Thursday, April 16, 2020

हमारा देश

हमारा देश

स्ंासार का कोई भी देश जनता का पुश्तैनी घर हैं, सबका अपना देश, महान है। अभी नहीं जब से सृष्टि बनी है। हिन्दू धर्म के मुताबिक जो सबसे पुराना है और सबसे बाद तक चलनेे वाला है। धर्मग्रन्थों के मुताबिक जो इतिहास भी कहे जा सकते हंै, देश का वर्णन लिखा है। यहाँ भारत में जितनी खूबियां उपलिब्धयाँ और क्या-क्या है, वर्णन करना बेहद मुश्किल है। सतयुग से लेकर अब तक भारत, सबकी खास जगह रही है, जिसमें देहली (दिल्ली) का वर्णन विशेष रहा है। देवी-देवता का वर्णन, राक्षसों का वर्णन इसी देश में अत्यधिक मिलता है। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग। राजा हरिश्चन्द्र, राम, कृष्ण और अब गाँधी का देश, महान खूबियाँ समेटे हुए है। जो भी जिसका देश है, वह अनमोल हैं।
भारत में हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक, कश्मीर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक पृथ्वी पर सबसे ज्यादा या ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा खुबियांँ यहीं पर है। यहाँ का हर प्राणी, देवी, देवता, पीर, पैगम्बर जैसा है। चारांे धर्म हिन्दू, मुसलमान, सिख, इसाई यहाँ की शोभा बढ़ाते हंै। अनेक भाषायें या हर तीसरे, चैथे गाँव के बाद, भाषा अलग-अलग है। लेकिन अलग धर्म और अलग भाषा के अलावा व अनेक जाति के बावजूद, सब एक शरीर के सारे अंगों के एक समान हंै और अनेक शरीर, एक आत्मा जैसे हंैै। प्रकृति के मुताबिक सब एक-दूसरे पर आधारित हंै फिर यहाँ दुनियाँ के अजूबे हैं। हिन्दुस्तान की बात ही अलग है। भारत शुरू से हर बात में निराला रहा है। यह जनता का पुश्तैनी घर है। अगर हम नौकरी करते हंै, तो सरकारी मकान मिलता है। चाहे जहाँं पहुचें। नेता हैं, तब भी निवास सरकारी मिलता है। लेकिन गैर सरकारी जहाँ पहुँचता है, अपना निवास लेता है, बनाता है। यही सच्चाई हैै।
यह पहाड़ों में रहे, जहाँ बर्फ गिरती है। चाहे रेगिस्तान में रहे, जहाँ रेत ही रेत है। अपने दम पर रहता है। सरकारी प्राणी जहाँ रहता है, रहने और करने का मुआवजा लेता है। लेकिन गैर सरकारी जहाँ रहता है, खुद करता है, पूरे देश के लिये करता रहता है। भारत ही नहीं, सब देश, सब जगह, सब की है, हर जीव की है।
हिन्दू धर्म के मुताबिक 84 लाखों योनि के असंख्य जीव हैं। हर योनि, हर हाल में सुरक्षित है। एक योनि भी कम नहीं होती। मनुष्य विज्ञान के ज्ञाता खोज में, अहंकार करें तो गलत है। इसके अनेक सबूत हैं। आज जापान, अमेरीका हर जीव को सुरक्षित रखने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। हिन्दू धर्म या सही ज्ञान का कहना और मानना है कि किसी भी जीव की नस्ल खत्म नहीं होती। कुदरत की इच्छा एक अलग बात है। मुनष्य के बस का यह काम हो सकता है, लेकिन अगर ऐसा इंसान कर पाये, तो कुछ समय में एक जीव के खत्म होते ही, पूरी सृष्टि पर गलत असर पड़ता हैै। एक मच्छर जैसे जीव के सब दुश्मन हैं। गैर सरकारी कछुआ छाप, गुड नाईट इस्तेमाल करके मच्छर को मारना चाहता है। सरकार अरबों रुपये, इसे मारने में हर दिन लगाती है जो मच्छर डी. डी. टी. से हल्के पड़ते थे। आज हर जहर से बचने में सक्षम होते जा रहे हैं।
