Sunday, March 15, 2020

महर्षि महेश योगी

महर्षि महेश योगी 

परिचय -
महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी, 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम महेश प्रसाद वर्मा था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की उपाधि अर्जित की। उन्होंने 13 वर्ष तक ज्योतिर्मठ के शकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के सान्निध्य में शिक्षा ग्रहण की। महर्षि महेश योगी ने शंकराचार्य की मौजूदगी में रामेश्वरम् में 10 हजार बाल ब्रह्मचारियों को आध्यात्मिक योग और साधना की दीक्षा दी। हिमालय क्षेत्र में 2 वर्ष का मौन व्रत करने के बाद सन् 1955 ई. में उन्होंने ”टी.एम. तकनीक (ट्रांसडेन्सल मेडिटेशन-भावातीत तकनीक)“ की शिक्षा देना आरम्भ की। सन् 1957 में उनने टी.एम. आन्दोलन आरम्भ किया और इसके लिए विश्व के विभिन्न भागों का भ्रमण किया। महर्षि महेश योगी द्वारा चलाये गये आन्दोलन ने उस समय जोर पकड़ा जब राॅक ग्रुप ”बीटल्स“ ने 1968 में उनके आश्रम का दौरा किया। इसके बाद गुरूजी का टी.एम. पूरी पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय हुआ। उनके शिष्यों में पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी से लेकर आध्यात्मिक गुरू दीपक चोपड़ा तक शामिल रहे। महर्षि महेश योगी ने वेदों में निहीत ज्ञान पर अनेक पुस्तकों की रचना की। महर्षि महेश योगी अपनी शिक्षाओं एवं अपने उपदेश के प्रसार के लिए आधुनिक तकनीकों का सहारा लेते हैं। उनहोंने महर्षि मुक्त विश्वविद्यालय स्थापित किया जिसके माध्यम से आॅनलाइन शिक्षा दी जाती है। वे साप्ताहिक विडियो पत्रकार वार्ता आयोजित करते हैं। वे महर्षि प्रसारण के लिए उपग्रह व अन्तरजाल का सहारा लेते हैं। अपनी विश्व यात्रा की शुरूआत 1959 में अमेरिका से करने वाले महर्षि महेश योगी के दर्शन का मूल आधार था- ”जीवन परमानन्द से भरपूर है और मनुष्य का जन्म इसका आनन्द उठाने के लिए हुआ है। प्रत्त्येक व्यक्ति में ऊर्जा, ज्ञान और सामथ्र्य का अपार भण्डार है तथा इसके सदुपयोग से वह जीवन को सुखद बना सकता है।“ वर्ष 1990 में हालैण्ड के व्लोड्राप गाँव में ही अपनी सभी संस्थाओं का मुख्यालय बनाकर वह यहीं स्थायी रूप से बस गए और संगठन से जुड़ी गतिविधियों का संचालन किया। दुनिया भर में फैले लगभग 60 लाख अनुयाईयों के माध्यम से उनकी संस्थाओं ने आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति और प्राकृतिक तरीके से बनाई गई कास्मेटिक हर्बल दवाओं के प्रयोग को बढ़ावा दिया। व्लोड्राप स्थित अपने आवास में डच के स्थानीय समयानुसार मंगलवार देर रात उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया। शरीर त्याग से पूर्व महर्षि ने ये कहते हुए अपने को सेवानिवृत घोषित कर दिया कि उनका काम पूरा हो गया है और अपने गुरू के प्रति जो कत्र्तव्य था वो पूरा कर दिया है। महर्षि योगी ने एक मुद्रा की स्थापना भी की थी। महर्षि योगी की मुद्रा ”राम“ को नीदरलैण्ड में कानूनी मान्यता प्राप्त है। राम नाम की यह मुद्रा में चमकदार रंगों वाले एक, पाँच और दस के नोट हैं। इस मुद्रा को महर्षि की संस्था ”ग्लोबल कन्ट्री आॅफ वल्र्ड पीस“ ने अक्टुबर 2002 में जारी किया था। डच सेन्ट्रल बैंक के अनुसार राम का उपयोग कानून का उल्लंघन नहीं है। बैंक के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि इसके सीमित उपयोग की अनुमति दी गई है। अमरीकी राज्य आइवा के महर्षि वैदिक सिटी में भी राम का प्रचलन है। वैसे 35 अमरीकी राज्यों में राम पर आधारित बाॅन्ड्स चलते हैं। नीदरलैण्ड की डच दुकानों में एक राम के बदले दस यूरो मिल सकते हैं। डच सेन्ट्रल बैंक के प्रवक्ता का कहना है कि इस वक्त कोई एक लाख राम नोट चल रहें हैं।

