विद्युत और विद्युत विभाग
सृष्टि बनते ही प्रकृति के द्वारा सही मौसम के सौजन्य से जीव बनने शुरू हुए, जिसमंे मनुष्य भी बना। विज्ञान और ज्ञान के मुताबिक जल, वायु, आकाश, पृथ्वी और अग्नि के मिलन से हर जीव निर्जीव की रचना हुई और यह एक-दूसरे से एक चेन या जंजीर की तरह जुड़े हुए हैं।
धर्मग्रन्थांे और बडे-बड़े ज्ञानी, पुरूषांे का कहना-लिखना है, इतिहास के द्वारा तजुर्बे, करिश्मों के द्वारा कहा जाता है कि, सारेे ब्रह्माण्ड को चलाने वाला, हैन्डल करने वाला एक ही है, जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का संचालन करता है, वह है भगवान, अल्लाह, वाहेगुरू, गाॅड। हिन्दू धर्म सबसे पहले प्रचलित हुआ और इसने गहरे शोध करके समय और गणित के द्वारा सकंलन करके, जब से पृथ्वी बनी, जीव बने, मनुष्य बने और लास्ट तक का पूरा ब्योरा ग्रन्थों में लिखा। अब जो विज्ञान कर रहा हैं, ब्रह्माण्ड की हर चीज का वर्णन बहुत पहले से है। जो चार महाग्रन्थों में आदि काल से उल्लेखित है। चार युगो में बाँटा गया। कुल पृथ्वी पर चैरासी लाख योनि और हर योनि के असंख्य जीव दर्शाये। ग्रंथ, चार वेद और 18 पुराण है। चारो वेदों को जापान अपने साथ ले गया, जिसके कारण वह आज भी संसार में सबसे आगे है। उसके अलावा भी विज्ञान के ठेकेदार भी जब कहीं कोई रिसर्च में फेल होते हैं या अधूरा रहते हंै, तो वह भगवान के उपर है, कहकर पूर्ण विराम लगाते हंै।
विज्ञान में आज से हजारों साल आगे जो होना है, मनुष्य व अन्य जीव के आचरण तक भी, इन धर्मग्रन्थों में उल्लेखित है, जो अब तक झुठलाया नहीं जा सका। मनुष्य ने होश सम्भालने से पहले ही (विज्ञान के अनुसार भी) जीवन को आसानी से जी सकने के लिये प्रयत्न करने शुरू किये। ज्ञान के सौजन्य से, धर्म-नियम के सहयोेग से विज्ञान पर ध्यान देना शुरू किया। दिन-रात मेहनत की और सबसे पहले अग्नि को वश में करके करंट या बिजली पर कन्ट्रोल करने की कोशिश की, सबसे पहले आकाशीय बिजली देखी, समझा बटोरा और चुम्बक और रगड़ के जरिये, करंट या बिजली उत्पादन पर विजय पाते ही मनुष्य में जैसे पंख लग गये हों और अनेक उपलब्धियाँ असम्भव बढ़ोत्तरी मनुष्य ने की। मनुष्य को हर काम के लिये रोशनी की जरूरत थी, जो केवल दिन में ही मिलती थी, मनुष्य अपने काम को हर जगह 24 घंटे करते रहना चाहता था और रोशनी सबसे जरूरी और ज्यादा कठिन महसूस होती थी, अब बिजली मिलते ही रोशनी ही रोशनी नजर आने लगी।
इस समय विद्युत या बिजली इंसान के लिये खाने-पीने के बाद, सबसे पहली जरूरत है या बन गयी है, यह सच्चाई है, इस समय विद्युत के बिना जीवन अधूरा हंै, आने वाले समय में तो विद्युत के बिना जीवन सम्भव नजर ही नहीं आता। पूरे विज्ञान में करंट और करंट हैं। यह मनुष्य के लिये सबसे लाभदायक उपलब्धि साबित हुई हैै। पहले-पहल छोटी बैट्रियां डायनमों बने और राजाओं-महाराजाओं के द्वारा या सरकार के द्वारा बडे़-बडे़ उपक्रम लगाने शुरू हुए और बाद में बड़े-बड़े पावर हाउस लगाये गये, निश्चित ही यह जनता के लिये खास उपलब्धि पैदा की और जनता से, इसकी हल्की कीमत वसूल करके आगे लगातार बढ़ोत्तरी की तरफ अग्रसर रहंे। इसको पूरा करने के, लिये इसको विभाग के रूप में लाया गया। जिसको भारत में विद्युत विभाग या विद्युत कार्पोरेशन का नाम दिया गया। आज यह विज्ञान की खोज, सबकी खास जरूरत की चीज बन गई है, जिससे हर तरफ असम्भव होने वाले काम आसानी से हो जाते हंै।
