समाज कल्याण और विभाग
सृष्टि बनने के बाद 84 लाख योनि के जीव बनंे और कुदरत या भगवान, अल्लाह, वाहेगुरू, गाॅड ने एक-दूसरे के प्रति कल्याण, जैसा गुण जीव की बुद्धि में पैदा किया या अच्छी सच्ची बुद्धि में खुद पैदा हुआ, मनुष्य सर्वोपरि बना और खुद के कल्याण से पहले, अपनांे के कल्याण की बात सूझी और बड़ों ने गहरे तजुर्बे किये, जो हर युग के, अगले युगों के में भी चर्चित रहे और सच्चे धर्म को जिन्दा रखा गया या जिन्दा रहा, इतिहास गवाह है।
भगीरथ ने अपने वंश के पुरखों के कल्याण और उद्धार के लिये कठिन तपस्या या मेहनत की। उसके साथ अपना या गैर, कोई नहीं लगा और तपस्या में सफल होकर, पृथ्वी पर गंगा को उतारा जिससे, हर जीव का कल्याण हुआ। हर धर्म के धर्मगं्रथों में यह बात सदियों से कही गयी और पहले से अब तक सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग में भी यह प्रचलित है कि दूसरों के कल्याण मंे ही अपना कल्याण है। युग बदलने की भी अजीब प्रक्रिया है। धर्मग्रंथों के मुताबिक जब पाप और पापी बढ़ जाते हैं, तो पृथ्वी पाप का वजन बर्दाश्त नहीं कर पाती, तब किसी महापुरूष के रूप में भगवान जन्म लेता है और सबका उद्धार करता है, जीव और निर्जीव का। उसमें धर्म से ओत-प्रोत कुछ लोग ही बचते हंै या कुछ जीव ही बचते हैं और नये युग का जन्म होता है। वैज्ञानिक इस बात को दूसरे रूप मंे लेते हंै, जो हमेशा विचलित रहे हैं, खुद वैज्ञानिक यूनिटी में बंधे हैं और मानते हुए भी कहते हैं, तो वह भी अकेले में।
सबके सामने उनकी रिसर्च बताती है कि पृथ्वी, चाँद, सूरज और अन्य ग्रहों में गुरूत्वाकर्षण और चुम्बकीय प्रभाव के कारण, प्राकृतिक उथल-पुथल होती है, जबकि ज्ञान के मुताबिक यह उथल-पुथल भी मनुष्य के गलत आचरण से ज्यादा या कम हो सकती हैं और सब खत्म होने के बाद नया निर्माण होता है, लेकिन यह भी सम्भावना है कि पृथ्वी पर पानी, हवा, अग्नि, पृथ्वी आकाश के अलावा कुछ जीव और निर्जीव बचते हैं और सृष्टि का नव निर्माण होता है, इन पाँचों तत्वों के मिलने से नव-निर्माण होता हैं, इसी पैथी (विधि) पर जापान और अमेरीका, जैसे सक्षम देश पृथ्वी के नीचे, एक सब तरफ से, हर तरह से सुरक्षित स्थान बनाकर, हर जीव के वंश को बचाने के लिये, ज्यादा से ज्यादा योनि के जीव रखने की प्रक्रिया कर रहे हैं, जिससे पृथ्वी पर कैसी भी उथल-पुथल होने पर जीव बचाये जा सकें, ज्ञान के मुताबिक कुछ भी ऐसी कोशिश बेकार है और निश्चित ही, कोई ऐसी कोशिश के बिना भी जीव बचते है और सृष्टि चलती है या टोटल नव-निर्माण होता है।
