डी. एम. साहब
हमारे खास अधिकारी
हमारे खास अधिकारी हैं-”डी. एम. साहब“। वैसे तो सरकार से पगार लेने वाले कर्मचारी और अधिकारी सरकारी अधिकारी कहलाते हैं। लेकिन यहाँ जो जनता के ज्यादा सम्पर्क में आते हंै या अधिकतर जनता के लिये रखे गये, उनका उल्लेख, उनकी अनियमितता और उनके सुधार के कुछ विवरण है। ध्येय उनका सुधार व जनता, सरकारी प्राणी और नेता को जागरूक करना और देश समृद्ध बनाना है। किसी भी कटु सच्चाई को अन्यथा न लें। गाॅँव के बाद उपर की तरफ शहर आता है। यहाँ का कत्र्ता-धर्ता या राजा या खास अधिकारी डी. एम. होता है। डी. एम., आई. ए. एस या पी. सी. एस. अधिकारी होता है, बेहद मेहनत और कठोर परीक्षा पास करके यहाँ तक पहुँचता है।
हर तरीके से छोटे कर्मचारी और लगभग सारे सरकारी, गैर सरकारी व हर विभाग का ज्ञान होता है या इन्हें होना चाहिये नगरपालिका के अधिकारी, अधिशासी अधिकारी के उपर सबसे पहले डी. एम. का नाम आता है। शहर और आस-पास के गाँव का कत्र्ता-धर्ता डी. एम. होता है। यह शहर के, हर छोटे-बड़े अधिकारी के सहयोग से, पूरे जिले का संचालन करना इनके हाथ होता है या यह डी. एम. हर समय 24 घंटे, इनके सहयोग से शहर व गाँव का चालक और रक्षक होता है या इनकी चालक व रक्षक बनने की ड्यूटी व धर्म है। डी. एस. ओ. आॅफिस, अस्पताल, आर. टी. ओ. पुलिस, अदालत, पूरी तहसील, बिजली विभाग, सिंचाई विभाग, मतलब हर सरकारी विभाग यहाँ तक की रोडवेज और रेल विभाग तक को ध्यान में रखना और इन सब के सहयोग से, जनता को सुख देने के लिये रखे गये हैं। यह 24 घंटे के लिये 60 साल के लिये बाॅण्ड होते हंै। इनके साथ कमिश्नर से लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक होते हंै, जो डी. एम. की आवाज पर फौरन अमल करने के लिये बंधे हैं, 3 और 5 साल में इनका ट्रान्सफर होता रहता है, जिससे हर शहर और गाँव सुखी समृद्ध बनें। वैसे तो हर गैर सरकारी प्राणी, सरकारी प्राणी व नेता को हक है, कि किसी भी अनियमितता पर शिकायत करे और सुधार करायें। लेकिन डी. एम. को स्पेशल पावर (हक) है कि वह हर अनियमितता को अपनी नजर से देखे। जिसमें मेन आॅफिस, नगरपालिका या महापालिका के द्वारा सभासद, चेयरमैन, उस सेक्टर के हाउसिंग इंस्पेक्टर जो 5 व 60 साल के लिये बुक हैं। अधिशासी अधिकारी के द्वारा फौरन सुधार करे और उसकी रिपोर्ट आॅफिस और उपर तक भेजें, जिससे यह गलती दोबारा न हो या गलती होने पर कठोर सजा देकर सुधार कर सकें।
आज के समय में केवल नगरपालिका के कर्मचारी व अधिकारी की कोताही से व डी. एम. की कर्मठता की कमी के कारण या डी. एम. आॅफिस के कर्मचारियों पर, डी. एम. के अन्धविश्वास के कारण, सब कुछ होेते हुए, सारे अधिकारी होते हुए, हर सरकारी विभाग, सरकार और जनता के लिये नुकसानदायक हो रहे हैं। यही नहीं अनियमितता तेजी से बढ़ रही है और उसका टोटल फायदा नेता और आपराधिक तत्व ही उठा रहे हैं। जनता पिस रही है, हमारा सरकारी प्राणी, बेहद तेजी से कर्मठता से दूर होता जा रहा है, जो देश का चालक व रक्षक है। सीधा गद्दारी की तरफ बढ़ रहा है। हर अधिकारी इतना मायूस है, कि केवल यह सोचे बैठे है, कि सुधार नामुमकिन है। यह सोच नेता, प्रधानमंत्री तक की होती जा रही है, और यही सोच साबित करती है कि सब काम से बचना चाहते हैं, जबकि यह बेहद मामूली सा काम है।