घर की रोशनी हो या खेत का पानी हो, घर के मिर्च-मसाला पीसना हो या बड़ी से बड़ी फैक्ट्री चलानी है। अब तो ट्रेन और बस सरकार की इसी से जिन्दा है। बिजली विभाग एक ऐसा विशाल विभाग है कि गरीब से गरीब इंसान और बड़े से बड़ा उद्योगपति, खुद सरकार इसके सम्पर्क मंे है। हर विभाग जनता और सरकार के लिये निश्चित फायदेमंद रहा है और फायदे के लिये ही बनाया गया है, लेकिन कर्मचारी के नकारापन और गद्दारी व नेताओं की गद्दारी से, सरकारी प्राणी और नेताआंे के या एक-दूसरे के सहयोग से, बिजली विभाग इस समय सबसे ज्यादा नुकसानदेय साबित हो रहा है। सच्चाई, अच्छाई के लिये सबसे बड़ा जहर बना हुआ है, केवल विद्युत विभाग के कारण, हर इंसान परेशान और नुकसान में ही नहीं, बल्कि चोर, भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोर बनाने का बड़ा कारखाना, विद्युत विभाग साबित हो रहा है, 40 से 50 प्रतिशत विद्युत केवल नेताओं और नेता के अपनों मंे खप रही है, 20 और 30 प्रतिशत सरकारी प्राणी पचा रहा है या नुकसान पहुँंचा रहे हंै, इसके बाद बची हुई विद्युत, गैर सरकारी के उपयोग में आती है, इसमंे भी विद्युत कर्मचारी अधिकारी के कारण बची विद्युत का 50 प्रतिशत से ज्यादा चोरी में चली जाती है, जिससे बिजली कर्मचारी अधिकारी की मोटी पगार ही खासतौर पूरी होती हो।
विद्युत पावर हाउस के मोटे खर्चे मेन्टीनेंस न होने से खुद घाटा ही घाटा दिखाते हंै। विद्युत 2 और 4 पैसे यूनिट बनने वाली चीज 4-5/-यूनिट बेचने पर भी घाटा हो रहा है, गैर सरकारी या उपभोक्ता पर नाजायज बिल, अतिरिक्त चार्ज, घोर अत्याचार बन रहे है। इसके बावजुद, घर वाले खासतौर से, पढ़ने वाले बच्चे, जो देश का भविष्य हैैैं। नारी, जो देश की इज्जत है। उन्हंे रोशनी के लिये बिजली है ही नहीं, तेल गैस तक उपलब्ध नहीं है।
फैक्ट्री वाले कट के कारण मोटे नुकसान व बड़ी टेन्शन और ज्यादा खर्चा होने से परेशान हैं। हर इंसान पर विद्युत का बिल और मोटी सिक्योरिटी जमा करने पर भी परेशान है, उधर हर कर्मचारी, मीटर रीडर जैसा सीधा करोड़पति बने हंै, थोड़ा सा गहराई से समझने पर इनसे नुकसान ही नुकसान नजर आता है।
खरबूजा, खरबूजे को देखकर रंग बदलता है। सरकारी प्राणी की वफादारी खत्म होते ही, वह अपने विभाग के लिये भी दीमक की तरह नुकसानदायक है। कैसे शुरू हुआ? समझ में आ जाता है। उदाहरणस्वरूप भारत के पश्चिमी उ0प्र0 में सहारनपुर (उ0 प्र0, भारत) शहर है, जहाँ पर लार्ड कृष्णा शुगर मिल और कपड़ा मिल थी, टैक्स विभाग के नाजायज अत्याचार पर यह मिल एन. टी. सी. के अन्तर्गत पहुँची, इसके जो सरकारी जनरल मैनेजर आये, इन्होंने नेताओं के सहयोग से सरकार का मोटा नुकसान शुरू किया। रिश्वत या नं0 2 के पैसे खाने वाले के मुँह का साइज असिमित होता है। मोटा पैसे खाने के लिये, बिजली विभाग सहारनपुर (उ0 प्र0, भारत) को मिलाया गया, उस समय तक सहारनपुर (उ0 प्र0, भारत) का पश्चिम एरिया, खासतौर से इंडस्ट्रीयल एरिया होने के कारण बिजली की खास व्यवस्था थी, प्राईवेट फर्म हर हाल में व्यवस्था ठीक हो, ध्यान रखते हैं और विद्युत की सबसे ज्यादा जरूरत फैक्ट्री और पिक्चर हाल को ही होती थी। जेनरेटर सिस्टम बेहद कम था, कपड़ा मिल के जनरल मैनेजर ने शुरू में 10, 15 मिनट और बाद में घंटो का ट्रिप मारने के लिये विद्युत विभाग को तैयार किया और फैक्ट्री में विद्युत सप्लाई के कारण मोटा घाटा कागजों में दिखाया, इस घाटे से बचने का रास्ता, अपने यहाँ बड़े जेनरेटर के लिये मोटे लोन की इच्छा जाहिर की, लोन पास हुआ, जेनरेटर लगा, जबकि जापानी कीमती जेनरेटर, जो पहले से दोनों फैक्ट्री चलाता था, कन्डम किया गया, जिसमंे मोटा पैसा भी खाया गया।