विज्ञान के मुताबिक पानी और हवा और सही मौसम के कारण जीव सूक्ष्म रूप से अपने रूप मंे आते हैं या जीव पैदा होते हैं और समय और सही वातावरण के होने पर पनपते हंै और पीढ़ीयों में बदलाव भी आतें हैं, इसीलिये मनुष्य को बन्दर का वंश माना जाता है, जो सदियों मंे बदल कर आज के मनुष्य के रूप में आया, लेकिन वैज्ञानिक भूल जाते हैं, कि बन्दर अब भी हंै, गोरिल्ले वनमानुष, अब भी हैं, वह मनुष्य रूप में क्यों नहीं बदलें? अगर रूप बदल कर मनुष्य बनता, तो यह बन्दर और वनमानुष ने रूप क्यों नहीं बदला? बहरहाल मनुष्य में खासतौर से, सबके कल्याण की बात दिमाग में आयी और उसने अनेक तरीको से पूजा, इबादत, व्रत, रोजे रखकर, हर एक को समझाया कि मानव कल्याण भी पूजा, इबादत ही है, हर तरीके के इंसान है, जिनमें पहले से धर्म से ओत-प्रोत इंसान की तादाद ज्यादा ही रही है, हर गलत से गलत इंसान में, एक इच्छा इंसान निश्चित छुपा होता है, जो 24 घंटे में एक दो अच्छे काम जरूर करता है। भारत सरकार के यहाँ भी बेहद पढ़े-लिखे, समझदार तजुर्बेकार अधिकारी और नेता हैं, जिनकी यूनिटी, पूरे देश के बारे में सोचती है और हर तरफ सोच कर नये उपक्रम शुरू करती रहती है, जैसे किसानों को सहायता के लिये कृषि कार्ड स्कीम बनाई और अमल किया।
इसी प्रकार समाज कल्याण विभाग बनाया। समाज कल्याण नाम के द्वारा, सरकारी विभाग आदि के द्वारा, प्रधान, सेक्रेटरी के द्वारा, नेताओं के द्वारा, सरकारी विभाग आदि के द्वारा, नेताओं के कोटे से समाज के प्रति कल्याण की भावना से बनाया, जिसमंे विधवा पेंशन, गरीब की लड़की की शादी, गली व सड़के बनाना, गाँव में शौचालय, मकान, गलियांे को बनवाना, सफाई-सुधार व अनेक प्रकार से समाज के कल्याण को ध्यान में रखकर, इस विभाग की रचना की और अब यह कर्मशील भी है, केन्द्र सरकार ने यह विभाग बढ़ाकर हजारों लोगों को रोजी रोटी दी। अधिकारी से लेकर, अनेक कर्मचारी शानदार बिल्डिंग, अच्छी पगार और अनेक सुविधा इन्हें दी। जिससे यह पूरा विभाग ठीक चल सके और समाज के लोगों की सहायता कर सके।
अच्छे दिमाग के अच्छे लोग स्कीम बनाते हैं और कार्य रूप देते हैं, लेकिन भ्रष्ट लोगों की तादाद ज्यादा होने से, यह किसी भी विभाग में दीमक या बैक्टीरिया जैसे रूप में रहते हैं, जो हर हाल में, हर बन्धन काट कर भ्रष्टाचार फैला देते हंै, यही नहीं ऐजेन्ट जो गैर सरकारी होते हैं, उनके द्वारा पूरी तरह पूरा विभाग भ्रष्टता से परिपूर्ण, कुछ समय में हो जाता है, बैंक से लेकर अदालत तक, बिजली विभाग से लेकर, कल्याण विभाग तक समाज के लिये, जो भी सहायता की स्कीम बनती है, सरकारी सहायक बेहद निपुणता से सहायक धन के द्वारा, अपना कमीशन, रिश्वत के रूप में लेने की स्कीम बनाकर, सफलता से अमल करते हैं और फायदा उठाते हैं, जिसमें सबसे ज्यादा योगदान नेता का होता हैं या स्कीम ही सारी नेताओं की होती हैं।
