Thursday, April 16, 2020

डाक और डाक विभाग

डाक और डाक विभाग

सृष्टि बनने के बाद आपस में बातचीत करना, मैसेज या खबर लेना-देना परिवार में और फिर समाज में, खानदान में विचारों का आदान-प्रदान चलता रहा, जो परिवार केे किसी जिम्मेदार प्राणी के द्वारा ही होता रहा, फिर बढ़ोत्तरी हुई, प्रधान या मुखिया और फिर राजा-महाराजा बनें और इन्हांेने अपने कर्मचारी या सेवक से यह काम लेना शुरू किया। इस मैसेज या खबर देने-लेने वाले सेवक को मुआवजा दिया जाता रहा। पहले-पहले खाना, कपड़ा जरूरत की चीजें, फिर बाद में पैसे रुपये जिसे हम नौकर या कर्मचारी की पगार कहते है। निश्चित की गई, यह काम जिम्मेदारी का होता है और इसके बिना काम नहीं चलता, इसलिये इसे बड़ा माना गया। इसकी अहमियत के कारण, इसको विभाग का रूप दिया गया। जिससे किसी परिवार के किसी भी आदमी को परेशान न होना पड़े।
शुरू में केवल कुछ बड़े लोगों का काम ही डाक विभाग के जिम्मे था। लेकिन बढ़ते काम को देखते हुए, सारे समाज का मैसेज देने-लेने का काम, डाक विभाग के हिस्से में डाला गया, गिने-चुने लोगों के काम के कारण, पैसा जमा करना या बीमा योजना तक का काम, इस में बढ़ाया गया जिससे गैर सरकारी का पैसा सुरक्षित रहे। डाक विभाग का बढ़ता रूप देखकर, इसे बड़ा बनाना है, सोचकर, सरकारी विभाग का मेडल, इसको दिया गया और इसे सीधा प्रदेश का नहीं सेन्टर का विभाग बनाया गया। पहले-पहल डाक विभाग फिर रेल विभाग ही, सेन्टर का उपक्रम माने गये और सेन्टर के उपक्रम बनाये गये।
सेन्टर का उपक्रम होने से, आज इसकी और इसके कर्मचारी की खास अहमियत है। डाक विभाग का छोटा सा कर्मचारी डाकिये की अहमियत, सबसे ज्यादा है और इसकी जिम्मेदारी भी सबसे ज्यादा है, लेकिन इसकी ड्यूटी सबसे ज्यादा है और पगार, इसी की सब से कम है। डाक विभाग की, इस समय कई शाखायंे हंै, जैसे आर. एम. एस. रेल, डाक विभाग क्योंकि इस समय लगभग, हर शहर में रेल है और हर शहर व गाँव रेलवे स्टेशन के आस-पास होने के कारण डाक आसानी से और जल्द पहुँच जाती है।
डाक रेल, बस और हवाई जहाज से आसानी से और जल्द पहुँचती है और डाक विभाग की विशेषता होनी चाहिये कि डाक जल्द पहुँचे। जनता की सहुलियत के लिये, पोस्टकार्ड, अन्र्तेदेशीय लिफाफांे का चलन है, रजिस्टर्ड डाक भी चलायी जाती है। डाक के काम को देखते हुए, कोरियर सर्विस का भी चलन हुआ, कारण सब जानते हैं कि विभाग की अनियमितता के कारण, गैर सरकारी का ध्यान इस तरफ गया और यह कोरियर सर्विस सफलता व सन्तोषजनक सेवा निश्चित करती है। डाक विभाग पी. एन. टी. विभाग का पहला हिस्सा है।
पी. एन. टी. विभाग का दूसरा हिस्सा टेलीफोन विभाग है, डाक विभाग लगभग, सारी जनता के सौजन्य से फलता-फूलता रहा है और इस समय, हर गैर सरकारी प्राणी व सरकारी प्राणी इससे अछूता नहीं है। सारे सरकारी विभाग का डाक विभाग के बिना काम नहीं चलता और रेल विभाग की तरह देश की आमदनी का बड़ा स्रोत है।
