Thursday, April 16, 2020

महान

महान

छोटन को, लज्जा चाहिए या आज्ञाकारी होय, 
वरना बचके ही रहो, निश्चित ख्वारी होय।
छोटे = बच्चा, नौकर, पशु, मशीन, नेता और नारी
भावार्थ -बच्चा, नौकर, पशुु, मशीन, नेता और नारी में शर्म, आज्ञाकारिता, समझदारी, वफादारी होना जरूरी है या इनमें यह गुण, सिखाने व बनाने चाहिए। वरना इनसे बचकर ही रहना चाहिए। इनके साथ रहने पर निश्चित ही सबका नुकसान होगा।

कर्मठ की, बात ही क्या है, जहाँ जाये, फूल खिल जाये, 
वफादार, कर्मठ रहे नीअरे, हर अनियमितता उड़ जाये।
भावार्थ -कर्मठ इंसान की बात ही क्या है। वह जहाँ भी पहुँचेेगा, इसकी कर्मठता व मेहनत से सब जगह, बेहद बढ़ोत्तरी होती है। लेकिन समझदार और कर्मठ इंसान, नारी, पुरूष, सारे गैर सरकारी प्राणी, सारे सरकारी प्राणी, सारे नेता और सारे विद्यार्थीगण, जहाँ से भी गुजर जाये, तो अपनी समझदारी और मेहनत से, हर अनियमितता की शिकायत से निश्चित, सबका सुधार कर देता है।

मर्द की चाह करती, तो मर्द ही, बना पाती तू, 
गुलाम की चाह करके, गुलाम बना दिया, घर को।
घर = देश या रिहायश
भावार्थ -हमेशा से लड़की और नारी, मर्द की इच्छा करती थी, उनको ज्ञान भी ऐसा ही दिया जाता था और उनकी शादी, अच्छे इंसान या मर्द से होती थी, फिर वह जिस बच्चे को जन्म देती थी, तो उसमें सच्चे मर्द के गुण भरती थी और वह राणा, सुभाष, गांधी, नेहरू, अकबर, इब्राहिम, गुरू नानक जैसे मर्द बनते थे। आज की लड़की, उसके माँ-बाप, पहले ही नौकर पसंद करते हैं। हर नारी, शादी के आस-पास इच्छा करती है कि मेरा पति, मेरी ही बात माने। यह इच्छा आते ही, वह ऐसे ही आचरण करती है। पैदा होने वाले बच्चे को गलत ध्येय से पालती है और यह बच्चा बड़ा होकर, गलत नौकर, गलत नेता या गलत नागरिक बनता है और घर में अनियमितता बढ़ती जाती है, इससे बाद में बेहद नुकसान होते हैं और हर व्याधा, हर बीमारी और हर अनियमितता, घर में व देश के हर विभाग नुकसानदायक हो जाते हैं। गुलाम जैसे ही हो जाते हैं, प्रत्यक्ष है।

साथ बढ़ेन का, चाहिए या बड़कपन आये, 
छोटों का क्या, साथ भला, कब नंगा कर जाये?
छोटे = बच्चा, नौकर, पशुु, मशीन, नेता और नारी
भावार्थ -हमेशा बड़े का साथ लेना चाहिए या जो बड़ा, बन रहा हो, उसके साथ रहें। समझदार का (बड़े) का साथ या बच्चा (लड़का) जो बड़ा जरूर बनेगा। नहीं तो नादान छोटा या नासमझ इंसान और बच्चा तो, भरे बाजार में दूध माँॅग कर, एक इज्जतदार नारी को दूध पिलाने के लिए मजबूर कर देता है। जैसा बच्चे के पास, बाप या माँ होती है। नौकर के पास, मालिक, पशुु, मशीन, नारी के पास मालिक और या पति और नेता के पास जनता होती है।
गर छोटे चाहें, बढ़ेन को, नर्क, स्वर्ग बन जाये, 
छोटा बिचलित, छोटेन में, कुछ भी, बच न पाये।
छोटे = बच्चा, नौकर, पशुु, मशीन, नेता और नारी
भावार्थ -बच्चा, बाप या गुरू की। पशुु, नौकर, मशीन मालिक की। नारी अपने पति की अैार नेता अगर जनता को चाहता है। उसकी सेवा करते हैं, कदर करते हैं, तो नर्क भी स्वर्ग बन जाता है। वरना सब कुछ उजड़ जाता है। बच्चा, बच्चों में या गैरों में, नौकर व पशुु, अपने मालिक के अलावा, सब गैरों की मानते हैं। नेता अपने दूसरे नेता में उलझा रहे और जनता की बेकदरी कर दे, नारी अपने पति की, पति के बाद बड़े लड़के के अलावा, किसी के कहने में चलेगी, तो बच्चे के बाप के खानदान का। नौकर, पशुु, मशीन फैक्टरी के मालिक का। नेता के देश का, नारी के घर का नाश हो जाता है, प्रत्यक्ष है। 

मालिक संग, सब महान है, गर, उसकी आज्ञा धाँय, 
पावे सुख, संसार सारा, वरना नर्क बन जाये।
नर बिन नारी, नारंगी है, कभी भी, रूक न पाये, 
नारी बैरी, नारी है, खुद भी पर्दा, न करे और सब गर्क कर जाये।
आजादी, सब को बुरी, ज्ञान न, जब तक पाये, 
खुद भी भुगते, नर्क को, पालन हार, बुरा बन जाये।
समझदार, वह जानीये, जो बड़े की, आज्ञा धाँय, 
समझदार बन, जायेगा जो सबकी, इज्जत, कर पाये।
मालिक का, दुःख एक है, सब का कल, नजर आये, 
साथी, कोई न मिलें, मालिक, कर, क्या पाये।
सब = बच्चा, नौकर, पशुु, मशीन, नेता और नारी



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