शिक्षा विभाग हो या समाज कल्याण विभाग, सब जगह एडवांस रिश्वत लेते हैं, तब काम करते हैं, यही लोग प्रधान, सेक्रेटरी, एजेन्ट के द्वारा गलत विधवा पेंशन, शादी, कन्या धन, 12वीं पास को 20 हजार, शिक्षा धन जैसे प्रोग्राम गलत बनाकर पैसा कहीं का कहीं पहुँच जाता है, वह पैसा निश्चित ही सरकार का होता है, जो हर गैर सरकारी की कठोर मेहनत या बचत का होता है लेकिन नेता और सरकारी प्राणी के हाथों में से निकल कर, जनता के हाथों में पहुँचता है और उस पैसे का बड़ा हिस्सा नेता, सरकारी प्राणी की जेब में पहुँचता है और नाम गरीब का होता है, जबकि फार्म भरने से लेकर पैसे देने तक, हर खानापूर्ति, हर सरकारी प्राणी, प्रधान, सेक्रेटरी, सभासद, चेयरमैन, पटवारी की देख-रेख और उनकी जिम्मेदारी में सही होती है, इनके एजेन्ट इतनी आसानी से सारे काम कराते हैं, जैसे एक आॅफिस में बैठ कर पूरी तरह निपुण इंसान करते हैं, बस ऐेजेन्ट द्वारा 10 हजार के काम के 2000/-रुपये अधिकारी तक पहुँचाने होते हैं।
जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, पटवारी, प्रधान, सेक्रेटरी से वेरिफिकेशन, सब अपने आप बिना समय लगे, निश्चित समय में काम होते हैं और बुलाकर चेक देते हैं, अगर उपर के पैसे नहीं दिये, तो वह फार्म पेन्डिंग रहते हैं, हमेशा त्रुटिपूर्ण रहते हंै, समय इतना खराब होता है, कि 6 माह या साल लग जाते हंै, फिर सालाना इनकम दोबारा दिखाओ या कोटा नहीं आया, मतलब यह है कि अनेक उच्च अधिकारी के होते हुए, वह कैश ही नहीं होता और वह समाज कल्याण नहीं, समाज अत्याचार निश्चित बन जाता है। गरीब 10, 20 कि. मी. से 10 या 20 बार यहाँ पहुँचे, तो आने-जाने में ही पैसा खर्च हो जाता है, काम छूटता है वह अलग, इन्तजार और अधिकारी की जी हजूरी अलग, उल्लेखनीय यह हैं कि मजबूर गरीब इंसान, दो हजार रूपये भी उधार लेकर आता है।
ऐसा हो ही नहीं सकता कि उच्च अधिकारी को पेन्डिंग फार्म की खबर न हो, वह न जानता हो कि फार्म क्यों रोका जा रहा है? वैसे समाज कल्याण विभाग जिले में होता है और तहसीलदार से लेकर डी. एम. और कमिश्नर तक यहीं होते हैं, यही नहीं लगभग, हर विभाग के, ए-वन उच्चाधिकारी होते हैं, जो 58 या 60 साल के लिये बुक हैं, यही नहीं लगभग, हर नेता होता है और इन सबके होते हुए अनियमितता होती रहती है। बल्कि इन सब के होते हुए ही अनियमितता होती है। मीडिया, अखबार पोल खोल भी देते हैं। आये दिन पढ़ते हैं कि इतनी विधवा को पेंशन दी गई और यह विधवा भी नहीं है। अखबार और मीडिया अपने आप में सबूत है। इसी आधार पर वहाँं के प्रधान, सेक्रेटरी, पटवारी और इनके अधिकारी, डी. एम., कमिश्नर तक भयंकर दोषी हैं। सब जानते हैं कि चाकू से कत्ल हुआ। चाकू को सजा नहीं दी जाती। सजा होती है उसको जिसने चलाया। कत्ल मामूली बात है लेकिन यह सब कर्मचारी व अधिकारी लगातार पता नहीं कब से ऐसा भयंकर गुनाह कर रहे हैं और आगे करते रहेंगे।
इन्होंने जितने, इनके मातहत और साथी, सामने आयें, इनके अधिकारी तक, उन सबको भ्रष्ट बनाते हैं और भ्रष्ट बनाते रहेंगे, जिसकी पेंशन बँधी, वह गैर सरकारी है और कितना भी गलत हो, इन पढ़े-लिखे अधिकारी ओर कर्मचारी के बीच काययाब हो ही नहीं सकती थी, वह कामयाब इन्हीं के द्वारा हुई और दोषी यही हैं, विधवा का दोष और भी कम हो जाता है, वह बेहद गरीब है। खासतौर उधार लेकर ही रिश्वत दी होगी, गलती हुई और इसके लिए कानून, इसे फाँसी की ही सजा चुने, पर इन सब कर्मचारी, अधिकारी, नेतागण की क्या सजा होनी चाहिये? वह भी यह ध्यान रखते हुए कि यह गलती शुरू से कर रहे हैं।