सृष्टि का हर जीव पैदायशी धर्म, सच्चाई, मानवता से ओत-प्रोत होता है, लेकिन पालन-पोषण, शिक्षित जैसे लोगों में जीव पलता है। उसी के अनुसार उसकी प्रवृत्ति बन जाती है। डाक विभाग बेहद गरीब और सीधे आदमियों की, ऐसी यूनिटी या संस्था थी, जो मानवता से बेहद ओत-प्रोत थे, राजा-महाराजांे के जमानेेे से, एक छोटा सा मैसेज पहुँचाने वाला, अपनी जान पर खेल जाता था, लेकिन मैसेज मंजिल तक पहुँचता था, उनकी मिसाल थी, सबूत पिछले है, लेकिन इस बड़े विभाग में, सबसे पहले यूनियन बनाने का, सबसे गलत कदम, यहाँ के या पोस्ट आॅफिस के, एक दो कर्मचारी ने सोचा और उठाया होगा। निश्चित ही यह किसी अधिकारी की, कर्मचारी के प्रति अनियमितता के कारण हुआ होगा।
यूनियन या यूनिटी बनाने का मकसद ही यह है कि कोई काम, आसानी से हो सके, लेकिन इसी यूनियन का अपोजिट या दूसरा पहलू है, नकारा होना, काम न करना, गद्दारी या अत्याचार करना, हर बाधा उत्पन्न करना। जिसने भी यूनियन बनायी या यूनियन का संचालन करने वाला, काम तो करता नहीं और पहले-पहल हराम की पगार, फिर दूसरों के पैसे या दूसरे की मेहनत पर खुद को नकारा बनाता हैं। एक अधिकारी भी यूनिटी को संचालित करता है, वह बडे़-बडे़ ब्रिज, फैक्टरी चलाता है, लेकिन यह नेता नहीं, कर्मचारी होता है।
इसी यूनियन के नेता टाइप लोगों ने डाक विभाग को पोल्युशन जैसी दीमक से ग्रस्त कर दिया। सबसे पहले पोस्टमैन ने डाक बाँटने में अनियमितता अपनाई, चाहे वह किसी भी कारणवश हो, इसके बाद इस डाकिये के अधिकारी के द्वारा अनियमितता को बढ़ावा दिया गया और सबसे सीधा, सच्चा विभाग अनियमितता में बढ़ता ही जा रहा है, आये दिन लाखों का घोटाला पोस्ट आॅफिस मंे होता रहता है, इस घोटले में सबसे ज्यादा जिम्मेदार पोस्टमास्टर और सुपरीटेण्डंेट ही है क्योंकि यह अधिकारी भी रिश्वत का चलन, वह भी नौकरी देने तक में करने लगे और इनकी ड्यूटी अनियमितता से परिपूर्ण होती ही जा रही है। पोस्ट आॅफिस में स्टाफ की कमी, इसमें चार चाँद लगा रही है। जिसका कारण पोस्टमास्टर का ज्यादा पेन का काम, उपभोक्ता और कर्मचारी को बाधित करता चला जा रहा है। सर्विस की देरी उपभोक्ता को बैंक और कुरियर की तरफ आकर्षित कर रही है। आर. एम. एस. की सर्विस बेहतरीन थी, लेकिन अधिकारीों की कम सोच ने, इसे भी बाधित किया।
पहले आर. एम. एस डिब्बे में डाक की, शार्टिंग करते रहते थे और आने वाले रेलवे स्टेशन के आस-पास की, डाक का बैग जंक्शन पर छोड़ देते थे और डाक अगले दिन बँट जाती थी, लेकिन डाक का बैग खास स्टेशन पर उतरने लगे और अगले दिन बँटने वाली डाक, कई-कई दिन बाद पहुँचने लगी, यही नहीं कर्मचारियों को बेहद ज्यादा मेहनत भी करनी पड़ रही है, मतलब यह है, कि अधिकारी की सिरदर्दी, कर्मचारी की मेहनत और उपभोक्ता के समय