डी. एस. ओ. व डी. एस. ओ. विभाग
सृष्टि के बनते ही, हर जीव को सबसे पहले पेट की आग या भूख की चिन्ता हुई। जीव को पृथ्वी पर आते ही भूख लगती है और उसे खाने की जरूरत महसूस होती है। घर का मुखिया हो, गाँव का प्रधान हो, देश का राष्ट्रपति या राजा होे, सब पहले-पहल खाद्य सामग्री पर ध्यान रखते हैं। जितना बड़ा परिवार या यूनिटी, राज्य या संस्था होगी, उसी के हिसाब से खाद्य सामग्री का इन्तजाम रखा जाता है। खाने की जरूरत और समस्या सबसे पहले है और सबसे बड़ी है। घर में मुखिया कमाकर लाता है। परिवार में अगर कोई एक भी समझदार है, तो वह एक की ही सलाह में चलने की कोशिश भी करते है, तो वह शुरू में गरीब हो सकते हैं, लेकिन गरीब रहेंगे नहीं और उसकी पत्नी उस की कमाई को समझदारी से इस्तेमाल करती है, तो निश्चित ही एक गरीब परिवार के यहाँ साल भर अनाज, दाल, घी, तेल निश्चित मिलता है। गरीबी जैसी बीमारी धीरे-धीरे कम होती जाती है। जीने के लिये स्वस्थ रहना जरूरी है और स्वस्थ रहने के लिये, सही खाना जरूरी है। खाने में मँहगी से मँहगी चीजें भी हैं और सस्ती से सस्ती चीजें भी हैं। मँहगा और सस्ता करना, हमारेे हाथ में ही होता है। बे मौसम की चीजें बेहद मँहगी और शरीर के लिये, कम फायदेमंद होती हैं, मौसम की चीजें, सस्ती और शरीर के लिये ज्यादा फायदेमंद होती हैं। बासी खाना और ताजा खाना व ठंडा खाना भी सबसे बड़ी समस्या है, जो नासमझी की निशानी है।
हिन्दू धर्म के मुताबिक, हमारे शरीर पर 33 करोड़ देवताओं का वास है। विज्ञान के मुताबिक हमारे शरीर की रचना, इस प्रकार की है कि जो हम मुँह के द्वारा खाते है, शरीर उसे हर हाल में पचा लेता है और जिस तत्व की शरीर को जरूरत होती है, वह तत्व निचोड़ लेता है या उस खाने-पीने से दिमाग के आॅडर में शरीर के सहयोग से, शरीर की जरूरत के मुताबिक बना लेता है। लेकिन हम कम बुद्धि, कम ज्ञान के कारण चार या पाँच घंटे पहले, पका खाना या रात का पका खाना बासी कह कर छोड़ देते हैं और महीने-6 महीने पहले बना बिस्कुट, ताजा कहकर खा लेते हंै।
मुरब्बे, अचार, डिब्बाबन्द पाॅलीपैक खाना ताजा नहीं है, लेकिन ताजा है। क्योंकि यह सही तरीके से रखा गया। आपकी माँ, बहन, पत्नी, लड़की, नौकर या लड़का, क्यों नहीं जानता? पढ़े-लिखे भी हैं, तजुर्बेकार भी हैं, आप बूढ़ों के या समाज के साथ हैं, फिर भी नहीं जानते। वह सब तो यह भी नहीं जानते कि गर्म खाना दाँत और आँत को भी खराब करता है। तो महानुभावांे सिखाओ और सीखो, कम खर्च में, ज्यादा तंदरूस्त, खुशहाल रहो, गरीबी है भी तो दूर भगाओ। आपको विश्वास नहीं है, तो आजमाओं।
एक गरीब इंसान फटेहाल, जंगल में रहता है। जहाँ पानी भी साफ नहीं है। एक साधु-फकीर जंगल में पड़ा रहता है, जो राख घोलकर पीकर भूख शान्त करता है। उनका मेडिकल टेस्ट करने पर ओ. के. मिलता है और आप जो, मेवे, दूध, फल, हर पौष्टिक व महँगा च्यवनप्राश, सोना चाँंदी च्यवनप्राश खाते हैं, डाक्टरों के बीच रहते हैं और हमेशा बीमार रहते है, कभी दाँत खराब, कभी पेट खराब, कभी जुकाम, कभी सिर दर्द।