इनाम के हकदार, अखबार और मीडिया हैं, सजा के हकदार, विजिलेंस, सी. बी. आई., एल. आई. यू. तक निश्चित है, गुनाह बेहद छोटा है, चोरी की है, साबित है, वरना अखबार और मीडिया सजा के हकदार हैं, गुनाह है कि चोरी छिपाई भी गई, यह भयंकर गुनाह और भयंकर हो जाता है, जब जनता के सामने भी आ गई, मतलब यह है कि पूरे देश में प्रधानमंत्री, जज, न्यायमूर्ति सब की नजरों में आयी और अगर नहीं आयी, तो इन सबका और ज्यादा बड़ा गुनाह हुआ, क्यों नजरों में नहीं आयी? आपकी उँगली गन्दी है, हाथ भी गन्दा है, सिर भी गन्दा है, फिर आप सफाई करने की जगह, छुपा रहे हंै। यह कल्याण विभाग बनाया गया, समाज का कल्याण करने के लिये और यह क्या कर रहे हैं? खुद का भी, अपने बच्चों का भी बँटाधार, केवल पैसे के लिए, वह भी मजबूर का, वैसे पगार बेहद अच्छी है।
इन्हें अपने कल्याण की भी चिन्ता नहीं है। वैसे इनका परिवार, खानदान, बेहद धर्म में आस्था रखने वाले हैं। पत्नी, माँ, तो व्रत पूजा तक करती है। लड़की है, बहनें हैं। बेहद पूजा-पाठी हैं। पढ़े-लिखे हंै, धर्म, ग्रन्थ पढ़ते हैं। सब विज्ञान-ज्ञान से जानते हैं, कि क्या गलत है क्या सही है। एक गलती से, सब पर क्या असर पड़ता है। एक पूजा में छोटी सी गलती, सारी पूजा को बेकार कर देती है और अनजाने कष्ट भुगतने पड़ते हैं। परन्तु पापा, भाई, पति, बेटा गलती करता रहे और उसके न. 2 के पैसे से, यह सब धर्म-कर्म तक करते रहते हैं और गर्वित होते हैं। रोकना, समझाना तो बेहद दूर है। अब भी लोग, पुरूष, नारी हैं, जो पाप की कमाई खाने से, जहर खाना ज्यादा पसंद करते हैं, ऐसे गलत बच्चे, सम्बन्धी होने से, निःसन्तान या अकेला होना धर्म समझते हैं। खुद कल्याण विभाग में, नारी कर्मचारी और अधिकारी हैं, जो धर्म कानून में आस्था रखती हैं। लेकिन सफाई-सुधार करने से डरती हैं। क्योंकि गन्दगी इतनी दूर तक और इतनी ज्यादा है कि किसी भी हालत में, उनके बस की ही नहीं है। इसी प्रकार, जनता भोली है, मजबूर है और पेट की आग के कारण ज्यादा बिजी है या काम करते रहना उनका धर्म है। नौकर का जमीर इतना गिर गया है कि नारी होते हुये गलत जगह गलत कर्मचारीयों व अधिकारी में काम कर रही है और शर्मिन्दा भी नहीं है।