का और पैसे का नुकसान भी बढ़ा है, अनेक सबूत मिलेंगे कि देश का भविष्य, एक विद्यार्थी का, जो बेहद मेहनत कर रहा था, उसके संरक्षक व खुद को ”लोहे के चने चबाने“ जैसा काम कर रहे थे, उस विद्यार्थी का परीक्षा रोल नम्बर समय पर नहीं पहुँचता, यही नहीं एक ग्रेजुएट विद्यार्थी नौकरी के लिये फार्म भरता है, मोटा पैसा खर्च करता है, एग्जाम इन्टरव्यू की तैयारी करता है, समय पर रोल नम्बर नहीं पहुँचता या उसकी सर्विस का काॅल लेटर समय पर नहीं पहुँचता, मरने की या गम की खबर जो केवल पोस्टकार्ड पर रजिस्ट्री जैसी सर्विस थी, समय पर फौरन पहुँचती थी, अब ऐसा नहीं हैं।
खुशी की खबर अब वह भी समय से नहीं पहुँचती और पहुँचती भी है, तो पोस्टमैन की ईनाम या रिश्वत की इच्छा के कारण पहुँचती है। सबूत है कि पोस्टमैन किसी नहर या नदी के पुल पर बैठकर डाक जल में प्रवाहित कर देता है और कह देता सबकी डाक पहुँच गई है, अब अकेले में अग्नि संस्कार करके अपने काम से बच जाता है, ग्रिटिंग कार्ड और कलेन्डर, जन्म दिन की शुभ कामनाएँ, अखबार, तो निश्चित डाकिया, अपने और अपनों के इस्तेमाल में रख लेते है, अगर वह रजिस्टर्ड डाक न हो तो, रजिस्टर्ड डाक भी किताब या पेपर आइटम, ब्रेक होकर 50 प्रतिशत पहुँचती है और उपभोक्ता का ध्यान, कुरियर की तरफ आकर्षित करती है। यह सब अनियमितताएँ डाक विभाग को गरीब लगातार बना रही है।
कचहरी जैसी कानून की डाक तक जैसे मुजरिम या मुद्दई के सम्मन कागज भी डाकिये को पैसे देकर गड़वाये जाते है, और उपभोक्ता को पैसा और बेहद कीमती समय की बरबादी ही नहीं करवाते, बल्कि कानून के मन्दिर को भी दागदार बना देते हंै, फैसले में देर होने से मुजरिम मजबूत होता है और देश की जड़े कमजोर होने की गारण्टी कर देते हंै, यही नहीं पेशकार, पूरा स्टाफ, जज, मुंशी, वकील सब रिश्वतखोर, नकारा और भ्रष्टाचारी की तरफ, तेजी से बढ़ते चले जाते हैं। मुजरिम मजबूत और मुद्दई की जडे़ हिलाने जैसा काम निश्चित होता चला जाता है। डाक और डाकिये की, हर इंसान हमेशा इन्तजार करता है, वह भी बड़ी बेकरारी से, इंतजार करता है। केवल डाक विभाग की अनियमितता के कारण, हर उपभोक्ता दूसरे आसान या महँगे साधन ढूढ़ता है। पोस्टमास्टर के पैसे खाने के अनेक तरीके हंै, जो कानून की नजरों से भी जायज करार दिये जाते है। मनीआर्डर एक माह तक न दिया जाय, तो कोई बात नहीं। मतलब एक माह से पहले शिकायत तक नहीं, पोस्टमास्टर एक माह वह पैसा इस्तेमाल कर सकता है, करते हैं। पेंशन जो डाक से किसी की आती है, कभी भी किसी को समय से नहीं मिलती, अगर तफ्तीश कराई जाये, तो इनके बड़े अधिकारी, पैसे खाकर बात दबा देते हंै, उपभोक्ता को सैटिसफाई कर देते हैं। पोस्ट आॅफिस की, हर किस्म की डाक टिकट, हर दिन इस्तेमाल करके, पोस्टमास्टर अपना काम चला लेते हैं और यूनियन या आपसी सम्बन्ध के कारण अधिकारी भी छूट