हमने जितने भी तत्च खोजें हैं या अभी जिनका ज्ञान नहीं है, वह सारे तत्व, हमारे पाँच तत्वों का शरीर, पानी पीकर भी, दिमाग के सौजन्य से, शरीर के द्वारा, खुद तैयार करता है, जिस भी तत्व की शरीर को जरूरत है। हमारे यहाँ कोई मेहमान आ जाये, तब तो हम हद ही कर देते हैं, जो चीज बाजार में जो कम से कम है, महँगी से महँगी है, वही लाते हैं, चाहे उसमंे स्वाद न हो, बेमौसमी हो, पैसा उधार का हो या जेब खाली हो जाये, कोशिश यही रहती है कि मेहमान यह देखे, कि खूब खर्च करते हैं। यह चीज शरीर को पूरा फायदा भी करती है या नहीं, इसका ज्ञान भी नहीं है और ज्ञान करने की कोशिश भी नहीं करते।
प्रिय बच्चे, लड़के-लड़की के लिये भी, ऐसा ही सोचते व करते हैं, उनमें आज ही हाथी के जैसी ताकत आ जाये, महँगी चाहे जितनी हो, अच्छी से अच्छी चीजें, मोटा पैसा खर्च करके खिलाते है। घर का, हमारा, परिवार का, बैलेंस खराब होता है और ज्यादा खराब होता चला जाता है, फिर भी शरीर ठीक नहीं रहता या डाॅक्टर भी बैलेंस खराब करने में और ज्यादा सहायक होता है और ऐसा नहीं कि यह बात हमें ही कमजोर कर रही है, यह हमारे खानदान व बिरादरी और देश का बैलेंस खराब करती है, मँहगाई बढ़ती है। इधर नेता का, हर कोटा फिक्स होता है, यह जनता के लिये है, जिससे हर गैर सरकारी को आपत्ति के समय दिया जा सके, सरकारी प्राणी को उनके कैन्टीन के द्वारा या विभाग के द्वारा, रोजमर्रा का सामान मुहैया कराया जाता है, या बेचते हैं।
गैर सरकारी, जो देश के लिये, हमेशा कर्मशील होते हंै, इसके लिये ही डी. एस. ओ. और डी. एस. ओ. विभाग बनाया गया। जिससे जनता और सेना तक का रोजमर्रा का या खाने का और बाकी सामान का सालों साल का बजट, ठीक रहे। डी. एस. ओ. और पूरे स्टाफ की पगार, गैर सरकारी द्वारा टैक्स की इनकम से पूरी की जाती है। प्राकृतिक या नेचुरल है, हर जीव और हर इंसान धीरे-धीरे शिथिलता और ज्यादा सुख की तरफ बढ़ता है। नगरपालिका के नकारेपन का असर, डी. एस. ओ. विभाग पर, बेहद तेजी से पड़ा। डीपो खोलने से पहले डीपो वाले से रिश्वत लेना शुरू हुआ और अब राशन कार्ड बनाने पर भी, उपभोक्ता को ज्यादा पैसे और रिश्वत निश्चित देनी पड़ती है, डीपो वाला रिश्वत देता है, तो अनाज चीनी, चावल, तेल के तौल में हेरा-फेरी, अपने गैर सरकारी भाईयांे से करने के लिये मजबूर है।
गरीबी रेखा के राशन कार्ड, मजबूत परिवार के पास तक मिलेंगे, डीपो वाला ”आपके यहाँ बिजली है’ कहकर मिट्टी का तेल कम कर देता है या माह के लास्ट में लायेगा और लोगों को पता भी नहीं चलता। चीनी, तेल, अनाज बाजार में ब्लैक में बेच देता है, मतलब दुनिया भर की तरकीब से गरीब, बेसहारा, गैर सरकारी इंसान के, माल से अपना कोटा पूरा करते हैं। यह सब बातंे सभासद, चेयरमैन, गाँव में प्रध़्ाान, सेक्रेटरी, नेता और हर सरकारी प्राणी जानता है। डी. एस. ओ. साहब गरीबों में माल बटँवाने के लिये व अपने सारे कर्मचारीयों को वफादार रखने के लिये रखे गये थे, मोटी पगार लेते हैं लेकिन अब हर गलत नेता, सरकारी अधिकारी और सरमायेदारों से रिश्वत, ब्लैक का पैसा बनाना, हर कर्मचारी की गलती पर पर्दा डालने की पगार, जो सरकारी पगार से निश्चित अलग और ज्यादा है, हर माह लेते हैं।
