कलियुग के धर्म - 08. कन्फ्यूसी धर्म-कन्फ्यूसियश-ईसापूर्व 551-479
परिचय -
कन्फ्यूशियस धर्म चीन का में ताओं धर्म के समकालीन धर्म था, जिसके मानने वाले आज भी चीन में काफी संख्या में है। इसके संस्थापक कुंग फू सु थे जिन्हें कन्फ्यूशियस नाम से जाना जाता है। उनका जन्म 551 ईसापूर्व में चीन में हुआ था। बचपन में ही उन्हें ज्ञान की हार्दिक लालसा थी। ताओवाद के संस्थापक लाओत्से से मिलने के उपरान्त धर्म की ओर उनका और अधिक झुकाव बढ़ा। अपनी मेहनत व लगन से वे एक साधारण गरीब व्यक्ति से राज्य के मजिस्ट्रेट के पद तक पहुँचे। उनके कुशल शासन से जलकर शासन में लगे अन्य लोगों ने षडयन्त्र करके उन्हें 496 ईसापूर्व में नौकरी से निकलवा दिया। तत्पश्चात् उनकी स्थिति अत्यन्त दयनीय हो गई और 73 वर्ष की आयु में मृत्यु को प्राप्त हो गये।
मृत्यु के पश्चात् उनके महत्व को समझा गया और उन्हें देवता जैसा समझा जाने लगा। उनके उपदेशों को सूक्ति संग्रह के रूप में संकलित किया गया। वास्तव में कन्फ्यूशियस ने कोई धर्म नहीं स्थापित किया, बल्कि मानव जीवन को सदाचार और नीतिपूर्ण बनाने का प्रयास किया था। उनके उपदेशों में दर्शन, समाज और राजनीति की सर्वकल्याणकारी भावना का प्रवाह विद्यमान है। इस धर्म में सामाजिक संगठन को दीर्घकाल तक व्यवस्थित बनाये रखने के लिए 5 प्रकार के सम्बन्धों पर जोर दिया गया। 1. शासक और शासित, 2. पिता और पुत्र, 3. ज्येष्ठ और कनिष्ठ भ्राता, 4. पति और पत्नी तथा 5. मित्र। इनमें से प्रथम चार आदेश देने वाले और उसका पालन करने वाले के सम्बन्ध पर आधारित है। पाँचवां सम्बन्ध पारसपरिक व्यवहार पर आधारित है। इन पाँचों सम्बन्ध के सुचारू रूप से परिपालन होने पर समाजिक संगठन स्थिर बना रहता है। ऐसा न होने पर समाज विघटित होने लगता है। इसके अलावा यह धर्मनिरपेक्षता का भी समर्थक है।
ये धर्म मुख्यतः सदाचार ओर दर्शन की बातें करता है। देवताओं और ईश्वर के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहता, इसलिए इसे धर्म कहना गलत प्रतीत होता है। इसे जीवनशैली कहना उचित है। ये धार्मिक प्रणाली कभी चीनी साम्राज्य का राजधर्म हुआ करती थी।
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