यह ट्रिप मारना विद्युत कम्पनी की आदत बन गई, इससे पिक्चर हालों से पैसा बँधा, बिजली कम्पनी के कर्मचारी व अधिकारी, इनसे पैसा, फ्री पास और नाजायज परेशानी देना, आदि। पिक्चर हाॅल मालिक परेशानी से बचते-बचते भी फँसे रहते थे। मजबूर होकर बाद में इन्होंने मोटा पैसा खर्च करके जेनरेटर लगाये। लेकिन विद्युत विभाग को कन्ज्यूमर से खाने की, बुरी आदत पड़ चुकी थी। इन्होंने हर छोटी-बड़ी फैक्ट्री यहाँ तक कि चक्की वालों तक को बाँधने की प्रकिया पर अमल शुरू किया, यह आदत ऐसी बनी कि अब कोई घर ऐसा नहीं बचा, जिससे इन्हांेने रिश्वत न खाई हो, मीटर रीडर, लाइनमैन के, इसमें खास सहयोग के कारण विभाग व उपभोक्ता रिश्वतखोर, भ्रष्टाचारी बना है। यह विभाग, एक मजबूत संस्था इस मामले में साबित हुई है। यह जबरदस्ती चोर, रिश्वतखोर, भ्रष्टाचारी बना देते हैं, क्योंकि हर प्राणी सम्पर्क में रहता है, विद्युत इस्तेमाल से बच नहीं सकता। विद्युत विभाग को चाहे 10 साल लगंे, यह बड़े से बड़े उपभोक्ता को हर हाल में झुका ही लेता है।
सहारनपुर (उ0 प्र0, भारत) इन्डस्ट्रीयल एरिया कहलाता था, जिसमें अब लम्बे समय से, हर साल एक, दो फैक्ट्री निश्चित बन्द होती हंै। इसमंे सबसे बड़ा योगदान बिजली विभाग का है। यह परेशानी सहारनपुर (उ0 प्र0, भारत) की ही नहीं, हर शहर की ही नजर आयेगी। इस विज्ञान के जमाने में जहाँं मनुष्य, चाँद के उपर जा चुका है। आज मोबाईल 1.5 वोल्ट से 30 दिन तक चलता है, टी. वी., एफ. एम. चलता है, वहीं बिजली विभाग, बिजली पुरी नहीं कर पा रहे हैं, बिजली की चोरी तक रोक नहीं पा रहे हंै, उपभोक्ता की गलती नहीं है। जब एक सरकारी प्राणी, मोटी पगार, हर सुविधा लेने के बाद 25, 50 रुपये हर घर से लेता है, तो गैर सरकारी प्राणी 25/-रूपये दे कर नं0 2 की 500/-रूपये की बिजली क्यों नहीं फूँकेगा? चाहे बिजली का सामान उधार ही क्यों न लाना पड़े।
गद्दार तो सरकारी प्राणी और नेता है। उपभोक्ता समझता है, हम 25/-रुपये देकर फायदे मंे हैं, वह साल का बिल इकट्ठा करके देखे। नुकसान ही नजर आयेगा। निश्चित ही लेकिन बिजली विभाग देश का सबसे ज्यादा नुकसान निश्चित कर रहा है, हर इंसान को देश का गद्दार बनाकर, मीटर जैसी आइटम से ही उपभोक्ता का मोटा खर्च कराया जाता है। रीडिंग घटा-बढ़ाकर बिल गड़बड़ा कर उपभोक्ता का पैसा और समय खराब कराया जाता है। गैर सरकारी बेहद सहनशील होता है। देश में सौर उर्जा है, हवा है, पानी है, हर वैज्ञानिक है, लेकिन बिजली होते हुए भी बिजली नहीं है। देश का भविष्य विद्यार्थी जब पढ़ने बैठता है। उसकी व उसके माँ-बाप की बेहद प्रबल इच्छा होती है, कि डाॅक्टर, वकील, अधिकारी बनेगा, वह खुद बेहद मेहनती है या मेहनती बनेगा। लेकिन एक बिजली का ट्रिप, होनहार बच्चे का मन पढ़ाई से हटा देता है।
एक देश की इज्जत नारी खाना बना रही है, बिजली का ट्रिप लगा और उसका मूड खराब हुआ, क्या वह कम खर्च मंे अच्छा व स्वादिष्ट भोजन बना पायेगी? खाना बनाने में श्रद्धा कम हुई जिसका असर खाने वाले में नहीं आयेगा? क्या इसके घर वाले बिल नहीं देते या और दूसरे सिरदर्द कम है? विद्युत विभाग बेहद बड़ा है, हर तरीके से सक्षम है। पढ़े-लिखे कर्मचारी, अधिकारी हंै, नेता मंत्री तक हैं, लेकिन खासतौर सबसे ज्यादा नुकसानदायक है। बिजली की गड़बड़ तो है ही, बिल अन्टसंट है, एक प्राणी बिजली का बिल ठीक कराने जाये, तो काम धंधा छोडे़े, पैसा देे या चक्कर काटे, कम्प्यूटर की गलती बताकर भी कन्ज्यूमर का दोष मानते हैं। किसी भी कारण से बिल जमा न हो और कुछ समय कैसे भी रूक जाये, बिल 5 हजार हो जाये तो बिजली काट दो।
यह कर्मचारी व अधिकारी जनता के सेवक कहलाते हैं। इतने पढ़े लिखे हैं कि जब 200, 500/-थे, तब नहीं माँगे, किस कारण पैसे रूके? नहीं सोचा, अब एक अत्याचार और उस घर की रोशनी खत्म कर दो। इज्जतदार इतने हैं कि, दूसरे की इज्जत की भी चिन्ता नहीं। आर. सी. काट दी जाती है, जो और भी गलत है। तहसील, पूरा स्टाफ, यह नहीं पूछता, आपने 200/-, 500/-क्यों नहीं लिये। इतना थोड़ा सा भी पैसा सरकार के पास होता, तो कितनी बढ़ोत्तरी थी, गलती उपभोक्ता की नहीं आपकी है, जिस उपभोक्ता ने 200/-, 500/-नहीं दिये, किसी कारण भी नहीं दे पाया, वह एक दम 5 हजार 10 हजार कहाँ से देगा? कौन सा कानून कहता है? कैसी मानवता है?