इनके बच्चे, हर गरीब, गैर सरकारी पर अत्याचार होते देखकर, बजाये शर्मिन्दा होने के या सही धर्म सिखाने के, खुश होकर इनकी और इनके गलत कर्म का, स्वागत करते हैं। वैसे इस विभाग ने, हर गलती पर कठोर सजा निश्चित की है, कानून भी है। लेकिन कानून यह भी है कि जब तक शिकायत न हो, तब तक कोई सजा नहीं। इसके लिए सी. बी. आई., खुफिया विभाग, सी. आई. डी. आदि बनी हैं, जो केवल पगार ले रहें हैं। यह ड्यूटी, हर गैर सरकारी की है, वह देश का राजा है, लेकिन मजबूरीवश या सीधा-भोला होने के कारण व सहनशील होने के कारण, हर अत्याचार सह लेता है, लेकिन हर नेता, सभासद तक व हर सरकारी प्राणी चाहे वह, किसी विभाग का हो, अगर वह अनियमितता देखकर शान्त रहता है, वह हर विभाग का या सरकार का ही नहीं, वह अपने परिवार, खानदान, माँ-बाप तक का गद्दार है, क्योंकि उसकी आने वाली पीढ़ी, यहीं पलनी है, रहनी है, उनका क्या होगा?
आज हर प्राणी परेशान और दुःखी है, खुद अत्याचार कर रहा है और अत्याचार सह रहा है, जबकि हर उपलब्धि, पाॅवर, उसके हाथ और उसके आस-पास है। घर हो या देश केवल करना यह है कि हर अनियमितता को देखकर व समझकर, अपने से बडे़ से अनियमितता से सम्बन्धित प्राणी या उस विभाग से और उससे उपर तक अविलम्ब शिकायत करें। हर सरकारी प्राणी उसको सुधारने के लिये बाॅण्ड है, कितनी शिकायत पेन्डिंग करेंगे? मीडिया भी साथ है, फिर सबसे ज्यादा पावरफुल जनता भी हैं, बस आपको अपने अन्दर हिम्मत पैदा करनी है। आपके पास सूचना अधिकारी तक हैं। आपकी हिम्मत ही, हर एक गलत को सुधारने की अटूट पावर है। हमंे कुछ नियम बनाने हैं और अमल करने हैं, जिससे सरकारी प्राणी, गैर सरकारी प्राणी और नेता, खुशहाल रहें। वैसे डी. एस. ओ. और स्टाफ के पास उपभोक्ता से और सरकार से नं. 2 का पैसा खाने के अनगिनत तरीके हैं, जो आप सब के सामने हैं और सही सुधार जरूर करना है। संसार के सारे उपभोक्ता व डी. एस. ओ. आमंत्रित हैें, घर और बाहर डी. एस. ओ. सब जगह हैं। कोई भी या सब मिल कर सुधार कीजिये, जिससे संसार के, हर प्राणी को खाना मिल सके और खुद को व सब को धन्य करें। आप गुलाम हैं, कमजोर हैं, नामर्द व लाचार हैं, इससे उबरने की कोशिश तो करें। अपनो को इन्टरनेट पर खबर तो करें, आने वाले समय में निश्चित आप बलशाली और आजाद होंगे। आपके बच्चे कर्मठ हैं, जहाँ रह रहे हैं वह स्वर्ग होगा।
सुधार-सफाई के लिए विचार