दे देते हैं, विधवा पेंशन पर खासतौर से देरी की जाती है। जबकि पोस्टमास्टर किसी भी कार्य की अनियमितता की शिकायत उपर या काम से सम्बन्धित विभाग को कर दे तो पूरे देश की, हर अनियमितता सिकुड़कर खत्म हो जाती, लेकिन उपभोक्ता की परेशानी, इनके खाने और पैसे बनाने के नये-नये रास्ते बनाते हैं और देखा-देखी दूसरे भी, हर सरकारी विभाग हर अनियमितता की और तेजी से अग्रसर होते हंै। पोस्टआॅफिस के मामलों में, गाँव के पोस्टआॅफिस की अनियमितता के मामले में गिनती ज्यादा है और शहर के मामले में तो लाखों के घोटाले मिलते हंै। इसी वजह से पोस्ट आॅफिस का काम बहुत सीमित हुआ है, स्पीडपोस्ट जैसी स्कीम से, डाक विभाग की इमेज कुछ सुधरी है, लेकिन यह सच्चाई है, कि यहाँ का माहौल, कार्यशैली, कर्मठता लगभग और सरकारी विभाग से ज्यादा अच्छी है, इस समय तो पोस्ट आफिस लाइफ इंश्योरेंस जैसी स्कीम जनता को आकर्षित कर ही रही है और सीधे-सादे लोगों के लिये या अनपढ़ लोगों के लिये पोस्टमास्टर (बाबू जी) खास अहमीयत और इज्जत वाला सरकारी आदमी सहायक महसूस होता है, खास गाँव या देहातों में। आम मोहल्ले के पोस्ट आॅफिस को बेहद ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। पास बुक का काम, बचत पत्र का काम, मनीआर्डर का काम, साथ ही डाक रजिस्टरी के साथ-साथ टिकट, पोस्टकार्ड, लिफाफे, बेचने के काम, अकेले कर्मचारी के लिये परेशानी का वायस बन जाता है, स्टाफ कम हैं, लिखा-पढ़ी और कैश का काम, जरा सी चूक से कर्मचारी और जनता दोनों के लिये परेशानी बन सकता है, फिर भी जनता और कर्मचारी एक-दूसरे का पूरा सहयोग करते हैं और काम निर्विघ्न चलता रहता है।
इस डाकखाने की अनियमितता का एक बड़ा कारण, डाकखाने से बाहर बैठने वाले, ऐजेन्ट भी हैं, यह सही है कि, गैर सरकारी की पूरी सहायता यह करते हैं, जैसे कहीं विटनेस या फार्म भरना आदि, लेकिन इसी काम के लिये कर्मचारी से उपर, पोस्टमास्टर होता है, यह सरकारी आदमी पगार ही इस बात की लेते है, कि पूरे कर्मचारी का ध्यान रखे और उपभोक्ता की विभाग सम्बन्धी हर परेशानी को अविलम्ब दूर करे, इन एजेन्टों के कारण कार्मचारी की कार्यशैली हल्की पड़ जाती है, जो विभाग और उपभोक्ता दोनों को निश्चित नुकसान पहुँचाती है लेकिन उपभोक्ता का काम जल्द और आसान जरूर कर देती है और गैर सरकारी निश्चित थोड़े से नुकसान को खुशी से कबूल कर लेता है, लेकिन अनजाने में कर्मचारी व अधिकारी व विभाग को खराब करने जैसा होता है। विडम्बना यह है कि अधिकारी पोस्टमास्टर अपनी सिरदर्दी से बचने के कारण, इस ओर ध्यान नहीं देते और पूरे विभाग की जड़ कमजोर करने जैसा काम कर रहे हैं, उन्हें खुद को जनता का अच्छा और सबसे ज्यादा बड़ा सेवक साबित करे, तो उनका विभाग चमके और जनता व देश का नुकसान बचे।
