ब्रह्मास्त्र
हमारी, आपकी जनता की अन्तिम माँगें-सारी अच्छी मानव जाति को बचाने के लिए ब्रह्मास्त्र
01. अगर गैर-सरकारी किसी सरकारी कर्मचारी की शिकायत उससे बड़े कर्मचारी या अधिकारी को करता है तो उस पर अविलम्ब कार्यवाही हो और कार्यवाही की शुरूआत उसका चार्ज दूसरे को सौंपकर हो और गैर-सरकारी (शिकायतकर्ता) का काम सबसे पहले उसका पहला इनाम समझकर पूरा किया जाय, क्योंकि उसने भ्रष्ट नौकर को प्वाईण्ट आउट करके पूरे देश और अच्छे समाज पर अहसान किया है, माना जाय।
02. रिपोर्ट करने के अगले दिन से शिकायतकर्ता को दिहाड़ी के रूप में हर दिन पैसा दिया जाय जिससे झूठे को झूठे के घर आसानी से पहुँचाया जा सके, साथ ही यह चर्चित हो सके कि सरकार सच्चे व कर्मठ के साथ है और शिकायत करने वाला अपने आपको कहीं से अकेला, कमजोर न समझे और भ्रष्टता से भिड़ने में मायूस न हो।
03. रिपोर्ट सच साबित होने पर मुजरिम को देशद्रोही करार दिया जाये, साथ ही उसके मातहत साथी और अधिकारी को भी दोषी करार दिया जाये क्योंकि इनके साथ के बिना कोई कर्मचारी भ्रष्ट हो ही नहीं सकता, साथ ही चोर, रिश्वतखोर, भ्रष्टाचारी की हिम्मत पस्त होने लगे, और अच्छे व कर्मठ लोगों की हिम्मत बढ़ने लगे।
04. रिपोर्ट सच साबित होने पर गैर-सरकारी को प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित किया जाये और पुरस्कार में सरकारी नौकरी तक हो जिसे सरकारी नौकरों में देशभक्त और कर्मठ लोगों की बढ़ोत्तरी हो। साथ ही हर इंसान चोरी, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचारी अपनाने की बजाये उससे भिड़ने को अग्रसर हो, साथ ही कर्मठ लोगों का उत्साह बढ़े।
05. कानून के मन्दिर में हर केस निश्चित समय में पूरा हो। ऐसा न होने पर उस पूरी अदालत व जज को देशद्रोही करार देकर दण्डित किया जाये। साथ ही उससे छोटी अदालत और उससे बड़ी अदालत को दोषी करार दिया जाये, क्योंकि ऐसा जज जो न्याय करने में देर करके मुजरिम को छूट और मुद्दई की सजा बना कर पूरे देश और अच्छे समाज, अच्छी मानव जाति को खत्म कर रहा है। छोटी अदालत से पककर आया है या बड़ी अदालत की शह है ऐसे जज को, अदालत को सजा देने में देर करना सबसे बड़ी देशद्रोहिता मानी जाये, साथ ही मुद्दई को मुआवजा देकर कानून की गरिमा को बरकरार और मुद्दई को सुरक्षित रखा जाये।
06. ”कानून अंधा होता है“, यह नियम काटा जाये क्योंकि जज के सामने सारी सरकारी मशीनरी की तेज आँखें, असीमित शक्ति के अनगिनत हाथ जज के मातहत होते हैं, साथ ही कोई गैर-सरकारी जज की आज्ञा का उलंघन कर ही नहीं सकता। इसके बावजूद जज की सबसे तेज छठी इन्द्रिय, तीसरी आँख व उसके हाथ-पैर हमेशा साथ होते हैं इतने पर भी न्याय न होना, गलत होना या देर होना ”कानून अंधा नहीं“, कानून गन्दा है। ऐसी जगह न्याय हो ही नहीं सकता, माना जाये।
07. अखबार, दूरदर्शन पर समाचार आते हैं, उनसे कोई फायदा नजर नहीं आता। अतः समाचार पत्र, दूरदर्शन पर यह अनिवार्य करना चाहिए कि ”सजा दी गई“ का समाचार प्रकाशित करें। जिससे हर प्राणी को पता चल सके कि इस गलती की सजा यह होती है। साथ ही चोर, रिश्वतखोर, भ्रष्टाचारी की हिम्मत पस्त होने लगे तथा अच्छे लोगों का उत्साह बढ़ने लगे।
08. देशद्रोही की सजा केवल मुजरिम ही नहीं बल्कि उसके रक्त सम्बन्ध के परिवार के साथ सम्मिलित किया जाये क्योंकि उसके द्वारा किये गये कर्मों के लाभ के भागीदार वो भी रहें हैं। रक्त सम्बन्ध को सरकारी नौकरी में सदैव के लिए वर्जित किया जाये। जिससे चोर, रिश्वतखोर, भ्रष्टाचारी से व ऐसे पैसे से फलने-फूलने वाले लोग व उनके परिवार व सम्बन्धी तक डरने लगे। साथ ही ऐसे लोग समाज, अपनों की व खुद की नजरों में गिरने लगें, अलग-थलग नजर आने लगें, ऐसे लोगों की इज्जत खत्म होने लगे, साथ ही अच्छे लोगों की इज्जत का स्तर ऊँचा होने लगे और वे स्वयं का सम्मानित अनुभव करें।
विशेष
जो भी यह पवित्र पुस्तक पढ़ रहा है। संसार का हर पाठक इस नियम को अन्यथा न समझें। वह चाहे देश, विदेश या विश्व अदालत के मुख्य न्यायमूर्ति ही क्यांे न हों, ध्येय सच्चाई और सबको जागरूक करके अथाह शक्तिशाली बनाना है। सबको कर्मठ और पूजनीय बनाना है, सच्चा ज्ञान देना है। धन्यवाद्।
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