डी. एम. गजटेड अधिकारी है, उसकी कोई बात कोई काट नहीं सकता, वह शहर का राजा है। हर सहयोगी साथ है, जो खुद अधिकारी है और देश के चालक व रक्षक हैं। घर का सुधार = गलती पर अविलम्ब सजा और मेहनती केा प्रोत्साहन, नियम पर अमल करंे। यह नियम हर बड़े का है। भगवान, अल्लाह, वाहेगुरू, गाॅड का है। सजा से मतलब कर्मचारी अधिकारी या जनता को व नेता को खत्म करना नहीं है, उनका सुधार करना है, जिससे सजा पाने वाला प्राणी, अपने परिवार, समाज देश, स्टाफ, विभाग के लिये भी फायदेमंद और सुधारक हो। अगर डी. एम. चाहे, तो एक भी कर्मचारी या अधिकारी गद्दार न बने।
इनके साथ जनता और मीडिया तक है। इनकी पगार इतनी है कि ट्रांसफर होने के बाद भी दूर रहकर सुधार कर सकता है। अदालत और नेता भी रोक नहीं सकते, लेकिन रिश्वत का, एक पैसा भी खाने वाले का दिल, गुर्दा भी जवाब दे देता है। वह खुद कर्मठता से दूर चला जाता है, लेकिन ऐसा प्राणी भी चाहे, तो रिश्वत खाकर भी सुधार कर सकता है। रिश्वत का पैसा सुधार के लिये खर्च करके, बेहद अच्छा सुधार कर सकता है। मिटिंग केवल सुधार और सजा के लिये करे, वह भी कुछ जिम्मेदार अधिकारीों में, दो या तीन बस। निश्चित ही ऐसा करने पर शुरू में ही राजकोष में बेहद बड़ा धन इकट्ठा होगा और कर्मठता बढ़ेगी। यह काम यहीं खत्म नहीं होता। 99 प्रतिशत लोग अभी गलत की फेवर में है, लेकिन जब भगवान या राजा सजा देता है, तो उस सजा से कोई उसे बचा नहीं सकता, आप दूसरी जगह पहुँच गये हैं, बस, भगवान तो नजर भी नहीं आता, इतनी दूर है। आप बड़े बनें। गलती करने वाले को कोई बचा नहीं सकता। वह 100 रुपये जुर्माना राजकोष में जमा न कराये, तो 10 हजार रुपये का नुकसान भी करेगा और ब्याज समेत जुर्माना भी जमा करेगा। इस गलती करने वाले का साथी, उसके सम्बन्धी, नेता तथा उसका स्टाफ, कानून तक उसके साथ हो सकता है, सबको याद रखिये, यह सब खुद भी किसी अनियमितता में लीन रहे हंै। आपकी अनियमितता भी उजागर हो सकती है, घबराना या डरना नहीं है। जानवर भी अपने दुश्मन को कभी नहीं भूलता, मनुष्य तो पीढ़ी-दर-पीढ़ी बदला लेता देखा जाता है। आप तो नेक काम कर रहे हैं। जरूर करना है। याद रखिये-
करत करत अभ्यास के, जड़मत होत सुजान।
एक समय ऐसा आयेगा कि गलती करने वाला, अनजाने में भी गलती होने पर, आपके कहे बिना जुर्माना जमा कर चुका होगा। इन्फेक्शन खत्म करने के लिये, आगे बचत करने के विचार से मरीज के अलावा भी, सबको एंटीसेप्टिक लेना पड़ता है या सबको देना पड़ता है, जिससे आगे खतरा न रहे।
आज कल हमारे डी. एम. मिटिंग तो करते हैं, लेकिन उन जजांे के साथ, उन अधिकारीांे के साथ, जो अपने कर्मचारियों को बच्चों की तरह पाल नहीं सकते। अपनी ड्यूटी पूरी तरह कर्मठता से कर नहीं सकते या जो रिश्वत को ”सुविधा शुल्क या डोनेशन“ कहकर आसानी से पचा जाते हैं। जनता पर अत्याचार करने के नये-नये तरीके निकालते हंै। किसी भी नेता की, जी हजूरी करते हैं। जब डी. एम. साहब जी हजूरी करते हैं, तो स्टाफ को भी करनी पड़ती है। यही नहीं डी. एम. के नीचे सब, जैसे पुलिस फोर्स, अस्पताल आदि सब, उनसे पहले कमजोर होकर, अपना काम छोड़कर अनियमितता को चार चांँद लगा देते हैं। वैसे उस नेता के बारे में, सब कुछ औरों से ज्यादा जानते हंै।