गलत मौसम हर युक्ति के बाद पहले से मजबूत मच्छर अगले दिन नजर आ जाते हैं, तो हम सब एक-दूसरे को खत्म करने की गलत बात क्यों सोचते हंै? मुसलमानों के जमाने में, हिन्दू के सिर पर इनाम तक रखे गये, क्या हिन्दू खत्म हुए? हर प्राणी की गलत चाह है कि हम ही हम हों, हमारी ही जाति के हों, हमारे धर्म के हों और ऐसा गलत सोचकर, धर्म परिवर्तन जैसी युक्ति अपनाते हैं। दूसरों पर अत्याचार करते हैं, नेता लोग गलत प्रपंच करके, हर प्रदेश को भी खण्ड-खण्ड में बाँट रहे हंै। प्रदेश बँटे या न बँटे, नेता परिवार जरूर खण्ड-खण्ड में बँट जायेंगे या बँट रहे हैं। खुद उनके परिवार में एक भाजपा का है, दूसरा कंाग्रेस पार्टी का है। पृथ्वी पर भारत ही ऐसा देश है, जिसमें सबको आजादी और सबको इज्जत है। यहाँ सबके लिये शिक्षा भी है और यह भारत की महानता है। हर नेता को, हर धर्म को बढ़ावा देना चाहिये, जिससे पूरी पृथ्वी पर सब जगह आप या आप जैसे हों। किसी को खत्म करना समझदारी नहीं। किसी को अपने लायक और खुद को उसके लायक बनाना ही, समझदारी है।
हाथी जो आप से हर बात में अलग है। लेकिन एक अकुंश पर आपके काम का, आप उसके काम के लिए निश्चित बने हैं। भारत में असीमित हर किस्म की अनियमितता निश्चित हैं, फिर भी हम सब एक है, नियम बरकरार हैं और इसी कारण इसकी सन्तोषजनक बढ़ोत्तरी है और कहना पड़ता है या कहते हैं, ”मेरा भारत महान“। इसी प्रकार जो भी, जिस देश में रहता है, उसे अपने देश पर गर्व होना चाहिए, उसे अपने देश के लिये, पहले सोचना चाहिये, अपने देश के लिये काम करना चाहिये लेकिन किसी दूसरे देश की या देशवासी को तुच्छ नहीं कहना चाहिये ना ही समझना चाहिये वहाँ भी आप जैसा प्राणी है, आपका ही कोई सम्बन्धी है। अगर दुश्मन भी है तो दोस्त बनाना ही चाहिये।
आपका देश अच्छा है, दूसरे का देश भी अच्छा है और आपके लिये ही नहीं सबके लिये है, जैसा भी है, अच्छा है। आप भी तो अच्छे हंै। आप जहाँ जायेंगे, वह जगह भी अच्छी बन जायेगी। आप अच्छे हैं। अच्छी मिट्टी से हैं, तो आप उसे भी अच्छा बना ही देंगे। मेरा देश महान है लेकिन आपका देश भी महान है। यहाँँ रहने वाले देवी-देवता, पीर-पैगम्बर हैं, तो वहाँ रहने वाले भी देवी-देवता, पीर-पैगम्बर हैं। हर देश, हर धर्म में मेहमान (आकर जाने वाला) भगवान होता है और जहाँँ मेहमान (भगवान) रहता है, वह स्वर्ग या जन्नत होता है। हर देशवासी को चाहिये, और समझंे गैर सरकारी प्राणी, सरकारी प्राणी और नेता व विद्यार्थीगण कि यह सारी पृथ्वी अपनी है। जहाँ भी रहें, सफाई-सुधार का ध्यान रखें। वहाँ के नियम कानून में चले। सबको अपना भाई समझें। इज्जत दें, प्रेम बढ़ायें। हर अनियमितता खत्म करने में व परेशानी में साथ दें, यही मानव धर्म निभाना है। यह धर्म, सब धर्म, देशवासी निभाने की कोशिश भी कर रहे हंै, आप भी कोशिश करें। विश्व अदालत आपके साथ है, हर समझदार साथ हैं।
