Thursday, April 16, 2020

गुलाम

गुलाम


पहले गुलाम थे हम, अब जलील भी हो गये हैं, 
कभी गुलाम गैरों के थे, अब अपनो के हो गये हैं।
करते थे अत्याचार जो, मालिक थे, वो हमारे, 
करते हैं अत्याचार अब, नौकर हैं, वो हमारे।
(रोजी रोटी देने वाला मालिक होता है)

सुभाष, लक्ष्मी, भक्त सिंह, पले थे, कभी यहाँ पर, 
देशद्रोही, गद्दारों की खेती की जाती है, अब यहाँ पर।
शेर एक होता है, राजा एक होता है, अरे कुछ कर ऐसा, 
मिटने लगे गद्दार, साबित हो, तू ही है, मर्द बच्चा।
खुद बीड़ा उठायें, जलवे दिखायें



अपील
आप बुद्धिजीवि है, स्वाभिमानी हैं, आप अपने बच्चो की उँगली गंदी देख नहीं सकते, कुत्ते की गन्दगी देख नहीं सकते, सबसे प्रेम करते हैं तो अपने अनमोल सरकारी प्राणी और नेता की गन्दगी (गलती) कैसे-क्यों बर्दाश्त करते हैं? इनके वंश को गंदा होते देख कर बर्दाश्त क्यो करते हैं? इन्हें सुधार कर देश पर हर प्राणी पर एहसान क्यों नहीं करते? सबको एक-दूसरे का ध्यान रखना ही पड़ेगा। सबसे सच्चा प्रेम करो, हर धर्म-ग्रन्थ का कहना है-

पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पण्डित भया न कोई।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़ा सो पण्डित होई।।



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