तहसील के कर्मचारी खुद अत्याचार करते हैं। रिश्वत खाते हैं, सब जानते हंै सबूत है, कोई एक उपभोक्ता दिखायें, जिसने लाखों रुपये के बिल बिजली विभाग को तहसीलदार के द्वारा दिलाये गये हो, यह परेशानी छोटे उपभोक्ताओं को भुगतनी पड़ती है। दुश्मन अगर समझदार है, वह भी नहीं चाहता, किसी के घर में अन्धेरा करे। विद्युत छोटे उपभोक्ता से भी इतना पैसा ले चुका होता है, कि कम से कम 15 वाट बिजली रोशनी के लिये, पूरी उमर को दे सकता है, जिसका कभी कट ना लगे। बिजली विभाग के पढ़े-लिखे के सबुत अनेक है, परन्तु अत्याचार करने, गद्दार बनाने, रिश्वत का पैसा इकट्ठा करना या परिवार उजाड़ने में सबसे आगे हैं, यह गैर सरकारी ही नहीं, सरकार को भी नहीं बख्शते। अपने आॅफिस मंे भी बिल जमा करा सकते है, लेकिन कैम्प लगाकर, समझदारी का सबूत देते है। विभाग के अच्छे वफादार कर्मचारी भी परेशान है। पहाड़ों, नदी के इलाकांे में और धर्म-कर्म के समय, बड़ी-बड़ी लाईन कागजों में दिखाकर, बाढ़ से तुफान से खत्म हुए दिखाकर, मोटा बिल बनाते है, वह भी नेताओं के सहयोग सें। रिक्शे पर बोेर्ड लगा कर कैम्प का बिल जमा करने का ऐलान करके, पैसा खराब करते है, साथ ही झुठे बिल ऐलान करने के बनाकर पैसा कमाते हंै। इनकी नीति है, जितना उपभोक्ता परेशान, उतनी ज्यादा इनकम। बिजली अगर रोशनी के लिये भी लगातार मिलती रही तो देश की इज्जत नारी और देश का भविष्य, विद्यार्थीगण, हर परिवार, शहर, देश को समृद्ध बनने की गारण्टी रखते हैं।
सरकारी आॅफिस, फैक्ट्री में इस ट्रिप के कारण कर्मचारी काम न करने का बहाना या नकारापन, काम पेन्डिंग, बिजली स्टूªमेन्ट मोटर, बल्ब आदि का हर दिन करोड़ों का नुकसान गैर सरकारी और सरकारी का निश्चित होता है। बुजुर्ग, बच्चे, दूरदर्शन देख रहे हों, मनोरंजन, समाचार देख रहे हांे और ट्रिप लग जाये, तो कितना गलत असर दिमाग पर पड़ता है। यह सब जानते हैं, कि बिजली कर्मचारी और उनके परिवार वाले भी, विद्युत कर्मचारी व अधिकारी को भद्दी गाली देते हैं। यही विभाग ऐसा है, जो हर दिन बद्दुआ और गाली खुद अपनांे की और गैर बिरादरी से खाते हैं। इस विभाग की मिसाल है कि इसमें बेहद अच्छे, भले कर्मचारी और अधिकारी भी परेशान हंै और खुद को गद्दार बनने से बचाने के लिये, लोहे के चबाने जैसी मेहनत कर रहे हैं और बेहद मजबूर हंै।
इसकी गद्दारी से बडे-बड़े जज और न्यायमूर्ती नहीं बचते। विद्युत विभाग की अनियमितता पर पूरा ग्रन्थ लिखा जा सकता है, आजकल यह विभाग प्राईवेट कम्पनी को ठेके पर सप्लाई देना और पैसा इकट्ठा करने की योजना पर अमल कर रहा है। जो सबके लिये गाली के समान है, कर्मठ, वफादार, सरकारी अधिकारी, नेता की इज्जत खराब करने के बराबर है। सरकारी परमानेंट, पढ़ा-लिखा, तजुर्बेकार, सक्षम यूनिटी काम नहीं चला पा रही है, बेहद शर्म की बात निश्चित है। उसे गैर सरकारी नया ठेकेदार कैसे चला लेगा, वह भी उस हालात में जिसमें कर्मचारी और अधिकारी जो नकारा और गद्दार है, पुराने ही है।
खुद ठेकेदार रिश्वत देकर भी नुकसान से बच ही नहीं सकता। उपभोक्ता, गैर सरकारी का खर्च भी बढ़ता है, हर अनियमितता भी बरकरार रहती है, एक-एक उपभोक्ता को चपरासी से लेकर एस. सी. तक की परेशानी अत्याचार कैसे-कैसे भुगतने पड़ते है? यह परेशानी की किस्म उपभोक्ता की गिनती से कहीं ज्यादा है। गद्दारी के सबूत हैं, जो विजीलेंस अधिकारी लोग लाखों रूपये दिन कमाकर देते थे, रिटायरमेन्ट के बाद वह खुद विद्युुत विभाग के अत्याचार सहते मिल जायेंगे, विद्युत कटने के बाद भी बिल आते रहते हैं, आप बिजली कटवायें तो कट जायेगी, लेकिन न सिक्योरिटी वापस होगी न कागजों में कटेगी, फिर आर. सी. तक कट सकती है, बिल तो आपको देने ही पड़ेंगे और यह अत्याचार चपरासी से लेकर एस. सी. के कारण या सब के कारण ही होती है। कहीं तो कुम्हार का आवाँ ही खराब होता है, यहाँ तो आवाँ ही, क्या पूरा खदान ही खराब मिलता है। इस सबसे बेकार नुकसानदायक, बड़े उपक्रम को, हम खुद विद्युत विभाग के लिये, देश के लिये, जनता के लिये, सरकार के लिये कैसे वफादार व फायदेमंद बनाये, अनियमितता गिनना या गिनवाना बेहद आसान है, इसके सुधार के लिये सोचना भी बेहद समझदारी है। यह सरकार और गैर सरकारी का विशेष अंग जैसा है, जो असिमित फायदेमंद भी है, बेहद छोटी कीमत 2.50/-और 5/-की मामूली पैसा, पूरे देश के, हर बच्चे बड़े को, हर सरकारी, गैर सरकारी को, सब कुछ दे सकती हैै, हर हाल में पूरी तरह सम्बन्ध बना सकती है, असिमित, राजकोष बढ़ा सकता है। वैसे तो हर विभाग में कर्मचारी और अधिकारी की किसी अनियमितता पर निश्चित सजा का कठोर नियम या कानून है। यही नहीं हर विभाग को हक है कि किसी भी विभाग के कर्मचारी या अधिकारी की किसी गलती पर शिकायत करंे और अनियमितता खत्म करंे। अधिकारी तो शिकायत के बाद बच ही नहीं सकता।