मनुष्य अब जागरूक हो रहा है। पृथ्वी के 84 लाख योनि के जीव, जन्तु, पशुु, पक्षी शुरू से यह धर्म निभा रहे हैं, केवल मनुष्य को छोेड़कर। मनुष्य को मनुष्य से, अलग देश, अलग धर्म या अलग आचरण, अलग कर ही नहीं सकता। जैसे स्त्री, पुरूष अलग होते हुए भी एक-दूसरे के लिये हैं और आचरण अलग होने पर भी मिलते हैं और नया संसार बना देते हैं। सारी पृथ्वी पर सारे देशवासी भी एक होंगे, एक-दूसरे के लिये होंगे। ”हम सबका देश महान“ है।
आप देश के, अपने प्रदेश या शहर व गांँव में जो भी हंै, जैसे, सरकारी प्राणी हैं और आप बड़े हंै, तो और बड़े बनिये। पूरे प्रदेश के, पूरे देश के और सारे संसार के सेवक बनिये। आप नेता हैं, पूरे देश के नेता बनिये और बड़े नेता बनिये, पूरे संसार के नेता बनिये। आप गैर सरकारी हैं, आप मेहनती भी हंै, सबके पालनहार भी हंै, तो आप राजा हैं। आप भी और बड़े बनिये। पूरे संसार के वासी बनिये, पूरे संसार के राजा बनिये। लेखक की प्रबल इच्छा है कि आप बेहद बड़े बनंे। हर प्राणी, कर्मठता से ही बड़ा बनता है। कर्मस्थल बड़ा करना अपने हाथ में है। जितनी ज्यादा दूरी में कर्मठता निभायेंगे, उतने ही बड़े बनते जायेंगे। भगवान, अल्लाह, वाहेगुरू, गाॅड की कर्मठता पूरे ब्रह्माण्ड में है, तब ही तो सबसे बड़ा माना गया।
बड़े बनने में, कर्मठता बढ़ाने में या कर्मठता की दूरी बढ़ाने में किसी परमिशन, आज्ञा-पत्र, डिगरी या किसी की इजाजत की जरूरत ही नहीं है। बस आपकी कर्मठता ही डिगरी है, जिसे कोई फेल कर ही नहीं सकता। आज करता भी है तो हमेशा फेल करता नहीं रह सकता। बल्कि हर कर्मठ छोटा या बड़ा, आपको पूरा सहयोग देगा। जैसे एक पढ़ने वाले बच्चा कई भाषा की किताब पढ़ता है, तो चाहे माँ-बाप की औकात न हो, घर के बाहर के छोटे और बड़े अपनी-अपनी, अलग-अलग भाषाओं की किताबें देकर सहयोग देते हैं, इसी प्रकार एक झाडू़ वाला, आपके एरिये से बाहर तक सफाई करता या रखता है, तो खुद आप उसकी सहायता और तारीफ करते हैं। साथ तोे देते ही हंै। काम आसान हो, ऐसी तरकीब बताते हैं। कभी आप खुद साथ लगाकर सहायता करते हंै। लेकिन आप पैसे के लालच में करते हंै, तो डाँट भी खाते हंै, रोक भी लगती है, आज्ञा नहीं मानता, जैसा बुरा भी सुनना पड़ता है। भगवान, अल्लाह, वाहेगुरू, गाॅड, बेहद बड़ा है और इतना छोटा भी है कि नजर भी नहीं आता। क्योंकि वह काम कराता है या आप काम करें, ऐसे आसार बनाता है। किसी से भेदभाव नहीं रखता। सजा देता है, केवल सुधार के लिये। किसी की इज्जत कम नहीं करता। सब जीव हो, निर्जीव हो, केवल एक जैसा प्रेम करता है। यह आप भी कीजिये, आप भी निश्चित बड़े बनेंगे। आप जितने बड़े हंै, उतना ही करते हंै या आप जितना करते हंै, उतने बड़े हंै।
आप बडे़ हंै, तो करते हैं। आप छोटे हंै तो ज्यादा करके बड़े बनिये, यही सच्चाई है। मेरा देश महान तब है, जब मैं आपको, आपके देश के नियम और कानून में चलने की सलाह देता हूँ और आपके देश में पहुँचकर, आपके देश के नियम और कानून में चलता हूँ। हर देश के हर प्राणी आमंत्रित हैं, खुद बड़े बनें, बड़े और ज्यादा बड़े बनें, बड़ा बनने में सहयोग दें और सहयोग लेकर, बड़ा धर्म निभायें, और ज्यादा बड़े व महान बनें, देश का नाम रोशन करें।



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