महर्षि यूनिवर्सिटी आॅफ मैनेजमेन्ट
महर्षि यूनिवर्सिटी आॅफ मैनेजमेन्ट (महर्षि प्रबन्धन विश्वविद्यालय) जो पूर्व में महर्षि अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता था, 1973 में महर्षि महेश योगी द्वारा स्थापित किया गया है। परिसर फेयरफील्ड, आयोवा, संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व पार्सन्स कालेज के परिसर में स्थित है। विश्वविद्यालय अलाभकारी है और मान्यता प्राप्त काॅलेजों और स्कूलों के उत्तर-मध्य एसोसिएशन के उच्च शिक्षा आयोग द्वारा पीएच.डी. स्तर तक मान्य है। विश्वविद्यालय चेतना के विकास पर आधारित शिक्षा देता है जो टी.एम. (ट्रान्सडेन्सियल मेडिटेशन) द्वारा कराया जाता है। डिग्री कार्यक्रम में कला, विज्ञान, व्यापार और मानविकी उपलब्ध हैं।
विश्वविद्यालय कैम्पस 272 एकड़ में जंगली क्षेत्रों व दो छोटे झीलों से घिरा हुआ है जो 80 किमी मिसिसिपी नदी के पश्चिम में स्थित है। मूल पार्सन्स कालेज परिसर में 80 भवनों में से कई ऐतिहासिक स्थानों में सूचीबद्ध होने के कारण उन्हें महर्षि स्थापत्य वेद वास्तु कला उनका नवनिर्माण नहीं हुआ। विश्वविद्यालय परिसर में 17 मुख्य कक्षा सहित 45 से अधिक भवन हैं। सभी भवन पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
छात्र और शिक्षक दोनों के लिए दिन में दो बार प्रत्येक दिन टी.एम का अभ्यास आवश्यक रहता है। यह चेतना के आधार पर शिक्षा के लिए अनिवार्य विषय होता है। विश्वविद्यालय की कक्षा में उपस्थिति अनिवार्य होती है। महर्षि महेश योगी द्वारा बनाये गये 33 शिक्षा विडियों कक्षा के आधार पर प्रथमतया रचनात्मक बुद्धि का विकास किया जाता है इसे वे क्रिएटिव इंटेलिजेंस साइंस कहते हैं। यह विज्ञान एक व्यवस्थित समझ है जो कि छात्रों को किसी भी विषय को समझने के लिए सक्षम बनाता है। इसके द्वारा मानव चेतना के सैद्धान्तिक पहलुओं को समझा जाता है।
विश्वविद्यालय अपने छात्रों के मस्तिष्क के विकास का मूल्यांकन करने के लिए, शिक्षा की प्रक्रिया की प्रगति को मापने के लिए  एक मस्तिष्क एकीकरण रिपोर्ट कार्ड रखता है। विश्वविद्यालय के संस्थापक सिद्धान्त निम्नवत् हैं-
1. व्यक्ति का पूर्ण क्षमता का विकास
2. शिक्षा के उच्चतम आदर्श का अनुभव
3. सरकारी उपलब्धियों में सुधार
4. विश्व परिवार में लाने वाले पुराने समय के अपराध और अन्य व्यवहार को हल करना
5. व्यक्ति और समाज के आर्थिक आकंक्षाओं की पूर्ति
6. अधिकतम बुद्धि से पर्यावरण के साथ चलना
7. वर्तमान समय के मानवता में अधिकतम आध्यात्मिक लक्ष्यों को प्राप्त करना।



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