पाठकगण या केाई बताये जहाँ दोष करने वाले और दोष छुपाने वाले सक्षम हैं, उनको कैसे रोका जाये, जिससे परेशानी भी न हो। निश्चित ही यह काम जनता करेगी और हर अधिकारी, कर्मचारी सारे नेता के द्वारा करेगी। यह सब सहयोगी बनेंगे। बस सबको जगरूक बनाना है। विद्यार्थीगण नवयुवक बेहद जोश भरे होते हैं। ज्यादा से ज्यादा धर्म से ओत-प्रोत होते हैं। इसके साथ नारी जाति भी है। यह तूफानों का रूख मोड़ने की क्षमता निश्चित रखते हैं। पूरे देश के भविष्य हंै, आगे बागडोर इन्हें ही संभालनी है। यह वह राजकुमार हंै, जिसे राजा बनना ही पड़ेगा, इन्हें पंगड़ी बंध्ँावानी ही पड़ेगी। अधिकतर अधिकारी, कर्मचारी या 5 साल की उम्र वाले नेता कहते पाये गये हैं कि यह काम हमारे क्षेत्र से बाहर हैं या इसका हक मुझे नहीं हैं। यह एकदम गलत हैं, आप शादी करते हैं, बनी-बनायी दो रोटी मिलें इसलिए, प्रचलित हैं। यह आपकी पत्नी क्या रोटी ही बनाती हैं? घर के सारे काम, देखभाल, आपकी और आपके, अपनों की सेवा, आप उससे क्यों लेते हैं? हर सुख क्यों उठाते हैं या उससे बच्चे पैदा क्यों करते हैं? एक नौकर आपने क्यों रखा, काम के लिए, लेकिन वह देखभाल भी करता हैं क्यों? आपके दोस्त, दुश्मन की खबर तक आपको देता हैं, आप बताइयें एक गैर सरकारी, गँवार सारे काम करता है, तो आप तो सरकारी नौकर हैं, मान्यता प्राप्त व परमानेंट हैं, सारे काम करने की क्षमता बनानी चाहिए, इससे इज्जत बढ़ती ही हैं, फिर काम करने से ज्यादा अच्छा, आप काम आसानी से करवा सकते हैं। इस बात को समझें, तो विश्व अदालत तक कुछ नहीं कर सकती। आपको हक है बड़े से बड़ें को समझा सकते हैं, सिखा सकते हैं, लेकिन किसी दूसरे की इज्जत कम न हो, ध्यान रखें। ऐसे ही सफाई-सुधार की बात हैं। आप नहाते हैं, तो साफ कपड़े क्यों पहनते हैं? मतलब यह है कि सफाई-सुधार केवल खुद का ही नहीं, घर का, बच्चों का, आॅफिस का, सगे-सम्बन्धी का, यार-दोस्त का, सबका होगा, तभी तो साफ हैं, माने जायेंगे। संसार के सारे समाज के कल्याण सम्बन्धी प्राणी या संस्थाओं व सबको निमंत्रण है कि कोई एक या पूरी यूनिटी, सब जगह की हर अनियमितता को खत्म करके, सारे संसार को सुनहरा बना कर, खुद को व सब को धन्य करें। किसी भी अनियमितता को इन्टरनेट पर डालें, यह न सोचें कि कुछ नहीं होगा।
हमंे कुछ नियम बनाने ही चाहिये, जिससे समाज कल्याण के द्वारा सच्चाई से समाज का कल्याण हो, यह सच्चाई तब ही पूरी होगी, जब इस विभाग में ही काम करने वाले कर्मचारी, अधिकारी और उनके परिवार का भी कल्याण हो।
सुधार-सफाई के लिए विचार
01. यहाँ पर एजेन्टों के द्वारा काम होता है, निश्चित ही यह सब काम मेहनत करके उपभोक्ता और कर्मचारी व अधिकारी की सिरदर्दी बेहद कम कर देते हैं, यह खुद ध्यान रखें कि अधिकारी पगार के अलावा पैसा बिल्कुल न लें और निश्चित समय मंे काम पूरा करें। इसके लिये समाज कल्याण आॅफिस में, गेट पर कम से कम दो-तीन शिकायत पेटिका लगायें और लोगों को कर्मचारी और अधिकारी को प्रोत्साहन किया जाये कि वह गलती की शिकायत करंे और या शिकायत पोस्ट करें जिससे दोषी व्यक्ति को जुर्माना देने पर बाध्य किया जाये और सुधार बरकरार रहे। अब इन्टरनेट की सुविधा का फायदा उठायें।