हर सरकारी प्राणी की कर्मठता लगातार कम होते-होते खत्म होने के कगार पर है। खासतौर से हर सरकारी प्राणी, केवल पगार लेना चाहता है, काम से जी चुराते है और खासतौर से शिकायत करने जैसे, अनमोल नियम को बेकार की सिरदर्द समझकर छोड़ देते हैं। चोर-चोर, मौसरे भाई की मिसाल पर खुद खाओ और खाने दो पर अमल करते हैं, सबसे बड़ा धर्म करने से खुद को रोकते हैं। यह भी कुछ नहीं, विभाग की शिकायत विभाग का कर्मचारी या अधिकारी भी करे, तो छुपाने की या गलती करने वाले को बचाने की, हर चन्द कोशिश की जाती है, काम न चलने पर रिश्वत, सिफारिश का प्रयोग किया जाता है और निश्चित कानून तोड़कर, गद्दार को पालने और परवरिश करने जैसा काम करते हैं और यह भ्रष्ट कर्मचारी व अधिकारी, सदाबहार सदा के लिये, हर पोल्युशन फैलाने का काम करता है। कभी-कभी तो शिकायत करने वाले, धर्मात्मा को बड़ी कठोर सजा भुगतकर या मोटा हरजाना चुकाकर, पीछा छुड़ाना पड़ता है, हर अपना व गैर प्राणी शिकायत करने वाले को ही बुरा भला कहता नजर आता है और गैर सरकारी प्राणी या उपभोक्ता को सच्ची शिकायत पर भी लोहे के चने चबाने पड़ते हैं घर का, समाज का, बुरा तक बन जाता है, कोर्ट कचहरी तक के चक्कर काटने पड़ सकते है, गैर सरकारी जहाँ पेट की आग से और सरकारी प्राणी और नेताआंे के अत्याचार से, जिसे फुरसत नहीं, घर और समाज के कामों से फुरसत नहीं, उसे अब अपनी दिहाड़ी छोड़कर पैसे का, समय का नुकसान उठाना पड़ता है। इस सबसे बचने के लिये, वह हर अत्याचार सहता रहता है और खामोश रहता है। विडम्बना तो यह है कि विद्युत विभाग में, विजिलंेस जैसी सस्ंथा की खासतौर से व्यवस्था है, जिसकी ड्यूटी ही गलती पर सजा देनी है, लेकिन, मीटर रिडर से लेकर एस. सी. तक भ्रष्ट है और पूरा विजलेंस विभाग, उनकों सजा देने की बजाय, उनकी सुरक्षा कर रहा है। खेत की बाड़ ही खेत को खा रही है। यह घर जनता का है, यहाँ की हर चीज जनता की है, यहाँ का हर कर्मचारी अधिकारी या सरकारी प्राणी, काम न करके, गद्दारी करके, कानून तोड़कर पगार ले रहा है, यह जनता के सेवक, देश के चालक व रक्षक है, नेता केवल देश का मेहमान है। उसके आने-जाने का समय निश्चित नहीं है।
इसलिये जनता को अपने घर की, नौकर की, मेहमान की खुद देखभाल करनी चाहिये, करनी है या करनी ही पड़ेगी। गैर सरकारी या जनता की यूनिटी सबसे बड़ी बन सकती है। जनता की शक्ति सबसे बड़ी शक्ति है और इसका सही इस्तेमाल भी बेहद जरूरी है। सरकारी प्राणी आपका सेवक है, दुश्मन नहीं, नेता आपका मेहमान है, हाँ यह अगर गलती करते है, तो सुधारना बेहद जरूरी है। इनकी यह गलती आपके, आपको खुद गलती करने वाले के हक में व उसकी बीवी, बच्चों के हक में भी ठीक नहीं है। गलत प्राणी के सब खानदानी तक, आपके भी कुछ लगते है, भगवान, अल्लाह, वाहेगुरू, गाॅड के जीव है। उन सबको नुकसान से बचाना है।
सब जानते है आपको भी तर्जुबा है। हराम का खाने वाला या खिलाने वाला, उपर वाले के कहर से बच नहीं पाता, गलती करने वाले को जनता या कानून, छोटी या बहुत छोटी सजा देता है, लेकिन उपर वाला तो, कठोर व भयंकर सजा देता है। पूजा ईबादत, चाहें जितनी करो, गुरूद्वारे या गिरजाघर चाहें जितना जाओ, उसकी सजा से बचना नामुमकिन है और फिर, भगवान, अल्लाह, वाहेगुरू, गाॅड ने आपको हाथ, पैर, आँख, दिमाग सब कुछ दिया है। सफाई-सुधार, शरीर की कपड़ांे की या इस्तेमाल की चीजांे की ही नहीं, अपने सेवक की, मेहमान की भी सुधार-सफाई जरूर रखनी है।