एजेन्ट बचत पत्र, मनीआर्डर जैसे कामों से राउण्ड फीगर से उपर के पैसे रोक लेते हैं, जिसमंे कर्मचारी का भी हिस्सा होता है, यह सच है कि उपभोक्ता को कहीं पर भी जाना-आना नहीं पड़ता जबकि कर्मचारी बिना एजेन्ट के भी, इतनी आसनी और जल्द से जल्द ऐसी सेवा कर सकते हैं, कि उपभोक्ता को एजेन्ट की जरूरत भी महसूस न हो या एजेन्ट को उपभोक्ता भूलने पर मजबूर हो जाये, उपभोक्ता को सोचना चाहिये कि चाहे उसे महसूस न हो, लेकिन कर्मचारी और विभाग को भ्रष्ट न होने दे, नकारा न होने दे।
वैसे कर्मचारी से ज्यादा जिम्मेदारी अधिकारी या पोस्टमास्टर की है और कर्मचारी व उपभोक्ता की दोनों का पूरा ध्यान रखना, उसकी पहली और सबसे अहम ड्यूटी है, इन सब परेशानी से बचने के लिये उपभोक्ता डाकखाने को छोड़कर, बैंक की तरफ अग्रसर है, खासतौर से पढ़े-लिखे लोग, यह सच्चाई है कि, हर प्राणी वफादार होता है, इसलिये कर्मचारी और खासतौर से अधिकारी को अपने और विभाग के प्रति वफादार होना चाहिए और वफादार होने का सबूत है, कि कोई उपभोक्ता डाकखाने के अलावा कहीं और न जाये यही नहीं वह कर्मचारी और अधिकारी ऐसी सेवा अर्पित करे कि, यह एक ग्राहक दूसरे ग्राहक को डाकघर में लाये। जिससे डाकघर की इज्जत और बिजनेस बढ़े।
यह माननीय है कि बैंक और कुरियर आपके भाई बिरादरी के है। आपके देश के हैं, लेकिन इसमें आपकी सेवा, आपका विभाग पहले है, बड़ा है, इसी रूप में रखना भी, आपकी वफादारी का सबूत है, धर्म है, यह भी माननीय है कि ग्राहक भगवान है, उपभोक्ता अपनी मर्जी का मालिक है। वह कहीं भी जाये, परन्तु आपकी त्रुटि से नहीं, आज बैंक इंटरनेट सर्विस दे रहा है। डाक विभाग क्यों नहीं? यह सबूत है डाक विभाग की सेवा अधूरी है, इसी कारण विभाग पिछड़ रहा है, इस कमी से देश का, खुद आपका और सबसे ज्यादा जनता का नुकसान निश्चित हो रहा है, कर्मचारी और अधिकारी को व उनके परिवार को हमेशा याद रखना चाहिए कि वह सेवक है और सेवक की वेल्यू सेवा के कारण अहम और ज्यादा है, सेवा खत्म हुई (चाहे दिमाग में ही सोचे) और सब का नुकसान निश्चित हुआ जो स्क्रीन पर या सामने जरूर आता है, आयेगा।
ग्राहक की, भगवान की, जनता की, परेशानी के करोड़ों कारण हैं या हो सकते हैं और किसी भी परेशानी का विकल्प, उस ग्राहक के मुताबिक पोस्टमास्टर को बरकरार रखना ही चाहिये और बरकरार रखने के लिये, आपको हमेशा प्रयत्नशील रहना ही चाहिये प्रयत्नशील रहने के भी करोड़ांे तरीके हैं। जो आप करते रहते हैं, जैसे अनेक सुविधायें व कार्यशैली में बदलाव, विज्ञापनवरटाइजिंग आदि यह जब तक सेवा भाव से होगा, निश्चित हर एक में, हर अच्छाई में अच्छी बढ़ोत्तरी, हर तरीके से रहेगी। यह प्रकृति की बात है लेकिन नौकरी, पगार या गलत लालच लेकर या कोई और फायदा सोचकर या केवल कार्य सोचकर करंेगे, तो फल विपरीत होगा, जो प्रत्यक्ष है और नुकसान हो रहा है। दूसरे विभाग जो आपके देखा-देखी बने, वह विश्व मंे छा गये