Sunday, March 15, 2020

श्री श्री रवि शंकर

श्री श्री रवि शंकर
                   

परिचय -
श्री श्री रवि शंकर, एक आध्यात्मिक नेता एवं मानवतावादी धर्मगुरू हैं। उनके भक्त उन्हें आदर से प्रायः ”श्री श्री“ के नाम से पुकारते हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय जीवन जीने की कला फाउण्डेशन ;प्दजमतदंजपवदंस ।तज व िस्पअपदह थ्वनदकंजपवदद्ध के संस्थापक हैं।
श्री श्री रवि शंकर का जन्म भारत के तमिलनाडु राज्य में 13 मई, 1956 को हुआ। उनके पिता का नाम वेंकेट रत्नम था जो भाषाविद् थे। उनकी माता श्रीमती विशलक्षी सुशील महिला थीं। आदि शंकराचार्य से प्रेरणा लेते हुए उनके पिता ने उनका नाम शंकर रखा। शंकर शुरू से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। मात्र 4 वर्ष की उम्र में वे भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ कर लेते थे। बचपन में ही उन्होंने ध्यान करना शुरू कर दिया था। उनके शिष्य बताते हैं कि फीजिक्स में अग्रिम डिग्री उन्होंने 17 वर्ष की उम्र में ही ले ली थी। शंकर पहले महर्षि महेश योगी के शिष्य थे। अपनी विद्वता के कारण शंकर महेश योगी के प्रिय शिष्य बने गये। उन्होंने अपने नाम के आगे ”श्री श्री“ जोड़ लिया जब प्रख्यात सितार वादक रवि शंकर ने उन पर आरोप लगाया कि वे उनके नाम की कीर्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं। रवि शंकर लोगों को सुदर्शन क्रिया सिखाते हैं। इसके बारे में वो कहते हैं कि 1982 में 10 दिवसीय मौन के दौरान कर्नाटक के भद्रा नदी के तीरे लयबद्ध सांस लेने की क्रिया एक कविता या एक प्रेरणा की तरह उनके जेहन में उत्पन्न हुई। उन्होंने इसे सीखा और दूसरों को सिखाना शुरू किया। 1982 में श्री श्री रवि शंकर ने आर्ट आॅफ लिविंग की स्थापना की। यह शिक्षा और मानवता के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करती है। 1997 में इण्टरनेशनल एशोसियेशन फार ह्यूमन वैल्यू की स्थापना की जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर उन मूल्यों को फैलाना है जो लोगों को आपस में जोड़ती है।
श्री श्री रवि शंकर कहते हैं कि सांस, शरीर और मन के बीच एक कड़ी की तरह है जो दोनो का जोड़ती है। इसे मन को शांत करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वे इस बात पर भी जोर देते हैं कि ध्यान के अलावा दूसरे लोगों की सेवा भी करनी चाहिए। वे विज्ञान और आध्यात्म को एक-दूसरे को विरोधी नहीं, बल्कि पूरक मानते हैं। वे एक ऐसी दुनिया बनाने का प्रयत्न कर रहें हैं जिसमें रहने वाले लोग ज्ञान से परिपूर्ण हों ताकि तनाव और हिंसा से दूर रह सकें। 2001 में जब आतंकवादियों ने विश्व व्यापार संगठन पर हमला किया तो आर्ट आॅफ लिविंग फाउण्डेशन ने पूरे न्यूयार्क के लोगों के निःशुल्क तनाव को दूर कराने के कोर्स करवाये। इस संस्था ने कोसोव में युद्ध से प्रभावित लोगों के लिए सहायता कैम्प भी लगाया था। इराक में भी संस्था ने 2003 में युद्ध प्रभावित लोगों का तनाव मुक्ति के उपाय बताए। इराक के प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर श्री श्री रवि शंकर ने इराक का दौरा किया और वहाँ के शिया, सुन्नी तथा कुरदिश समुदाय के नेताओं से बातचीत की। 2004 में पाकिस्तान के उन नेताओं से भी मिले जो विश्व शान्ति स्थापना के पक्षधर थे। संसार ने जब सुनामी देखा तो संस्था के लोग मदद के लिए वहाँ भी खड़े थे। दुनिया भर के कैदियों के उत्थान के लिए भी संस्था निरन्तर कार्य करती रहती है। उन्हें नेशनल वेटरैन्स फाउण्डेशन एवार्ड, अमेरिका (2007), वर्शद कन्नडिगा, ईटीवी (2007), आर्डर पोल स्टार, मंगोलिया का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार भी प्राप्त हुए है।