आप गरीब मरीज को स्लिप बनाकर अस्पताल में विज्ञापनमिट कराते हैं, जबकि स्लिप की जगह मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सी. एम. ओ.) को थोड़ी सी सजा दे दें, तो हर गरीब का अपने आप इलाज हो। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सी. एम. ओ.) भगवान का सही रूप बने और सरकार व समाज का वफादार हो। सप्ताह में एक दिन जनता की शिकायत सुनते और निवारण करते हैं, लेकिन केवल शिकायतकर्ता की, जबकि एक शिकायत पर शिकायती विभाग का पूरी तरह सुधार हो सकता है और आगे से गलती न हो, गारण्टी हो जाती है। मतलब उस विभाग की शिकायत ही नहीं आयेगी। केसों, का निस्तारण करते हैं, लेकिन जज पर जुर्माना कर दंे, तो निश्चित ही अदालत में केस ही न बचे। सारा स्टाफ सुखी, जनता सुखी, निश्चित अदालत भी सुखी, लेकिन ऐसा करते ही नहीं। हमारे डी. एम. साहब पढ़े-लिखे हैं। अच्छे खानदान से हंै, कठोर परीक्षा पास करके आये हैं या तजुर्बे के कारण प्रमोशन हुआ, शहर में हर अनियमितता पूरी तरह से जानते हैं, वह भी सबकी। बिजली विभाग किस तरह चोरी करा रहा है? किस तरह एक-एक प्राणी को कमजोर, गद्दार बना रहा है? पुलिस कैसे जनता के प्रति सरकार के प्रति गद्दारी कर रही है? आर. टी. ओ. कैसे पनप रहा है? अस्पताल, अदालत में क्या हो रहा है? डी. एस. ओ. कैसे गद्दारी कर रहा है? डी. एम. साहब यह भी जानते है कि नेता की गद्दारी के कारण, हर सरकारी प्राणी परेशान है और गद्दारी करने के लिये मजबूर है।
यह डी. एम. साहब जानते हैं, जो एक बार बिक गया, वह खरीदार नहीं हो सकता। थोड़ी सी मेहनत, शिकायत पर सुधार हो सकता है। हर सुधार के लिये सब इनके साथ हैं। साथ न भी हों, तो भी इनके लिये सुधार करना आसान है, फिर भी यह जानते हैं, कि हवन करते हुए हाथ को गर्मी लगती है, इसलिये हवन करते ही नहीं। विडम्बना यह है कि इनकी पढ़ी-लिखी हिन्दुस्तानी पत्नी, माँ, बाप तक सलाह भी नहीं देते।
केन्द्र या प्रदेश सरकार से सेैम्पल भरने के लिये पूरी टीम आती है। मोटे हलवाई बचे रहते हैं, गाँव कस्बे के छोटे दुकानदार मारे जाते हैं। यह टीम आकर शहर के हर सरकारी प्राणी की नाक काट जाते हंै, डी. एम. साहब के शहर की टीम क्या बैठकर पगार ले रही थी या उसकी गलती पर गद्दारी पर बाहर की टीम आयी, दोनांे हालात में टीम का आना गलत है या शहर की टीम पर गद्दार हलवाई से पहले जुर्माना होना ही चाहिये। हमारी टीम पर विश्वास नहीं, तब ही तो टीम को केन्द्र या प्रदेश सरकार से आना पड़ा। सरकार को डी. ए., टी. ए देना पड़ा, पूरी टीम को बेहद मेहनत करनी पड़ी। क्या हलवाई, दूध वाले, फैक्ट्री वाले टैक्स के अलावा भी रिश्वत का पैसा नहीं देते? क्या केन्द्र या प्रदेश सरकार की टीम रिश्वत नहीं खाती या उन पर रिश्वत की कमी आ गई? यह सारी बातंे साबित करती हंै कि जनता पर अत्याचार के नये-नये तरीके अपनाये जाते हंै। कोई भी सही अधिकारी या राजा अपनी छत्र-छाया में पलने वाले कर्मचारी, अधिकारी या प्राणी को, दूसरा हाथ लगाये, कभी बर्दास्त कर ही नहीं सकता। फिर डी. एम. साहब कैसे, क्यों बर्दाश्त करते हैं?