हैं, आप जहाँ थे, वहीं हैं या सिमट रहे हैं, यह सच्चाई है कि बढ़ोत्तरी है लेकिन भ्रष्टता में बढ़ोत्तरी है और यह खासतौर, आपको देखकर दूसरों में ऐसा रोग लगा। आप निश्चित कर सकते है, करना ही चाहिये या करना नहीं चाहिये महानता चारों तरफ से ही हो, तब ही सही महानता है, सच्ची महानता है और उसके लिये, हर गैर सरकारी की सच्ची व अच्छी भावना से सेवा से भी पहले, अपने स्टाफ में गहराई से नजर डाले और नजर रखे। आपके छोटे और साथी, साथ ही बड़े सब ठीक हैं, कोई केाताही तो नहीं कर रहे हंै। किसी के भी प्रति कोताही करने वाला, आने वाले समय में, सबके प्रति या किसी के भी प्रति कोताही जरूर करेगा। यही नहीं वह खतरनाक कोताही के बीज, हवा में बिखेर रहा है। इस पोल्यूशन का विकल्प है या तोड़ है, गलती पर अविलम्ब सजा, यह सजा देना आपका धर्म हैं। आप बड़े हंै तो ज्यादा महान बनिए लेकिन आपके साथी हैं या छोटे (मातहत) हंै तो आप अधिकारी को और उपर शिकायत करें, यह नेक कर्म आपको महान निश्चित बनायेगा।
इस शिकायत करने के अनेक तरीके हैं, कि आप शिकायत भी करें, और सुरक्षित रहंे या कम से कम बुरे न बनंे। सही अधिकारी निश्चित, हर छोटे पर पहले से ध्यान रखता है और आपका मामूली सा इशारा, जहाँ आपके साथी या बड़े का सुधार करायेगा, वही उस अधिकारी की बढ़ोत्तरी में चार चाँद लगा देगा। वहीं आप की महानता को भी कैश जरूर करेगा, वैसे अपने बचाव के हर तरीके को सोचकर ही शिकायत करनी चाहिये लेकिन हर हाल में कोताही करने वाले को सजा मिलनी चाहिये आप अधिकारी हैं, तो फौरन ऐसे छोटे या कर्मचारी को सजा के रूप में थोड़ा सा नकद रुपये का जुर्माना जरूर करें। जो अविलम्ब राजकोष में पहँुचे, इसके साथ-साथ उस कोताही करने वाले के, साथी व मातहत और बड़े को भी दोषी मानकर अल्टीमेटम दें, क्योंकि कोताही करने वाले को इनकी या इनमें से किसी एक की सपोर्ट सहायता या उकसाने से ही कोताही हुई है, होती है या अनजाने में सहयोगी है या ध्यान क्यों नहीं रखा? मतलब यह है कि अल्टीमेटम, हर हाल में सबके लिये फायदेमंद है।
इसके अलावा इस कोताही करने वाले की निश्चित समय में दूसरी गलती पर कम से कम 5 गुना पहली सजा का जुर्माना, दोबारा करने से भी चूक न करंे और, अल्टीमेटम के साथ-साथ, थोड़ा-थोड़ा जुर्माना बढ़ाकर जरूर करें, लेकिन कोताही करने वाले पर कड़ी नजर रखे और तीसरी बार दूसरी सजा का 10 गुना जुर्माना निश्चित करें, आप कर्मचारी हैं, मतलब आप पूरे देश के सेवक हैं, इसलिये जैसे स्टाफ की देखभाल करते हैं, उसी प्रकार, हर सरकारी प्राणी पर भी नजर रहनी भी चाहिये कोई भी सरकारी प्राणी, आपका भाई, बिरादरी भाई, केवल सरकारी प्राणी होने के नाते से है, इसीलिये आपका काम सफाई-सुधार का जज्बा, अपने प्रति और सरकारी प्राणी के प्रति होना, आपकी महानता है, गलत के प्रति, आपका रवैया शिकायत करने वाला होना ही चाहिये हर विभाग की शिकायत पेटिका है, शिकायत रजिस्टर है, सूचना विभाग है, आप फौरन डाक द्वारा भेज सकते हंैै, अपना नाम छुपा सकते हंै। ऐसा करके आप पूरे देश का सुधार कर रहे हैं, हर प्राणी पर एहसान कर रहे हंै, गलती पर शिकायत करना, हर सेवा से बड़ा काम है।