01. डी. एस. ओ. अन्नदाता है। अधिकारी की ड्यूटी है कि गलती करने वाले को छोटा जुर्माना देकर चेता दे फिर, दूसरी गलती पर कठोर सजा दे, लेकिन ड्यूटी से न हटाये, उसके साथी और अनुयायी को भी चेतावनी जरूर दें। हिन्दू धर्म के मुताबिक कहना है, इसे ध्यान रखना चाहिये कि सबमें रोटी बाँटने वाले, सब ईमानदार व कर्मठ रहंे, कोई गद्दारी तो नहीं कर रहा है, खुद भी अनजाने में गलती हो गई है, तो प्रायश्चित कर लें वरना गलती पर भगवान भी सजा से नहीं बचा सकता, उसके साथ-साथ परिवार भी भुगतना है, कोई बचा नहीं सकता।
02. अपने यहाँ शिकायत पेटिका लगायंे, शिकायत रजिस्टर रखें, जिसकी चाबी एक अपने पास और एक जिसकी शिकायत कम से कम हो, उसके पास रखंे और हर माह शिकायत पेटी खोलने से पहले, तीन आदमी, जो अलग-अलग सेक्टर के हों, साथ हों, गैर सरकारी हों। हर बार जनता के आदमी बदले जाये और खासतौर से उन्हें बुलाया जाये, जो ज्यादा से ज्यादा शिकायत करते हंै। किसी नेता को या जिसका रिकार्ड खराब है, ऐसे कर्मचारी या अधिकारी को दूर रखा जाये किसी गाँव के गरीब शिकायत करने वालांे की हाजरी भी जरूरी है। यहीं पर बोर्ड पर शिकायत की हर माह की गिनती, हर माह अंकित की जाये।
03. डी. एस. ओ. के कर्मचारी की खास ड्यूटी लगाई जाये कि जहाँ वह रह रहे हंै, किसी किस्म की अनियमितता देखते ही सम्बन्धित विभाग और उपर जरूर शिकायत करंे। शिकायत ज्यादा करने वालों को प्रमोशन और वरीयता दी जाये गैर सरकारी शिकायतकर्ता को ईनाम दिया जाये।
04. हर गैर सरकारी प्राणी, सरकारी प्राणी और नेता, अनियमितता देखते ही सम्बन्धित विभाग व उपर अविलम्ब जुर्माना, दोषी से जमा कराने की माँग करंे, गाँव है, तो प्रधान, शहर है, तो एरिये के सभासद का नाम और तीन प्राणीयों के वोटर/आधार नम्बर के साथ हस्ताक्षर जरूर करायें और 30 दिन बाद रिमाँइण्डर भेजें और उपर भी शिकायत भेजें। हिम्मत दिखायें। विद्यार्थीगण का साथ लंे। अगर कुछ नहीं कर सकते, तो शिकायत 5/-रुपये का डाक टिकट या डाक खर्चे के साथ, हम तक पहुँचाएँ। गलत को सजा आज नहीं तो, कल जरूर मिलेगी, आपकी इच्छा है, तो शिकायत गुप्त रखी जायेगी। तीन प्राणी के वोटर/आधार नं0 के साथ हस्ताक्षर जरूरी हंै।
05. आपको कहीं रिश्वत देनी पडे़, तो खुलकर रिश्वत दें, लेकिन साल 6 माह में ब्याज समेत वसूल करें, मर्दानगी दिखायें, कर्मचारी के ट्रांसफर, रिटायर होने पर भी न छोडे़ं, उसके मरने के बाद, उसके नोमिनी या परिवार से भी वसूल करें। ऐसा करके आप देश के प्रति बेहद देशभक्ति दिखा रहे हंै, खून का कर्ज अदा कर रहे हैं। आपका साथ देने वाले अनेक मिल जायेंगे। आप समझते हैं नीचे से लेकर उपर तक सब भ्रष्ट हैं, कुछ नहीं हो सकता, आप अकेले हैं, साथ में बीबी-बच्चे तक नहीं हैं, लाचार हैं, बूढ़े हैं, तब थोड़ा सा वजन अपनों पर डालिये, अपने किसी के इन्टरनेट पर, साइबर कैफे में जाकर यह शिकायत प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति के वेबसाइट पर डालें। यह काम जीवन का सबसे बड़ा काम होगा। आप देख रहें न कि आप के बच्चे, आपके बड़े भुगतते आ रहें हैं और गधे पंजीरी खा रहे हैं।
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