ऐसे अनेक सबूत हैं। हर रोज। हर विभाग के सबूत हैं। जिन्हें डी. एम. साहब चुटकियों में हमेशा के लिये सुधार कर सकते हैं। पूरी किताब भरी जा सकती है। जनता व सरकारी प्राणी, हर दिन नयी-नयी परेशानी से दो चार होता है। लेखक का ध्येय सुधार करने का है। सबको जागरूक करने का हैं। नमक हलाली तो लानी पड़ेगी। जनता जागरूक हो गई, तो कोई नमक हराम बच ही नहीं सकता, जनता को समझना चाहिये, कि डी. एम. शहर का निश्चित रूप में राजा है। हर सरकारी प्राणी को, नेता को समझना चाहिये, यहाँं तक कि डी. एम. के परिवार को भी समझना चाहिये और राजा की रक्षा, हर हालत में और हर तरीके से करनी ही चाहिये, ताकि राजा का स्वाभिमान भी बरकरार रहे। रक्षा करने का बड़ा ध्येय है, रक्षा दुश्मन से नहीं, हर अनियमितता से भी करनी चाहिये गद्दारी से रक्षा, रिश्वत से रक्षा करनी चाहिये। कर्मठता, समझदारी बढ़ाकर, इनकी हर व्याधा से रक्षा करनी चाहिये, हो सकता है, राजा किसी कमजोरी में या काम ज्यादा देख व समझकर, या हर सरकारी प्राणी, हर विभाग की अनियमितता देखकर उसके बोझ से अनियमितता सुधार की नीति पढ़े-लिखे होने पर भी न समझ सके। इसके लिये कुछ नियम बनाने हैं जिससे राजा की इज्जत भी कम न हो और हर सुधार की युक्ति, अपने आप दिमाग में आये और यह सही डी. एम. या राजा कहलाये। हमें कुछ नियम बनाने व उन पर अमल करना है। संसार के सारे, डी. एम. या इन जैसी पावर के अधिकारीयों को आमंत्रित करते हैं कि वह अपनी पावर का सही इस्तेमाल करंे और अपने-अपने जिलो को सुनहरा बनाये। अधिकारी हर विभाग को समझायें कि गलती करने वाले के प्रति, हर विभाग के अपने-अपने कठोर नियम पहले से हैं। उनका कठोरता से पालन करें, कोई डँाट-फटकार या कोई गाली-गलोच कभी नहीं। यह तब ही मुमकिन हैं, जब अधिकारी, रिश्वत का पैसा खाना छोड़ दे। अब इन्टरनेट पूरे संसार में है, प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति तक हैं, आपको सुधार करना ही पड़ेगा वरना जनता जरूर करेगी।
सुधार-सफाई के लिए विचार
01. हर गैर सरकारी प्राणी, हर सरकारी प्राणी और नेता को चाहिये, खासतौर से डी. एम. साहब के असिस्टेण्ट डी. एम. को चाहिये, कि पूरे शहर की किसी भी अनियमितता को साहब के सामने वर्णित करें और सुधार की युक्ति (आसान युक्ति) से अवगत करायें। सुधार के लिये सारी जनता, सारा मीडिया साथ हंै, हर विभाग, हर कर्मचारी, हर अधिकारी साथ हैं। अदालत, जज, कमिश्नर साथ हैं। सारे नेता, राष्ट्रपति तक साथ हैं, सुधार करना ही चाहिये यह बात डी. एम. साहब की पत्नी अपने पति से कहकर पति के प्रति, पत्नी धर्म निभाकर खुद को धन्य कर सकती है। थोडे़ समय में ही डी. एम. साहब, सही राजा के रूप में बर्ताव करके, सुधार करने से खुद को रोक ही नहीं पायेंगे। निश्चित ही गलती पर सजा देकर सही न्याय करेंगे, हर रिश्वत से बचेंगे। कम से कम कर्मठता से काम करके बड़े से बड़ा काम कर दंेेगे। और सारे परिवार व खानदान को सच्चा गर्व महसूस देगा।