जिससे आने वाले समय में, आपकी नस्ल, पूरा देश, पूरी पृथ्वी साफ, सुन्दर, सच्ची हो और सब चीज के साथ-साथ स्वर्ग या जन्नत का मजा लूटे। केवल सही तरीके से शिकायत लिखे उस विभाग को उसके अधिकारी को और उससे उपर अधिकारी को करंे। उसकी कापी अपने पास रखंे। अधिकारी की 24 घंटे की ड्यूटी है, कानून है, सारे काम छोड़कर, पहले शिकायत पर ध्यान दें और सुधार करंे, गलत पाये गये कर्मचारी या अधिकारी को दण्डित करें, उसके साथी व उसके अधिकारी और उसके मातहत कर्मचारी को वार्निंग दें।
उसके पेट या उसके बच्चों के पेट पर लात न मारकर, केवल स्थति व गलती के अनुसार एक तिहाई या आधी पगार का जुर्माना करें, दूसरी गलती निश्चित समय में होने पर, कम से कम पहले जुर्माने का 5 गुना, तीसरी गलती पर 10 गुना जुर्माना नगद राजकोष में अविलम्ब जमा कराये, जिससे राजकोष भी बढ़े और गलती करने वाले के घर वाले भी, उसे गलती करने से रोके, अगर वह रिटायर हो गया है, तो पेंशन में से अविलम्ब काटा जाये, अगर वह मर भी गया है, तो उसकी फैमली पेंशन से काटी जाये परिवार का हक है, अगर गद्दार या गलती करने वाले के पैसे से मौज की है, तो सजा भी भुगते। अगर एक नाव में एक पापी भी बैठा हो, तो पूरी नाव ही डूबती हैै। खासतौर से सस्पेंड न किया जाये, क्योंकि आने वाला कर्मचारी या अधिकारी, गद्दारी में उसका भी बाप हो सकता है, दूसरा, सस्पेंड होकर गलती करने वाला, यूनियन नेता और अदालत के जरिये नौकरी, पगार, सुविधा, पैसे, केवल घर पर बैठकर ले लेता है।
विद्युत विभाग में नियम बनाया जाये, बिल कितना भी हो, बिजली काटी नहीं जायेगी, बिल रूकने पर बैंक अकाउंट सील करें, लेकिन आसान किस्तों में, जो उपभोक्ता को परेशानी न हो, चोरी पकड़े जाने पर बारिकी से जाँच की जाये, यह चोरी बिजली कर्मचारी के जरिये न हों, अगर ऐसा हो, तो सारी सजा या जुर्माना विद्युत कर्मचारी और उसका अधिकारी साथ ही उसके मातहत से वसूल किया जाये।
इनके बिना कोई चोरी कर ही नहीं सकता निश्चित है, बिल का सही भुगतान मीटर रीडर के द्वारा, कार्ड में यूनिट भरकर घर से ही, उपभोक्ता के जरिये लिया जाये, लेकिन दूसरे चक्कर तक छूट है, बाद में आने पर 10/-रूपये बढ़ाकर लिया जाये 15 वाट बिजली रोशनी के लिये देश का भविष्य बच्चे व देश की इज्जत नारी के लिये फ्री दी जाये जो कभी कट न लगे, चाहे बिजली घर पर अलग जेनरेटर लगाना पड़े या अलग केबल दी जाये गलती या चोरी पर मोटा जुर्माना वसूल किया जाये, बेहद कम बिजली खाने वाले टयूब या उपकरण बनाई जाये।
बिजली के सामान बनाने वाली फैक्ट्री पर टैक्स कम से कम हो, सरकार उनकी सहायता करे जिससे सस्ते से सस्ता और अच्छा बिजली का सामान बाजार में बिके और उपभोक्ता खरीद कर लगाने के लिये मजबूर हो, सौर उर्जा, वायु उर्जा को प्रोत्साहन देना चाहिये मंत्री हो या नेता, बिजली खरीदों और इस्तेमाल करो, कोटा आरक्षण बिल्कुल खत्म, यह नियम बिजली विभाग के कर्मचारी और अधिकारी पर भी लागू होने चाहिये।
गधे पंजीरी न खाये, इसका ध्यान आप भी रखंेगे, तब सब ध्यान रखंेगे। हर एक के माँ-बाप सिखाते है, बचपन से सिखाते हैं। आप भी अपने बच्चों को सिखा रहे हैं। चोरी नहीं, झूठ बिल्कुल नहीं, तो बिजली की चोरी ही क्यांे? दूसरा कोई गलत है, तो उससे मुकाबला क्यों नहीं? आप को हम सबको सबसे पहले, नारी और बच्चों के लिये रोशनी की बिजली चाहिये, जो कभी न जाये सड़कों पर, चैराहों पर, टावर खर्च में मोटा पैसा लगता है, बिजली का हर दिन खर्च ज्यादा आता है, वह दिन मंे जलते मिल सकते हैं, रात को बन्द मिलते है। एक टावर के खर्च में कई किलोमीटर में सड़क पर रोशनी रह सकती है, 25 वाट की एफ. सी. एल. टयुब ज्यादा रोशनी कम खर्च में चलती है। इसके अलावा सड़कों पर हर वाहन, फैक्ट्री, अपने वाहनों में पूरी सही रोशनी का प्रबन्ध रखा है, दूसरा हर दुकानदार अपनी दुकान में उपभोक्ता के लिये, भरपूर कम खर्च और ज्यादा रोशनी का प्रबन्ध पहले से रखता है फिर टावर से बड़े बल्बों से ठेकेदारों, नेता, सरकारी प्राणी, नाजायज कमाता है। जब बिजली नहीं थी, सड़कों और गलियों में रात में भी रोशनी मिलती थी, अब बिजली है लेकिन, सड़के, गली, अन्धेरे से परिपूर्ण मिलती है।