आप इतना भी नहीं कर सकते, तो आप लिखित में किन्हीं, तीन प्राणी के हस्ताक्षर के साथ हमें डाक द्वारा ही भेजे, आपको सूचित भी किया जायेगा, इसके लिये केवल 5/-रुपये का डाक टिकट या लिफाफा हमें भेजे, निश्चित वह कर्मचारी, उसके अधिकारी या विभाग, राजकोष में जुर्माने के रूप में पैसा जमा करेंगे और सुधार निश्चित होगा, आप हिम्मत तो करंे, आप 58 या 60 साल के लिये, बुक हैं, बाॅण्ड हैं और आप अकेले भी नहीं हैं, कम से कम पूरा परिवार तो है ही।
सच्चाई यह है कि, आपके साथ अल्लाह है, भगवान है, वाहेगुरू है, गाॅड है, इतने सारे देवी, देवता हंै, कोई न कोई साथ जरूर हैं, फिर हम तो हैं न। एक गलत को सजा, सारे संसार की ही नहीं, सारी सृष्टि की सेवा करने जैसा है। आप खुद अच्छाई की तरफ सोचंेगे, तो चाहे जितना दूर तक सोचंे, सुधार करने से, सबका भला ही भला है।
करत करत अभ्यास के, जड़मत होत सुजान।
रसरी आवत जात ते पाथर पड़े निशान।।
आप कहीं से कहीं तक सोचे, इसके बाद नेता है, हो सकता है, आप नकारा हैं, पैसे के गुलाम हंै, भाड़े के टट्टू हंै, गद्दार हैं, लेकिन जनता को तो नहीं भूल सकते। सच्चाई में आप 5 साल के लिये बुक है, लेकिन जनता का हर प्राणी पूरी उम्र के लिये बुक है और सीधा व भोला है, लेकिन बड़ा भी है और उसकी यूनिटी भी सबसे बड़ी है। आप हंै, आप उसी के सेवक है, वह उपभोक्ता है, भगवान है, आप शिकायत में, उसे साथ लीजिये या उत्साहित कीजिये, आप गलती करने वाले को जरूर सजा दिलवा देंगे, और धर्म-कर्म पूरा हो जायेगा। गैर सरकारी प्राणी को चाहिये की, वह खुद सबकी देखभाल करता रहे, और कम से कम सप्ताह में, एक शिकायत (गलती) अनियमितता की करता रहे।
कानून हर प्राणी के लिये इस मामले में साथी हैै, आप अनियमितता की शिकायत करेंगे, जुर्माना राजकोष में जमा करने की आवाज उन तक पहुँचेगी, तभी तो, यह सरकारी प्राणी जागेंगे, और हर कानून बनाना पडे़गा, देश आपका है, सुधार भी आप सुझायेंगे और सुधार करना, इनकी मजबूरी बन जायेगी। आप ऐसा करके साबित कर रहे हंै कि आप हिन्दुस्तानी है या सच्चे देशवासी हैं, आप सब से अपेक्षा की जाती है, कि आप जागरूक हो रहे हैं और जागरूकता दिखा रहे हंै। संसार के सारे डाक विभाग सम्बन्धित प्राणी व और सब प्राणी आमंत्रित हैं, कि आप सब मिल कर या अकेले खुद देखकर, सारे संसार के इस विभाग की व अन्य अनियमितताएँ दूर करें और संसार को सुनहरा बनाकर खुद को व सब को धन्य करें। डाक विभाग मजबूत और विश्वस्त हो, कर्मचारी व अधिकारी की, लोगों की नजर में और कद्र बढ़े, इसके लिये कुछ खास नियम बनाने पडं़ेगे और उन पर कठोरता से अमल करना पड़ेगा, अमल करना ही चाहिये।

