित है।
”घर का सुधार=गलती पर अविलम्ब सजा और मेहनती को प्रोत्साहन“ नियम अपना कर, अमल में लाना है, फायदा उठाना है और अच्छे व कर्मठ को, खत्म न होने वाला फायदा देना है। गलती पर अविलम्ब सजा में, किसी का रिवर्सन, सस्पेन्शन, ट्रांसफर, जेल या सजा-ए-मौत नहीं हैं। केवल नगद जुर्माना हैं, जो अविलम्ब राजकोष में जमा कराना हैं। हमें राजकोष भी बढ़ाना हैं, जो समृद्धि की जड़ हैं, जो हर एक के लिये व अच्छांे के लिए सबसे बड़ी शक्ति हैं, जो हर व्याधा को रोकेगी और सबका भविष्य सुनहरा होगा।
हर अनियमितता देखकर, सुधार करना है, या अविलम्ब शिकायत करनी हैं। शिकायत पत्र पर कम से कम, तीन प्राणी के वोटर/आधार नंबर सहित हस्ताक्षर कराने हैं। उसकी रिसिविंग अपने पास रखनी है, तीस दिन बाद रिमाइंडर देना है और उनके उच्च अधिकारी को लिखना है। बस रिजल्ट अपने आप आयेगा। वैसे हर जगह, हर विभाग में, सूचना विभाग भी हैं। आज आप, अकेले हो सकते हैं, दूसरी बार भी अकेले हो सकते हैं, आपके साथ कोई न हो, तीसरी बार ऐसा हो ही नहीं सकता। आपके साथ आपकी बीवी, बच्चा, भाई, दोस्त कोई तो, हो ही सकता हैं या आने वाले समय में आपके साथ अनेक होंगे और आप कामयाब होंगे। याद रहे, बड़े काम में बड़ा ही समय लगता है।
इसके बावजूद हम तो आपके साथ हैं ही, आप केवल लेखक तक या इससे सम्बंधित प्राणी या यूनिटी तक 5/-रु.के लिफाफे या 5/-रु.के डाक टिकट के साथ शिकायत पहंुचायें, निश्चित समय में शिकायतकर्ता को सूचित किया जायेगा। आपकी शिकायत सुधार की हर कोशिश की जायेगी, सुधार निश्चित होगा। गलती करने वाला गलती मानेगा या आपकी मिनिमम दिहाड़ी देगा या अपनी पूरी दिहाड़ी, राजकोष में अविलम्ब जमा करायेगा, मतलब जुर्माना जमा करेगा। आपके सहयोग और साथ के तलबगार, सब हैं, हम भी हैं, सफाई-सुधार जल्द हो, बेताब हैं और रहेंगे। आप भी, हम भी सफाई-सुधार के लिए सब कुछ करेंगे। सब काम से पहले सफाई-सुधार करंेगे, बाकी काम, सफाई-सुधार के बाद करेंगे। यह मेहनत संसार के, हर देश के, हर धर्म, हर समाज, हर प्राणी के लिए निश्चित है। अब तो इन्टरनेट भी आप जरूर इस्तेमाल करेंगे।
लेखक भारत का मूल निवासी हैं, जहां अनेक धर्म, अनेक जाति पल रही हैं, यह सब हमारे भाई-बच्चे, बडे़-छोटे या सम्बन्धी जैसे हैं, तो पूरे संसार के प्राणी भी इसी रूप में कुछ न कुछ निश्चित हैं, भारत के प्राणी जागरूक हो, तो हर देश के प्राणी भी जागरूक होने ही चाहिए, समृद्ध होने ही चाहिए। हर धर्म में, हर विभाग में खास नियम हैं, सब अपने हैं, अपनों के काम आओं। ये पवित्र पुस्तक ”विशाल ज्ञान विज्ञान सबका समाधान“ आप सब के सहयोग से, आप सब के लिए, आपके पास और हर जगह पहंुँचेगी और सच्चाई, कर्मठता, वफादारी बढ़ेगी, ज्ञान बढ़ने पर हर अनियमितता खुद खत्म होंगी और सारा संसार सुनहरा होगा।