मनुष्य कितना समझदार है, खेतांे के लिये, बागांे के लिये पानी का इन्तजाम रखता है। पानी के लिये बड़ी मोटर बिजली का जुगाड़ करता है, लेकिन अपनी इज्जत नारी, सबका भविष्य बच्चों के लिये, रोशनी की बिजली का इन्तजाम करना, सोच और समझ भी नहीं पाता। किसी समय में उपभोक्ता, एक बल्ब या एक टयुब और ज्यादा से ज्यादा पंखा इस्तेमाल करता था। डीपो वाला कहता है, आपके यहाँ बिजली है तेल कट। गैस ली है तो भी तेल कट। एक घर में मिनीमम बिल 125, 250 जरूर देना पड़ेगा। उस घर का कुल खर्च 25 -50/-होता था, ज्यादा से ज्यादा लेकिन एक गरीब आदमी बिना बिजली इस्तेमाल किये 250/-300/-देगा। तो। वह बिजली का नाजायज इस्तेमाल क्यों नहीं करेगा। हर प्वाइण्ट 60 वाट, 100 वाट के हिसाब से लोड बनाते है, कोई सुनवाई नहीं। हाँ रिश्वत दो, तो बात अलग है। 30 प्रतिशत विद्युत तो विद्युत विभाग बिना जरूरत के खपा जाता है, यह भी फ्री की, सरकार ने अरबों रुपये खर्च किये है, केवल सिखाने में कि बिजली बचाआंे। बूँद-बूँद तेल बचाआंे, पानी बचाओं, जबकि आपरेटर ही सही हैन्डल न हो सके। विभाग ही कोशिश न, करे तो कौन बचायेगा? उपभोक्ता तो, जो इस्तेमाल करता है पैसा देता है, सही खर्च करता है, लेकिन विभाग की गद्दारी किसी को क्यों नजर नहीं आती? जनता को जागरूक होना ही चाहिये बिजली के सही इस्तेमाल से पहले, विद्युत विभाग का सुधार सबसे ज्यादा जरूरी है। क्योंकि अब आज और हर आने वाला कल रोशन करना है। विद्युत विभाग से हर किस्म का पोल्यूशन, बजाय खत्म होने के, बेहद तेजी से बढ़ा है। सरकार ने धुआँ, गन्दगी खत्म करने के लिये करोड़ों रुपये खर्च किये है, जो गैर सरकारी से वसूल भी कर रही है, लेकिन विद्युत विभाग की अनियमितता के कारण, हर दुकान, फैक्ट्री को अपना जेनरेटर लगाना पड़ा, जिसमें ज्यादा खर्च और पोल्युशन बढ़ा है, जबकि बिजली विभाग में बड़ा जेनरेटर बेहद सस्ता, और पूरे शहर को सस्ती विद्युत दे सकता है, कम से कम सारा विद्युत का काम विद्युत विभाग को ही करना चाहिये, जिससे ज्यादा से ज्यादा फायदा हो और नुकसान कम से कम हो, यह परफेक्ट और सक्षम होने से आसानी से कर सकते है।
विद्युत विभाग की अनियमिताओं और उनसे, हर एक के लिए तरह-तरह के नुकसान का कोई और-छोर नहीं है। हर उपभोक्ता, हर अच्छे कर्मचारी के साक्षात्कार से पता चलता है, कि विद्युत विभाग की भ्रष्टता खत्म होते ही हर जगह, दिन जैसा उजाला हर समय और सबकी समृद्धि निश्चित है। संसार के सारे बिजली विभाग व उपभोक्ता आमंत्रित हैं कि इससे होने वाली हर अनिमियतता को मिलकर खत्म करें और सारे संसार को रोशन व समृद्ध करके, खुद को व सबको धन्य करें। इसके लिये हमें कुछ खास नियम बनाने हैं और उन पर सख्ती से अमल करना है। ऐसा किसी भी दिन हो सकता हैं, कि कोई रिर्सच में कामयाब हो और जैसे हर प्राणी, दूरसंचार से निश्ंिचत हैं, बिजली से भी निश्ंिचत हो।
सुधार-सफाई के लिए विचार
01. मीटर रीडर को ही या मीटर रीडर के साथ ही, बिल जमा करने वाला रहेे। मीटर कार्ड में और अपने रजि. में यूनिट भरे साथ ही, पिछला बिल उपभोक्ता को दे, वह बिल जमा करे, हो सकता है उपभोक्ता उस समय न दें, दूसरी बार निश्चित देगा, तीसरी बार जुर्माने (जो जायज हो) के साथ जमा करंे।
02. मिनीमम चार्ज खत्म हो, कोई दो रुपये की यूज करे या 200/-की यूज करे, जितना खर्च करो उतना बिल दो। यह नियम सबके लिये हो, नेता, सरकारी प्राणी, चाहें बिजली वाला ही क्यों न हो, सेन्टर से आने वाला पैसा यह सब हजम करते हैं, और उपभोक्ता पर ऐक्ट्रा चार्ज साल, 6 माह में जरूर लगाते हैं, खत्म हों।
03. देश का भविष्य बच्चों के लिये व देश की इज्जत नारी के लिये 15 वाट बिजली रोशनी के लिये 24 घंटे फ्री दी जाये चाहे अलग जेनरेटर लगाना पड़े या अलग केबिल या लाईन डालनी पड़े, उसमें कट न हो, केवल रोशनी के लिये, क्योंकि हर उपभोक्ता अब तक बिजली विभाग को जायज व नाजायज इतना पैसा दे चुका है कि, उन्हें 15 वाॅट फ्री बिजली दी जा सकती है, क्यांेकि बिजली के कट से दिमाग पर बेहद गलत असर पड़ता है।
04. बिल चाहे जितना हो बिजली कटनी ही नहीं चाहिये विभाग के पास बिल लेने के अनेक तरीके है, जैसे बैंक एकाउंट सील करना, पगार से बिल की भरपाई आदि, वह भी उपभोक्ता की सहुलियत के मुताबिक किस्तों में, मोजूदा बिल $ पिछले बिल की किस्त, हर माह जमा करे। कोई भी उपभोक्ता कभी नहीं चाहता कि बिल रूके। खासतौर से ध्यान दिया जाये, कि विभाग के कर्मचारी की कोई कोताही तो नहीं है। विजीलेंस ड्यूटी करें या यह विजिलेन्स विभाग को खत्म करें।