द आर्ट आॅफ लिविंग फाउण्डेशन 
श्री श्री रवि शंकर द्वारा संस्थापित बिना लाभ काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था है। द आर्ट आॅफ लिविंग, एक बहुपक्षीय, बिना किसी लाभ वाली शैक्षिक और मानवतावादी गैर सरकारी संस्था है जो 140 देशों में मौजूद है। परमपूज्य श्री श्री रवि शंकर द्वारा 1982 में संस्थापित विश्व की सबसे बड़ी स्वयंसेवी संस्था है। संस्थापक की हिंसा रहित, तनाव रहित वासुदैव कुटुम्बकम् की दृष्टि से प्रेरित होकर संस्था मानवता के उद्धार और जीवन के स्तर में सुधार की बढोत्तरी के कई पहल करने में लगी हुई है। संस्था का उद्देश्य है कि व्यक्तिगत, सामाजिक, राष्ट्र और सम्पूर्ण विश्व के स्तर पर शान्ति स्थापित करना। उसके कार्य क्षेत्र में द्वन्द समाधान, आपदा और आघात में सहायता, गरीबी उन्मूलन, महिला सशक्तिकरण, कैदियों का पुनःस्थापन, सबके के लिए शिक्षा, महिला भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान और बाल श्रमिक और पर्यावरण की निरन्तर स्थिरता सम्मिलित है। श्री श्री का शान्ति का मार्गदर्शक सिद्धान्त है कि जब तक हमारा तनाव रहित मन और हिंसा रहित समाज नहीं होगा तो हम विश्व शान्ति को प्राप्त नहीं कर सकते। संस्था कई तनाव निष्कासन और स्वयं के विकास के लिए कार्यक्रम प्रस्तुत करता है। जो अधिकांश श्वास तकनीक, ध्यान और योग पर आधारित है। इन कार्यक्रमों ने हजारों लोगों को विश्वभर में निराशा, हिंसा और आत्महत्या करने की प्रवृत्ति से निकलने में मदद की है। प्रार्थना और जिम्मेदारी को जोड़ते हुए संस्था ने 10 लाख से भी अधिक लोगों को विश्व भर में प्रेरित किया है कि वे अपना जीवन मानवता की सेवा और विश्व स्तर पर ध्यान बाँटना और सेवा के लिए समर्पित किया है। अपने सहभागी संस्थाओं के द्वारा संस्था इन क्षेत्रों में कई सामाजिक योजनाओं को सूत्रबद्ध करते हुए क्रियान्वित करती है।
संस्था, कई स्वयं के विकास के लिए तनाव निष्कासन कार्यक्रम का आयोजन करती है जो लोगों को जीवन की चुनौतियों का लालित्यपूर्ण रूप से सामना करने की शक्ति प्रदान करता है। सुदर्शन क्रिया, आर्ट आॅफ लिविंग कोर्स का आधार है। जो लोग सुदर्शन क्रिया सीखने की इच्छा जताते हैं उन्हें एक समझौते पर हस्ताक्षर करना पड़ता है कि वे सुदर्शन क्रिया को किसी अन्य व्यक्ति को नहीं बताएंगे। सुदर्शन क्रिया के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह शरीर, मन और भावनाओं को ऊर्जा से भर देती है तथा उन्हें प्राकृतिक स्वरूप में ले आती है। इसे सिखने के कोर्स की फीस हर देश में अलग-अलग है। अमेरिका में एक व्यक्ति से 375 डाॅलर लिए जाते हैं। कालेज के विद्यार्थीयों को कुछ छूट दी जाती है।
संस्थापक की तत्वज्ञान की हमारी पहली और सर्वोत्तम प्रतिबद्धता है- विश्व की सेवा करने से प्रेरित होकर, द आर्ट आॅफ लिविंग अभियान के विभिन्न उद्देश्यों में मानवता को उठाना और जीवन के स्तर में बढ़ोत्तरी करना। इन कार्यक्रमों का केन्द्र बिन्दु है कि विश्व भर में समुदायों को सशक्त बनाते हुए उनकी स्वयं के सम्मान को बढ़ाना और उन्हें निरन्तर और स्थिर सामाजिक विकास की प्रक्रिया में भागीदार बनाना। अंततः इस पहल का उद्देश्य है कि एक आनन्दमय और स्वस्थ समाज का निर्माण करना जहाँ पर हिंसा और अज्ञान की कोई जगह नहीं है।
इसके अलावा कुछ और संस्थाएं है जो श्री श्री रवि शंकर की देख-रेख में काम करती हैं जैसे-वेद विज्ञान विद्यापीठ, श्री श्री सेन्टर फाॅर मीडिया स्टडीज, श्री श्री कालेज और आयुर्वेदिक साइंस एण्ड रिसर्च, श्री श्री मोबाइल एग्रीकल्चरल इनिसिएटीव्स और श्री श्री रूरल डेवलपमेन्ट ट्रस्ट।



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