कड़वी सच्चाई हैं कि संसार का, हर प्राणी या हर जीव, इतने अपनो के होते हुए किसी भी हालत में अत्याचारों से कभी नहीं बचा, अपनों में, सारे सगे-सम्बन्धी, सारे सरकारी प्राणी, सारे नेतागण, सारे गैर सरकारी प्राणी व सबका भविष्य विद्यार्थीगण तक शामिल हैं और सेन्ट-परसेन्ट, हर अत्याचार के या हर अनियमितता के जिम्मेदार, सारे सरकारी प्राणी और सारे नेतागण हैं, जो देखभाल करने की, हर माह मोटी पगार और हर फैसलेटी ही नहीं, कार्यकाल के बाद पेन्शन ही नहीं, मरने के बाद भी फेमली की नौकरी और फेमली पेन्शन तक लेते हैं, यह सब 58-60 साल या 5 साल के लिए वफादारी के लिये बुक हैं, वचनबद्ध हैं। विडम्बना यह भी हैं कि कानून होते हुए, यह मनुष्य बुद्धिजीवि होते हुए, यही नहीं पूरी तरह सक्षम होते हुए, अत्याचार करने और अत्याचार सहने के लिये मजबूर है। अकाट्य सच यह भी है कि अत्याचार या कोई अनीयमितता करने वाला सरकारी प्राणी हो, नेता हो या कोई और हो और चाहे जितने सक्षम हो, गलती करने वाला, उसके बच्चें, सगें-सम्बन्धी भी, यहाँ तक कि उसका पूरा विभाग तक सजा से बच ही नहीं सकते, हर व्याधा, हर बीमारी इन्हें घेरती चली जाती हैं। यह गलती करने वाले भी, हमारे अपने कुछ न कुछ निश्चित हैं, हमें इन सबको बचाना है, इन्हें इनके लायक, समाज के लायक, उसके विभाग के लायक बनाना है। यह धर्म है, मानव धर्म है, सबसे बड़ा धर्म है। हर अत्याचार, हर अनियमितता खत्म करना, मानव धर्म सिखाना, सूत्र वर्णित है।
विशेष: हमारे लिए सृष्टि के सारे जीव 84 लाख योनि के छोटे, बड़े सारे जीव, छोटे-बडे़ जरूर हैं लेकिन इज्जत सबकी बराबर है, सबकी इज्जत कम तो हो ही नहीं सकती, इज्जत सबकी बड़ी हैं, बल्कि निर्जीव तक की बेकदरी या अवहेलना की ही नहीं जा सकती, कम से कम ज्ञानी और समझदार इन्सान, किसी की बेइज्जती तो कर ही नहीं सकता। सच्चाई यह भी हैं कि गलती करने वाला या अनियमितता बढ़ाने वाला इन्सान, किसी का कुछ नहीं होता। जब तक की वो माँफी न माँगे या गलती की सजा न भुगते। इस सब के बावजूद लिखी हुई किसी कटु सच्चाई को अन्यथा बिल्कुल न ले। कोई शब्द जिससे किसी की इज्जत कम होती नजर आये, ऐसा बिल्कुल न समझे। हमारा ध्येय किसी की इज्जत कम करना है ही नहीं, सच्चाई लिखने का ध्येय यह है कि सफाई-सुधार जल्द और आसानी से हो, गलती करने वाले का जीवन साफ-सुथरा हो। जैसे कहा जाए सूरज में गर्मी है, यह उसकी इज्जत कम करना या बुराई करना नहीं। उसके बारे में बताना भर है। घर का मुखिया या प्रधान, राजा या राष्ट्रपति, जिसके सिर पर पगड़ी बंधी हो, उनके बारे में गलत लिखना, अपराध ही नहीं, भयंकर अपराध है लेकिन यह हमारी पगड़ी भी हैं, अगर हमारी पगड़ी, दागदार या गन्दी हों, तो सर्फ, सोडा, साबुन लगाकर, भट्टी पर चढ़ाकर, थपकी-डण्डे से पीट-पीट कर धोनी और साफ करनी ही चाहिए, फिर गर्म प्रेस से, हर