02. डी. एम. साहब को समझना चाहिये कि हर विभाग के कर्मचारी व अधिकारी तक से कर्मठता से काम लेना, गलती पर कठोरता से सजा देना उनका और बाकी सब जनता व पूरे देश का जीवन बचाना है। यह सब अपनी औलाद के समान हैं। यह राजा का धर्म है। कम से कम सामने पड़े, मिटिंग करें और पूरा ध्यान रखें, दूसरी तरफ अगर डी. एम. साहब खुद को नौकर समझते हंै, तो वफादार नौकर ही तो होना चाहिये 24 घंटे के सबके अधिकारी हैं और शहर में हर विभाग, हर कर्मचारी व अधिकारी हैं। हर अनियमितता देखें, क्यों कैसे हुई? समझें और अविलम्ब जुर्माना और चेतावनी देकर काम खत्म करें, जिससे वह अनियमितता दूर हो। जनता की तरफ बिल्कुल ध्यान न दें, नेता की जी हजूरी से बचें। केवल सरकारी विभाग और अधिकारी को कर्मठता के लिये मजबूर करें। अगर सुधार न हो सके या कहीं कमजोरी महसूस करें, तो उपर लिखित शिकायत करें। सड़क बनाने या नवीनीकरण पर ध्यान देने या प्राधिकरण में भाग लेने से अच्छा है, सारे विभाग सुधारें या सारे विभागों में से, एक ही विभाग सुधारें। हर सप्ताह लोक अदालत में निर्णय करने की बजाये, दोषी अधिकारी पर जुर्माना करते ही, वह अधिकारी खुद निर्णय करेगा और अपने-आप सही काम करने की आदत पड़ेगी। आप इनसे काम लिजिये तो सही, यही सही निर्णय है।
03. डी. एम. साहब आपको हर विभाग के उपर रखा गया है, जनता के उपर नहीं। आप चाहेे पूरे का पूरा विभाग खत्म कर दें गलती पर। लेकिन जनता के एक प्राणी को कष्ट न हो। ध्यान दे, सारे विभाग, सारा कानून जनता के लिये है, न कि कानून या विभाग के लिये जनता है। एक गैर सरकारी मुजरिम छोड़ा जा सकता है, लेकिन दोषी कर्मचारी, दोषी अधिकारी और दोषी नेता को छोड़ना सबसे बड़ा देशद्रोही बनना और कहलाना है।
04. जनता को चाहिये कि कर्मठ कर्मचारी और अधिकारी की या नेता की कद्र करें और कर्मठ सरकारी प्राणी, नेता और जनता को चाहिये कि, हर अनियमितता की शिकायत मिलकर या अकेले उपर तक करंे और नगद जुर्माना राजकोष में अविलम्ब जमा कराने की कोशिश करंे। एक नेता के पीछे रैली जलूस में शामिल हो सकते हैं, तो नेता के सहयोग से शिकायत और जुर्माना भी आसानी से हो सकता है, किसी का भी तबादला नहीं, पहले जुर्माना होना जरूरी है। यह अधिकारी कोई भी प्रशासनिक अधिकारी, पहले दूसरी जगह गद्दारी कर रहा था, अब जहाँ जायेगा, वहाँ गद्दारी करेगा। सच्चाई है और इसकी जगह जो भी आयेगा, निश्चित गद्दारी ही करेगा। पूरे देश में, एक भी अधिकारी कर्मठ होता, तो हर विभाग अनियमितता के अभेद घेरे में न होता। यह काम जनता को शिकायत करके ही पूरा करना होगा।
05. रिश्वत के बिना काम चलता ही नहीं। इस रोग से सरकारी प्राणी, गैर सरकारी प्राणी और नेता सब परेशान हैं, दुःखी हंै। आप सब रिश्वत दें, 10/-रुपये फालतू देें। लेकिन काम निकाल कर, दो माह में, छः माह, साल में दोषी कर्मचारी अधिकारी से जुर्माना राजकोष में जमा कराया जायें। आये दिन शहर में जाम, धरना, पुतले फूँकना जैसा चलता रहता है, इससे हर एक का नुकसान होता है, बाजार बंद जैसे कामों से, हर मिनट में करोड़ों का नुकसान होता है, जबकि बाधित प्राणी या पार्टी पहले शिकायत करती है, फिर जाम, बन्द, धरना, हड़ताल, जलूस का अल्टीमेटम देती है। हमारे पास सारे अधिकारी, नेता, राष्ट्रपति तक हैं। पहले ही शिकायत का निवारण या विकल्प क्यों नहीं निकला? हर नुकसान का जिम्मेदार डी. एम. निश्चित है। सुधार करना था या उपर सुधार की अपील करनी थी। उपर शिकायत करके सारी समस्या हल होती है या न करने वाला दोषी हो जाता है और सजा का हकदार बन जाता है। यह कानून है। इस पर सख्ती से अमल हो। रिश्वत का पैसा साल दो साल में, आप उस प्राणी से ब्याज समेत वसूल करें, चाहें वह ट्रांसफर हो रिटायर होे या मर जाने पर उसके परिवार से वसूल करें। यह रिश्वत का पैसा आपका, आपके बाप का या बेटे का है, इसे छोड़ना नामर्दी है, देश को गाली देनी है। अपना खून खराब है, साबित करना है।