05. विद्युत चोरी पर खास ध्यान दिया जाये बिना विभाग के कर्मचारी या अधिकारी के सहयोेग के चोरी हो ही नहीं सकती, अगर विद्युत विभाग का कोई इन्वाल्व है, तो सारा हर्जा-खर्जा कर्मचारी या अधिकारी से वसूल हो और उपभोक्ता को अल्टीमेटम दिया जाये दूसरी गलती पाये जाने पर 5 गुना जुर्माना केवल राजकोष में अविलम्ब जमा करया जाये (सजा में कोई सस्पेंशन या रिवर्शन नहीं, ट्रांसफर नहीं) गाँव हो, शहर हो, प्रधान और सेक्रेटरी की जिम्मेदारी बनाकर, अल्टीमेटम देकर, अगली बार उनसे भी जुर्माना वसूल किया जाये।
06. बिजली कट लगना ही नहीं चाहिये अगर लगता है, तो सप्ताह में निश्चित घंटे कट के हो, इसके बाद, हर कर्मचारी और अधिकारी से चाहे 5 और 10/-दिन जुर्माना राजकोष मंे जमा कराया जाये लेकिन जुर्माना जरूरी है, बिजली की बचत सड़के, गली की बिजली से और नेताओं और विभाग का सुधार होने पर ज्यादा हो सकती है, अगर कट लगता है तो, सबका कट ही होना चाहिये, जिससे बड़े से बड़े को भी पता चले कि कट से नुकसान होता है। सारा विभाग हर तरीके से सक्षम है, सौर उर्जा, हवा, पानी मौजूद है, जेनरेटर है, फिर भी कट लगना सबकी नाक काटने के बराबर है, सबका नुकसान निश्चित करना है।
07. जो बिजली बचाते हंै, कम खर्च करते हैं, वह धन्य हंै, उनको थोड़ी सी और छूट देकर ईनाम देने जैसा कार्यक्रम करने से, हर उपभोक्ता का बचत करने जैसा ध्येय निश्चित बनेगा, सबको बचत की प्रेरणा होगी, विभाग ध्यान दें। अभी जो उपभोक्ता कम खर्च करता है, मीटर रीडर और विभाग उन पर हावी होता है।
08. आर. सी. काटने जैसा काम, विभाग बंद करे या तहसील बिजली विभाग से पहले जवाब तलब करे। इससे विभाग की अनियमितता, नकारापन, तहसील विभाग को बाधित करता है, और भ्रष्टता व सिरदर्द बढ़ता है, साथ ही विद्युत विभाग के इज्जतदार अधिकारी की इज्जत से खेलने जैसा होता है।
09. विद्युत बल्ब व विद्युत उपकरण बनाने वाले को, विभाग और सरकार को प्रोत्साहित करना चाहिये, कि कम से कम बिजली खर्च की अच्छी से अच्छी और सस्ती से सस्ती उपकरण बनायें। जिससे बिजली ज्यादा बच सके और उपभोक्ता इस्तेमाल के लिये मजबूर हो, मीटर जैसी उपकरण का सारा खर्चा, नुकसान, उपभोक्ता पर नहीं होना चाहिये, इससे भ्रष्टता ही बढ़ती है, विभाग केवल अपने कर्मचारी और अधिकारी पर सख्ती करे, तो हर अनियमितता खुद खत्म होगी, हर कानून, पहले विभाग पर लागू करे, आम जनता पर नहीं।
10. कोई भी कोताही पर या उपभोक्ता की शिकायत पर, अविलम्ब कार्यवाही हो या एक दिन बाद उपभोक्ता को, हर दिन की मिनीमम दिहाड़ी नगद दी जाये जिससे झूठे को झूठे के घर तक असानी से पहुँंचाया जा सके व विजिलेंस विभाग पर भी जुर्माने का नियम सख्ती से लागू हों।
11. हर सरकारी प्राणी, हर नेता की सबसे पहली ड्यूटी बनाई जाये, कि वह जहाँ रहते हैं, वहाँ के एक कि. मी. तक की, हर अनियमितता की शिकायत, खुद या परिवार के किसी सदस्य के द्वारा, अविलम्ब कराये, विभाग की शिकायत पेटिका में डाले या डाक से भेजें और हर अनियमितता का सुधार करायें। विभाग को, हर बिजली घर पर, शिकायत पेटिका और शिकायत रजिस्टर बरकरार रखे। अब सब आजाद देश के आजाद बाशिंदें हैं। गलती न करंे, सुधार के लिये रिश्वत देनी पड़े तो 10/-के 20/-फौरन दें, जायज काम कराये, लेकिन 6 माह में, एक साल व 5 साल में भी, उस प्राणी से ब्याज समेत वसूल करें। यह रिश्वत का पैसा, आपका-आपके बाप का या बेटे की खून पसीने की कमाई है, और कर्मचारी काम करने की पगार लेता ही है, रिश्वत लेने की नहीं, वह ट्रांसफर हो या रिटायर हो, वह मर भी जाये, तो नोमिनी से ही वसूल करें, आप खुद्दार हंै, आप धन्य हंै, आप सबको कर्मठ बना रहे हंै, लेकिन शिकायत जरूर करें या करायंे। इन्टरनेट पर पूरे संसार के हर प्राणी आमंत्रित हैं। आपके बड़े देशों व राष्ट्रों में जैसे बिजली पर्याप्त है, गरीब देश व गाँव में भी बिजली पर्याप्त करायें और खुद को धन्य करें। जहाँ बिजली की अनियमितता हैं वहाँ चैन से न बैठें। दूर तक इन्टरनेट पर शिकायत फैलायें जिससे अन्य अनियमिततायें भी खत्म करने के लिए सरकारी प्राणी बाध्य हों।
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