02. नगरपालिका में हर प्राणी का पूरा ब्यौरा होता है और अनियमितता की शिकायत, यहाँ का कर्मचारी आसानी से कर सकता है। सहायता केवल कर्मठ लोगों की या मजबूर लोगों की ही की जाये, वह भी बिना पैसे लिये या उपभोक्ता को परेशान किए बिना। सभासद, चेयरमैन, नगरपालिका के पास सबकी जन्म-पत्री है, समाज कल्याण विभाग की अनियमितता की शिकायत ऊपर तक करना, इसकी जिम्मेदारी मानी जाये।
03. दोषी व्यक्ति के द्वारा मोटा जुर्माना अविलम्ब राजकोष में जमा कराया जाये और निश्चित समय में दूसरी गलती पर पहले जुर्माने का 5 गुना जुर्माना लिया जाये, कोताही करने वाले को, सबसे बड़ा देशद्रोही माना जाये शिकायत न होने पर, यहाँ के सभासद, चेयरमैन व नगरपालिका को निश्चित दोषी मानी जाये।
04. दोषी व्यक्ति की नौकरी शिकायतकर्ता को दी जाये, केवल दोषी व्यक्ति के तीन या चार दोष बताने या दिखाने पर, क्योंकि देश में सरकारी नौकर, सच्चे, वफादार, कर्मठ लोगों को ही रखा जाये, यह गैर सरकारी, ऐसा ही प्राणी है माना जाये।
05. दोषी व्यक्ति के परिवार वालो को हिदायत हो कि दोषी व्यक्ति को गलती करने से रोके, मना करें वरना परिवार को सरकारी नौकरी वर्जित मानी जायेगी।
06. शिकायत पेटिका या शिकायत रजिस्टर का चार्ज केवल उन लोगों के पास रहेगा जिनकी शिकायत करने की गिनती ज्यादा हो। वह गैर सरकारी, सरकारी प्राणी या नेतागण और विद्यार्थीगण कोई भी हो, किसी भी फील्ड मंे शिकायत हो, क्योंकि देखा गया है कि सूचना विभाग भी शिकायत को नजर अन्दाज करने की कोशिश करते हैं या डिले करते हंै या कम्प्रोमाइज करके दोषी प्राणी को बचा लेते हैं। सब नेता, न्यायमूर्ति, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तक के वेबसाइट हैं, शिकायत दब ही नहीं सकती, सुझाव पर अमल भी होगा।
07. शिकायतकर्ता को हक है कि किसी विभाग की शिकायत किसी भी विभाग की शिकायत पेटिका में डालें। उस शिकायत पर, हर एक के द्वारा कार्यवाही होनी चाहिये।
08. समाज कल्याण विभाग के कर्मचारी व अधिकारी जहाँ भी रहते हों, वहाँ के किसी विभाग में अनियमितता पाये जाने पर सारा विभाग दोषी माना जाना चाहिये अगर यह शिकायत न करें, तो कम से कम 100/-माह में जुर्माने के हकदार हो और तीन माह बाद भी शिकायत न आना साबित करता है कि यह देशभक्त नहीं है या देश के वफादार नहीं है। इसलिये 1000/-जुर्माना अदा करें। अगर सरकारी विभाग ही, दूसरे सरकारी विभाग की देखभाल नहीं कर सकते, तो ऐसे सरकारी विभाग खुद, आने वाले समय में देश के प्रति, अपने विभाग के प्रति गद्दार हो जायेंगे, निश्चित है। जैसे विजिलेंस होते हैं। यह विभाग, सी. आई. डी. के होते हुए, एल. आई. यू. के होते हुए, हर नेता, हर विभाग गद्दारी कैसे कर रहे हैं? अपने विभाग को नुकसान कैसे पहुँचा रहे हंै?
09. ”घर का सुधार = गलती पर अविलम्ब सजा और मेहनती को प्रोत्साहन“ नियम को समाज कल्याण विभाग और अन्य विभाग में लागू किया जाये, प्रचलित किया जाये और अमल में लाया जाये।
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