सुधार-सफाई के लिए विचार
01. हर डाकखाने पर पोस्ट बाॅक्स के साथ ही शिकायत बाॅक्स और शिकायत रजिस्टर होना ही चाहिये तथा शिकायत बोर्ड होना चाहिये शिकायत पेटी की चाबी पोस्ट मास्टर (या डाक खाने के खास कर्मचारी) के पास होनी चाहिये, हर माह एक दिन शिकायत की गिनती करते समय ऐरिये के, तीन प्राणी जो भी चाहें होने चाहिये यह गिनती बोर्ड पर अंकित रखे, दूसरे माह अलग तीन प्राणी हो यहीं पर ”घर का सुधार = गलती पर अविलम्ब सजा और मेहनती को प्रोत्साहन“, वाले बोर्ड लगाये जाये, जिससे लोग, गलती की शिकायत करने के लिये प्रोत्साहित हो।
02. शिकायत का तरीके लेख में उल्लेखित है ही, खुद डाक विभाग का कर्मचारी जहाँँ रहता है, सबका ध्यान रखें। हर अनियमितता की शिकायत, सम्बन्धित विभाग और उच्च अधिकारी को करें, विभाग को चाहिये कि शिकायत करने वाले कर्मचारी की शिकायत की गिनती पर उसे वरीयता और प्रमोशन दें, विभाग भी साफ सुथरा हों, इसलिये शिकायत की गिनती पर ईनाम आदि देकर प्रोत्साहन दंेे।
03. सबको चाहिये कि, पूरा देश आपका है, और हर सरकारी विभाग भी साफ सुथरा हो इसलिये शिकायत पर भी ध्यान दे व अनियमितता की शिकायत करना, अपनी ड्यूटी समझंे, किसी मजलूम की सहायता बिना उसके आवाज दिये खुद करें, आप साथ हैं, तो वह अकेला नहीं रहेगा और अत्याचार पर विजय होगी।
04. उपभोक्ता को चाहिये कि सरकारी डाक विभाग की बढ़ोत्तरी हो। कुरियर सेवा की बजाये डाक विभाग का ही सुधार करे, यह बचत का साधन है। अगर आपकों कहीं रिश्वत देनी ही पडे़, तो बाद में उस रिश्वत लेने वाले से निश्चित वसूल करें, ब्याज समेत वसूल करें, उसके मरने के बाद, उसके नोमिनी या परिवार से वसूल करें। विद्यार्थीगण खासतौर से ध्याान दें। डाक की कोताही की शिकायत जरूर करें, आपके भविष्य को खराब करने वाले को सजा जरूर मिलनी चाहिये, जिससे दूसरा कोई उसकी चपेट में न आये।
05. उपभोक्ता को मनिआर्डर और पेंशन आदि समय पर न मिलने की शिकायत, अपने साथ कई लोगांे को लेकर करें। उपर शिकायत करने के लिये पोस्टमास्टर के हस्ताक्षर के साथ लिखे, पेंशन हर माह समय से मिले, सम्बन्धित विभाग को पोस्टमास्टर खुद शिकायत करना, धर्म समझें। उपभोक्ता को सुख देना विभाग और कर्मचारी की महानता समझी जाये।
06. हर प्राणी को सुधार-सफाई असानी से कैसे हो खुद सोचे व अमल करे, लेकिन कानून बचा कर व किसी के पेट पर लात न लगे और राजकोष बढ़े। काम करो, पगार लो, के नियम पर, अनियमितता करने वाले प्राणी व उसके पािवार को भी बचाना हैं, यह देश के कुछ हैं। आपके इन्टरनेट पर शिकायत करते ही विजिलेन्स, सी. बी. आई. आदि जो नकारा हो चुके हैं, उन्हें ड्यूटी करनी ही पड़ेगी और सुधार जल्द होगा।



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