06. आप सब अनियमितता की शिकायत करंे, हिम्मत करंे, सब गलत नहीं हैं। विश्वास करंे आप अकेले नहीं है, मायूस न हों अगर कुछ नहीं कर सकतें, तो हम तक डाक द्वारा डाक खर्च सहित शिकायत भेजंे, जिसमें तीन लोगों के वोटर/आधार नं0 के साथ हस्ताक्षर जरूर हो। आपको सूचित भी किया जायेगा। आप चाहेंगे तो शिकायत गुप्त रखी जायेगी। कार्यवाही जायज होगी। कोई साथ नहीं, तो हम साथ हैं। सुधार आपके साथ-साथ, सबके सहयोग से ही होगा और करना है, निश्चित है। इन्टरनेट का इस्तेमाल आसान है, विश्व अदालत तक आपके साथ होगी।
07. सबसे खास नियम पर सख्ती से अमल करना है। जहाँ भी डी. एम. आॅफिस का कर्मचारी जहाँ भी रहता है, वहाँ की हर अनियमितता की रिपोर्ट करना, उस कर्मचारी की ड्यूटी होनी चाहिये कोई कोताही होने पर या रिपोर्ट न करनेे पर, उसे पक्का देशद्रोही माना जाये और पहली गलती पर जुर्माना करके, उसे चेताया जाये बाद में कोताही मिलने पर, मोटा जुर्माना राजकोष में जमा कराया जाये और दोषी डी. एम. को भी माना जाये, डी. एम. आॅफिस के कर्मचारी, यह नीति निभायें, तो हर सरकारी विभाग के कर्मचारी व अधिकारी सारे शहर में रहते हंै, उन्हें अनियमितता देखकर शिकायत करके सुधार करने या कराने की आदत पड़ेगी ओर सारा शहर अनियमितता से मुक्त होगा।
08. शिकायत का समय और सुधार का समय 30 दिन निश्चित है और इसके लिये हर सरकारी प्राणी, हर नेता यहाँ तक कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सुप्रीम न्यायमूर्ति तक, मतलब 60 साल के लिये और 5 साल के लिए बुक हैं, हर सरकारी प्राणी जिम्मेदार है और बाॅण्ड है। सुधार निश्चित समय में हो, इसके लिये सबको टेलीफोन, कम्प्यूटर, इन्टरनेट, फैक्स और सारी सुविधायें कानून ने और सरकार ने इन्हें दी हैं। साथ ही, वह सब कहीं भी हो, किसी भी हालात में हो, हर हाल में छोटी से छोटी शिकायत का सुधार करने के लिये मानव धर्म, देश धर्म और कानून में बँधंे है। खुशी की बात यह है कि सही शिकायत और सुधार के लिये, पूरा देश ही नहीं, सारे देश यहाँ तक कि विश्व अदालत तक, हर एक के साथ है। सुधार करो (निश्चित समय में) या जुर्माना दो।
09. डी. एम. साहब अपने आॅफिस पर कम से कम दो व अपने निवास पर भी शिकायत बाॅक्स जरूर लगवायें और सप्ताह में, एक बार जनता के किसी भी दो प्राणियों के सामने उसे खोलें, रजिस्टर में उनके हस्ताक्षर हों और तीन दिन में शिकायतकर्ता के घर सूचित करें और उसकी शिकायत अविलम्ब दूर करें। शिकायत सम्बन्धी अधिकारी को ड़ाटने की बजाय, पहला जुर्माना उसकी औकात के मुताबिक करें और अगले जुर्माने के लिए चेताएँ। ”गलती पर अविलम्ब सजा और मेहनती को प्रोत्साहन“ नियम पर सख्ती से अमल करें। अपना हक पहचाने और सुधार करने में किसी से कभी न डरें।
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