सलवट निकालकर, चमका कर पहनना, पगड़ी व सबकी इज्जत बढ़ाना व बचाना हैं, यह अपराध हो ही नहीं सकता। यह समझदारी हैं। हर पाठक से प्रार्थना, इल्तजा या अपील है कि पढ़कर, किसी की इज्जत कम करने की या बुरा कहने की कोशिश भी न करें, वरना वह खुद जिम्मेदार होगा। हमारी ऐसी किसी, अंजान गलती के लिए, हम क्षमा प्रार्थी हैं। लेकिन किसी की भी गलती का सुधार निश्चित करना हैं, यह कभी न भूलें। बिल्कुल ऐसी स्थिति पैदा करनी हैं, जैसे आपको कोई उंगली भी लगाये, तो आप बेहद बुरा मान जाते हैं, गुस्सा हो जाते हैं, मरने-मारने को तैयार हो जाते हैं। वहीं आप एक डाॅक्टर के द्वारा, खुद कड़वी दवा पीते हैं, इन्जेक्शन, आप खुद लगवाते हैं, यही नहीं आपके परिवार वाले, सम्बन्धी तक, पहले पैसा जमा करते हैं और आप खुद कहते हैं आॅपरेशन करो। माँ-बाप, बीवी-बच्चे तक लिख कर दे देते हैं कि मर जाए तो कोई शिकायत नहीं। डाक्टर के कहने से खाना-पीना तक छोड़ देते हैं और उस डाॅक्टर का एहसान भी मानते हैं। इसी प्रकार आप भी कुछ ऐसी युक्ति सोचकर अमल कर सकते हैं मकसद सफाई-सुधार का ही होना चाहिए। आज खास-तौर से प्रशासन सम्बन्धी सरकारी प्राणी पगार के अलावा, ऊपर के पैसे के लालच में अपने विभाग के अन्य र्कमचारी आदि को छोड़कर, केवल हर गैर सरकारी प्राणी को सुधारता हैं।
नेता, नोट, वोट और सीट के लालच में कही भी सही सफाई-सुधार सोच ही नहीं पाता। गैर सरकारी प्राणी, पेट की आग, अथाह मेहनत, हर मजबूरी के कारण या डर के कारण सफाई-सुधार के लिए कोई कदम उठा ही नहीं पाता। सबका भविष्य विद्यार्थीगण, पढ़ाई की कठोर मेहनत, नौकरी की इच्छा और बड़ी-बड़ी महत्वकाक्षांओं के कारण, साथ ही बड़ों के अंकुश, सफाई-सुधार में हर अड़चन डालते हैं। अब इनमें गैर सरकारी प्राणी जरूर ऐसा है, जिसे हनुमान की तरह अपनी शक्ति का ज्ञान नहीं है। यह ज्ञान होते ही हर अनियमितता अपने आप खत्म होगी। वैसे भी दुष्ट चाहे जितना मजबूत हो, धर्मात्मा चाहे जितना कमजोर या मजबूर हो, जीत हमेशा सच्चाई की होती है। हिम्मत और दिमाग आपका होता है। हिम्मते मर्दा, मद्दे खुदा।

आखिर में इस पवित्र पुस्तक को पढ़कर और अमल में लाकर इसकी पवित्रता को और बढ़ायेंगे, साथ ही सारा संसार सुनहरा बनायेंगे या सुनहरा बनाने में हमारा सहयोग करेंगे। इन्टरनेट का इस्तेमाल जरूर करें।
मैं और तू से, हम बने, हम से, सब संसार, 
मैं या तू नहीं, तो हम नहीं, हम नहीं, नहीं संसार।
करत-करत अभ्यास के, जड़मत, होत सुजान, 
रसरी, आवत-जात ते, पाथर पड़े निशान।

इति...........
धन्यवाद.
सम्पादक
- लव कुश सिंह ”विश्वमानव“ 
आविष्कारकर्ता-मन (मानव संसाधन) का विश्व मानक एवं पूर्ण मानव निर्माण की तकनीकी
अगला दावेदार-भारत सरकार का सर्वोच्च नागरिक सम्मान -”भारत रत्न“


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